क्रिप्टो करेंसी पर भारत सरकार की कोई स्पष्ट पॉलिसी नहीं है, ऐसी स्थिति में वित्तीय जोखिम आपको ही लेना होगा. इसलिए बेहतर होगा कि आप निवेश से पहले इसके जोखिम का मूल्यांकन कर लें और उसी के अनुसार निवेश करें.

हिन्दी वार्ता

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बड़ा प्रचलित व्यंग है “भारतीय रुपया सिर्फ एक ही समय उपर जाता है और वो है टॉस का समय”

आज कल रुपये के गिरते भाव के कारण काफ़ी हो हल्ला मचा हुआ है! भारतीया मुद्रा यानी रुपया का मूल्य डॉलर के मुक़ाबले काफ़ी कम हो चुका है! पर क्या आप जानते हैं कि क्या है वो वजह जिसकी वजह से रुपया का मूल्य प्रभावित होता है और कैसे आप देशहित में रुपये को मजबूत करने में अपना योगदान दे सकते हैं! चलिए हम आपको बताते हैं ये सारा गणित. वो भी बिलकुल आसान भाषा में!

बड़ा ही सीधी सी थियरी है. भारत के पास जितना कम डॉलर होगा, डॉलर का मूल्य उतना बढ़ेगा! भारत या कोई भी देश अपने ज़रूरत की वस्तुए या तो खुद बनाते हैं या उन्हें विदेशों से आयात करते हैं और विदेशो से कुछ भी आयात करने के लिए आपको उन्हें डॉलर में चुकाना पड़ता है! उदाहरण के तौर पर यदि किसी देश से आप तेल का आयात करना चाहते हैं तो उसका भुगतान आप रुपये में नही कर सकते. उसके लिए आपको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य किसी मुद्रा का प्रयोग करना होगा. तो इसका मतलब ये है कि भारत को भुगतान डॉलर या यूरो में करना होगा!

रुपये को मजबूत करने के लिए क्या किया जा सकता है

1. निर्यात बढ़ाया जाए जिससे की विदेशी मुद्रा की प्राप्ति हो. उत्पादन बढ़ाए जाएँ जिससे की अधिक से अधिक निर्यात हो सके
2. स्वदेशी अपनाओ- विदेशो में बनने वाली ८० पैसे की ड्रिंक यहाँ १५ से २० रुपये में बेचा जाता है! यदि हम स्वदेशी वस्तुओं या प्रयोग करना शुरू कर दें तो इन विदेशी वस्तुओं को आयात करने का खर्च बच जाएगा.
3. तेल का विकल्प- हम बड़ी मात्रा में तेल का आयात करने पर मजबूर हैं क्युकि देश में तेल का उत्पादन माँग के अनुसार नही है. यदि हम तेल पे आश्रित अपनी अर्थव्यवस्था को बदलने की कोशिश करें तो विदेशी भंडार एक बहुत बड़ा हिस्सा हम बचा सकते हैं और इसके लिए हमें तेल के विकल्पों पर विचार करना चाहिए१
4. भारतीयो का स्वर्ण प्रेम- सोना से लगाव काफ़ी पुराना है. विवाह या पर्व त्योहारो पर सोने की माँग में अत्प्रश्चित वृद्धि देखी जाती है जिससे हमारा आयात बिल बढ़ता है!

काम की खबर: नजारा का IPO तो खुला, लेकिन जानिए कैसे करें IPO में निवेश, डीमैट अकाउंट है जरूरी

हमारे देश में बचत के पैसे लगाने यानी निवेश करने के कई तरीके हैं। इन्ही में से एक है 'इनीशियल पब्लिक ऑफर' यानि IPO। निवेश का ये तरीका आज कल ट्रेंड में है। अगर आप भी IPO में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं या करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये समझ लीजिए कि IPO क्या होता है? दरअसल, जब कोई कंपनी अपने स्टॉक या शेयर्स छोटे-बड़े निवेशकों के लिए जारी करती है तो उसका जरिया IPO होता है। इसके बाद कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है।

