भारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति, प्रभाव एवं समस्याऐं | Original Article Ashish Shukla*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

अनुपात विश्लेषण और उसके अनुप्रयोग के लिए मार्गदर्शिका

बैलेंस शीट और आय विवरण जैसे वित्तीय दस्तावेजों का मूल्यांकन करके लाभप्रदता, तरलता और परिचालन दक्षता जैसे कंपनी के कई पहलुओं की जांच करने के लिए अनुपात विश्लेषण का उपयोग किया जाता है। कंपनी की इक्विटी का मौलिक अध्ययन अनुपात विश्लेषण के साथ शुरू और समाप्त होता है। समय के साथ किसी कंपनी के प्रदर्शन को अनुपात विश्लेषण के माध्यम से मापा जा सकता है, और परिणामों की तुलना उसी बाजार या क्षेत्र में अन्य कंपनियों के प्रदर्शन से की जा सकती है।

अनुपात विश्लेषण: विभिन्न प्रकार के वित्तीय अनुपात

अनुपात विश्लेषण की प्रक्रिया में कई वित्तीय अनुपातों का उपयोग किया जाता है। इन अनुपातों को आगे निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

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व्यवहारात्मक विश्लेषण से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंअन्तर्वैयक्तिक व्यवहारात्मक विश्लेषण अर्थ प्रकृति, लाभ तथा महत्व, व्यवहारात्मक विश्लेषण के विभिन्न आयाम/पक्ष। समूह और समूहगतिशीलता-अर्थ, परिभाषा, प्रकार, महत्व, समूह निर्माण के सिद्धांत, व्यवहार के आयाम । ईकाई-5.

प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंव्यवसाय मे स्थितियां निरन्तर परिवर्तनशील होती है तथा कभी व्यवसाय का रूख उन्नति की ओर होता है तो कभी अवनति की ओर। व्यवसाय के इस रूख या प्रवृत्ति का अध्ययन करने के लिए विभिन्न वर्षों के आंकड़ों का अध्ययन किया जाता है। इसे ही प्रवृत्ति विश्लेषण कहते है।

सामग्री विश्लेषण क्या है समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंसामग्री विश्लेषण दस्तावेजों और संचार कलाकृतियों का अध्ययन है , जो विभिन्न स्वरूपों, चित्रों, ऑडियो या वीडियो के पाठ हो सकते हैं। सामाजिक वैज्ञानिक सामग्री विश्लेषण का उपयोग संचार में पैटर्न की नकल करने योग्य और व्यवस्थित तरीके से करने के लिए करते हैं।

व्यवहारवाद क्या है in Hindi?

इसे सुनेंरोकेंव्यवहारवाद एक मूल्य-निरपेक्ष अवधारणा है। यह व्यवहार को अपने अध्ययन, अवलोकन, व्याख्या तथा निष्कर्ष का आधार मानकर चलती है। इसके अन्तर्गत सामाजिक अनुसंधान से सम्बन्धित प्रत्येक प्रकार की वैज्ञानिक सामग्री शामिल हैं जो व्यवहार से सम्बन्धित होती है। यह राजनीति विज्ञान में क्रान्तिकारी विचारों को जन्म देने वाला दृष्टिकोण है।

व्यवहारवाद क्या है इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंव्यवहारवाद में व्यक्ति के व्यवहार का एक सामाजिक संगठन के सदस्य के रूप में विश्लेषण किया जाता है । यह अध्ययन पद्धति अपना ध्यान राजनीतिक व्यवहार पर केन्द्रित करती है और राजनीतिक व्यवहार के माध्यम से राजनीति,संगठन,प्रक्रिया तथा समस्याओं का वैज्ञानिक विश्लेषण करती है।

व्यवहारवाद की 8 विशेषता क्या है?

इसे सुनेंरोकेंव्यवहारवाद (behaviorism) की विशेषताएं * राजनीतिक संस्था एवं संरचना के स्थान पर केंद्रित अध्ययन पर जोर। * परिशुद्धता, पर्यवेक्षण, सत्यापन, परीक्षण, परिमाणन प्रमुख आधार है। * राजनीति के अध्ययन शोध एवं विश्लेषण के लिए अनुभवात्मक और प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण पर जोर देकर अध्ययन का केंद्र बिंदु राजनीतिक व्यवहार को ही मानता है।

व्यवहारवाद से आप क्या समझते हैं PDF?

