भारत में कम आय वाले राज्यों की सहायता बढ़ाने के लिए विश्व बैंक की रणनीति
वाशिंगटन, 11 अप्रैल 2013 - भारत के लिए विश्व बैंक की नई रणनीति में सहायता का रुख कम आय वाले ऐसे राज्यों की तरफ करने पर महत्वपूर्ण बल दिया गया है जहां ज्यादातर गरीब रहते हैं। यह देश के लिए इस संस्थान की पहली रणनीति है जिसमें आबादी के 40 प्रतिशत बेहद गरीब हिस्से की गरीबी घटाने और समृद्धि में हिस्सेदारी बढ़ाने के बारे में विशेष लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
आज बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल के विचार विमर्श के दौरान भारत के लिए (2013-17) विश्व बैंक की नई कंट्री पार्टनरशिप स्ट्राटैजी (सीपीएस) में अगले चार वर्ष के दौरान हर साल 3 - 5 अरब अमरीकी डॉलर का ऋण देने का प्रस्ताव किया गया है। इसकी 60 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही परियोजनाओं और उसकी आधी यानी कुल ऋण की 30 प्रतिशत राशि कम आय वाले या विशेष श्रेणी वाले राज्यों (जहां सरकारी सेवाएं उपलब्ध कराने में अधिक लागत आती है ) को दी जाएगी। इससे पहले की रणनीति के तहत इन राज्यों को ऋण की 18 प्रतिशत राशि दी जाती थी।
बैंक की भारत संबंधी रणनीति में ऐसे परिदृश्य को रेखांकित किया गया है जिसमें भारत अपनी राष्ट्रीय आर्थिक वृद्धि दर को बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे राज्यों के स्तर पर लाएगा। इससे गरीबी की दर 2010 में आबादी के 29.8 प्रतिशत से घटकर 2030 तक 5.5 प्रतिशत रह जाएगी तथा उस सीमा (जहां वापस गरीबी में फंसने का जोखिम है) से ऊपर रह रहे लोगों की हिस्सेदारी 19.1 प्रतिशत से बढ़कर 41.3 प्रतिशत हो जाएगी। यदि भारत का विकास 2005 से 2010 की तरह बिना अधिक समावेशी बने रहा तो गरीबी की मात्रा सिर्फ 12.3% गिरेगी और 2030 तक 33.6% भेद्यता सीमा से ऊपर रहेंगे।
भारत में विश्व बैंक के कंट्री निदेशक ओन्नो रूह्ल् का कहना है, ”भारत में निम्न आय वाले 7 राज्यों में देश के 60 प्रतिशत गरीब रहते हैं तथा अब वे राज्य औसत से अधिक तेजी से आर्थिक वृद्धि हासिल कर रहे हैं और इसलिए वहां निवेश का अधिक प्रभावकारी होना संभावित है। भारत के साथ हम 60 साल से काम कर रहे हैं और इस दौरान देश ने गरीबी से बाहर निकलने के लिए बहुत प्रयास किए हैं तथा हम यह जानकर बाहर निकलने की रणनीति क्या है रोमांचित हैं कि भारत पहला देश बन गया है जहां गरीबी घटाने और समृद्धि में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए विशिष्ट रणनीति है। हमे आशा है कि यह लक्ष्य भारत के 1.2 अरब नागरिकों को बेहतर भविष्य का आनंद लेने में मदद के लिए हमारे और हमारे भागीदारों के प्रयासों को और व्यापक बनाएंगे।”
देश की भागीदारी रणनीति को गरीबी से जुड़े लक्ष्यों के आधार पर तैयार करने के विचार की घोषणा विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने पिछले सप्ताह अपने भाषण में की थी जब उन्होंने 2030 तक घोर गरीबी को समाप्त करने के लिए वैश्विक समुदाय के लिए कार्यक्रम रेखांकित किया था।
यह रणनीति भारत सरकार की 12वीं पंचवर्षीय योजना की प्राथमिकताओं से निर्देशित है और लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के लिए महत्वपूर्ण मानती है ऐसे देश में जहां दुनिया के सबसे अधिक गरीब हैं। । बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में बहुत जरूरतें हैं, शहरी केंद्र तेजी से बढ़ते जा रहे हैं और हर साल शहरों में रहने के लिए कम से कम 1 करोड़ अतिरिक्त लोग बढ़त रहे हैं। ऐसे में समावेशी वृद्धि हासिल करने के लिए सामाजिक कार्यक्रमों को मजबूत बनाने की जरूरत है।
