आपके लिए कौन सा बेहतर निवेश विकल्प है: फिजिकल गोल्ड, बॉन्ड या गोल्ड ईटीएफ
आगे सोने में तेज़ी आएगी या मंदी, ये उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच तनातनी पर निर्भर करेगा. जानकारों का कहना है कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सोने में निवेश का बेहतर विकल्प है.
सोने की कीमतों में तेज़ी क्या जारी रहेगी ? ज्यादातर एक्सपर्ट्स की राय है कि मौजूदा स्तर से सोने में ज्यादा तेज़ी की संभावना नहीं है. क्योंकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि सोने की तेज़ी को बाज़ार डिस्काउंट कर चुका है. दो महीने में सोने का भाव 9 फीसदी से ज्यादा चढ़ा है. इस कैलेंडर ईयर में सोने का भाव 17 फीसदी उछला है.
कोरियाई प्रायद्वीप में संकट से सोने की कीमतों में उछाल आया लेकिन अमेरिका के ऊपर परमाणु बम के संकट से डॉलर में गिरावट आई है.
चढ़ेगा सोना या गिरेंगे दाम
आगे सोने में तेज़ी आएगी या मंदी, ये उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच तनातनी पर निर्भर करेगा. ब्रोकरेज फर्म एंजेल ब्रोकिंग के चीफ एनॉलिस्ट (गैर कृषि जिंस) प्रथमेश माल्या का कहना है कि अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच तनाव अगर बढ़ा तो सोने में तेज़ी आएगी. विदेशी बाज़ार में सोने का भाव 1360 डॉलर प्रति औंस के पार जा सकता है. अगर दोनों देशों के बीच तनाव कम हुआ तो सोने की कीमतों में गिरावट आएगी.
कोटक महिंद्रा म्युचुअल फंड के हेड (फिक्स्ड इनकम) लक्ष्मी अय्यर के मुताबिक वैश्विक राजनीतिक तनाव का असर सोने की कीमतों पर पहले से दिख रहा है. अगर कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव घटा तो सोने की कीमतों में गिरावट देखने को मिलेगी.
डॉलर में कमजोरी से सोने को सपोर्ट
डॉलर में कमज़ोरी से सोने की कीमतों को सपोर्ट मिला है. अमेरिकी केन्द्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज़ दरें नहीं बढ़ा रहा है. इंटरनेशनल मार्केट में सोने की बिक्री और खरीद डॉलर में होती है. डॉलर में कमज़ोरी का फायदा सोने की कीमतों को होता है. डॉलर के मुकाबले रुपया मज़बूत हुआ है . आने वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है वाले दिनों में रुपये के मुकाबले डॉलर 64-65 रुपये के दायरे में रहेगा.
आगे सोने की मांग कम रहेगी
त्योहारी और शादियों की सीजन होने से दूसरी छमाही में सोने की कीमतें दूसरी छमाही में बढ़ती हैं. लेकिन इस साल इस दौरान सोने की मांग कम रहने की संभावना है. 1 जुलाई से जीएसटी लागू होने से सोने की बिक्री घटने का अनुमान है. इसके अलावा सरकार की तरफ से प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (पीएमएलए) लागू होने से ज्वेलर्स ने सोने की खरीद घटाई है. पीएमएलए एक्ट में 50 हजार से ऊपर के सोने की खरीद पर केवाईसी जरूरी हो गया है.
गोल्ड बॉन्ड से फिजिकल गोल्ड वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है में ज्यादा रिटर्न
गोल्ड बॉन्ड के मुकाबले फिजिकल गोल्ड में ज्यादा ब्याज़ मिला है. 20 नवंबर 2015 यानी गोल्ड बॉन्ड की पहली किस्त में जहां 8.26 फीसदी रिटर्न मिला है, वहीं फिजिकल गोल्ड में 16.86 फीसदी रिटर्न मिला है. इसी तरह गोल्ड बॉन्ड की दूसरी किस्त में 11.78 फीसदी का रिटर्न मिला है जबकि इसी दौरान फिजिकल गोल्ड में 13.35 फीसदी रिटर्न मिला है. सरकार ने अब तक गोल्ड बॉन्ड की नौ किस्तें लॉन्च की हैं. बीएसई और एनएसई में गोल्ड बॉन्ड की तरलता कम है. ज्यादातर बॉन्ड की कीमत इश्यू प्राइस से डिस्काउंट पर मिल रहे हैं.
