एडिटोरियल
यह एडिटोरियल 20/12/2022 को ‘हिंदू बिजनेस लाइन’ में प्रकाशित “Telecom licensing is about carriage, not content” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में दूरसंचार क्षेत्र और इससे संबद्ध चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है।
संदर्भ
पिछले दो दशकों को भारत में दूरसंचार उद्योग के लिये स्वर्ण काल माना जाता है जिसने प्रौद्योगिकी और पैठ के साथ ही नीति निर्धारण के मामले में घातांकीय। वृद्धि तथा विकास दर्ज किया है।
- वर्तमान में भारत 1.16 बिलियन ग्राहक आधार के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार बाज़ार है और पिछले दशक में इसने मज़बूत वृद्धि दर्ज की है। भारतीय दूरसंचार क्षेत्र के तीव्र विकास में मज़बूत उपभोक्ता मांग के साथ-साथ भारत सरकार की उदार एवं सुधारवादी नीतियाँ सहायक रही हैं।
- हालाँकि, सीमित स्पेक्ट्रम उपलब्धता, निम्न ब्रॉडबैंड पैठ, ओवर-द-टॉप (OTT) विनियमन की कमी आदि ने दूरसंचार के दायरे को सीमित किया है, जिसकी एक असंलग्न दृष्टिकोण से जाँच करने और समग्र रूप से संबोधित करने की आवश्यकता है।
भारत में दूरसंचार क्षेत्र के विकास के चालक तत्त्व
- मज़बूत मांग: दिसंबर 2021 में भारत में कुल ग्राहकों की संख्या 1178.41 मिलियन थी।
- इसके अलावा, भारत दुनिया भर में डेटा के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है। TRAI के अनुसार, वित्त वर्ष 2020 में औसत वायरलेस डेटा उपयोग प्रति वायरलेस डेटा सब्सक्राइबर 11GB प्रति माह था।
- इसके साथ ही, 6G प्रौद्योगिकी के विकास के संचालन के लिये दूरसंचार विभाग (DoT) ने छठी पीढ़ी (6G) के नवाचार समूह विकसित किये हैं।
- दूरसंचार क्षेत्र में FDI प्रवाह अप्रैल 2000 से सितंबर 2022 के बीच 39.02 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा।
दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित हाल की सरकारी पहलें
- पीएम वाणी/प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (PM-WANI)
- भारत नेट प्रोजेक्ट
- वन नेशन फुल मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP)
- दूरसंचार विधेयक, 2022 का मसौदा
दूरसंचार क्षेत्र से संबद्ध प्रमुख चुनौतियाँ
- ‘राइट ऑफ वे’ चुनौती: विभिन्न राज्यों में परिवर्तनशील और जटिल कानूनी प्रक्रियाओं, लेवी में एकरूपता की कमी और वन विभाग, रेलवे एवं राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से अनुमोदन आवश्यकताओं के कारण भारतीय दूरसंचार क्षेत्र के लिये ‘राइट ऑफ वे’ (Right of Way) एक विवादास्पद मुद्दा रहा है क्योंकि इन परिदृश्यों में कागजी कार्रवाई में देरी की समस्या उत्पन्न होती है।
- इस देरी से देश भर में टावरों एवं फाइबर के लिये विभिन्न योजनाएँ और रोलआउट प्रक्रियाएँ प्रभावित हुई हैं।
- दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (TSPs) का तर्क है कि ये सेवाएँ उनके राजस्व के स्रोतों (वॉयस कॉल, एसएमएस) पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
- विकसित देशों में 70% से अधिक की तुलना में भारत में 25% से कम टावर फाइबर नेटवर्क से जुड़े हैं।
- 5G नेटवर्क के लिये टावरों को अत्यंत उच्च-गति प्रणालियों से कनेक्ट करने की आवश्यकता होती है। ऐसी उच्च गतियाँ वर्तमान रेडियो सिस्टम द्वारा प्राप्त नहीं की जा सकती हैं।