IPO होता क्या है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपनी कंपनी के शेयर्स को लोगों को ऑफर करती है तो इसे IPO कहते हैं। कंपनियों समझें कि विकल्पों की कीमत कैसे तय की जाती है द्वारा ये IPO इसलिए जारी किया जाता है जिससे वह शेयर बाजार में आ सके। शेयर बाजार में उतरने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीदारी और बिकवाली शेयर बाजार में हो सकेगी। यदि एक बार कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग की इजाजत मिल जाए तो फिर इन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है। इसके बाद शेयर को खरीदने और बेचने से होने वाले फायदे और नुकसान में भागीदारी निवेशकों की होती है।

पेट्रोल-डीजल के नए रेट जारी, देखें किस राज्य में कितना सस्ता या महंगा तेल

पेट्रोल-डीजल के नए रेट जारी, देखें किस राज्य में कितना सस्ता या महंगा तेल

Petrol Diesel Price Today: पेट्रोल-डीजल के नए रेट जारी हो गए हैं। साल 2021 का आखिरी गुरुवार भी राहतभरा है। लगातार 56वें दिन भी देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव नहीं हुआ। केंद्र सरकार के पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर उत्पाद शुल्क क्रमश: 5 और 10 रुपये घटाए जाने की घोषणा चार नवंबर को किए जाने के बाद कीमतों में काफी कमी आयी समझें कि विकल्पों की कीमत कैसे तय की जाती है थी और इसके बाद राज्य सरकार के वैट कम करने के फैसले के बाद दिल्ली में दो दिसंबर को पेट्रोल लगभग आठ रुपये सस्ता हुआ था।

धनतेरस-दिवाली: कैसे तय होती है गोल्ड ज्वैलरी की कीमत, जान लें गणित; होगा फायदा

धनतेरस-दिवाली: कैसे तय होती है गोल्ड ज्वैलरी की कीमत, जान लें गणित; होगा फायदा

Image: Reuters

Gold shipping on Dhanteras-Diwali: दो दिन बाद धनतेरस का त्योहार है. इस मौके पर भारत में समझें कि विकल्पों की कीमत कैसे तय की जाती है गोल्ड खरीदने का रिवाज है. इस मौके पर गोल्ड आइटम खरीदना शुभ माना समझें कि विकल्पों की कीमत कैसे तय की जाती है जाता है. लेकिन आप इसे फ्यूचर के लिए एक फायदेमंद निवेश विकल्प के तौर पर पर भी देख सकते हैं. सोना हमेशा बुरे वक्त का साथी माना जाता है. अगर आप भी इस धनतेरस गोल्ड ज्वैलरी खरीदने की सोच रहे हैं तो पहले जान लें कि गोल्ड ज्वैलरी की कीमत का फॉर्मूला क्या है.

गोल्ड ज्वैलरी की फाइनल वैल्यू में सोने की कीमत और मेकिंग चार्ज दोनों शामिल रहते हैं, वहीं अगर आप स्टडेड ज्वैलरी यानी स्टोन जड़ित ज्वैलरी को लेते हैं तो इसकी कीमत भी उसमें शामिल ​की जाती है. ज्वैलरी में लगने वाले सोने की कीमत देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग रहती है. इसके अलावा मेकिंग चार्जेस भी अलग-अलग ज्वैलर्स के हिसाब से अलग-अलग रहते हैं, हालांकि आप चाहें तो इसमें मोल-तोल किया जा सकता है.