क्या सोना खरीदने का यह सही समय है
बाजार के जानकार मौजूदा स्तर से सोने में गिरावट पर ख़रीदारी करने की सलाह दे रहे हैं. विदेशी बाज़ार में सोना जब 1200 डॉलर प्रति औंस के करीब आये यानी घरेलू बाज़ार में सोने का भाव 27,800 प्रति दस ग्राम के आसपास हो, तभी निवेश करें.
फिजिकिल गोल्ड, गोल्ड ईटीएफ या बॉन्ड ?
अगर आप सोने में निवेश करना चाहते हैं तो ज्वेलरी में निवेश न करें क्योंकि इसमें मेकिंग चार्ज और लॉकर वगैरह में रखने के खर्च जुड़े होते है. अगर आप फिजिकल गोल्ड खरीदना चाहते हैं तो गोल्ड बार में निवेश करें. लेकिन अब इस पर 3 फीसदी जीएसटी चुकाना होगा. यानी सोना बेचने पर जीएसटी वापस नहीं मिलेगी. इसलिए सॉवरेन गोल्ड फिजिकल से अच्छा विकल्प है. इसमें सोने पर इंटरेस्ट मिलता है. लेकिन बीएसई या एनएसई में कम लिक्वीडिटी से निवेशकों को यह कम भा रहा है. ज्यादातर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सोने की कीमतों से नीचे कारोबार कर रहे हैं. अव तक जारी ज्यादातर किस्तों में सॉवरेन गोल्ड पर इंटरेस्ट भी 10 फीसदी से कम ही रहा है.
ज्यादातर गोल्ड ईटीएफ के भाव में गिरावट देखने को मिली है जबकि पिछले एक साल में भाव लगभग स्थिर हैं. उदाहरण के लिए एक्सिस गोल्ड ईटीएफ का रिटर्न करीब 8 फीसदी घटा है जबकि यूटीआई गोल्ड ईटीएफ की कीमतों में भी पौने पांच फीसदी की गिरावट आई है. जानकारों का कहना है कि सॉवरेन गोल्ड बेहतर फैसला है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में 5 साल के लिए निवेश करना निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प है.
जानिए प्रीमियम रिटर्न करने वाले टर्म प्लान से क्यों बेहतर हैं प्योर टर्म इंश्योरेंस
जीवन बीमा के लिए टर्म इंश्योरेंस प्लान से बेहतर कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता। यह सस्ता भी है और आपके इंश्योरेंस की जरूरतें भी पूरी करता है।
Manish Mishra
Updated on: December 22, 2016 9:11 IST
Life Insurance : जानिए प्रीमियम रिटर्न करने वाले टर्म प्लान से क्यों बेहतर हैं प्योर टर्म इंश्योरेंस
नई दिल्ली। जीवन बीमा फाइनेंशियल प्लानिंग का एक अहम हिस्सा है। इसके जरिए आप अपने ऊपर आर्थिक रूप से निर्भर लोगों को वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध कराते हैं। जीवन बीमा के लिए टर्म इंश्योरेंस प्लान से बेहतर कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता। यह सस्ता भी है और आपके इंश्योरेंस की जरूरतें भी पूरी करता है। टर्म प्लान के भी अब दो विकल्प बाजार में हैं। एक जिसमें पॉलिसी अवधि के बाद पॉलिसीधारक को कोई पैसे नहीं मिलते और दूसरा जिसमें पॉलिसी अवधि के बाद पॉलिसीधारक को प्रीमियम वापस कर दिया जाता है। प्रीमियम वापस करने वाली पॉलिसी को Return of Premium (ROP) कहते हैं।
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टर्म इंश्योरेंस बनाम ROP
- टर्म इंश्योरेंस के फायदे हम सब जानते हैं।
- पॉलिसी अवधि पूरी होने के बाद पॉलिसीधारक को कुछ भी नहीं मिलता।
- हां, अगर पॉलिसी अवधि के दौरान मृत्यु हो जाती है तो सम एश्योर्ड का भुगतान कर दिया जाता है।
- ROP उनके लिए है जो पॉलिसी समाप्त होने के बाद कुछ मैच्योरिटी बेनीफिट चाहते हैं।
