ऑनलाइन विदेशी मुद्रा का विक्रय

विशेषकर विदेशी यात्रा का एक अलग ही रोमांच होता है। यह रोमांच चाहे भ्रमण के लिए हो या व्यापार के लिए हो, विदेशी मुद्रा का विनिमय और उससे जुड़ी परेशानियाँ एक जैसी ही होती हैं। लेकिन जब आप इस ट्रिप से वापस आ जाते हैं तब एक सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी बनने का राज बची हुई विदेशी मुद्रा को आप बेचने का प्रयास करते हैं।

अधितर स्थितियों में विदेश यात्रा पर जाने वाले अपने साथ किसी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए थोड़ी एक्स्ट्रा विदेशी मुद्रा ले कर जाते हैं। क्यूंकी वे जानते हैं कि विदेशी मुद्रा को विदेशी धरती पर खरीदना महंगा और समय लगाने वाला होता है। इसलिए देर से सुरक्षा भली वाला नियम यहाँ भी लागू होता है और जरूरत से थोड़ी अधिक विदेशी करेंसी अपने साथ लेकर जाएँ और किसी भी अनदेखी परेशानी से बचें। ट्रिप से वापस आने के बाद अगर आप अपनी बची हुई विदेशी मुद्रा का विक्रय नहीं करते हैं तो वह आपके लिए मृत धन के समान है। कुछ लोग यह काम इसलिए भी नहीं कर पाते हैं कि वे ऑनलाइन विक्रय या एजेंट के माध्यम से विक्रय में से उपयुक्त माध्यम का चयन नहीं कर पाते हैं। थॉमस कुक के पास आपकी हर समस्या का हल है। फिर भी यदि आप अपनी अनुपयोगी विदेशी मुद्रा को ट्रिप कि यादगार बना कर, किसी डर के कारण या ठीक जानकारी न होने के कारण अपने पास रखना चाहते हैं तो इस्क्में कोई समझदारी नहीं है।

थॉमस कुक में विशेष क्या है ?

थॉमस कुक के माध्यम से न केवल आप अच्छे रेट पर विदेशी मुद्रा का क्रय कर सकते हैं बल्कि लाभकारी रेट पर बेच भी सकते हैं। हमें विश्व के सबसे अधिक भरोसेमंद ट्रेवल कंपनीयों के सहयोगी होने का सौभाग्य प्राप्त एक सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी बनने का राज है और इसी कारण हम आपको विदेशी मुद्रा के लिए सबसे अच्छी कीमत प्रदान करते हैं। बात चाहे होटल की हो, या फ्लाइट की हो, हम आपकी हर जगह विदेशी मुद्रा विनिमय की ज़रूरत का ख्याल रखते हैं। हमारे विशेषज्ञ आपकी हर प्रकार की ज़रूरत को अच्छी तरह न केवल समझते हैं बल्कि उनके अनुसार सेवाएँ और सुविधाएं प्लान करके आपके ट्रिप को खुशगवार और यादगार बना देते हैं।

ऑनलाइन विदेशी मुद्रा का विक्रय कैसे हो ?

सबकी जिंदगी में घूमना-फिरना वो सपना होता है जिसे सब अपनी जिंदगी में बार-बार पूरा करना चाहते हैं। चाहे वो कोई मनोरंजक यात्रा हो या कोई बोरिंग बिजनेस ट्रिप, सफल यात्रा के लिए सफल प्लानिंग की बहुत ज़रूरत होती है। इसके लिए बहुत ज़रूरी है कि आपके पास एक अच्छा ट्रेवल पार्टनर हो वो हर काम करे जिससे आपकी किसी भी ट्रिप को सरल और खुशगवार बनाया जा सके। इसी प्रकार कि एक ज़िम्मेदारी होती है विदेशी करेंसी का खरीदना और बेचना। हो सकता है आपके लिए विदेशी मुद्रा को बेचने का काम अच्छीखासी कठिनाई का काम हो सकता है लेकिन थॉमस कुक का एक सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी बनने का राज अनेक वर्षों का अनुभव इस परेशानी को सरलता से हल कर सकता है। तो चिंता किस बात की, अब विदेशी मुद्रा को बेचने का काम अब बीते दिनों की बात है क्यूंकी थॉमस कुक आपकी विदेशी मुद्रा संबंधी सभी परेशानियों का एक ही हल है।

