इन्टरनेट से पैसे कौन कमा सकता है
यह एडिटोरियल दिनांक 16/12/2022 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “India’s current account deficit reveals the need to increase exports” लेख पर आधारित है। इसमें भारत के चालू खाता घाटे और निर्यात को बढ़ावा देने की आवश्यकता के संबंध में चर्चा की गई है।
भारत का विनिर्माण निर्यात पिछले 2 वर्षों में तीव्र वृद्धि के साथ वित्तीय वर्ष 2022 (FY22) में 418 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुँच गया है। दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 3.1% का योगदान करने के बावजूद वैश्विक व्यापार में भारत का निर्यात योगदान वर्तमान में केवल 1.6% है। इसमें बढ़ता संरक्षणवाद एवं वि-वैश्वीकरण (deglobalisation), बुनियादी ढाँचे की कमी और उच्च-आय देशों में बाज़ार तक कमज़ोर पहुँच जैसे कई कारक शामिल हैं।
इस परिदृश्य में, निर्यात संबंधी चुनौतियों को संबोधित करने के लिये आवश्यक है कि भारत मुक्त व्यापार समझौतों में तेज़ी लाने, टैरिफ कम करने और आपूर्ति पक्ष की बाधाओं को दूर करने की दिशा में आगे कदम बढ़ाए।
भारतीय निर्यात में योगदान देने वाले प्रमुख क्षेत्र कौन-से हैं?
- पेट्रोलियम उत्पाद : महामारी के कारण कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न भू-राजनीतिक तनाव परिदृश्य के और बिगड़ने के बीच पेट्रोलियम उत्पादों ने भारत के निर्यात में प्रमुखता से योगदान दिया।
- भारत 55.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 150% की भारी वृद्धि को दर्शाता है।
- भारत सरकार की ‘ स्कीम फॉर इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क’ (SITP) और ‘मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (MITRA) पार्क स्कीम इस क्षेत्र को व्यापक रूप से बढ़ावा दे रही हैं।
- भारत अफ्रीका की जेनरिक आवश्यकताओं के 50% से अधिक, अमेरिका की जेनरिक मांग के लगभग 40% और यूके की सभी दवाओं के 25% की आपूर्ति करता है।
भारतीय निर्यात वृद्धि से संबद्ध प्रमुख चुनौतियाँ
- बढ़ता संरक्षणवाद और वि-वैश्वीकरण: दुनिया भर के देश बाधित वैश्विक राजनीतिक व्यवस्था (रूस-यूक्रेन युद्ध के कारन) और आपूर्ति शृंखला के शस्त्रीकरण (weaponization of supply chain) के कारण संरक्षणवादी व्यापार नीतियों की ओर आगे बढ़ रहे हैं, जो कई प्रकार से भारत की निर्यात क्षमताओं को कम कर रहा है।
- बुनियादी ढाँचे की कमी: भारत के विनिर्माण क्षेत्र में विकसित देशों की तुलना में पर्याप्त विनिर्माण केंद्रों की कमी है और इंटरनेट सुविधा तथा परिवहन महँगा है जो उद्योगों के लिये एक बड़ी बाधा है।
- निर्बाध विद्युत आपूर्ति एक अन्य प्रमुख चुनौती है।
आगे की राह
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(Joint Development Programmes): वि-वैश्वीकरण की लहर और धीमी वृद्धि के बीच, निर्यात ही विकास का एकमात्र इंजन नहीं हो सकता। भारत के मध्यम अवधि की विकास संभावनाओं को उज्जवल बनाने के लिये इसे अन्य देशों के साथ अंतरिक्ष, सेमीकंडक्टर, सौर ऊर्जा जैसे विविध क्षेत्रों में संयुक्त विकास कार्यक्रमों की तलाश करनी चाहिये।
