पक रहा तबाही का सामान

खाद्य सुरक्षा बिल से तुरंत कोई पहाड़ नहीं टूटने वाला है, लेकिन यह भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे घुन की तरह खाएगा. हममें से कुछ लोगों को इससे काफी फायदा भी होगा, लेकिन कीमत पेड़ को चुकानी होगी.

लवीश भंडारी

  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2013,
  • (अपडेटेड 09 सितंबर 2013, 1:27 PM IST)

खाद्य सुरक्षा बिल आखिरकार पास हो ही गया. इस देश की दो-तिहाई से ज्यादा जनता को सब्सिडी वाला सस्ता भोजन देने का वादा किया गया है. इससे कांग्रेस और यूपीए को कुछ फीसदी अतिरिक्त वोटों का फायदा तो मिलेगा ही. अच्छे मानसून के कारण इस फेहरिस्त में कुछ फीसदी वोट और जोड़ दीजिए.

अगले साल सत्ता में वापस आने के लिए अच्छी-खासी भूमिका तैयार हो गई है. शह-मात के इस खेल में बीजेपी पर कांग्रेस की चाल भारी पड़ गई क्योंकि इस मुद्दे पर बीजेपी के पास अपनी पिटी-पिटाई घुमावदार विदेशी मुद्रा व्यापार में गलतियों से कैसे बचें? बातें करने की गुंजाइश नहीं है.
मुझसे पूछा गया है कि इसमें बुरा क्या है कि भूख और कुपोषण के खात्मे को सुनिश्चित किया जाए. मैं पलटकर सवाल पूछना चाहूंगा: खाद्य सुरक्षा बिल में अच्छा क्या है?

वे कहते हैं कि यह बिल भूख और कुपोषण को दूर करने का वादा करता है क्योंकि अब गरीब लोग सस्ते दामों पर गेहूं, चावल और मोटा अनाज खरीद सकेंगे. मैं पूछता हूं; गरीबों की पहचान कैसे होगी. वे कहते हैं; हो जाएगी. मैं पूछता हूं; गरीब अनाज कहां से खरीदेंगे? वे कहते हैं; सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत.

मैं पूछता हूं; सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अचानक दुकानें कैसे काम करने लगेंगी, जबकि दशकों से तो बंद पड़ी थीं? वे कहते हैं; क्योंकि अभी सही वक्त है और लोग भोजन के अधिकार के लिए इस कानून के तहत कोर्ट भी जा सकते हैं.

इसलिए इसकी इजाजत दे दीजिए. सार्वजनिक वितरण प्रणाली अब शुरू हो जाएगी क्योंकि सरकार उन्नत तकनीक का इस्तेमाल करेगी. यह वितरण व्यवस्था काम कैसे करेगी? सरकार उत्पादन केंद्रों से अनाज खरीदेगी, फिर खपत केंद्रों में ले जाकर उनका भंडारण करेगी और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सस्ते दामों पर बेच देगी.

हर चीज में खर्च होगा. यहां तक कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी तकरीबन हर जगह सुदृढ़ करने की आवश्यकता होगी. इसमें भी खर्च आएगा. उनकी हाईटेक तकनीक भी मुफ्त की नहीं है. आधार संख्या के लिए भी बायोमेट्रिक पहचान की जरूरत है. हर कदम पर खर्च-ही-खर्च है.

खुद भारत सरकार के कृषि लागत और मूल्य आयोग ने विदेशी मुद्रा व्यापार में गलतियों से कैसे बचें? सब गुणा-भाग कर खर्च का हिसाब निकाला है और यह खर्च है, तीन वर्ष के लिए कुल 6,82,000 करोड़ रु. का. इस बात की उम्मीद बहुत कम है कि सरकार इतना खर्च कर सकती है. ठीक से लागू किए बगैर यह पूरी कवायद किसी काम की नहीं होगी. विदेशी मुद्रा से बेमतलब की लड़ाई लड़ रहे चिदंबरम राजकोषीय मामले में अपनी लगाम ढीली करेंगे नहीं.

और अगर कर भी देते हैं तो सरकार में किसी के पास उसे लागू करने का बूता नहीं है. जब तक एक बड़ी धनराशि इस काम में नहीं लगेगी और उसका प्रबंधन कुशल हाथों में नहीं होगा, सस्ता अनाज जरूरतमंद लोगों तक पहुंचेगा ही नहीं. मंजिल तक पहुंचने से पहले कमजोर कडिय़ां पैदा हो जाएंगी.

खुद कृषि लागत और मूल्य आयोग ने इसमें 2,00,000 करोड़ रु. के भ्रष्टाचार का अनुमान लगाया है. यह तो है बिल को लागू करने से जुड़े संकटों का लेखा-जोखा. वैसे यह बिल अपने आप में गलतियों का अंबार है.

इस पूरी प्रक्रिया का नियंत्रण किसके हाथ में होगा? सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं को इसमें शामिल नहीं किया है, क्योंकि वे बहुत सशक्त नहीं हैं. निजी क्षेत्र को शामिल नहीं किया है, क्योंकि वे भरोसे के काबिल नहीं हैं. जाहिर है कि भारत में जो कुछ गड़बड़ हुआ है, उसके लिए व्यापारी जिम्मेदार माने जाते हैं.

इसलिए वह भी बाहर हो गए. अब बचे नौकरशाह और नेता, जिनका इस पर कुछ नियंत्रण है, जैसे कि मनमोहन सिंह और शरद पवार. वही इसकी निगरानी करेंगे.

