एडिटोरियल

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में देश में डिजिटल मुद्रा तथा भारत में इसकी संभावनाओं से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

बीते एक दशक में एथरियम और बिटकॉइन जैसी डिजिटल मुद्राओं या क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता ने विश्व भर के अधिकांश केंद्रीय बैंकों को उनके द्वारा नियंत्रित डिजिटल मुद्रा लॉन्च करने पर गंभीरता से विचार करने के लिये मजबूर कर दिया है, जो कि कैशलेस सोसाइटी के लक्ष्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में डिजिटल मुद्रा की कमियों को दूर करने की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण साबित होगी।

इस संदर्भ में यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ECB) ने यूरोपीय संघ के लिये ‘सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी’ (CBDC) यानी केंद्र बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा के मूल्यांकन का इरादा व्यक्त किया है। ज्ञात हो कि वर्ष 2018 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्तीय संस्थाओं को किसी भी प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लेन-देनों को सुविधा न प्रदान करने का निर्देश दिया था।

हालाँकि बीते दिनों रिज़र्व बैंक ने संकेत दिया था कि वह सरकार समर्थित डिजिटल मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) विकसित करने की व्यवहार्यता का अध्ययन कर रहा है। विश्व भर में आज ऐसे तमाम देश हैं, जो सरकार द्वारा समर्थित डिजिटल मुद्रा की संभावना की तलाश कर रहे हैं, जिसमें चीन और अमेरिका जैसे बड़े देश भी शामिल हैं, ऐसे में भारत को डिजिटल मुद्रा विकसित करने हेतु प्रतिस्पर्द्धा में पीछे नहीं रहना चाहिये और जल्द-से-जल्द इस प्रकार की संभावनाओं की तलाश करनी चाहिये।

मुद्रा के डिजिटलीकरण और डिजिटल मुद्रा में अंतर

  • डिजिटल रुपए के महत्त्व को समझने से पूर्व हमें सर्वप्रथम मुद्रा के डिजिटलीकरण और डिजिटल मुद्रा में अंतर को समझना होगा।
  • मौजूदा वास्तविक मुद्रा के डिजिटलीकरण की शुरुआत इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट और इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम के आगमन के साथ हुई थी। इसकी सहायता से वाणिज्यिक बैंक अधिक कुशल और स्वतंत्र तरीके से ऋण के प्रवाह को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति में बढ़ोतरी होती है, हालाँकि इससे देश की बुनियादी मुद्रा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • इसके विपरीत ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी द्वारा समर्थित डिजिटल मुद्रा देश की बुनियादी मुद्रा को प्रभावित करती है, जिससे देश के केंद्रीय बैंक को मुद्रा सृजन और आपूर्ति के लिये मौजूदा बैंकिंग प्रणाली पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, बल्कि वह स्वयं डिजिटल करेंसी का सृजन कर इसे सीधे उपभोक्ता तक पहुँचा सकेगा।

सरकार द्वारा नियंत्रित डिजिटल मुद्रा की आवश्यकता

  • अवैध गतिविधियों पर रोक: एक संप्रभु डिजिटल मुद्रा की आवश्यकता मौजूदा क्रिप्टोकरेंसी ( एथरियम और बिटकॉइन आदि) के अराजक डिज़ाइन के कारण उत्पन्न होती है, जिसमें डिजिटल मुद्रा के सृजन और रखरखाव की शक्तियाँ प्रयोगकर्त्ताओं अथवा उपभोक्ताओं के पास होती हैं।
    • बिना किसी सरकारी निगरानी और सीमा पार भुगतान में आसानी के कारण इस प्रकार की डिजिटल मुद्रा का उपयोग प्रायः चोरी, आतंकी फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग आदि के लिये काफी आसानी से किया जा सकता है।
    • डिजिटल मुद्रा को नियंत्रित करके केंद्रीय बैंक इस प्रकार की घटनाओं पर लगाम लगा सकता है।
    • केंद्रीय बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा को किसी संपत्ति अथवा पारंपरिक मुद्रा का समर्थन प्राप्त होगा, जिसके कारण इसका मूल्य अन्य डिजिटल मुद्राओं जैसे एथरियम और बिटकॉइन की तरह अस्थिर नहीं होगा।
    • इसके अलावा चीन भी अपनी डिजिटल रेनमिनबी (चीन की मुद्रा) को लॉन्च करके मुद्रा और भुगतान प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में कार्य कर रहा है।
    • ऐसे में भारत के लिये डिजिटल करेंसी को लॉन्च करना न केवल वित्तीय प्रणाली में बदलाव लाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण है, बल्कि यह रणनीतिक दृष्टि से भी काफी आवश्यक है।
    • ऐसे में भारत एक छद्म डिजिटल मुद्रा युद्ध के मुहाने पर खड़ा है, क्योंकि अमेरिका और चीन नए युग के वित्तीय उत्पादों (आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? डिजिटल मुद्रा) के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिये संघर्षरत हैं।
    • इस तरह डिजिटल रुपया न केवल वित्तीय नवाचार की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि अमेरिका और चीन के बीच इस छद्म युद्ध में भारत की स्थिति को और अधिक मज़बूत करने के लिये भी काफी महत्त्वपूर्ण है।