- समर्पित निर्यात गलियारे (Dedicated Export Corridors): आर्थिक नीति को समर्पित निर्यात गलियारों के माध्यम से उत्पाद विविधीकरण के साथ-साथ निर्यात गतिशीलता एवं उत्पाद विशेषज्ञता को बढ़ावा देने का भी प्रयास करना चाहिये ताकि विश्व भर में सर्वोत्तम सेवा प्रदान की जा सके और भारतीय अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक निरंतर आर्थिक विकास के पथ पर आगे बढ़ाया जा सके।
- विदेशों में अधिग्रहण को बढ़ावा देना: भारतीय उद्यमियों को अपने उत्पादों के लिये निर्यात क्षमता के निर्माण हेतु विदेशों में संयुक्त उद्यम उपक्रम स्थापित और अधिग्रहित करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सकता है। विशेष रूप से उन विकासशील देशों में जहाँ अनुकूल राजनीतिक माहौल है और भारतीय उत्पादों की मांग है, इस दृष्टिकोण से आगे बढ़ा जा सकता है।
- MSME क्षेत्र को अग्रिम पंक्ति में लाना : MSME क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में 29% और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में 40% का योगदान करते हैं; इस प्रकार, महत्वाकांक्षी निर्यात लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु वे प्रमुख खिलाड़ी होने की स्थिति रखते हैं।
- भारत के लिये विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) को MSME क्षेत्र से संयुक्त करना और छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहित करना महत्त्वपूर्ण है।
- भारत को आधुनिक व्यापार अभ्यासों को अपनाने की भी आवश्यकता है जिन्हें निर्यात प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण के माध्यम से लागू किया जा सकता है। इससे समय और लागत दोनों की बचत होगी।
अभ्यास प्रश्न: भारत के निर्यात प्रभुत्व के मार्ग की प्रमुख बाधाओं की विवेचना कीजिये। उन प्रमुख क्षेत्रों की भी चर्चा कीजिये जो भारत की निर्यात क्षमताओं को बढ़ा सकते हैं।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रारंभिक परीक्षा:
प्रश्न 1. पूर्ण और प्रति व्यक्ति वास्तविक जीएनपी में वृद्धि आर्थिक विकास के उच्च स्तर को नहीं दर्शाती है, यदि (वर्ष 2018)
(A) औद्योगिक उत्पादन कृषि उत्पादन के साथ तालमेल बनाए रखने में विफल रहता है।
(B) कृषि उत्पादन औद्योगिक उत्पादन के साथ तालमेल बनाए रखने में विफल रहता है।
(C) गरीबी और बेरोज़गारी में वृद्धि।
(D) निर्यात की तुलना में आयात तेज़ी से बढ़ता है।उत्तर: (C)
प्रश्न 2. SEZ अधिनियम, 2005, जो फरवरी 2006 में प्रभाव में आया, के कुछ उद्देश्य हैं। इस संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये (वर्ष 2010)
- अवसंरचना सुविधाओं का विकास।
- विदेशी स्रोतों से निवेश को बढ़ावा देना।
- केवल सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देना।
उपर्युक्त में से कौन-से इस अधिनियम के उद्देश्य हैं?
(A) केवल 1 और 2
(B) केवल 3
(C) केवल 2 और 3
(D) 1, 2 और 3उत्तर: (A)
प्रश्न 3. एक "बंद अर्थव्यवस्था" एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसमें (वर्ष 2011)
(A) पैसे की आपूर्ति पूरी तरह से नियंत्रित है
(B) घाटे की वित्त व्यवस्था होती है
(C) केवल निर्यात होता है
(D) न तो निर्यात या आयात होता हैइंटरनेट के अनुप्रयोग - What are the applications of the internet in Hindi?