थॉमस कुक के माध्यम से आप विदेशी मुद्रा को ऑनलाइन खरीदने और बेचने का कार्य बड़ी सरलता से कर सकते हैं। इसके लिए बस आपको थॉमस कुक की वेबसाइट पर लॉगिन करें, विदेशी मुद्रा विक्रय के पेज पर सभी ज़रूरी जानकारी भरें और बस आपका काम हो गया। थॉमस कुक के विदेशी मुद्रा के रेट ऑनलाइन विधि में सबसे अच्छे रेट माने जाते हैं। आप ऑनलाइन विधि से विदेशी मुद्रा का विक्रय करेंसी, ट्रेवलर चेक या फोरेक्स कार्ड, किसी भी रूप में हो, आसानी से कर सकते हैं। आपके विदेशी मुद्रा विक्रय के काम को सुविधाजनक बनाने के लिए हमारा एक अनुभवी कर्मचारी आपके घर जाकर करेंसी ले भी सकता है। थॉमस कुक में हमारी कोशिश रहती है कि हर यात्री को हमारी सेवाओं का सबसे अच्छा अनुभव हो सके। यहाँ तक कि अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपकी एप्लिकेशन को बिना किसी परेशानी के आगे बढ़ाने का काम भी करते हैं जिससे आप अपना बहुमूल्य समय और एनर्जी को दूसरे ज़रूरी कामों में लगा सकें। इसलिए जब अगली बार आप विदेशी मुद्रा को बेचने का काम करने का निर्णय लें तो बेहिचक थॉमस कुक से संपर्क करें।

हमारी दूसरी सेवाओं में अनेक सेवाओं के अतिरिक्त ऑनलाइन वीज़ा एप्लिकेशन सेवा, ट्रिप प्लानिंग, आवश्यकतानुसार एडजस्टिड हॉलिडे टूर और पैकेज़ आदि शामिल हैं। थॉमस कुक के सहयोगी आपके विदेश यात्रा को खुशगवार बनाने में कोई कसर नहीं रखते हैं!

वक्त की जरूरत है रुपये में व्यापार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में अन्य के मुकाबले मजबूत और स्थिर होगी भारतीय मुद्रा

रुपये को वैश्विक मान्यता दिलाने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार में वृद्धि करनी होगी जिसके लिए भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाना होगा। रुपये में निवेश एवं व्यापार को बढ़ाने से रुपये के मूल्य में भी वृद्धि होगी जो वैश्विक व्यापार में भारत की भागीदारी के नए आयाम स्थापित करेगी।

[डा. सुरजीत सिंह]। हाल में जारी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विश्व की अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है। डालर के निरंतर मजबूत होने से महत्वपूर्ण मुद्राएं कमजोर पड़ने लगी हैं। विभिन्न देशों के विदेशी मुद्रा भंडार घटने लगे हैं, जिसके चलते वैश्विक वृद्धि दर घट रही है। आर्थिक परिदृश्य बदलने से वैश्विक भू-राजनीति भी बदल रही है। भारत सरकार ने इस पर गंभीरता से विचार करना प्रारंभ किया है कि इन बदलते वैश्विक हालात के लिए जिम्मेदार अमेरिकी डालर पर निर्भरता को कैसे कम किया जाए?

बिगड़ैल पड़ोसियों के दुस्साहस के पीछे हमारी यह रक्षात्मक नीति है कि हम अपनी ओर से आक्रामक पहल नहीं करेंगे।

इस संदर्भ में आरबीआइ ने एक नई शुरुआत करते हुए यह घोषणा की कि निर्यातक एवं आयातक रुपये में भी व्यापार कर सकेंगे। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना एवं डालर में होने वाली व्यापार निर्भरता को कम करना है। रुपये में होने वाले पारस्परिक लेनदेन के लिए आरबीआइ ने एक प्रणाली विकसित की है। इससे निर्यात और आयात की कीमत और चालान सभी कुछ रुपये में ही होगा।

भारत को अपनी विदेश नीति में द्विपक्षीय भाव से अधिक बहुपक्षीय भावनाओं को वरीयता देनी चाहिए।

विश्व की बदलती आर्थिक परिस्थितियों में बहुत से देश न चाहते एक सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी बनने का राज हुए भी अपना व्यापार डालर में करने को मजबूर हैं। भारत 86 प्रतिशत व्यापार डालर में करता है। भारत के आयात, निर्यात से ज्यादा होने के कारण अधिक डालर की आवश्यकता होती है। अप्रैल से सितंबर 2022 के दौरान भारत का कुल निर्यात 229.05 अरब डालर एवं आयात 378.53 अरब डालर का हुआ। रुपये-डालर की विनिमय दर को बनाए रखने के लिए आरबीआइ 50 अरब डालर से अधिक व्यय कर चुका है। भारत की तरह दुनिया का भी अधिकांश व्यापार डालर में ही होता है। विश्व के सभी देश डालर के सापेक्ष अपनी-अपनी विनिमय दर को स्थिर करने के प्रयासों में लगे हुए हैं। बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने ब्याज की दर को बढ़ा दिया है, जिससे विश्व के धन का प्रवाह अमेरिका की तरफ होने लगा है। इससे डालर और मजबूत होता जा रहा है।