इसे सुनेंरोकेंव्यवहारवाद एक ऐसा प्रयत्न है जो राजनीति विज्ञान के आनुभविक तत्वों को अधिक वैज्ञानिकता प्रदान करता है। संक्षेप में, व्यवहारवाद एक अनुभववादी वैज्ञानिक उपागम है जिसका लक्ष्य राजनीतिक घटनाओं एवं तथ्यों के विश्लेषण की नई इकाईयों, नई पद्धतियों, नई तकनीकों को विकसित करने के साथ इनकी वैज्ञानिक व्याख्या करना है।

व्यवहारवाद का प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है? पिता कौन है?

इसे सुनेंरोकेंमनोविज्ञान में व्यवहारवाद (बिहेवियरिज़म) की शुरुआत बीसवीं सदी के पहले दशक में जे. बी. वाटसन द्वारा 1913 में जॉन हॉपीकन्स विश्वविद्यालय में की गयी। उन दिनों मनोवैज्ञानिकों से माँग की जा रही थी कि वे आत्म-विश्लेषण की तकनीक विकसित करें।

व्यवहारवाद का जनक कौन है?

इसे सुनेंरोकेंजॉन बी वाटसन को व्यवहारवाद के संस्थापक और जनक के रूप में जाना जाता है।

व्यवहारवादी विद्वान कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंएडवर्ड गुथरी, क्लार्क हुल और बी. एफ़. स्किनर ने व्यवहारवाद के सिद्धांत को अधिक परिष्कृत स्वरूप प्रदान किया। इन विद्वानों की प्रेरणा से मनोचिकित्सकों ने व्यवहारमूलक थेरेपी की विभिन्न तकनीकें विकसित कीं ताकि मनोरोगियों को तरह-तरह की भूतों और उन्मादों से छुटकारा दिलाया जा सके।

क्षैतिज विश्लेषण और लम्बवत विश्लेषण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअतः निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि लम्बवत विश्लेषण एक निश्चित तिथि को विभिन्न मदों के मध्य पाये जाने वाले संख्यात्मक सम्बन्ध का अध्ययन है । इसके विपरीत क्षैतिज विश्लेषण में विभिन्न तिथियों के मध्य एक मद का अध्ययन किया जाता है ।

संश्लेषण और विश्लेषण

संश्लेषण का अर्थ है- अनेक को एक करना, जबकि विश्लेषण का अर्थ है एक को अनेक करना। मनुष्य जब क्षुद्र बुद्घि भावना से प्रेरित होकर कोई काम करता है तो वह दुःख पाता है, वही जब कोई वृहद भाव से काम करता है.

संश्लेषण और विश्लेषण

संश्लेषण का अर्थ है- अनेक को एक करना, जबकि विश्लेषण का अर्थ है एक को अनेक करना। मनुष्य जब क्षुद्र बुद्घि भावना से प्रेरित होकर कोई काम करता है तो वह दुःख पाता है, वही जब कोई वृहद भाव से काम करता है तब उसे शांति मिलती है। जो क्षुद्र भावना लेकर काम करते हैं, उनका पथ है विश्लेषण का। जो अनेक को एक करते हैं, उनका रास्ता है संश्लेषण का। अतएव संश्लेषण ही शांति है और विश्लेषण ही मृत्यु है। जब मनुष्य देखेंगे कि दुनिया में कोई अपना नहीं है, तब भीतर हाहाकार शुरू हो जायेगा। दुःख के पीछे कारण है विश्लेषण का और सुख के पीछे कारण है संश्लेषण का। यह जो संश्लेषणात्मक गति, अनेक प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है? को एक बनाने का प्रयास है, यही है साधना। साधना ‘मैं’ को बढ़ाते-बढ़ाते अनन्त बना देता है। तब जिधर देखोगे उधर ही ‘मैं’। पुण्यकर्म है संश्लेषण। अनेक को एक बनाते चलो, एक को अनेक नहीं। आत्मा सबके लिए मधुमय है और आत्मा के लिए भी हर वस्तु मधुमय है। तुम्हारे लिए तुम्हारा ‘मैं पन’ जितना प्यारा है दूसरों के लिए उनका ‘मैं’ भी तो उतना ही प्यारा है। एक छोटा सा दृष्टान्त है- एक बार मैंने देखा, किसी एक ऑफिस का चपरासी मेरे एक परिचित व्यक्ति के पास आया। परिचित व्यक्ति ने उसकी तरफ देखा नहीं और चपरासी करीब आधा घण्टा उनके पास खड़ा रहा। उसके बाद उसने कहा, ‘बाबू, यह चिट्ठी आपकी है।’ वे चिल्लाकर बोले- ‘जाओ, चले जाओ, डिस्टर्ब मत करो।’ चपरासी कुछ नहीं बोला। उसके बाद एक दफ्तर में मेरे वही परिचित व्यक्ति एक बार एक चिट्ठी लेकर गये। इस टेबल से उस टेबल घूमते रहे लेकिन चिट्ठी नहीं दे सके और बेचारे परेशान हो गये। वह चपरासी उसी दफ्तर का था। उन्हें देखकर चपरासी ने कहा, ‘बाबू, आइए, यह चिट्ठी फलना बाबू लेंगे।’ बाबू समझ गये कि चपरासी वही था जिससे उन्होंने कहा था, ‘जाओ-जाओ डिस्टर्ब मत करो’ तो वह बाबू शरमा गये। इसलिए दूसरों से व्यवहार करते समय दूसरों के मन की भावना समझ लो- दूसरों का मन क्या चाहता है?