आज के इस आर्टिकल में हम पढ़ेंगे इंटरनेट कुछ जरुरी अनुप्रयोग के बारे में जो कि हर किसी को पता होना चाहिए। इंटरनेट के इस्तेमाल ने सभी लोगो का काम काफी आसान और तेज़ कर दिया है। आज के समय में इंटरनेट का इस्तेमाल हर जगह होने लगा है जैसे इंटरनेट का इस्तेमाल एदुकतिओन फील्ड में काफी जाना होने लगा है। आज कल ज्यादातर लोग कही बाहर जाने के बजाये घर पर ही सीखना चाहते है इससे एक तो आपका टाइम काफी बच जाता है और दूसरा आपको ऑनलाइन एजुकेशन फ्री या कम पैसो में हो जाती है। इसी तरह इंटरनेट के और भी कई सारे फायदे और इस्तेमाल है।
Application Of Internet
वैसे तो इंटरनेट के बहुत सारे एप्लीकेशन मौजूद है लेकिन उनमे से कुछ महत्पूर्व एप्लीकेशन के बारे में बात करेंगे।
1. Communication
इंटरनेट ने पूरी दुनिया को आपस में जोड़ दिया है जिससे एक दुसरे से संपर्क करना बहुत आसान और तेज़ हो गया है। इंटरनेट के माध्यम से एक इंसान किसी भी जगह से दुसरे इंसान से बात क्र सकता है। कम्युनिकेशन के लिए हम लोग ईमेल, चाट ऍप्लिकेशन्स जैसे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते है। कम्युनिकेशन के लिए आप इंटरनेट की मदद से डायरेक्ट voice call, online cat या फिर वीडियो कॉल भी कर सकते है।
2. Education
इंटरनेट ने एजुकेशन के फील्ड में काफी ज्यादा योगदान दिया है। इंटरनेट की मदद से हम किसी भी सब्जेक्ट या टॉपिक के ऊपर काफी सारी जानकारी पढ़ सकते है और घर बैठे भी किसी टीचर से ऑनलाइन classes की मदद से भी पढ़ सकते है। एजुकेशन हर किसी के लिए इंटरनेट पर अवेलेबल है। काफी सारे कोर्स फ्री में अवेलेबल होते है और कुछ कोर्सेज काफी सस्ते में मिल जाते है।
3. Entertainment
Internet पर मनोरंजन के लिए काफी सारी चीज़े मौजूद है। आज के समय जो इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहा है वो कभी भी बोर नहीं हो सकता क्योकि इंटरनेट पर हर चीज़ मौजूद है जो एक इंसान को बोर नहीं होने देगा। मनोरंजन के लिए आप मूवीज देख सकते है या फिर अपनी पसंद का कोई गाना सुन सकते है या अपने इस्तेमाल के लिए फाइल्स इंटरनेट से डाउनलोड कर सकते है। अगर पढ़ना चाहते है तो आप free में अपनी पसंद का कोई ऑनलाइन कोर्स भी कर सकते है और भी चीज़े जो आप करना चाहो।
4. Online Business
इंटरनेट ने आज के समय बिज़नेस को काफी आसान और तेज़ बना इन्टरनेट से पैसे कौन कमा सकता है दिया है। आज के समय कोई भी कम पैसो में अपना खुदका बिज़नेस शुरू कर सकता है और घर बैठे ही लाखो रुपया कमा सकता है।
5.Online Shopping
इंटरनेट ने ऑनलाइन शॉपिंग का इस्तेमाल काफी बड़ा दिया है। आज समय में कोई भी किसी भी तरह का सामान ऑनलाइन आर्डर कर सकता है और ऑनलाइन पेमेंट की मदद से पैसे चूका सकता है। आजकल ऑनलाइन लोग अपने कपडे से लेकर ग्रोसरी का सामान आर्डर करते है। ऑनलाइन आप सर्विसेज भी आर्डर कर सकते है। ऑनलाइन खरीदारी करने के लिए आप flipkart.com, amazon.com, paytm.com, snapdeal.com आदि जैसे वेबसाइट का इस्तेमाल कर सकते है।
6. Hospital