- भारत में 95% से अधिक ई-कचरे का अवैध रूप से निपटान किया जाता है।
- भारी प्रारंभिक निर्धारित लागतों के कारण सेवा प्रदाताओं के लिये अर्द्ध-ग्रामीण और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवेश करना चुनौतीपूर्ण है।
आगे की राह
- डिजिटल कौशल के साथ डिजिटल अवसंरचना: डिजिटल अवसंरचना का निर्माण और डिजिटल कौशल का विकास साथ-साथ होना चाहिये, जबकि इंटरनेट का उपयोग और डिजिटल साक्षरता अन्योन्याश्रित हैं।
- युवा छात्रों और कामकाजी आबादी, विशेष रूप से महिलाओं को शिक्षित और सशक्त बनाने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में ‘डिजिटल फाउंडेशन सेंटर’ स्थापित किये जा सकते हैं।
- दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (Telecom Disputes Settlement and Appellate Tribunal- TDSAT) द्वारा अधिक सक्रिय और समयबद्ध विवाद समाधान समय की मांग है।
- इसके साथ ही, साझा करने योग्य आधार पर नए बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता है, जिस प्रकार दूरसंचार सेवा प्रदाता टावर लागत को साझा करते हैं।
अभ्यास प्रश्न: भारत में दूरसंचार क्षेत्र से संबद्ध प्रमुख चुनौतियों की चर्चा कीजिये। हाल के दूरसंचार विधेयक, 2022 के मसौदे के प्रमुख प्रावधानों का हवाला भी दीजिये।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)
प्र. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार की "डिजिटल इंडिया" योजना का/के लक्ष्य हैं/हैं? (वर्ष 2018)
- चीन की तरह भारत की अपनी इंटरनेट कंपनियों का गठन।
- विदेशी बहुराष्ट्रीय निगमों को प्रोत्साहित करने के लिए एक नीतिगत ढाँचा स्थापित करना जो हमारी राष्ट्रीय भौगोलिक सीमाओं के भीतर अपने बड़े डेटा केंद्रों का निर्माण करने के लिए बिग डेटा एकत्र करते हैं।
- हमारे कई गाँवों को इंटरनेट से जोड़ना और हमारे कई स्कूलों, सार्वजनिक स्थानों और प्रमुख पर्यटन केंद्रों में वाई-फाई लाना।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(A) केवल 1 और 2
(B) केवल 3
(C) केवल 2 और 3
(D) 1, 2 और 3Cryptocurrency Jargon: माइनिंग, व्हेल, ब्लॉकचेन; समझिए क्रिप्टो की दुनिया के शब्दों के मतलब
क्रिप्टो में निवेश करने में दिलचस्पी है, लेकिन अब-तब फेर में हैं तो भी आपके लिए बेहद जरूरी है कि आप क्रिप्टो की दुनिया की भाषा को समझते हों. हम इस आर्टिकल में कुछ ऐसे जरूरी शब्दों के बारे में बता रहे हैं जो आप क्रिप्टो निवेश के सफर में जरूर सुनेंगे.
Cryptocurrency की दुनिया में कई ऐसे शब्द हैं, जिनका मतलब आपको पता होना चाहिए.
क्रिप्टोकरेंसी निवेश (Cryptocurrency Investment) का एक जाना-माना माध्यम बन गई है. खासकर युवा इसकी तरफ काफी आकर्षित हैं. हालांकि, क्रिप्टो की दुनिया के शब्द यानी जार्गन्स (Cryptocurrency Jargons) थोड़े अटपटे और हैवी हो सकते हैं, जैसे कि- गैस क्या है, व्हेल क्या होता है, या फिर बिटकॉइन या फिर ब्लॉकचेन में क्या फर्क होता है? इन शब्दों के मतलब आपको पता होंगे तो क्रिप्टो की दुनिया थोड़ी और आसान हो जाएगी. अगर आपकी क्रिप्टो में निवेश करने में दिलचस्पी है, लेकिन आप अब-तब के फेर में हैं तो भी आपके लिए बेहद जरूरी है कि आप क्रिप्टो की दुनिया की भाषा को समझते हों. हम इस आर्टिकल में कुछ ऐसे जरूरी शब्दों के बारे में बता रहे हैं जो आप क्रिप्टो निवेश के सफर में जरूर सुनेंगे.