- लेकिन ROP के मामले में भी पॉलिसी अवधि के दौरान पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद सिर्फ सम एश्योर्ड यानी बीमा की राशि का ही भुगतान किया जाता है।
दोनों पॉलिसियों के प्रीमियम में है भारी अंतर
- एक प्योर टर्म इंश्योरेंस प्लान जीवन बीमा का सबसे सस्ता ऑप्शन है।
- यह आपसे सिर्फ बीमा कवर का चार्ज लेता है।
- दूसरी तरफ ROP के प्रीमियम अधिक होते हैं क्योंकि मैच्योरिटी पर यह आपको कुल प्रीमियम वापस लौटाने का वादा करती है।
- इस पर आपको कोई रिटर्न या ब्याज नहीं दिया जाता है।
- ROP के मामले में बीमा कंपनियां प्रीमियम वापस करने की गारंटी का चार्ज भी वसूलती हैं।
- इन्हें निवेश के लिए प्रीमियम से अतिरिक्त राशि की जरूरत होती है।
प्रीमियम में इतना फर्क की आप सोच भी नहीं सकते
- आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि सिर्फ अपने प्रीमियम वापस करने के लिए आपको कितनी ज्यादा राशि का भुगतान करना पड़ेगा।
- उदाहरण के तौर पर अगर एक 35 साल का व्यक्ति 20 साल के लिए 1 करोड़ रुपए का टर्म इंश्योरेंस लेता है तो उसे लगभग 8,000 रुपए का सालाना प्रीमियम (Online खरीदने पर) देना होगा।
- इतने ही बीमा कवर के लिए अगर वह व्यक्ति ROP लेता है तो उसे लगभग 29,000 रुपए सालाना का प्रीमियम 20 साल तक देना होगा।
- मतलब अपना ही प्रीमियम वापस पाने के लिए उसे 21,000 रुपए प्रति वर्ष अधिक देने होंगे।
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प्रशांत किशोर बोले- खुद नहीं लड़ूंगा चुनाव, पर जनता को 'बेहतर विकल्प' जरूर दूंगा
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने कहा अगर मैं नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की राजनीति में शामिल हो जाता हूं तो वह एक बार फिर मुझ पर मेहरबान दिखेंगे. मैंने अपने लिए एक अलग रास्ता चुना इसलिए वो मुझसे नाखुश हैं.”
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि वो खुद चुनाव नहीं लड़ूेंगे.
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने खुद के चुनाव लड़ने की संभावना से शनिवार को इनकार किया, लेकिन अपने गृह राज्य वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है बिहार (Bihar) के लिए एक ‘बेहतर विकल्प' बनाने की अपनी प्रतिज्ञा दोहराई. पश्चिम चंपारण जिले के मुख्यालय नगर बेतिया में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किशोर ने उन्हें ‘धंधेबाज़' बताने वाले जनता दल यूनाइटिड (JDU) के नेताओं पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें अपनी पार्टी के शीर्ष नेता एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछना चाहिए कि उन्होंने “मुझे दो साल के लिए अपने निवास पर क्यों रखा था.
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जदयू नेताओं ने किशोर पर आरोप लगाया था कि वह‘धंधेबाज़' हैं और उनके पास राजनीतिक कौशल नहीं है. ‘आईपैक' के संस्थापक से बार-बार पूछा गया कि क्या वह खुद चुनावी मैदान में उतरने की योजना बना रहे हैं तो उन्होंने कहा, ‘मैं चुनाव क्यों लड़ूंगा, मेरी ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है.'किशोर रविवार को होने वाले पश्चिम चंपारण के जिला सम्मेलन से एक दिन पहले पत्रकारों से बात कर रहे थे. इस सम्मेलन में नागरिकों की राय ली जाएगी कि क्या ‘जन सुराज' अभियान को राजनीतिक दल में बदला जाए या नहीं.