Hospital की लाइन में भी इंटरनेट काफी ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। आजकल कोई भी अपने घर से ही ऑनलाइन अपॉइंटमेंट बुक कर सकता है और साथ ही डॉक्टर से प्रिस्क्रिप्शन भी ले सकता है और इतना ही नहीं उसके बाद डॉक्टर की बताई गयी मेडिसिन्स को ऑनलाइन आर्डर भी कर सकता है। इसके अलावा भी इंटरनेट का इस्तेमाल हॉस्पिटल्स में काफी ज्यादा किया जाता है।
7. Social Networking
सोशल नेटवर्किंग साइट्स की मदद हम अपने दोस्तों, परिवार, सहपाठियों, कस्टमर्स और क्लाइंट के साथ जुड़ सकते है। इंटरनेट ने वर्चुअल कम्युनिकेशन को काफी बड़ा दिया है। सोशल नेटवर्किंग में फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन जैसी वेब्सीटेस शामिल हैं।
8. Web Browsing
वेब ब्राउज़र की मदद हम इंटरनेट पर कुछ भी सर्च कर सकते है। आप यह जानकारी भी किसी न किसी ब्राउज़र की मदद से ही पढ़ पा रहे है। तो वेब ब्राउज़र एक बहुत important application है। वेब ब्राउज़र की मदद से किसी भी तरह का फाइल्स डाउनलोड कर सकते है जैसे कि कोई सॉफ्टवेयर, गेम्स, सांग्स, फाइल्स, आदि। वेब ब्राउज़र पर आप किसी बी तरह की जानकारी को भी पढ़ सकते है।
9. Online Banking
इंटरनेट ने ऑनलाइन बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल भी बड़ा दिया है। सभी बैंक आज के समय में इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल ऐप सभी लोगो को प्रोवाइड कर रही है ताकि लोग अपने घर से ही वो सभी चीज़े कर सके जो उन्हें बैंक में जाकर करना पड़ता था। आज कोई भी किसी को ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर कर सकता है और पैसे ले भी सकता है। ऑनलाइन ट्रांसक्शन काफी तेज़ और सिक्योर होती है।
10. Online Job Search
आज के समय आप घर बैठे ही अपने लिए अपनी पसंद की जॉब ढूंढ सकते है। ऑनलाइन जॉब सर्च करना काफी आसान है और आप इसमें ऑनलाइन अप्लाई करके अपना इंटरव्यू फिक्स्ड करवा सकते हो। इंटरनेट पर हर तरह की जॉब मौजूद है। इंटरनेट पर जॉब सर्च करने के लिए काफी वेब्सीटेस मौजूद है जैसे naukri.com, monster.com आदि।
IPL 2023: आईपीएल की मिनी नीलामी में किस टीम के पास हैं कितने पैसे, जानिए कितने खिलाड़ियों के लिए है जगह खाली
IPL Auction 2023: आईपीएल की मिनी नीलामी 23 दिसंबर को होगी. सभी टीमों को मिलाकर खिलाड़ियों के लिए 87 स्लॉट खाली हैं. जबकि 405 खिलाड़ियों की बोली लगाई जाएगी.
आईपीएल 2023 की नीलामी 23 दिसंबर को होगी (Photo/iplt20.com)
शशिकांत सिंह
- नई दिल्ली,
- 20 दिसंबर 2022,
- (Updated 20 दिसंबर 2022, 4:02 PM IST)
23 दिसंबर को होगी आईपीएल की नीलामी
सभी फ्रेंचाइजी के पास 87 स्लॉट खाली
इंडियन प्रीमियर लीग 2023 की शुरुआत अप्रैल में होगी. लेकिन इसके लिए तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं. सभी फ्रेंचाइजी अपनी-अपनी टीमों के दुरुस्त करने में जुटे हैं. हर फ्रेंचाइजी ने बीसीसीआई को रिटेन और रिलीज खिलाड़ियों की लिस्ट सौंप दी है. इसके बाद 23 दिसंबर को कोच्चि में आईपीएल के 16वें सीजन के लिए खिलाड़ियों नीलामी होगी.