ये है फॉर्मूला

ज्वैलरी का अंतिम दाम= सोने की कीमत (22 कैरेट या 18 कैरेट) X ग्राम में भार+ मेकिंग चार्ज+ (ज्वैलरी की कीमत+ मेकिंग चार्ज) पर 3% GST

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इसे एक उदाहरण से समझें. गोल्ड ज्वैलरी हमेशा 22 या 18 कैरेट गोल्ड की बनती है. इसकी वजह है कि 24 कैरेट गोल्ड बेहद नाजुक होता है. इसकी ज्वैलरी बनाना संभव नहीं है. मान लीजिए कि आपको 9.6 ग्राम की सोने की चेन खरीदनी है और ज्वैलर 22 कैरेट वाले 10 ग्राम सोने की कीमत 39000 रुपये लगाता है. इस पर रेट ऐसे कैलकुलेट होगा-

स्टडेड ज्‍वैलरी को लेकर क्या रखें ध्यान

स्टडेट गोल्‍ड ज्‍वैलरी में नग की कीमत भी शामिल रहती है. ऐसी ज्‍वैलरी खरीदते वक्त स्‍टोन्‍स या जेम्‍स की शुद्धता का सर्टिफिकेट जरूर लें. साथ ही उनकी कीमत और वजन भी बिल पर लें. एक ज्वैलर के मुताबिक, वैसे तो कस्‍टमर को स्‍टडेड चीजों की कीमत और वजन भी बिल पर अलग से दिया जाता है. लेकिन कुछ ज्‍वैलर्स स्‍टडेड ज्‍वैलरी में लगे स्‍टोन्‍स और जेम्‍स को भी सोने की कीमत में ही लगाते हैं और वजन करते वक्‍त उनका वजन अलग से नहीं किया जाता है.

जब कस्टमर उस ज्वैलरी को बेचता समझें कि विकल्पों की कीमत कैसे तय की जाती है है तो नगों का दाम अलग रहता है और सोने का अलग. 1 या 2 छोटे स्‍टोन्‍स होने पर फर्क नहीं पड़ता लेकिन हैवी वर्क होने पर ध्‍यान देना जरूरी हो जाता है. ऐसे में अगर स्‍टोन्‍स, सोने से सस्ते हैं कम है तो नुकसान होता है. इसलिए बिल पर स्‍टडेड चीजों के दाम और वजन अलग से दिया होने पर आप धोखे से बच जाएंगे. शुद्धता का सर्टिफिकेट आपको नकली जेम्‍स व स्‍टोन्‍स की असली के हिसाब से कीमत देने से बचाएगा.

Crypto Currency: क्रिप्टो करेंसी क्या है, इसे कहां से खरीदें?

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Crypto Currency पर ज्यादा रिटर्न मिलने के कारण स्कैम भी बढ़ गए है, ऐसे में निवेशकों को थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है

  • क्रिप्टो करेंसी नेटवर्क पर आधारित डिजिटल मुद्रा है, जिसका डिस्ट्रीब्यूशन कंप्यूटरों के एक विशाल नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है.
  • समझें कि विकल्पों की कीमत कैसे तय की जाती है
  • कंप्यूटर नेटवर्क और ब्लॉकचेन पर आधारित यह विकेंद्रीकृत संरचना क्रिप्टो करेंसी को सरकारों और किसी भी वित्तीय नियंत्रण से बाहर रखती है.
  • क्रिप्टो करेंसी के बारे वित्तीय समझें कि विकल्पों की कीमत कैसे तय की जाती है विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लॉकचेन पर आधारित इस तकनीक के कारण दुनिया भर में फाइनेंशियल और कानूनी पेचीदगियां पैदा होंगी.
  • क्रिप्टो करेंसी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह अन्य परंपरागत मुद्राओं के मुकाबले में बेहद सस्ता और तेज समझें कि विकल्पों की कीमत कैसे तय की जाती है मनी ट्रांसफर है.
  • क्रिप्टो करेंसी का सिस्टम डिसेंट्रलाइज होने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि किसी एक जगह से इस मुद्रा पर नेगेटिव असर नहीं होगा.
  • क्रिप्टो करेंसी की कुछ मुश्किलें भी हैं, जिनमें कीमत में होने वाला उतार-चढ़ाव, माइनिंग के लिए ऊर्जा की ज्यादा खपत और इसका आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल है.
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