किशोर राज्य की 3500 किलोमीटर लंबी पद यात्रा पर हैं. उन्होंने कहा कि राज्य के सभी जिलों में इसी तरह से जनता से राय ली जाएगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी. जदयू के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने दावा किया, ‘‘अगर मैं नीतीश कुमार के राजनीतिक उद्यम में शामिल हो जाता हूं तो वह एक बार फिर से मुझ पर मेहरबान दिखेंगे. चूंकि मैंने अपने लिए एक अलग रास्ता चुना इसलिए वह और उनके समर्थक मुझसे नाखुश हैं.”
किशोर ने जदयू के नेताओं पर प्रहार करते हुए कहा कि उन्हें नीतीश कुमार से पूछना चाहिए “अगर मेरी कोई राजनीतिक समझ नहीं थी तो मैं दो साल तक उनके आवास पर क्या कर रहा था.”एक प्रश्न के उत्तर में किशोर ने कहा कि उन्हें अतीत में कुमार के लिए काम करने का पछतावा नहीं है. उन्होंने कहा कि कुमार 10 साल पहले जो थे और जो अब हैं, उनमें बहुत अंतर है.
किशोर ने दावा किया, “कुमार ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए नैतिकता के आधार पर अपनी कुर्सी छोड़ दी थी. अब वह सत्ता में बने रहने के लिए किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार हैं.”उन्होंने महागठबंधन सरकार के एक साल में 10 लाख नौकरियों के वादे का उपहास उड़ाते हुए कहा, ‘‘मैंने इसे कई बार कहा है और मैं इसे फिर से कहता हूं. अगर वे वादा पूरा करते हैं तो मैं अपना अभियान छोड़ दूंगा.'' किशोर ने चुटकी लेते हुए कहा कि उन्हें आश्चर्य है, “हमारे मुख्यमंत्री को यह एहसास क्यों हुआ कि वह 10 लाख नौकरियां प्रदान कर सकते हैं. ऐसा लगता है कि उनके पास कुछ अवतरित हुआ है.”
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
आपके रिटायरमेंट प्लान में सोना मुख्य भूमिका कैसे निभाता है?
सेवानिवृत्ति आपके सक्रिय कार्य जीवन के अंत का प्रतीक है, क्योंकि आपकी नियमित आय आना बंद हो जाती है। इसके बाद से, आप अपने खर्चों को पूरा करने के लिए अधिकांशतः अपनी बचत, निवेश और आय के वैकल्पिक स्रोतों (जैसे प्रॉपर्टी से किराया) पर निर्भर होते हैं। 60 वर्ष को औसत सेवानिवृत्ति की आयु मानते हुए, आपके पास योजना बनाने के लिए कई वर्ष हैं और सोने में निवेश करने से आपको ऐसा करने में मदद मिल सकती है।
रिटायरमेंट फंड के लिए निवेश पोर्टफोलियो
कोई इस बात को लेकर चिंतित हो सकता है कि बढ़ती मुद्रास्फीति की स्थिति में निश्चित आय वाले निवेश कैसा प्रदर्शन करेंगे। बाजार से जुड़े निवेश बाजार की वृद्धि को भुनाकर इनमें से कुछ चिंताओं को दूर कर सकते हैं। कागज पर, आपके निवेश पोर्टफोलियो का डेट-इक्विटी मिश्रण आपके रिटायरमेंट फंड को बनाने के लिए पर्याप्त संतुलित प्रतीत होता है। हालाँकि, अपने पोर्टफोलियो में सोना जोड़ने से आपको दीर्घ अवधि में मदद मिल सकती है। यहाँ बताया गया है, कैसे:
सेवानिवृत्ति की योजना बनाने में सोना क्यों अहम है?