विश्व बैंक समूह का निजी क्षेत्र का संगठन अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) इस रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आईएफसी मौलिक नवीकरणीय और हरित परियोजनाओं, प्रक्रिया(प्रोसेसड) भोजन, लोजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचा, कृषि व्यवसाय और वित्त एवं बीमा जैसे क्षेत्रों में निवेश करेगा। आईएफसी की परामर्श सेवाएं निम्न बाहर निकलने की रणनीति क्या है आय वाले राज्यों में प्रतिकूल व्यवसाय माहौल,जो निजी निवेश को बहुत हतोत्साहित करता है, से निपटने के लिए काम करेंगी।
दक्षिण एशिया के लिए आईएफसी के निदेशक बाहर निकलने की रणनीति क्या है थॉमस डेवेनपोर्ट ने कहा, ” भारत के बहुत अधिक गरीब निम्न आय वाले राज्यों में हैं जहां निजी निवेश में बढ़ोतरी जारी रखना आईएफसी के कार्य केंद्र में रहेगा। विश्व बैंक समूह रणनीति के अंग के रूप में हम नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में अग्रणी भूमिका बनाए रखते हुए बुनियादी ढांचे, वित्तीय सेवाओं और कम देखभाल वाले निम्न आय संबंधी क्षेत्रों तक पहुंच बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ”
अगले पांच वर्षों में सीपीएस तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों एकीकरण, कायाकल्प और समावेश पर ध्यान देगा। इन क्षेत्रों में प्रशासन सुधार, पर्यावरणीय स्थिरता और लिंग (स्त्री-पुरुष) समानता आम विषय होंगे।
- एकीकरण - सरकारी और निजी निवेश के जरिए बुनियादी ढांचा सुधारने पर ध्यान दिया जाएगा। ऊर्जा की कीमत को तर्कसंगत बनाने और बिजली पैदा करने की क्षमता तथा विश्वसनीयता, ट्रांसमिशन एवं वितरण प्रणाली सुधारने के लिए बिजली क्षेत्र में सुधारों बाहर निकलने की रणनीति क्या है की जरूरत है। गतिशील विनिर्माण क्षेत्र -खासतौर से छोटे और मझौले उपक्रम- में श्रम कानून सुधार तथा भूमि एवं वित्त तक पहुंच बढ़ाने की आवश्यकता है। बेहतर एकीकरण से भारतीय राज्यों के बीच और अधिक संतुलित विकास होगा जिससे कम आय वाले राज्यों को अपने तेजी से बढ़ते पड़ोसियों के साथ एकाग्र होने में मदद मिलेगी।
- परिवर्तन - अनुमान है कि 2031 तक भारत के शहरों में 60 करोड़ लोग रहने लगेंगे। ग्रामीण-शहरी परिवर्तन और खासतौर से शहरीकरण के बारे में विश्व बैंक समूह की संबद्धता से रणनीति की अवधि और उसके बाद परिवर्तन की गति और तेज होने की संभावना है तथा यह विश्व बैंक समूह की रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव दर्शाता है। इसमें मध्यम आकार के शहरों के साथ-साथ ज्यादा बड़े शहरों के प्रबंधन एवं रहन-सहन की क्षमता सुधारने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य सरकारों और नगर पालिकाओं के प्रयासों को समर्थन देने पर ध्यान दिया जाएगा।
- समावेश - आर्थिक एकीकरण और ग्रामीण-शहरी परिवर्तन से भारत की बड़ी आबादी को सिर्फ तभी फायदा हो सकता है यदि मानव विकास और उन नीतियों पर ज्यादा ध्यान दिया जाए जिनसे वृद्धि को समावेशी बनाने में मदद मिलती है। विश्व बैंक समूह पोषाहार नीति के साथ-साथ पोषण सुधार की प्रणाली और क्षमताओं को मजबूत करने में राष्ट्रीय सरकार और राज्य सरकारों को समर्थन देगा। यह उत्कृष्ट शिक्षा पर ज्यादा ध्यान देने के साथ मुख्य रूप से माध्यमिक एवं क्षेत्रीय स्तरों पर शिक्षा सुधार के सरकार के प्रयासों का समर्थन करेगा। यह 90 प्रतिशत से अधिक श्रम शक्ति,जो फिलहाल अनौपचारिक क्षेत्र में काम कर रही है, के लिए सामाजिक सुरक्षा कवरेज बढ़ाने के लिए भी काम करेगा।
मार्च 2013 के अनुसार, विश्व बैंक (अंतर्राष्ट्रीय बाहर निकलने की रणनीति क्या है पुनर्निर्माण और विकास बैंक तथा अंतर्राष्ट्रीय विकास एसोसिएशन) की कुल प्रतिबद्धताऐं 76 परियोजनाओं के रूप में $23 अरब (आईबीआरडी $13.2 अरब, आईडीए $9.8 अरब) हैं। आईएफसी के पोर्टफोलियो में 221 परियोजनाऐं निहित हैं जो अपने स्वयं के खाते और प्रतिभागियों के लिए प्रतिबद्धित और वितरण के जोखिम की $4.2 अरब की राशि के रूप में है।
Straddle क्या है?