    डिजिटल छद्म युद्ध (Digital Proxy War)

    • अमेरिकी डॉलर को लंबे समय से विश्व व्यापार की प्रमुख मुद्रा माना जाता रहा है और अब तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती नहीं मिली है, जिसके कारण अमेरिका को वैश्विक वित्तीय प्रणाली में काफी लाभ प्राप्त होता है तथा वह इसका उपयोग अपने प्रतिद्वंद्वियों पर प्रतिबंध लगाने हेतु भी करता है।
    • हालाँकि अमेरिका और चीन के बीच हुए व्यापार युद्ध के कारण अब चीन डिजिटल रेनमिनबी का उपयोग करके अधिक उन्नत वित्तीय प्रणाली के निर्माण पर ज़ोर दे रहा है।

    डिजिटल रुपए का महत्त्व

    • मौद्रिक नीति का तत्काल प्रभाव: डिजिटल रुपया रिज़र्व बैंक को मौद्रिक नीति को नियंत्रित करने हेतु प्रत्यक्ष उपकरण प्रदान कर और अधिक सशक्त बनाएगा।
      • डिजिटल रुपए के उपयोग से रिज़र्व बैंक को प्रत्यक्ष रुप से मुद्रा सृजन और आपूर्ति की शक्ति प्रदान होगी, जिससे नीतिगत बदलावों के प्रभावों को तत्काल प्रतिबिंबित किया जा सकेगा, जबकि अब तक रिज़र्व बैंक अपने नीतिगत निर्णयों को लागू करने के लिये वाणिज्यिक बैंकों पर निर्भर है।
      • देश की सरकार अथवा केंद्रीय बैंक द्वारा समर्थित डिजिटल रुपया, भारतीय नियामकों को अर्थव्यवस्था में लेन-देन और ऋण प्रवाह की निगरानी में मदद करेगा, जिससे घोटालों और धोखाधड़ी की निगरानी करने में सहायता मिलेगी और जमाकर्त्ताओं के पैसे को भी सुरक्षा प्रदान की जा सकेगी।
      • इसके अलावा यह निवेशकों को मौजूदा अत्यधिक जोखिम वाली डिजिटल मुद्रा की तुलना में एक अधिक स्थिर और सुरक्षित विकल्प प्रदान करेगा।
      • डिजिटल रुपया स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट की मदद से कैशबैक, पैसे भेजने, ऋण देने, बीमा, शेयर खरीदने और दूसरे वित्तीय लेन-देनों को आसान बना देगा।

      निष्कर्ष

      भारतीय रिज़र्व बैंक अथवा भारत सरकार द्वारा समर्थित डिजिटल रुपया, भारतीय नागरिकों को सशक्त बनाने और उन्हें तेज़ी से बढ़ती वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में अपना स्थान तलाशने में मदद करेगा। साथ ही इससे भारतीय नागरिकों को देश की पुरानी बैंकिंग प्रणाली से भी मुक्ति मिलेगी और भारत के बैंकिंग मॉडल में एक नया आयाम जुड़ सकेगा। अर्थव्यवस्था में तरलता, बैंकिंग प्रणाली और वित्तीय बाज़ार आदि पर डिजिटल रुपए के प्रभाव को देखते हुए यह आवश्यक है कि भारत के नीति निर्माताओं द्वारा भारत में सरकार समर्थिक डिजिटल मुद्रा की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार किया जाए। चूँकि आने वाले समय में चीन और अमेरिका के बीच छद्म डिजिटल मुद्रा युद्ध देखने को मिल सकता है, इसलिये यदि ऐसे में भारत भी अपनी डिजिटल मुद्रा लॉन्च करता है तो उसे अंतर्राष्ट्रीय तनाव का सामना करना पड़ सकता है, और भारत को इसके लिये पहले से ही तैयार रहना चाहिये।