दीर्घ-कालिक लाभ: लंबे समय में, सोने ने 10 वर्षों (31 दिसंबर 2010 से 31 दिसंबर 2020) में औसत वार्षिक रिटर्न के मामले में कई अन्य असेट क्लास को पीछे छोड़ दिया है। सोने ने नकदी, S&P, BSE, भारत सरकार के बांड, क्रिसिल कॉर्प बांड और ब्लूमबर्ग कमोडिटीज इंडेक्स की तुलना में विशेष रूप से पिछले 5 वर्षों में बेहतर प्रदर्शन किया है। पिछले दो वर्षों में, सोना S&P BSE इंडेक्स से आगे निकलने में भी कामयाब रहा है, जो लगभग 8% की बढ़त हासिल कर रहा है। इसलिए, सोने में शीघ्र निवेश करने से आप अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं और अपनी सेवानिवृत्ति योजना में खुद की मदद कर सकते हैं।
मुद्रास्फीति से बचाव: 1981 के बाद से, सोने का औसत वार्षिक रिटर्न (AAR) (AAR) 10% रहा है जो इसी अवधि के दौरान भारत के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से आगे है। पारंपरिक रूप से, सोने ने मुद्रास्फीति से बेहतर प्रदर्शन किया है, इस प्रकार यह मुद्रास्फीति से बचाव के रूप में कार्य करता है। हालाँकि, यह केवल लंबे समय में काम करता है, क्योंकि बाजार की अस्थिरता छोटी अवधि में सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव का कारण बन सकती हैं। सेवानिवृत्ति योजना एक लंबी अवधि की कवायद होने के नाते, मुद्रास्फीति से बचाव के रूप में सोने की प्रतिष्ठा के कारण सोने में भी निवेश किया जाना चाहिए।
सुरक्षा और विविधता: सोने में निवेश करना आपके पोर्टफोलियो में सुरक्षा और विविधता दोनों जोड़ता है। जबकि स्टॉक जैसे निवेश बाजार की स्थितियों के आधार पर बढ़ या घट सकते हैं, सोना अपेक्षाकृत सुरक्षित असेट है। ऐसे पोर्टफोलियो के लिए जिसमें जोखिम भरा निवेश है और कम जोखिम वाली असेट से संतुलन बनाने की जरूरत है, तो सोना सही विकल्प हो सकता है। क्योंकि यह अधिकांश असेट क्लास के विपरीत कार्य करता है। यह आपके इक्विटी मूल्य में गिरावट को सुरक्षित रख सकता है, क्योंकि स्टॉक गिरने पर यह लगभग हमेशा बढ़ता है। उदाहरण के लिए, 2008 के वित्तीय संकट के दौरान, सिर्फ एक साल में सोना 48% बढ़ा, जबकि शेयर सूचकांकों में 56% की गिरावट आई।
निश्चित-आय निवेश की गिरती ब्याज दरें: महामारी के कारण हाल के दिनों में लोकप्रिय निश्चित आय वाले निवेशों में ब्याज दर में भारी गिरावट देखी गई है। 1986-2000 के दौरान PPF पर ब्याज दर 12% हुआ करती थी, लेकिन अब यह बहुत कम होकर 7.1% हो गई है। यह आपकी सेवानिवृत्ति योजना के लिए अधिक लाभदायक दीर्घकालिक निवेश विकल्प के रूप में सोने को बेहतर विकल्प बनाता है।
चल-निधि: भारत के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में, रोजाना ₹61 अरब से ज्यादा के सोने का कारोबार होता है। यह एक लिक्विड असेट है जिसे आसानी से ट्रेड किया और बेचा जा सकता है। इसलिए, आपकी सेवानिवृत्ति के बाद की संपत्ति में कुछ मात्रा में सोना होना, चाहे वह भौतिक हो या डिजिटल रूप में, नकदी की कमी का सामना करने पर भी काम आ सकता है। यदि कोई आपात स्थिति आती है, तो यह उसमें भी मदद कर सकता है।
विरासत और उपहार: यदि आपके पास पर्याप्त सेवानिवृत्ति निधि है, तो आप इसके एक हिस्से को विरासत के रूप में देना चाह सकते हैं। सोने की विरासत (अपने भौतिक रूप में) कर योग्य नहीं है, और विरासत में मिला सोना आपके परिवार के लिए छोड़ी गई वित्तीय विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकता है। इसके अलावा, आपके पास पर्याप्त सोना होने के कारण, आप अपने प्रियजनों को उपहार में सोना दे सकते हैं। यह न केवल ये सुनिश्चित करेगा कि वे आपका सोना प्राप्त करें बल्कि सोने में निवेश करने की संस्कृति को भी अपनाएँ।