निम्नलिखित में कौन केंद्रीय प्रवृत्ति की माप नहीं है

हेलो दोस्तों आइए देखते हैं प्रश्न निम्नलिखित में कौन केंद्रीय प्रवृत्ति की माप नहीं है पहला विकल्प है हमारा माध्य दूसरा विकल्प है बहुलक तीसरा मां विकल्प है माध्यक और चौथा विकल्प है इनमें से कोई नहीं तो देखिए केंद्रीय प्रवृत्ति की माप क्या होती है पहले हमें यह समझना चाहिए उसके बाद हम इस प्रश्न का उत्तर देंगे तो केंद्रीय प्रवृत्ति की परिभाषा मैंने यहां पर लिखी है इसकी मां को क्या कहते दिए हुए आंकड़ों का श्रेष्ठतम प्रतिनिधित्व करने वाली मां को हम क्या कहते हैं केंद्रीय प्रवृत्ति की माप कहते हैं इसका क्या मतलब है देखिए जैसे मान लीजिए हमारे पास ही आंकड़े दिए हुए हैं कुछ इस तरह से तो इनका जो श्रेष्ठतम प्रतिनिधित्व करेंगी मतलब जो इनको बताएंगे इनका एक तरह से हमारे सामने विश्लेषण करेंगे इनकी विशेषता बताएंगे कि वह इसमें यह चीज है इसमें ऐसे हैं इसमें वैसे है कहने का मतलब यह है कि जो हमें आंकड़े दिए गए हैं

इसका अगर मैं कुछ इसकी विशेष चीजों की बात करो कि बताइए इनके यह जो आंकड़े प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है? यहां पर दिए हुए हैं इनके सबसे बीच में यानी किन के मध्य वाला पद कौन सा है ठीक है तो उसके लिए हम क्या यूज करते हैं उसके लिए हम किस चीज का प्रयोग करते हैं माध्यिका का प्रयोग करते हैं ठीक है अगर मैं यह कहूं कि यह जो आंकड़े दिए गए हैं इसका औसत क्या है ठीक है तो इसका औसत बताने के लिए हम किस का प्रयोग करते हैं माध्य का प्रयोग करते हैं और अगर मैं यह कहूं कि यह जो आंकड़े दिए गए हैं तो इसमें ऐसा कौन सा आंकड़ा है जो सबसे ज्यादा बार आ रहा है तो वह भी क्या होता है तो हम यह देखेंगे कि कौन सबसे ज्यादा बार आ रहा है उसके लिए हम क्या प्रयोग करते हैं उसको हम बहुलक कहते हैं ठीक है तो अब हम यहां पर क्या करेंगे केंद्रीय प्रवृत्ति की माप होती है तीन यह तीन होती है केंद्रीय प्रवृत्ति की माप कौन-कौन सी होती है पहला होता है माध्य ठीक है जिसको हम औसत भी कहते हैं