एक ट्रेडर को लॉन्ग स्ट्रैडल से तब लाभ होगा जब सिक्योरिटी की कीमत स्ट्राइक प्राइस से भुगतान किए गए प्रीमियम की कुल लागत से अधिक राशि से बढ़ जाती है या गिर जाती है। लाभ की संभावना वस्तुतः असीमित है, जब तक Built-in protection की कीमत बहुत तेजी से बढ़ती है।
'स्ट्रैडल' की परिभाषा [Definition of "Straddle"In Hindi]
स्ट्रैडल एक ट्रेडिंग रणनीति है जिसमें विकल्प शामिल होते हैं। एक स्ट्रैडल का उपयोग करने के लिए, एक व्यापारी एक निश्चित समय पर एक ही अंतर्निहित परिसंपत्ति के लिए एक कॉल विकल्प और एक पुट विकल्प को एक साथ खरीदता / बेचता है, बशर्ते दोनों विकल्पों की समाप्ति तिथि और समान स्ट्राइक मूल्य हो। एक व्यापारी ट्रेडों के ऐसे तटस्थ संयोजन में प्रवेश करता है जब कीमत में उतार-चढ़ाव स्पष्ट नहीं होता है। एक आदर्श स्थिति में, दो विपरीत ट्रेडों में से कोई भी विकल्प विफल होने पर नुकसान की भरपाई कर सकता है। इस रणनीति में, कोई भी दोनों विकल्पों पर 'या तो' लॉन्ग (खरीद) जा सकता है यानी कॉल और पुट, 'या' शॉर्ट (सेल) दोनों। रणनीति का अंतिम परिणाम पूरी तरह से प्रश्न में सुरक्षा पर मूल्य आंदोलन की मात्रा पर निर्भर करता है। दूसरे शब्दों में, मूल्य आंदोलन (Price Movement) की दिशा के बजाय मूल्य आंदोलन (Price Movement) की डिग्री, परिणाम को प्रभावित करती है।
स्ट्रैडल विकल्प रणनीति का उपयोग कब करें? [When to use the Straddle Option Strategy?In Hindi]
- दिशात्मक खेल (Directional play)
यह तब होता है जब एक गतिशील बाजार और उच्च मूल्य में उतार-चढ़ाव होता है, जिसके परिणामस्वरूप व्यापारी के लिए बहुत अनिश्चितता होती है। जब स्टॉक की कीमत ऊपर या नीचे जा सकती है, तो स्ट्रैडल रणनीति का उपयोग किया जाता है। इसे निहित अस्थिरता (Implied volatility) के रूप में भी जाना जाता है।
- अस्थिरता खेल (Volatility game)
जब अर्थव्यवस्था में कोई घटना होती है जैसे कि कमाई की घोषणा या वार्षिक बजट जारी करना, घोषणा होने से पहले बाजार में अस्थिरता बढ़ जाती है। व्यापारी आमतौर पर उन कंपनियों में स्टॉक खरीदते हैं जो कमाई करने वाली होती हैं।
कभी-कभी, कई ट्रेडर बहुत जल्दी स्ट्रैडल स्ट्रैटेजी का उपयोग करते हैं, जिससे एटीएम कॉल और एटीएम पुट ऑप्शन बढ़ सकते हैं और उन्हें खरीदना बहुत महंगा हो सकता है। ऐसी स्थिति उत्पन्न होने से पहले व्यापारियों को दृढ़ रहने और बाजार से बाहर निकलने की जरूरत है।
लांग स्ट्रैडल विकल्प रणनीति क्या है? [What is the Long Straddle Option Strategy?In Hindi]
Long straddle trading strategy तब काम आती है जब एक व्यापारी बाजार में तेजी से आगे बढ़ने की भविष्यवाणी करता है, हालांकि आंदोलन की दिशा निर्धारित नहीं की जा सकती है। यह रणनीति उन व्यापारियों को लाभान्वित करती है जो एक अस्थिर बाजार के दौरान व्यापार करते हैं।
लॉन्ग स्ट्रैडल स्ट्रैटेजी ट्रेडर को ऑप्शन ट्रेडिंग की गलतियों से बचाती है और ट्रेडर को डायरेक्शनल दुविधा को हल करने में मदद करती है। आमतौर पर जब व्यापारी निकट भविष्य में कुछ समाचार या घटना होने की आशंका करता है जो भारतीय बाजार को प्रभावित कर सकता है। एक बार इस तरह की खबरें जारी होने या इसी तरह की कोई घटना होने के बाद बाजार इस पर तीखी प्रतिक्रिया करता है। ऐसी घटनाओं में बाजार तेजी से प्रतिक्रिया करता है और शेयर की कीमतें ऊपर या नीचे जाती हैं। लेकिन जैसा कि व्यापारी परिवर्तन की दिशा की भविष्यवाणी करने में असमर्थ है, वह लंबी स्ट्रैडल रणनीति पर निर्भर करता है। Stop-Loss Order क्या है?