मिनी ऑक्शन में क्या होगा-
आईपीएल 2023 के लिए मिनी नीलामी होने वाली है. सभी टीमों के पास 87 जगह खाली है और 405 खिलाड़ियों की बोली लगाई जानी है. सभी टीमें खिलाड़ियों के खाली कोटे को भरने की कोशिश करेंगी. 23 तारीख को 12 बजकर 30 मिनट पर नीलामी की प्रक्रिया शुरू होगी और देर शाम तक चलेगी.नीलामी के क्या हैं नियम-
नीलामी में हर फ्रेंचाइजी को पूरे बजट का 75 फीसदी खर्च करने की इजाजत है. इस बार ऑक्शन में किसी भी फ्रेंचाइजी को पास राइट टू मैच कार्ड का विकल्प नहीं होगा. हर फ्रेंचाइजी के पास कम से कम 18 खिलाड़ी और ज्यादा से ज्यादा 25 खिलाड़ी हो सकते हैं.
नीलामी से पहले 21 दिसंबर को आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के सदस्यों की 10 फ्रेंचाइजी के साथ बैठक होगी. जबकि मॉक ऑक्शन के लिए प्रसारकों के साथ 22 दिसंबर को एक और बैठक होगी. चलिए आपको बताते हैं कि किस टीम के पकितने स्लॉट खाली हैं और उनके पर्स में नीलामी के लिए कितने रुपए हैं.सनराइजर्स हैदराबाद-
सबसे ज्यादा पैसे सनराइजर्स हैदराबाद की टीम के पास हैं. खिलाड़ियों को रिलीज करने के बाद सनराइजर्स हैदराबाद सबसे ज्यादा 42.25 करोड़ रुपए पर्स वैल्यू बाकी है. जबकि इस टीम के पास 17 खिलाड़ियों की स्लॉट खाली है. जिसमें 13 भारतीय और 4 विदेशी खिलाड़ी शामिल हो सकते हैं.पंजाब किंग्स-
पंजाब की टीम के पास 12 खिलाड़ियों के लिए जगह खाली है. जिसमें 9 भारतीय और 3 विदेशी खिलाड़ी हो सकते हैं. पंजाब की टीम के पास खिलाड़ियों को खरीदने के लिए 32.20 करोड़ रुपए हैं.लखनऊ सुपर जायंट्स-
लखनऊ की टीम के पास खिलाड़ियों को खरीदने के लिए 23.35 करोड़ रुपए बचे हैं. जिससे टीम 14 खिलाड़ियों को खरीद सकती है. लखनऊ की टीम में 10 भारतीय और 4 विदेशी खिलाड़ियों के लिए जगह है.मुंबई इंडियंस-
मुंबई की फ्रेंचाइजी के पास 12 खिलाड़ियों की जगह खाली है. मुंबई की टीम 9 भारतीय और 3 विदेशी खिलाड़ी शामिल हो सकते हैं. मुंबई की टीम के पर्स में 20-55 करोड़ रुपए का हैं.चेन्नई सुपर किंग्स-
सीएसके की टीम के पास पर्स में 20.45 करोड़ रुपए हैं. जिससे वो खिलाड़ियों को खरीद सकता है. सीएसके की टीम 7 भारतीय और 2 विदेशी खिलाड़ियों को खरीद सकता है. इस टीम में सिर्फ 9 खिलाड़ियों के लिए जगह खाली है.दिल्ली कैपिटल्स-
दिल्ली की टीम के पास ऑक्शन के लिए 19.45 करोड़ रुपए हैं. जबकि टीम में 7 खिलाड़ियों को शामिल करने की जगह है. जिसमें 5 भारतीय और 2 विदेशी खिलाड़ी शामिल हो सकते हैं.गुजरात टाइटंस-
गुजरात टाइटंस के पास 19.25 करोड़ रुपए का पर्स है. गुजरात की टीम में अभी 10 खिलाड़ियों के लिए जगह खाली है. फ्रेंचाइज 7 भारतीय और 3 विदेशी खिलाड़ियों को शामिल कर सकती है.रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू-
आरसीबी की टीम के पास खिलाड़ियों को खरीदने के लिए 13.20 करोड़ रुपए हैं. जबकि टीम के पास 13 खिलाड़ियों की जगह खाली है. आरसीबी 9 भारतीय और 4 विदेशी खिलाड़ियों को टीम में शामिल कर सकती है.कोलकाता नाइट राइडर्स-
आईपीएल ऑक्शन के लिए कोलकाता की टीम के पास सबसे कम पैसे बचे हैं. टीम के पास सिर्फ 7.05 करोड़ रुपए बचे हैं. टीम के पास 14 खिलाड़ियों की जगह खाली है. कोलकाता की टीम 11 भारतीय और 3 विदेशी खिलाड़ी को शामिल कर सकती है.कहां देख सकते हैं लाइव स्ट्रीमिंग-