      CBDC

      अभ्यास प्रश्न: भारत में ‘सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी’ (CBDC) यानी केंद्र बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) की संभावनाओं पर चर्चा कीजिये।

      आज से देश में डिजिटल करेंसी की होगी शुरुआत, RBI करेगा लांच, जानिए क्या है Digital Rupee, इसके फायदे और कैसे करना होगा इस्तेमाल

      Digital Currency in india

      Digital Currency : आज देश में डिजिटल करेंसी यानी वर्चुअल करेंसी (डिजिटल रुपया) की शुरुआत होने जा रही है। ‌‌इसका होल्सेल ट्रांजैक्शन में इसका इस्तेमाल होगा। हालांकि, अभी इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। आरबीआई ने सोमवार को बयान में कहा पायलट परीक्षण के तहत सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन का निपटान किया जाएगा। अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, भुगतान प्रणाली को अधिक सक्षम बनाने और धन शोधन को रोकने में मदद मिलेगी।

      Digital Rupee का इस्तेमाल सरकारी सिक्टोरिटीज के सेटलमेंट के लिए होगा। ग्राहक इस डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल सरकारी सिक्योरिटी में लेनदेन के लिए कर सकते हैं। इस प्रोजेक्ट में हिस्सा लेने के लिए 9 बैंको की पहचान की गई है। इसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB), यूनियन बैंक, HDFC बैंक, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC बैंक शामिल होंगे।

      बता दें, CBDC केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए मुद्रा नोटों का एक डिजिटल रूप है। दुनिया भर के अधिकांश केंद्रीय बैंक इस समय सीबीडीसी जारी करने की तरीकों पर विचार कर रहे हैं और इसे जारी करने के तरीके हर देश की विशिष्ट जरूरतों के अनुसार अलग-अलग हैं। बता दें कि भारत सरकार ने आम बजट में वित्त वर्ष 2022-23 से डिजिटल रुपया पेश करने की घोषणा की थी।

      डिजिटल करेंसी 3 प्रकार की होती है

      1. क्रिप्टोकरेंसी: यह डिजिटल करेंसी है जो नेटवर्क में लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करती है। इस पर किसी भी देश की सरकार का नियंत्रण नहीं होता है। बिटकॉइन और एथेरियम इसके उदाहरण हैं।
      2. वर्चुअल करेंसी: वर्चुअल करेंसी डेवलपर्स या प्रक्रिया में शामिल विभिन्न हितधारकों से मिलकर एक संगठन द्वारा नियंत्रित अनियमित डिजिटल करेंसी है।
      3. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी): सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी किसी देश के सेंट्रल बैंक द्वारा जारी की जाती हैं। आरबीआई ने इस करेंसी को ही जारी करने की बात कही है।

      डिजिटल करेंसी के फायदे

      देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी। इसे आप अपने मोबाइल वॉलेट में रख सकेंगे और इस डिजिटल करेंसी के सर्कुलेशन पर पूरी तरह से रिजर्व बैंक का नियंत्रण रहेगा। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी। डिजिटल रुपी या डिजिटल करेंसी भी उसी डिजिटल इकोनॉमी का अगला कदम होगा। जिस तरह मोबाइल वॉलेट से सेकंडों में ट्रांजैक्शन होता है, ठीक उसी तरह डिजिटल रुपी से भी काम होगा। इससे कैश का झंझट कम होगा जिसका आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? बड़ा सकारात्मक असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखी जाएगी।

      RBI का डिजिटल रुपी क्या है और यह कैसे काम करेगा?

      RBI का डिजिटल रुपी क्या है और यह कैसे काम करेगा?

      भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मंगलवार को देश की पहली डिजिटल करेंसी के रूप में ई-रुपी (e-rupee) का पायलट लॉन्च कर दिया है। इसका इस्तेमाल विशेष उपयोग के मामलों में किया जाएगा। RBI की ओर से कहा गया है कि शुरुआत में देश के नौ बैंक इस ई-रुपी का उपयोग सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन निपटाने के लिए करेंगे। ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या है ई-रुपी और यह करेंसी के रूप में कैसे काम करेगा।

      RBI ने क्या जारी किया है बयान?

      RBI द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लाने की अपनी योजना की दिशा में ई-रुपी का पहला पायलट परीक्षण एक नवंबर को शुरू होगा। इसमें देश के नौ बैंक शामिल होंगे और वह सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन के निपटान में इसका उपयोग करेंगे। इन बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC, ICICI, कोटक महिंद्रा, यस बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC शामिल है।

      क्या है ई-रुपी?