लघु स्ट्रैडल विकल्प रणनीति क्या है? [What is the Short Straddle Options Strategy?In Hindi]
इस प्रकार की स्ट्रैडल रणनीति को सेल स्ट्रैडल रणनीति के रूप में भी जाना जाता है। इस रणनीति में, एक खुला कॉल (शॉर्ट कॉल) और एक खुला पुट (शॉर्ट पुट) को एक ही स्ट्राइक मूल्य और समाप्ति तिथि के साथ और एक ही Underlying asset पर शामिल किया जाता है। यह रणनीति लंबी स्ट्रैडल रणनीति के विपरीत है क्योंकि यह तब काम करती है जब बाजार कम से कम अस्थिर होता है।
शॉर्ट स्ट्रैडल स्ट्रैटेजी में, ट्रेडर प्रीमियम का भुगतान करके मुनाफा कमा सकते हैं यदि वे कॉल ऑप्शन के साथ-साथ पुट ऑप्शन भी लिखते हैं। जब ट्रेडर को बाजार में कोई हलचल नहीं होने की आशंका होती है और वह बिना किसी कीमत के कमाना चाहता है, तो वह शॉर्ट स्ट्रैडल रणनीति का उपयोग करता है। लेकिन अगर बाजार भविष्यवाणी के विपरीत चलता है तो इसमें बहुत बड़ा जोखिम होता है। कभी-कभी एकत्र किया गया प्रीमियम नुकसान की भरपाई के लिए पर्याप्त नहीं होता है। ट्रेडर को भविष्य में भारी नुकसान से बचने के लिए कीमतों में कोई बदलाव नहीं होने के बारे में सटीक खबर होनी चाहिए।
कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने स्वास्थ्य विभाग बना रहा रणनीति
बैतूल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। कोविड संक्रमण के अंतर्गत संभावित तीसरी लहर संबंधी शहरी आशा कार्यकर्ता संचार रणनीति क्रियान्वयन संबंधी बैठक सोमवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में आयोजित की गई। बैठक में बताया गया कि सम्पूर्ण विश्व में कोरोना संकमण एक वैश्विक महामारी के रूप में स्थापित हो चुका है। इसकी पहली लहर एवं दूसरी ल
बैतूल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। कोविड संक्रमण के अंतर्गत संभावित तीसरी लहर संबंधी शहरी आशा कार्यकर्ता संचार रणनीति क्रियान्वयन संबंधी बैठक सोमवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में आयोजित की गई। बैठक में बताया गया कि सम्पूर्ण विश्व में कोरोना संकमण एक वैश्विक महामारी के रूप में स्थापित हो चुका है। इसकी पहली लहर एवं दूसरी लहर को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन सहित प्रोटोकॉल अनुसार अन्य आवश्यक कार्यवाही एवं आइईसी गतिविधियां की जाकर समाज को जागरूक कर कोरोना को नियंत्रित किया गया। अब इस संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका व्यक्त की जा रही है। ऐसी स्थिति में श्रेयष्कर यही है कि हम कोरोना संकमण की इस संभावित लहर को आने ही न दें। व्यापक स्तर पर लोगों को कोविड-19 वैक्सीन टीकाकरण के साथ कोविड अनुकूल व्यवहारों का पालन किये जाने हेतु जागरूक कर हम इस कोविड संकमण की तीसरी लहर को रोक सकते हैं। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए आपस में दो गज की बाहर निकलने की रणनीति क्या है दूरी रखना, बार-बार हाथों को साबुन और पानी अथवा अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर से धोना और घर से बाहर निकलने पर हमेशा मास्क पहनना शामिल है। गहन शोध के बाद वैज्ञानिकों द्वारा इस संक्रमण की रोकथाम के लिए वैक्सीन विकसित कर चरणबद्ध तरीके से विभिन्ना आयु वर्ग के लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है। बाहर निकलने की रणनीति क्या है कोविड-19 वैक्सीन टीकाकरण संकमण से सुरक्षा का कारगर उपाय है। कोविड-19 संक्रमण की संभावित तीसरी लहर रोकने के लिए यूनिसेफ मध्यप्रदेश के सहयोग से तैयार संचार रणनीति में समुदाय की