आईपीएल 2023 का ऑक्शन Jio Cinema पर मुफ्त में देख सकते हैं. इसके अलावा नीलामी का प्रसारण स्टार स्पोर्ट्स नेटवर्क पर किया जाएगा.Kfin Technologies IPO: कॉम्पिटिशन ने छोटी की एंकर निवेशकों की लिस्ट, इस कारण भी फंड हाउस ने बनाई आईपीओ से दूरी
Kfin Technologies IPO: केफिन टेक का आईपीओ एंकर निवेशकों के लिए 16 दिसंबर को खुला था। केफिन ने सिर्फ 8 फंड हाउस को शेयर जारी किए हैं और ये भी वे फंड हाउस हैं जिन्हें केफिन सर्विसेज मुहैया कराती है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या अधिकतर फंड हाउस की अब ऑफर पर मिल रहे शेयरों में दिलचस्पी खत्म हो गई है?
Kfin Technologies IPO: देश के सबसे बड़े रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंसी केफिन टेक (Kfin Tech) का आईपीओ सोमवार 19 दिसंबर को सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गया। एंकर निवेशकों के लिए यह इश्यू 16 दिसंबर को खुला था। केफिन ने सिर्फ 8 फंड हाउस को शेयर जारी किए हैं और ये भी वे फंड हाउस हैं जिन्हें केफिन सर्विसेज मुहैया कराती है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या अधिकतर फंड हाउस की अब ऑफर पर मिल रहे शेयरों में दिलचस्पी खत्म हो गई है? खुदरा निवेशक आईपीओ में पैसे लगाने से पहले देखते हैं कि इश्यू में कौन-कौन एंकर निवेशक ने पैसा लगाया हुआ है। अगर कोई जाना-माना नाम एंकर निवेशकों की लिस्ट में दिखता है तो उस इश्यू में खुदरा निवेशक पैसे लगाते हैं। आइए जानते हैं कि केफिन टेक के एंकर निवेशकों की सूची में फंड हाउसों की संख्या कम क्यों है-
महंगे वैल्यूएशन के चलते घटा आकर्षण
फाइनेंशियल सर्विस सेग्मेंट तेजी से बढ़ रहा है। ओमनीसाइंस कैपिटल के फाउंडर और चीफ स्ट्रैटजिस्ट विकास गुप्ता के मुताबिक अगले एक दशक में इसमें ग्रोथ की काफी गुंजाइश है। इसके अलावा आरटीए इंडस्ट्री का स्ट्रक्चर ऐसा है कि इसमें लगातार मुनाफा हो सकता है। हालांकि इसके बावजूद केफिन टेक का इश्यू आकर्षक नहीं दिख रहा है क्योंकि वैल्यूएशन काफी हाई है। विकास का मानना है कि अधिकतर निवेशक लिस्टिंग के बाद निवेश का फैसला लेंगे।
ऑस्ट्रेलिया में बिन लाइसेंस वित्तीय सलाह दी तो होती है जेल,भारत में भी नियम जल्द
वीडियो बना कर शेयर बाजार का ज्ञान देने वाले Finfluence पर सेबी ला सकती है नियम
सोशल मीडिया पर आपको ऐसे पोस्ट देखने को मिलते होंगे जो दावा करते हैं कि, "अगर आप फलाने स्टॉक में निवेश करेंगे तो आपका पैसा दो गुना हो जाएगा" या "इस स्कीम में पैसा लगाने पर डबल हो जाएंगे आपके पैसे". ऐसा पोस्ट करने वालों में से कुछ चिंताजनक है. सोशल मीडिया पर ऐसे कई फाइनेंशियल एक्सपर्ट इंवेस्टमेंट को लेकर सलाह दे रहे हैं जिन्हें मान्यता प्राप्त नहीं है. इन्हें आप कथित रूप से फाइनेंशिय इंफ्लूएंसर भी कह सकते हैं जो सेबी (SEBI) यानी सिक्यॉरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया के लिए सिरदर्द बन गए हैं.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, सेबी इन 'फिनफ्लूएंसर' (फाइनेंशियल इंफ्लूएंसर) के लिए कड़े नियम लेकर आएगी.