अपनी सेवानिवृत्ति की योजना बनाते समय, कम उम्र से बचत शुरू करना महत्वपूर्ण है। यह आपको अपने निवेश के प्रतिफल का आनंद लेने के लिए एक बड़ी समय सीमा प्रदान करता है और आपके सेवानिवृत्ति कोष की ब्याज वृद्धि को संयोजित करता है। इस कोष के बढ़ने में आपके निवेश की लंबी अवधि और उनकी लाभप्रदता महत्वपूर्ण है। ऐसे इंस्ट्रूमेंट में निवेश करके जो मुद्रास्फीति को मात दे सकते हैं और लंबी अवधि में विश्वसनीयता प्रदान कर सकते हैं, आप सेवानिवृत्ति के बाद भी अपनी जीवन शैली को बनाए रख सकते हैं। अपनी बचत के हिस्से के रूप में सोना जोड़कर, आप अपनी सेवानिवृत्ति योजना के साथ उन लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं जिन्हें आप प्राप्त करना चाहते थे।
भारत क्यों है 1 खरब डॉलर का निवेश चुंबक
शेयर बाजार 11 सितंबर 2022 ,16:15
© Reuters. भारत क्यों है 1 खरब डॉलर का निवेश चुंबक
में स्थिति को सफलतापूर्वक जोड़ा गया:
जैसा कि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में कहा था, भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत बनी हुई है। भारत की विकास दर दुनिया में सबसे तेज है, खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी आई है, बफर खाद्य भंडार प्रचुर मात्रा में है, विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त है और चालू खाता घाटा स्थायी स्तरों के भीतर अच्छी तरह से रहने की उम्मीद है।घरेलू खपत मजबूत वापसी कर रही है, जो परंपरागत रूप से भारत के आर्थिक विकास के मुख्य चालकों में से एक है। यह सभी आकार के व्यवसायों के लिए अच्छी खबर है। सीधे शब्दों में कहें, जब उपभोक्ता अधिक खर्च करते हैं, तो व्यवसायों के पास निवेश करने के लिए अधिक पूंजी होती है, और पूरे सिस्टम में बढ़ी हुई तरलता पूरक क्षेत्रों और उच्च अंत वस्तुओं और सेवाओं को सक्रिय करती है।
लेकिन घरेलू खपत में इस उछाल का क्या महत्व है?
पहला, जैसे-जैसे त्योहारी सीजन नजदीक आ रहा है, यह संख्या और भी बढ़ने की संभावना है। अगस्त और नवंबर के बीच जब दोपहिया वाहनों से लेकर रियल एस्टेट तक हर चीज की बिक्री अपने चरम पर होती है, भारतीय उपभोक्ता अधिक खर्च करते हैं। खपत में कितनी तेजी से सुधार हुआ है, इसे देखते हुए अगली तीन तिमाहियों के आंकड़े और भी बेहतर होने की संभावना है।
बेहतर या बदतर के लिए मांग भारत के विकास की कहानी को आगे बढ़ा रही है। एक सामान्य वित्तीय वर्ष में निजी व्यय कुल राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 55 प्रतिशत होता है। इसके अलावा, अगले प्रमुख विकास चालक, सकल स्थिर पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, जो व्यवसायों द्वारा निवेश किए गए धन के लिए जिम्मेदार है। नतीजतन, मजबूत घरेलू खपत अनजाने में मजबूत आर्थिक विकास में तब्दील हो जाती है।
तीसरा, बढ़ती घरेलू खपत उद्योगों में वस्तुओं और सेवाओं की मांग को बढ़ावा देगी, विशेष रूप से उन उद्योगों में जिनमें विवेकाधीन या विलासिता खर्च की महत्वपूर्ण मात्रा शामिल है। प्रीमियमकरण प्रवृत्तियों से प्रभावित उत्पाद खंड बाद वाले में शामिल हैं। इनमें चॉकलेट और मादक पेय से लेकर लैपटॉप और हेडफोन, साथ ही कपड़े और सौंदर्य प्रसाधन तक सब कुछ शामिल है। कुछ श्रेणियों में, जैसे ऑटोमोबाइल, प्रीमियम उत्पादों की मांग ने प्रवेश स्तर के वेरिएंट की मांग को पीछे छोड़ दिया है। उदाहरण के लिए वित्तवर्ष 2012 में प्रीमियम कारों की बिक्री में साल दर साल 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि कम कीमत वाली कारों की बिक्री में केवल 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
भारत में लग्जरी खर्च क्यों बढ़ रहा है?