1. माइनिंग
माइनिंग शब्द थोड़ा भ्रामक हो सकता है क्योंकि माइनिंग शब्द का मतलब खनन होता है और इसे कोयला खनन या ऐसे ही किसी दूसरे खनिज के खनन से जोड़कर देखा जाता है. लेकिन क्रिप्टो माइनिंग का मतलब नई डिजिटल कॉइन्स जेनरेट करने यानी पैदा करने से होता है. और ये काम बहुत ही उत्कृष्ट कंप्यूटर्स में जटिल क्रिप्टोग्राफिक इक्वेशन्स यानी समीकरणों को हल करके किया जाता है. इक्वेशन सॉल्व करने के बाद रिवॉर्ड के तौर पर यूजर को कॉइन्स मिलते हैं, यहां से इसे या तो किसी बायर को सीधे बेच दिया जाता है या फिर एक्स्चेंज पर इसकी ट्रेडिंग होती है.
हालांकि, ऐसा जरूरी नहीं है कि हर निवेशक क्रिप्टो माइनिंग करता है. अधिकतर निवेशक बाजार में पहले से मौजूद कॉइन्स या टोकन्स में ट्रेडिंग करते हैं, वो खुद इनकी माइनिंग नहीं करते हैं. वो दूसरों के साथ क्रिप्टो एक्सचेंज कर सकते हैं, बिल्कुल वैसे ही जैसे आप किसी भी इन्वेस्टमेंट टूल में करते हैं.
2. व्हेल
ऐसे अकाउंट्स, जिनके पास बहुत बड़ी संख्या कॉइन होते हैं और इसकी वजह से वो मार्केट को अपने दम पर प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं, उन्हें व्हेल अकाउंट कहते हैं. अधिकतर पॉपुलर क्रिप्टो कॉइन्स के बहुत से ऐसे व्हेल हैं, जो बाजार में बड़ी हैसियत रखते हैं. यहां तक कि अलग से कुछ ऐसी साइट्स हैं जो इन व्हेल्स अकाउंट को ट्रैक करती रहती हैं ताकि बाजार में पारदर्शिता बनी रहे. इससे यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाजार का रुख कैसा रहने वाला है. बहुत से व्हेल अकाउंट्स या तो बड़े लार्ज फंड्स के हैं, या फिर काफी शुरुआत से क्रिप्टो में निवेश कर रहे निवेशकों के.
3. वॉलेट
निवेशकों को अपनी क्रिप्टो कॉइन्स एक डिजिटल वॉलेट में रखनी होती है. यह क्रिप्टोग्राफी से निवेश की दुनिया का हमारा कवरेज सुरक्षित होती है और अगर कभी आप अपना पासवर्ड भूल गए तो आप इस वॉलेट का एक्सेस खो देते हैं. क्रिप्टोकरेंसी एक डिसेंट्रलाइज्ड डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम पर काम करती है. यानी कि इसका कोई मुख्य केंद्रबिंदु नहीं है, कोई नियमन नहीं है, ऐसे में निवेशकों को अपने पासवर्ड को लेकर सतर्क रहना होता है.
बता दें कि ये वॉलेट दो तरह के होते हैं- हॉट और कोल्ड. हॉट वॉलेट हमेशा इंटरनेट से कनेक्टेड रहता है और इससे ऑनलाइन ट्रेडिंग की जाती है, वहीं, कोल्ड वॉलेट एक ऑफलाइन सेफ यानी तिजोरी की तरह होता है, जिसमें आप अपने कॉइन्स सुरक्षित रखते हैं.
4. ब्लॉकचेन
क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग विस्तृत तौर पर पीयर-टू-पीयर नेटवर्क यानी कि दो या उससे ज्यादा पक्षों में आपस में डायरेक्ट नेटवर्किंग के जरिए काम करती है. ब्लॉकचेन एक तरह का डिजिटल लेजर यानी बहीखाता है, जिसपर हर क्रिप्टो एक्सचेंज की डिटेल्स स्टोर होती हैं. चूंकि इसमें कोई सेंट्रल डेटाबेस नहीं होता है और कोई भी कहीं से भी ब्लॉकचेन को एक्सेस कर सकता है, ऐसे में हैकिंग से इन्फॉर्मेशन के हैक होने या करप्ट होने का खतरा नहीं रहता है.