मनीकंट्रोल ने सेबी के एक पर्मानेंट सदस्य एसके मोहंती के हवाले से लिखा कि, "हम गाइडलाइंस पर काम कर रहे हैं."
लेकिन कौन होता हैं "फिनफ्लूएंसर"? सेबी इन पर नियम क्यों लाना चाहता है? समझते हैं.
कौन होते हैं "फिनफ्लूएंसर"?
प्रांजल कामरा के यूट्यूब (जो कि इन फाइनेंशियल एक्सपर्ट का पसंदीदा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है) चैनल पर एक नजर डालने पर अनुमान लगा सकते हैं कि लोग बड़ी संख्या में फिनफ्लूएंसर के पास क्यों आ रहे हैं.
ये एक्सपर्ट एक 20 मिनट के वीडियो या 20-30 सैकेंड के शॉर्ट्स को इतनी शानदार तरीके से एडिट करते हैं, ग्राफिक्स का इस्तेमाल करते हैं जो देखने वाले को समझने में मदद करता है.
कामरा और बाकी के फिनफ्लूएंसर दरअसल फाइनेंस से जुड़े बोरिंग और मुश्किल इन्टरनेट से पैसे कौन कमा सकता है विषय को इतनी खूबसूरती से पेश करते हैं कि वो देखने वाले को ना तो बोरिंग लगता है और जिसे फाइनेंस की बिल्कुल जानकारी ना हो उसे भी समझ आ जाता है.
उदाहरण के तौर पर कामरा ने इन्टरनेट से पैसे कौन कमा सकता है 2023 के लिए बेस्ट म्यूचुअल फंड के बारे में एक वीडियो डाला है जिसे 7 लाख 90 हजार से ज्यादा लोग देख चुके हैं. कामरा के अलावा अंकूर वारिकू, शरण हेगड़े, रचना रनाडे, अक्षत श्रीवास्तव जैसे कई फिनफ्लूएंसर को बड़ी संख्या में लोग देखते हैं और पसंद करते हैं.
हालांकि ये बाकी इंफ्लूएंसर से अलग हैं क्योंकि बाकी लाइफस्टाइल, ब्यूटी जैसे विषयों पर वीडियो बनाते हैं, लेकिन फाइनेंस पर वीडियो बनाने वालों को इससे जुड़े विषय पर गहरी समझ होना जरूरी है.
फिनफ्लूएंसर की लोकप्रियता इतनी बढ़ क्यों रही है?
इनकी लोकप्रियता के बढ़ने का एक कारण तो ये समझ आता है कि इनके वीडियो बनाने का तरीका और कंटेंट काफी अलग होता है.
और फिर ये कभी ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते ही नहीं जो समझने में मुश्किल हो. इनकी भाषा आमतौर पर अंग्रेजी होती है जिसमें ये बीच बीच में अपनी क्षेत्रीय भाषा इस्तेमाल करते हैं जिसकी वजह से लोगों को आसानी से समझ आ जाता है.
बता दें कि भारत में वित्तीय साक्षरता दर (Finacial Literacy Rate) बहुत कम है. नेशनल सेंटर फॉर फाइनेंशियल एजुकेशन 2019 के सर्वे के मुताबिक भारत की वित्तीय साक्षरता दर केवल 27 फीसदी है.