ठीक है इसको हम औसत भी कहते हैं फिर दूसरा होता है माधिका या इसको हम चाबी कहते हैं माध्यक भी कहते हैं माधिका या फिर माध्यक एक ही बात है ठीक है और तीसरी केंद्रीय प्रवृत्ति प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है? की माप होती है बहुलक ठीक है अब इसके बाद यहां पर क्या है कि इन्होंने हमसे प्रश्न क्या पूछा है कि कौन सी केंद्रीय प्रवृत्ति की माप नहीं है तो माध्य तो है बहुलक भी है माध्यक भी है इसका मतलब इसका कौन सा विकल्प सही हो जाएगा डी विकल्प सही होगा इनमें से कोई नहीं अभी के इसको मैं आपके में थोड़ा सा और बता देता हूं माध्यम कैसे ज्ञात करते हैं मारने के लिए हमारे पास सूत्र होता है सिग्मा एक्स और बेटे में एंड ठीक है यह क्या है कि एक्स का मतलब है जितने भी आंकड़े हैं इस सिग्मा का मतलब होता है योग उन सभी को हम जोड़ दें और जितने आंकड़े हैं उतने से भाग कर दें तो हमें माध्य मिल जाता है

माधिका का क्या सूत्र होता है यह दो तरह के होते हैं तो शाम के लिए और एक विषम के लिए संपर्क के लिए अलग सूत्र होता और विषम पदों के लिए अलग सूत्र होता है विषम पदों के लिए होता है सूत्र एंड प्लस एक बटे में दो वहां पर कौन सा पद होता है एम प्लस एक बटे में दो वापस जैसे यहां पर एक दो तीन चार पांच छह सात आठ नौ दस ग्यारह 11 पद है तो हम क्या करेंगे 11 प्लस 1 बटे में दो वह पद प्रदान किए कितना हो जाएगा 12 बटे दो यानी कि 6 वा पद तो अब हम इसकी माधिका निकालना चाहे तो 6:00 वापस की माध्यिका होगी 123456 यानी कि यह हमारी क्या हो जाएगी माधिका हो जाएगी इससे ठीक दाईं तरफ भी पांच आंकड़े हैं और इससे बेहतर अभी पांच आंकड़े हैं ठीक है इसी तरह से अगर हम इसका बहुलक पता करना चाहे तो हम यह देखेंगे कि किस की बारंबारता सबसे अधिक है बारंबारता का मतलब क्या होता है प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है? कौन कितनी बार आ रहा है

तो देखे दो जो है वह दोबारा रहा है 12 जो है वह तीन बार आ रहा है प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है? तो 12 की जो बारंबारता है वह सबसे अधिक है इसलिए इसका जो बहुलक हो जाएगा वह कितना हो जाएगा 12 हो जाएगा और अगर मैं इसकी औसत की बात करूं तो मैं सबको जोड़ दूंगा और 11 से भाग कर दूं क्योंकि कुल आंकड़े कितने आज्ञा रहा है तो सब को जोड़ने का मतलब है 2 प्लस 2 प्लस 4 प्लस 6 प्लस 7 प्लस 8 प्लस 9 प्लस 12 प्लस 12 प्लस 12 प्लस 15 की है और बेटे में कितना आ जाएगा 11:00 यहां से हमें क्या मिलेगा मध्य मिलेगा जिसको हम क्या कहते हैं एक बार कहते हैं ठीक है तो यह तो कहने का मतलब हालांकि उन्होंने हमसे प्रश्न सिर्फ छोटा प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है? सा ही पूछा था कि केंद्रीय प्रवृत्ति की माप क्या नहीं है तो हमारा कौन सा विकल्प सही हो जाएगा हमारा चौथा विकल्प सही होगा क्योंकि यह तीनों तो केंद्रीय प्रवृत्ति की माप है माधवी बहुलक भी और माध्य अभी मैंने आपको शॉर्ट में काफी कोशिश की अच्छे से बताने की ठीक है इसका जो श्रेष्ठ

प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है?

Year: Jan, 2014
Volume: 7 / Issue: 13
Pages: 1 - 5 (5)
Publisher: Ignited Minds Journals
Source:
E-ISSN: 2230-7540
DOI:
Published URL: http://ignited.in/I/a/303449
Published On: Jan, 2014

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भारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति, प्रभाव एवं समस्याऐं | Original Article

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