5. गैस
गैस उस फीस को कहते हैं तो क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन करने के लिए चुकानी पड़ती है. इस फीस से माइनर यानी कि कॉइन को जेनरेट करने वाले का खर्चा कवर होता है. माइनर्स हाई-फाई कंप्यूटर्स पर जटिल मैथेमेटिकल इक्वेशन्स को हल करते हैं, जिनके बदले में उन्हें रिवॉर्ड के रूप में कॉइन्स मिलती हैं. फीस कितनी होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि निवेशक को माइनर से कितनी जल्दी क्रिप्टोकरेंसी चाहिए.
6. एड्रेस
एड्रेस उस विशेष पता, अकाउंट, या प्लेटफॉर्म को कहते हैं, जहां क्रिप्टो भेजा जा रहा है. यह किसी बैंक अकाउंट जैसा ही होता है, लेकिन इसमें बस क्रिप्टोकरेंसी होती है. हर एड्रेस में अल्फान्यूमेरिक कैरेक्टर होते हैं और इनका इस्तेमाल क्रिप्टो संपत्ति को हाई सिक्योरिटी में रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, क्रिप्टो रिसीव कर रहे रिसीवर को अगर इनपर अपनी ओनरशिप साबित करनी पड़े तो ये एड्रेस काम आते हैं.
7. फ्लैट
अधिकतर इस टर्म का इस्तेमाल हमारी ट्रेडिशनल, सरकारी करेंसी के साथ तुलना के लिए चाहिए, फ्लैट करेंसी को सरकार का समर्थन और कानूनी वैधता मिली हुई है. सरकारी करेंसी के चलते केंद्रीय बैंकों को अर्थव्यस्था पर अच्छा नियंत्रण देती है. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में ऐसा कुछ नहीं है.
स्वास्थ्य बीमा में निवेश करके अपने करों पर अधिक पैसा बचाएं
जब चिकित्सा बिलों से निपटने की बात आती है, तो स्वास्थ्य बीमा दृढ़ सहायता प्रदान करता है। बहुत से लोग जानते हैं कि चिकित्सा बीमा के विभिन्न लाभ हैं जैसे अस्पताल में भर्ती होने, निदान, एम्बुलेंस आदि के लिए कवर प्रदान करना। हालांकि, कम ही लोग जानते हैं कि स्वास्थ्य बीमा लोगों को कर बचाने में मदद करता है।
स्वास्थ्य बीमा एक आवश्यक निवेश है जिसे हर व्यक्ति को करना चाहिए। लेकिन हमारे देश के सामने जो समस्या है वह यह है कि बहुत से लोग चिकित्सा बीमा को एक आवश्यक निवेश नहीं समझते हैं। जागरूकता की कमी के अलावा, यह इस तथ्य के कारण हो सकता है कि स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी वास्तविक लाभ प्रदान नहीं करती है। लेकिन इसका उपयोग अंततः आता है और जरूरत के समय जीवन रक्षक के रूप में कार्य करता है।
स्वास्थ्य बीमा के महत्व को जानने के लिए, और लोगों को चिकित्सा बीमा के साथ अपना जीवन सुरक्षित करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार। भारत के आयकर कटौती की सुविधा। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80डी के तहत, एक चिकित्सा बीमा पॉलिसी के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए आयकर कटौती का लाभ उठाया जा सकता है। यह अपने और अपने परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा खरीदने की संस्कृति को बढ़ावा देने और देश भर में स्वास्थ्य बीमा की पैठ बढ़ाने के लिए है।
धारा 80डी के तहत यह प्रावधान लोगों को पैसे बचाने में कैसे मदद करता है? यदि किसी की वार्षिक आय आयकर देयता के अंतर्गत आती है, तो वह व्यक्ति स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्राप्त करने के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए कर कटौती का लाभ उठा सकता है। रुपये तक की कर कटौती का लाभ उठा सकते हैं। 25,000/- प्रति वर्ष व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा योजनाओं या पारिवारिक स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के लिए प्रीमियम का भुगतान करने के लिए, जिसे आमतौर पर फ्लोटर पॉलिसियों के रूप में जाना जाता है जिसमें स्वयं, पति या पत्नी और आश्रित बच्चे शामिल हैं। यह सीमा 60 वर्ष से कम आयु के लोगों के लिए लागू है।