फिनोवेट फाइनेंशियल सर्विस की को फाउंडर नेहल मोटो ने क्विंट से बातचीत में कहा कि, "पैसा और स्वास्थ्य ये दोनों ऐसे विषय हैं जिनमें काफी समानताएं हैं. दोनों विषयों में हमारे ज्ञान और एक एक्सपर्ट के ज्ञान में जमीन आसमान का अंतर होता है. इस अंतर को कम करने के लिए कई बार हम ऑनलाइन वीडियोज देखते हैं या तो किसी वेबसाइट पर एक्सपर्ट द्वारा लिखे गए आर्टिकल पढ़ लेते हैं."
अधिकतर फिनफ्लूएंसर की पसंद यूट्यूब है.
फिनफ्लूएंसर को देखने-सुनने वालों की संख्या कितनी है?
ये जानने के लिए किसी भी फिनफ्लूएंसर के यूट्यूब चैनल पर कितने सब्सक्राइबर हैं उस पर नजर डालनी होगी.
यूट्यूब पर प्रांजल कामरा के 47,90,000 सब्सक्राइबर्स के साथ सबसे ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं. फिर रचना रानाडे के 41,60,000 सब्सक्राइबर्स हैं, मुकुल मलिक एसेट योगी के पास 35,00,000 सब्सक्राइबर्स हैं और अंकुर वारिकू के पास 24,50,000 सब्सक्राइबर्स हैं.
फिनफ्लूएंसर पर नियम लाने की जरूरत क्यों हैं?
नेहल मोटो बताती हैं कि, "फिनफ्लूएंसर फाइनेंस की सलाह देते हैं जैसे की हेल्थ एक्सपर्ट किसी बीमारी के बारे में और उसके इलाज के बारे में बताते हैं. अब अगर इंटरनेट और सोशल मीडिया पर फाइनेंस से जुड़ी सलाह देने वालों पर नियम नहीं लागू किए गए तो कोई भी आकर कुछ भी सलाह दे जाएगा और देखने वाला ये कैसे तय करेगा कि एक्सपर्ट सर्टिफाइड है या नहीं.
नेहल बताती हैं कि, "वहीं सेबी द्वारा रजिस्टर्ड फाइनेंशियल एक्सपर्ट सर्टिफाइड होते हैं, ये सर्टिफिकेट भी ऐसे ही जारी नहीं होता है, उसके लिए कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना होता है. अब सोशल मीडिया के एक्सपर्ट के लिए नियम लाने से सेबी का मतलब है कि उन्हें कम से कम कुछ ज्ञान होना तो जरूरी है."
नेहल कहती हैं कि, "जाहिर तौर पर हर एक की सलाह में अंतर तो होगा ही. लेकिन कम से कम देखने वालों को पता तो होगा कि जो सलाह दे रहा है वह व्यक्ति सलाह देने के योग्य है. यही कारण है कि सेबी जो नियम लाएगा वो जरूरी है और सही कदम है. यह निवेश करने वालों के लिए सही रहेगा."
Finscholarz की को फाउंडर और सेबी रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार रेणु माहेश्वरी ने क्विंट से बातचीत में कहा कि, क्योंकि वित्तीय साक्षात्कार की कमी है इसलिए सोशल मीडिया पर हर कोई आ कर सलाह दे जा रहा है.
माहेश्वरी ने कहा कि, "निवेश करने वाले तो मुफ्त की सलाह और मार्केट को समझने के लिए इंटरनेट पर आते हैं लेकिन उन्हें क्या मालूम मुफ्त में कुछ नहीं मिलता. उन्हें नहीं मालूम कि जिस स्टॉक के लिए एक्सपर्ट सलाह दे रहे है उसके पीछे कि क्या कहानी है, कई एक्सपर्ट को इसके लिए पैसा मिलता है."
माहेश्वरी ने कहा कि, वित्तीय साक्षरता की बेहद जरूरत है और इसके संबंधित थोड़ा ज्ञान स्कूल या कॉलेज स्तर पर दिया जाना चाहिए. किसी भा सलाहकार को सलाह देने से पहले उसका पूरा ज्ञान होना जरूरी है, अनुभव होना चाहिए और सलाह देने का लाइसेंस भी.
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