      RBI ने डिजिटल करेंसी यानी ई-रुपी को CBDC नाम दिया है। यह किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है, लेकिन इसका रूप अलग होगा। RBI द्वारा जारी डिजिटल करेंसी एक लीगल टेंडर (कानूनी निविदा) है। इसका विनिमय मौजूदा मुद्रा के बराबर होगा और इसे भुगतान, लीगल टेंडर और मूल्य के सुरक्षित स्टोर के रूप लिया जाएगा। यह RBI की बैलेंस शीट पर देनदारी के तौर पर दिखेगी।

      कितने प्रकार की होती है CBDC?

      केंद्रीय बैंकों द्वारा नियंत्रित डिजिटल करेंसी को दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। पहला प्रकार रिटेल (CBDC-R) और दूसरा प्रकार होलसेल (CBDC-W) होता है। CBDC-R नकदी का इलेक्ट्रॉनिक वर्जन है और यह सबके लिए उपलब्ध होगी। वहीं CBDC-W को चुनिंदा वित्तीय संस्थानों को खास एक्सेस देने के लिए डिजाइन किया जाता है। यह बैंकों के आपसी ट्रांसफर और होलसेल लेनदेन के लिए इस्तेमाल होगी। RBI दोनों ही जारी करने पर विचार कर रहा है।

      डिजिटल करेंसी का क्या होगा फायदा?

      केंद्रीय बैंक ने कहा कि डिजिटल करेंसी धारक के पास बैंक अकाउंट होना जरूरी नहीं होगा। इसके इस्तेमाल से बड़ी मात्रा में रियल टाइम डाटा उपलब्ध होगा। इसका इस्तेमाल नीति निर्धारण में हो सकेगा। इसी तरह व्यापार में पैसो का लेनदेन आसान होगा, मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के लेनदेन होगा, नकली नोट की समस्या से छुटकारा मिलेगा, नोटों की छपाई का खर्च बचेगा, इसकी अवधि कागज के नोटों की तुलना में अनिश्चित होगी।

      CBDC और क्रिप्टोकरेंसी में क्या है अंतर?

      RBI की डिजिटल करेंसी क्रिप्टोकरेंसी से कई मायनों में अलग होगी। क्रिप्टोकरेंसी डीसेंट्रलाइज्ड होती हैं और वो लीगल टेंडर नहीं मानी जाती। क्रिप्टोकरेंसी की कीमत बहुत अस्थिर होती है, जबकि CBDC को स्थिरता और सुरक्षा के लिए डिजाइन किया गया है। RBI का कहना है कि क्रिप्टो संपत्ति का प्रसार मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण के खतरे को बढ़ावा दे सकता है। साथ ही यह मौद्रिक नीतियों को भी प्रभावित कर सकती है।

      क्या ई-रुपी का इस्तेमाल करना चाहिए और यह गोपनीय होगा?

      RBI के अनुसार, बड़े पैमाने पर डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल के लिए इसे गोपनीय रखने की आवश्यकता होगी। हालांकि, डिजिटल लेनदेन में कुछ सबूत होने के कारण यह एक चुनौती हो सकती है। केंद्रीय बैंकों का कहना है कि CBDC के डिजाइन में गोपनीयता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। खासकर नकद भुगतान से जुड़ी गोपनीयता के समान छोटे मूल्य के खुदरा लेनदेन के मामले में यह गोपनीय होना चाहिए। इससे लोगों को अपनी आय गुप्त रखने में मदद मिलेगी।

      क्या ई-रुपी के जरिए ऑफलाइन लेनदेन किया जा सकेगा?

      RBI ने अभी इस पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन यह एक बड़ी चुनौती है। उसे इसे भी ऑफलाइन मोड में शामिल करना होगा, क्योंकि देश के 80 करोड़ लोग आज भी अच्छी इंटरनेट सुविधा से अछूते हैं। हालांकि, ऑफलाइन मोड में दोहरे खर्च के साथ सुरक्षात्मक खतरे भी हैं। इसमें एक टोकन तकनीकी रूप से CBDC लेजर को अपडेट किए बिना दो बार उपयोग किया जा सकता है, लेकिन लेनदेन की सीमा निर्धारित कर सुरक्षात्मक उपाय कर सकते हैं।

      डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ेगा असर?