इसके अलावा, कोई भी अपने माता-पिता के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम का भुगतान करने के लिए कर कटौती का लाभ उठा सकता है। यदि माता-पिता की आयु 60 वर्ष से कम है, तो रुपये की अतिरिक्त कर कटौती। 25,000/- का लाभ उठाया जा सकता है। तो, कुल मिलाकर, रुपये की कुल कर कटौती का लाभ उठा सकते हैं। 50,000 / - उनके परिवारों और उनके माता-पिता के लिए चिकित्सा बीमा प्रीमियम का भुगतान करने के लिए।
उम्र के साथ स्वास्थ्य जोखिम की संभावना बढ़ जाती है। इसे स्वास्थ्य बीमा कंपनियों द्वारा एक दायित्व के रूप में देखा जा सकता है, परिणामस्वरूप, बुजुर्गों के लिए प्रीमियम तुलनात्मक रूप से अधिक हो सकता है। साथ ही, बुजुर्गों में कुछ पहले से मौजूद स्वास्थ्य स्थितियां हो सकती हैं जो उनके पॉलिसी प्रीमियम को बढ़ा सकती हैं। वित्तीय संकट को कम करने के लिए, आय अधिनियम, 1961 की धारा 80डी रुपये तक की कर कटौती की सुविधा प्रदान करती है। 50,000/- उन लोगों के लिए जो 60 वर्ष से अधिक आयु के हैं, स्वयं, जीवनसाथी और आश्रित बच्चों के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम का भुगतान करते हैं।
इसी तरह, रुपये तक की अतिरिक्त कर कटौती। 60 वर्ष से अधिक आयु के माता-पिता के लिए चिकित्सा बीमा प्रीमियम का भुगतान करने के लिए 50,000/- का लाभ उठाया जा सकता है। तो, कुल मिलाकर, एक व्यक्ति जिसकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है, रुपये तक की कुल निवेश की दुनिया का हमारा कवरेज आयकर कटौती का लाभ उठा सकता है। माता-पिता सहित उनके परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम का भुगतान करने के लिए 1,00,000/- रु.
इसके अलावा, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) के सदस्य भी धारा 80D के तहत रुपये तक की आयकर कटौती का लाभ उठा सकते हैं। 25,000/-। और, यदि एचयूएफ परिवार के मुखिया की आयु 60 वर्ष से अधिक है, तो लागू कर कटौती रुपये तक है। 50,000/- प्रति वर्ष। अनिवासी भारतीय (एनआरआई) भी धारा 80डी के तहत रुपये तक के इस कर लाभ का दावा कर सकते हैं। 25,000/-, आयु पर ध्यान दिए बिना, बशर्ते स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी भारत में खरीदी गई हो।
यह कर कटौती केवल चिकित्सा बीमा प्रीमियम का भुगतान करने के लिए नहीं है। इसका उपयोग प्रिवेंटिव हेल्थ चेक-अप पर भी किया जा सकता है। 60 वर्ष से कम आयु के लोग रुपये तक की कर कटौती का लाभ उठा सकते हैं। 5,000/- निवारक स्वास्थ्य जांच पर, जबकि कटौती रुपये तक है। 7,000 / - उन लोगों के लिए जो 60 वर्ष से अधिक आयु के हैं।
धारा 80डी के तहत कर कटौती लोगों को अपनी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं को खरीदने और नवीनीकृत करने के लिए प्रेरित करने में मदद करती है, क्योंकि प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए कटौती का दावा किया जा सकता है। इन कटौतियों का उपयोग राइडर प्लान के लिए प्रीमियम का भुगतान करने पर भी किया जा सकता है, जिसे टॉप-अप प्लान और क्रिटिकल इलनेस प्लान कहा जाता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि समूह मेडिक्लेम पॉलिसी (जीएमसी) के लिए इस कर लाभ का लाभ नहीं उठाया जा सकता है क्योंकि प्रीमियम का भुगतान नियोक्ता द्वारा किया जाएगा।
दुनिया को टीका देना भारत का मानवीय निवेश
आंतरिक राजनीति देश की चाहे जैसी छवि प्रस्तुत करे, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि मानव हितैषी की बनी हुई है। विश्व के बहुसंख्य देशों की सोच है कि मानवीय संकट या आपदा के काल में भारत हमेशा सेवा.