बढ़ती उपभोक्ता आय और क्रय शक्ति इसे सहायता कर रही है : औसत प्रति व्यक्ति आय पहले ही 2,000 डॉलर को पार कर चुकी है और 2047 तक 12,000 डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है। इसके अलावा, ई-कॉमर्स क्षेत्र और डिजिटल लेनदेन के तेजी से विकास ने लक्जरी बाजार में ग्राहकों की पहुंच बढ़ा दी है। इसके अलावा, चूंकि उपभोक्ता अधिक मूल्य- और अनुकूलन-उन्मुख हो गए हैं, जो पहले एचएनडब्ल्यूआई के प्रभुत्व में थे, प्रीमियम सेगमेंट तेजी से विविधीकरण कर रहे हैं, जिसमें मिलेनियल्स और गैर-मेट्रो उपभोक्ताओं को शामिल किया गया है।
रिमोट और हाइब्रिड वर्किं ग मॉडल के प्रसार के कारण एचएनआई और एनआरआई ग्राहकों के विशिष्ट समूह ने कुछ क्षेत्रों में समृद्ध मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं को शामिल करने के लिए विस्तार किया है, विशेष रूप से लक्जरी आवास।
इसके अलावा, प्रीमियम उत्पाद स्थान अभी भी अपने प्रारंभिक चरण में है और काफी हद तक अप्रयुक्त है। नतीजतन, बाजार सहभागियों के पास कई अवसर हैं। उदाहरण के लिए, जहां भारतीय स्मार्टफोन बाजार में साल दर साल पहली छमाही में 1 फीसदी की गिरावट आई, वहीं प्रीमियम सेगमेंट में 83 फीसदी की वृद्धि हुई। हालांकि, इस सेगमेंट की कुल स्मार्टफोन बाजार में सिर्फ 6 फीसदी हिस्सेदारी है।
जैसे-जैसे घरेलू खपत में वृद्धि जारी है, अन्य क्षेत्रों में प्रीमियमकरण के रुझान को बढ़ावा मिलेगा, त्वरित सेवा वाले रेस्तरां (क्यूएसआर) और घरेलू उत्पादों से लेकर आतिथ्य और स्वास्थ्य सेवा तक। ऐसा पहले भी हो चुका है।
जून नी और एंड्रयू पामर के पेपर कंज्यूमर स्पेंडिंग इन चाइना : द पास्ट एंड द फ्यूचर के अनुसार, 2000 और 2015 के बीच चीन में घरेलू खर्च में तीन गुना वृद्धि के साथ परिवहन और संचार सेवाओं पर खर्च में सात गुना वृद्धि हुई थी।
तो, निवेशकों को निवेश के अवसर कहां मिल सकते हैं?
विवेकाधीन खपत और प्रीमियमीकरण वृद्धि के अनुपातहीन हिस्से के लिए जिम्मेदार होगा।
आतिथ्य और पर्यटन खिलाड़ियों को हवाई यात्रा बढ़ने, शीर्ष स्तरीय होटलों और रिसॉर्ट्स की बढ़ती मांग से लाभ होगा।
प्रीमियम कार मॉडल के लिए ऑटोमोटिव उद्योग के ग्राहक अधिक विविध हो जाएंगे, विशेष रूप से ईवी क्रांति के कर्षण के रूप में।
मनोरंजन क्षेत्र के लिए संभावनाएं उतनी ही आशाजनक हैं, जब तक लोग सब्सक्रिप्शन पैकेज के लिए भुगतान करने के इच्छुक हैं और टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी वफादार ग्राहक बने रहते हैं, जब तक पैसे के लायक सामग्री है।
रियल एस्टेट, घर से संबंधित उत्पादों और एफएमसीजी पर्सनल केयर स्पेस की कंपनियों को भी काफी फायदा होगा।
मुख्य बात यह है कि भारतीय उपभोक्ता बाजार वैश्विक सार्वजनिक और निजी इक्विटी निवेशकों के लिए एक प्रमुख फोकस क्षेत्र बना रहेगा। मौजूदा और नई कंपनियां बाजार पूंजीकरण में सैकड़ों अरबों डॉलर का सृजन करेंगी।
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