      डिजिटल करेंसी पर RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और धोखाधड़ी आशंका नहीं रहेगी। सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले लेनदेन तक पहुंच होगी और पैसों के देश में आने या बाहर जाने पर बेहतर नियंत्रण होगा। इससे सरकार भविष्य के लिए बेहतर बजट और आर्थिक योजनाएं भी बना सकेगी। यह प्रणाली देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी और इसका पूरी अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव दिखाई देगा।

      विकासशील देशों में डिजिटल मुद्रा – cryptocurrency पर रोक लगाने की पुकार

      डिजिटल मुद्रा - crypto currency

      संयुक्त राष्ट्र के व्यापर और विकास संगठन – UNCTAD ने बुधवार को प्रकाशित तीन नीति पत्रों में, विकासशील देशों में डिजिटल मुद्रा – क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर रोक लगाने के लिये कार्रवाई किये जाने की पुकार लगाई है.

      यूएन एजेंसी ने आगाह किया है कि अलबत्ता व्यक्तिगत डिजिटल मुद्राओं ने कुछ व्यक्तियों और संस्थानों को लाभान्वित किया है, मगर वो एक ऐसी अस्थिर वित्तीय सम्पदा हैं जो सामाजिक जोखिम और लागतें उत्पन्न कर सकती हैं.

      अंकटाड ने कहा है कि कुछ लोगों या संस्थानों को डिजिटल मुद्रा के लाभ, वित्तीय स्थिरता, घरेलू संसाधन सक्रियता, और मुद्रा प्रणालियों की सुरक्षा के लिये उत्पन्न उनके जोखिमों के साए में दब जाते हैं.

      क्रिप्टो मुद्रा में उछाल

      क्रिप्टो करेंसी भुगतान का एक वैकल्पिक रूप हैं. इनके मामलों में वित्तीय भुगतान गुप्त व सुरक्षित टैक्नॉलॉजी के ज़रिये डिजिटल माध्यमों से किया जाता है जिन्हें ब्लॉकचेन कहा जाता है.

      क्रिप्टो करेंसी कोविड-19 महामारी के दौरान, दुनिया भर में बहुत तेज़ी से बढ़ी, जिससे पहले से ही मौजूद चलन और भी ज़्यादा मज़बूत हो गया. इस समय दुनिया भर में लगभग 19 हज़ार क्रिप्टो करेंसी मौजूद हैं.

      वर्ष 2021 में क्रिप्टो करेंसी रखने वाली आबादी के मामले में, शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं वाले 20 देशों में से, 15 देश विकासशील देश थे.

      इस सूची में 12.7 प्रतिशत के साथ यूक्रेन सबसे ऊपर था, उसके बाद रूस 11.9 प्रतिशत और वेनेज़ुएला 10.3 प्रतिशत के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर थे.

      उतना स्वर्णिम नहीं

      अंकटाड का कहना है कि बाज़ार में हाल के समय में डिजिटल मुद्रा को लगे झटकों से झलकता है कि क्रिप्टो करेंसी रखने के निजी जोखिम तो हैं ही, मगर केन्द्रीय बैंक, वित्तीय स्थिरता की हिफ़ाज़त करने के लिये हस्तक्षेप करते हैं तो ये समस्या सार्वजनिक बन जाती है.

      उससे भी ज़्यादा, अगर क्रिप्टो करेंसी भुगतान के एक माध्यम के रूप में विकसित होना जारी रखती है, और यहाँ तक कि अनौपचारिक रूप में घरेलू मुद्राओं की जगह भी ले लेती है, तो भी देशों की वित्तीय सम्प्रभुता ख़तरे में पड़ सकती है.

      कर चोरी का भय

      अंकटाड के एक नीति पत्र में बताया गया है कि क्रिप्टो करेंसी विकासशील देशों में किस तरह से घरेलू संसाधन सक्रियता को कमज़ोर करने का एक नया चैनल बन गई है, और साथ ही इस बारे में, बहुत कम कार्रवाई और उसमें भी देरी करने के जोखिमों के बारे में भी आगाह किया गया है.

      अंकटाड ने आगाह किया है कि क्रिप्टो करेंसी से वैसे तो विदेशों से अपने मूल स्थानों को रक़म भेजना आसान होता है, मगर उनसे कर चोरी व अवैध वित्तीय लेनदेन के ज़रिये टैक्स से बचाना भी शामिल हो सकता है. बिल्कुल टैक्स स्वर्ग कहे जाने वाले स्थानों की तरह, जहाँ धन का स्वामित्व स्पष्ट नहीं होता है.

      एजेंसी ने कहा है कि इस तरह से, क्रिप्टो करेंसी मुद्रा आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? नियंत्रणों की प्रभावशीलता को भी कमज़ोर कर सकती है, जोकि विकासशील देशों को उनके नीतिगत स्थान और छोटे पैमाने पर आर्थिक स्थिरता के लिये एक अहम उपकरण है.

रेटिंग: 4.55
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 507