आंतरिक राजनीति देश की चाहे जैसी छवि प्रस्तुत करे, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि मानव हितैषी की बनी हुई है। विश्व के बहुसंख्य देशों की सोच है कि मानवीय संकट या आपदा के काल में भारत हमेशा सेवा, सहयोग और मदद में अपनी क्षमता के तहत आगे रहता है। किसी को संदेह हो, तो कैरेबियाई देश डोमिनिकन गणराज्य के प्रधानमंत्री रूजवेल्ट स्केरिट द्वारा कोरोना टीका के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा गया पत्र अवश्य देखना चाहिए। इसमें लिखा है कि हमारे देश को अक्सर भारत से सहायता पाने का सौभाग्य रहा है। 2017 में तूफान मारिया के बाद भारत ने तत्काल राहत के लिए एक लाख व बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के लिए 10 लाख डॉलर प्रदान किए थे। हमें उम्मीद है, अब हम फिर से आपकी उदारता पर भरोसा कर सकते हैं।
डोमिनिकन रिपब्लिक छोटा-सा देश है, पर उसके पत्र का भाव देखिए। उसने यह भी कहा कि एक महत्वपूर्ण देश ने वादा करके अभी तक निभाया नहीं है। अब भारत पर विश्वास है। यह साधारण बात नहीं है। डोमिनिकन रिपब्लिक से भारत के अच्छे संबंध हैं। 2020 तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य के रूप में उसने भारत के साथ अपने संबंधों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है। पाकिस्तान जब चीन की मदद से कश्मीर पर भारत को निशाना बना रहा था और जब निर्दोष भारतीयों को वैश्विक आतंकी के रूप में सूचीबद्ध करने की कोशिश कर रहा था, तब डोमिनिकन रिपब्लिक ने खुलकर इसका विरोध किया। जाहिर है, भारत उसे निराश नहीं कर सकता। यह एक देश की बात नहीं है। भारत ने पड़ोसी प्रथम नीति के तहत अपनी जरूरतों का ध्यान रखते हुए भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, सेशेल्स, श्रीलंका, अफगानिस्तान और मॉरिशस को टीके की आपूर्ति शुरू कर दी है। अनेक देशों ने भारत से टीका खरीदने या अनुदान के रूप में इसे देने का अनुरोध किया और धीरे-धीरे उसकी आपूर्ति की जा रही है। यह अलग तरह की कूटनीति है, जो इस मायने में महत्वपूर्ण है कि इससे विदेशी सरकारों से हमारे संबंध बेहतर होते ही हैं, वहां की जनता के साथ भी भावनात्मक लगाव स्थापित, पुनस्र्थापित और मजबूत होता है। ब्राजील के राष्ट्रपति ने टीका मिलने पर आभार जताने के लिए जो ट्वीट किया, उसमें संजीवनी बूटी का पहाड़ ले जाते भगवान हनुमान की तस्वीर है। बहरहाल, कौन देश कल काम आ जाए, आप नहीं जानते। आने वाले समय में भारत को एक प्रभावी शक्ति के रूप में वैश्विक भूमिका निभानी है, तो ऐसे कदम ठोस आधार बन सकते हैं। प्रधानमंत्री ने टीकाकरण अभियान की शुरुआत के वक्त अपने वक्तव्य में कहा था कि मानवता की सेवा और विश्व समुदाय की देखभाल के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है और हम जिम्मेदारी के साथ उसे पूरा करेंगे। दुनिया में भारत पहला देश था, जिसने अपने पड़ोसी देशों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की पहल की। भारत की ही पहल पर जी-20 की बैठक आयोजित हुई। वास्तव में, उस समय तक सभी देश पूरी तरह से अपने आप में सिमटे हुए थे। ज्यादातर देशों के मीडिया कवरेज को देखिए, तो भारत की प्रशंसा सर्वत्र मिलेगी। पाकिस्तान भले ही अपवाद था, लेकिन वहां भी यही लिखा