आंकड़े कहते हैं कि हिंदुस्तान में कुपोषण की समस्या है. लेकिन इस देश में अकादमिक सुस्ती की इंतहा है. नियम तो बना दिया, लेकिन बनाते समय यह बताना भूल गए कि आखिर कुपोषण की वजह क्या है. कुपोषण की वजह है प्रोटीन, आयरन और दूसरे पोषक तत्वों और विटामिन का अभाव. वह कहां से मिलता है?

फल, सब्जी, दालें, बींस, दूध, मीट, अंडा और मछली से. खाद्य सुरक्षा बिल में क्या शामिल विदेशी मुद्रा व्यापार में गलतियों से कैसे बचें? नहीं है? फल, सब्जी, दालें, बींस, दूध, मीट, अंडा और मछली.

खाद्य सुरक्षा बिल से तुरत-फुरत में कोई पहाड़ नहीं टूटने वाला है, लेकिन यह भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे घुन की तरह खाएगा. हममें से कुछ लोगों को इससे काफी फायदा भी होगा. वे आने वाले कई सालों तक इसका लुत्फ उठाएंगे, लेकिन कीमत पेड़ को चुकानी होगी.

यह कुपोषण की समस्या को और विकराल बना देगा, क्योंकि पोषक तत्वों के मुकाबले कैलरी बहुत सस्ती होगी. इससे महंगाई की समस्या बढ़ेगी क्योंकि किसानों को गेहूं-चावल उगाना ज्यादा फायदे का सौदा लगेगा. निजी कृषि व्यापार के लिए यह बहुत खतरनाक साबित होगा क्योंकि सरकार उसे हाशिए पर ढकेल देगी.

इन नतीजों की भविष्यवाणी बहुत आसान है, जैसा कि मौजूदा आर्थिक संकट का अनुमान आसान था. इसे हल्के में मत लीजिए. यह 1,20,000 करोड़ रु. या 25,000 करोड़ रु. का मामला नहीं है. यह कानून भारत की बुनियाद को कमजोर कर देगा.

लवीश भंडारी इकोनॉमिक रिसर्च संस्था इंडीकस एनालिटिक्स के निदेशक हैं.

Stock Market Update : वैश्विक बाजारों में मजबूती से शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स, निफ्टी में तेजी, डॉलर के मुकाबले टूटा रुपया

Stock Market Update : वैश्विक बाजारों में मजबूती से शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स, निफ्टी में तेजी दर्ज की गई है. वहीं, डॉलर के मुकाबले रुपये में 4 पैसे की कमजोरी आई है.

Updated: December 14, 2022 11:23 AM IST

Sensex and nifty trades up in initial trade.

Sensex Today : वैश्विक बाजारों में मजबूती के बीच घरेलू शेयर बाजारों में पिछले सत्र की तेजी बुधवार को भी बनी रही और शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स तथा निफ्टी ने बढ़त दर्ज की.

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इस दौरान बीएसई का 30 शेयरों वाला सूचकांक 250.14 अंक की तेजी के साथ 62,783.44 अंक पर पहुंच गया. व्यापक एनएसई निफ्टी 75.5 अंक बढ़कर 18,683.50 अंक पर था.

सेंसेक्स में पॉवर ग्रिड, विप्रो, टेक महिंद्रा, एनटीपीसी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, लार्सन एंड टूब्रो तथा भारतीय स्टेट बैंक बढ़ने वाले प्रमुख शेयरों में शामिल थे.

दूसरी ओर भारती एयरटेल के शेयरों में गिरावट हुई.

पिछले कारोबारी सत्र में, मंगलवार को विदेशी मुद्रा व्यापार में गलतियों से कैसे बचें? बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स 402.73 अंक यानी 0.65 प्रतिशत की बढ़त के साथ 62,533.30 अंक पर बंद हुआ था. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 110.85 अंक यानी 0.60 प्रतिशत की बढ़त के साथ 18,608 अंक पर बंद हुआ था.

अन्य एशियाई बाजारों में सियोल, तोक्यो, शंघाई और हांगकांग के बाजारों में तेजी थी. अमेरिकी बाजार भी मंगलवार को बढ़त के साथ बंद हुए थे.

अंतरराष्ट्रीय तेल सूचकांक ब्रेंट क्रूड 0.20 प्रतिशत गिरकर 80.51 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था.

शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को शुद्ध रूप से 619.92 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे.

डॉलर के मुकाबले रुपया चार पैसे टूटा

विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर की मजबूती और निवेशकों की जोखिम से बचने की प्रवृत्ति के बीच रुपया बुधवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले चार पैसे की गिरावट के साथ 82.64 के स्तर पर आ गया.

विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि घरेलू शेयर बाजारों में तेजी से घरेलू मुद्रा को मजबूती मिली.

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनियम बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 82.60 पर खुला, फिर और गिरावट के साथ 82.64 के स्तर पर आ गया जो पिछले बंद भाव के मुकाबले चार पैसे की गिरावट को दर्शाता है.

शुरुआती सौदों में रुपया 82.60-82.65 के सीमित दायरे में कारोबार कर रहा था.

रुपया मंगलवार को डॉलर के मुकाबले 9 पैसे टूटकर 82.60 पर बंद हुआ था.

इसबीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.11 प्रतिशत की बढ़त के साथ 104.09 पर आ गया.विदेशी मुद्रा व्यापार में गलतियों से कैसे बचें?

वैश्विक तेल सूचकांक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.33 फीसदी की गिरावट के साथ 80.41 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर आ गया.

(With agency inputs)

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