सकिय भागीदारी से कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए स्थानीय आवश्यकतानुसार आईईसी गतिविधियों की जानकारी प्रदाय की गई। कार्यकर्ताओं को कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर रोकने हेतु संचार रणनीति में कोरोना अनुकूल मुख्य व्यवहार अपनाने में क्या बाधाएं संभावित हैं और उनके निवारण के लिए क्या संवाद किया जाना है यह यह जानकारी भी प्रस्तुतिकरण के माध्यम से समझाई गई। मैदानी कार्यकर्ताओं द्वारा गृह भेंट संवाद के दौरान आने वाली बाधाओं को दूर किये जाने में इसका उपयोग किस प्रकार किया जाये, इस संबंध में जानकारी प्रदाय की गई। बैठक में जिला विस्तार एवं माध्यम अधिकारी श्रुति गौर तोमर द्वारा प्रस्तुतिकरण के माध्यम से कार्यकर्ताओं को संबोधित किया गया।
जेपी नड्डा ने दिल्ली में बुलाई बिहार भाजपा कोर कमेटी की अहम बैठक, महागठबंधन सरकार के खिलाफ बनेगी रणनीति
Bihar Hindi News: बैठक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में होगी और इसमें पार्टी के बिहार कोर कमेटी के सदस्य शामिल होंगे.
Published: August 16, 2022 10:51 AM IST
Bihar Hindi News: बिहार में राजनीतिक साझेदार बदलने के बाद भाजपा आज मंगलवार को नई दिल्ली में एक अहम बैठक करने जा रही है. बैठक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में होगी और इसमें पार्टी के बिहार कोर कमेटी के सदस्य शामिल होंगे. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने ये जानकारी दी. मालूम हो कि बिहार में सरकार बदलने के बाद भाजपा पहली बार कोर कमेटी की बैठक करने जा रही है. बैठक में विपक्ष की भूमिका और उसके द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद है.
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बिहार भाजपा के नए अध्यक्ष का चुनाव संभव
सूत्रों ने बताया कि आज कोर कमेटी में बिहार भाजपा के नए अध्यक्ष का चयन होने की उम्मीद है. इसके अलावा विधानसभा और विधान परिषद में विपक्ष का नेता, विधायक दल के प्रमुख के चयन पर चर्चा होने की उम्मीद है. मालूम हो कि 24 अगस्त से बिहार विधानसभा का सत्र शुरू होने जा रहा है. ऐसे में पहले ही इस पर फैसला होने की उम्मीद है.
विपक्ष के नेता के नाम पर चर्चा की उम्मीद
वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि बैठक के दौरान बिहार विधानसभा और राज्य विधान परिषद में पार्टी के नेता और विधायक दल के नेता के नामों पर भी चर्चा होगी. बैठक के दौरान नड्डा की ओर से नवगठित महागठबंधन सरकार के खिलाफ भविष्य में अपनाई जाने वाली रणनीति के बारे में पार्टी नेताओं को जानकारी दिए की भी संभावना है.
भाजपा से अलग हो गए थे नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल में भाजपा पर जदयू को विभाजित करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए राजग से बाहर निकलने की घोषणा करते हुए विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से हाथ मिला लिया था. नीतीश ने इस्तीफे के तुरंत बाद, राजद, कांग्रेस और वाम दलों के महागठबंधन के समर्थन से नई सरकार बनाने का दावा राज्यपाल के समक्ष पेश किया.
बिहार में अचानक हुआ यह राजनीतिक उथल-पुथल भाजपा के लिए एक बड़ा झटका था. हाल ही में, पार्टी बाहर निकलने की रणनीति क्या है ने राज्य में 2024 का आम चुनाव एवं 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव नीतीश के नेतृत्व में लड़ने की एकतरफा घोषणा की थी. (एजेंसी इनपुटस्)
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