गया कि देखो, भारत ने किस तरह से बाजी मारी है। भारत के बाद ही चीन इस दिशा में सक्रिय हुआ। हाइड्रोक्लोरोक्वीन, पैरासिटामोल, पीपीई कीट और अन्य सामग्रियों आदि के साथ भारत कोविड-काल में दुनिया के लगभग 150 देशों तक पहुंचा था। नेपाल को भी कोरोना टीके के लिए चीन की जगह भारत को ही तरजीह देनी पड़ी, क्योंकि उसे भी महसूस हो गया कि चीन के टीके के साथ कुछ शर्तें नत्थी आएंगी। सेवा और सहयोग की बदौलत श्रीलंका के साथ हमारे संबंध बेहतर हैं, जबकि एक समय वह चीन की गोद में चला गया था। यह पूंजी निवेश से बड़ा मानवीय पूंजी निवेश है, जिसका प्रतिफल हमें लंबे समय तक मिलता रहेगा। और फिर यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें क्षति की कोई आशंका नहीं। वैसे भी हमारी भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम की है। भारत राष्ट्र का वैश्विक लक्ष्य ही सर्वे भवंतु सुखिन: है। इसके लिए हमें जैसी भूमिका निभाने की जरूरत पडे़, अपना जितना भी परित्याग करना पड़े, उसकी तैयारी हमेशा दिखानी चाहिए।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)LIC policy schemes: कुछ ही सालों में लखपति बना देगी LIC की ये स्कीम, मैच्योरिटी पर पा सकते हैं 28 लाख रुपए तक की रकम
LIC policy schemes: देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी हर वर्ग के लोगों के लिए बीमा योजना पेश करती है। इस सुरक्षा के साथ-साथ हमें एक निवेश विकल्प भी मिलता है जहां हमें मैच्योरिटी पर अच्छी रकम का भुगतान किया जाता है। हम आपको एलआईसी के जीवन प्रगति बीमा योजना के बारे में बताने जा रहे हैं।
भारतीय जीवन बीमा निगम के जीवन प्रगति बीमा योजना में निवेश कर आप कुछ ही वर्षों में करोड़पति बन सकते हैं।यहाँ आप प्रतिदिन 200 रुपये निवेश कर मैच्योरिटी के बाद 28 लाख रुपये तक प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप एलआईसी में निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो आप जीवन प्रगति योजना खरीद सकते हैं।
LIC policy schemes: कितने साल में आपको 28 लाख रुपए तक की रकम मिलेगी
एलआईसी की जीवन प्रगति निवेश की दुनिया का हमारा कवरेज बीमा योजना में प्रतिदिन 200 रुपये के निवेश का अर्थ है 6000 रुपये प्रति माह का निवेश, जो सालाना 72 हजार रुपये आता है। यदि यह निवेश 20 वर्षों के लिए किया जाता है, तो निवेशक को इस योजना की परिपक्वता तिथि के बाद बोनस राशि के साथ 28 लाख रुपये तक का भुगतान किया जा सकता है।
पांच साल में रिस्क कवर बढ़ जाता है
इस बीमा योजना में हर पांच साल में जोखिम कवर बढ़ जाता है। यानी बीमा राशि हर पांच साल में बढ़ती जाएगी। डेथ बेनिफिट की बात करें तो पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर परिवार के सदस्य या नॉमिनी को बोनस और सम एश्योर्ड दिया जाता है।
जीवन प्रगति बीमा योजना नियम
एलआईसी की जीवन प्रगति बीमा योजना के तहत न्यूनतम कार्यकाल 12 और 20 वर्ष है। इस बीमा योजना के तहत 12 से 45 वर्ष के बीच के लोग लाभ उठा सकते हैं। इस योजना के तहत प्रीमियम राशि तिमाही, छमाही और सालाना जमा की जा सकती है। न्यूनतम बीमित राशि 1.5 लाख रुपये है और अधिकतम जारी करने की कोई सीमा नहीं है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 855