इन परिस्थितियों में डालर के दबदबे को कम करने के लिए भारत सरकार ने सही समय पर सही पहल की है। रुपये में व्यापार करने का फैसला ऐसे समय में आया है, जब दुनिया के अधिकतर देश न सिर्फ मुद्रा भंडार में कमी का सामना कर रहे हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय निपटान में कठिनाइयों से भी जूझ रहे हैं। इन विपरीत परिस्थितियों एक सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी बनने का राज में भारत की यह व्यवस्था विनिमय दर में होने वाले उतार-चढ़ाव के जोखिमों से भी सुरक्षा प्रदान करेगी। यह उन भारतीय निर्यातकों की समस्या को कम करेगी, जिनका भुगतान युद्ध के कारण अटका हुआ है। यह रूस और ईरान जैसे देश के साथ हमारे व्यापारिक संबंधों को बेहतर बनाने में मददगार होगी, जिन पर अमेरिकी प्रतिबंध है। रुपये में व्यापार से विश्व भर में न सिर्फ इसकी स्वीकृति बढ़ेगी, बल्कि विश्व में भारत का अर्थिक स्तर भी बढ़ेगा।

विदेश मंत्रालय के सार्थक प्रयासों का ही नतीजा है कि अनेक देशों विशेष रूप से श्रीलंका, मालदीव, विभिन्न दक्षिण पूर्व एशियाई देश, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों ने भी रुपये में व्यापार करने में अपनी सहमति व्यक्त की है। भारत के साथ रुपये में व्यापार करने के लिए रूस सहर्ष तैयार है। रुपये-रूबल में व्यापार के बाद रुपया-रियाल एवं रुपया-टका में व्यापार की दिशा में कार्य प्रारंभ हो चुका है। यदि इन सभी देशों को किया जाने वाला भुगतान रुपये में होगा तो इसका सीधा लाभ भारतीय अर्थव्यवस्था को होगा। श्रीलंका की आर्थिक स्थिति ठीक न होने से वह भी भारत के साथ रुपये में व्यापार करने के लिए तैयार है। स्पष्ट है कि आने वाले समय में रुपया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित करेगा।

कुछ अर्थशास्त्रियों का मत है कि यह व्यवस्था उन देशों में ही सफल हो पाएगी, जहां आयात और निर्यात लगभग बराबर है। वे यह भी प्रश्न करते हैं कि यह व्यवस्था उन देशों में कैसे लागू होगी, जिन देशों के पास बैलेंस शेष रह जाएगा। भारत सरकार इसके लिए कई क्षेत्रीय समूहों जैसे ब्रिक्स के साथ एक रिजर्व मुद्रा की व्यवस्था बना सकती है, जिससे जुड़े हुए देश पारस्परिक रूप से आपसी मुद्राओं में व्यापार कर सकते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस व्यवस्था के सफल होते ही विश्व का आर्थिक खेल ही बदल जाएगा।

इस प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य किसी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के महत्व को कम करना नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय रुपये को बेहतर बनाने की एक शुरुआत करना है। यह समय की मांग भी है कि भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार एक-दूसरे के लिए अधिक खुले विकल्प रखें एवं विभिन्न प्रकार के वित्तीय साधनों के संबंध में रुपये को अधिक उदार बनाएं। इसके लिए आवश्यक है कि रुपये के संदर्भ में एक मजबूत विदेशी मुद्रा बाजार बनाया जाए। बैंकिंग क्षेत्र की सुदृढ़ता के लिए आवश्यकतानुसार सुधार निरंतर जारी रहने चाहिए।

पिछली सदी के नौवें दशक में जब भारत एक बंद अर्थव्यवस्था थी, विदेशी मुद्रा दुर्लभ थी और डालर ‘भगवान’ था। बदलते समय के साथ रूस एवं चीन ने हमारे समक्ष उदाहरण पेश किया कि डालर के बिना भी अर्थव्यवस्था को चलाया जा सकता है। यह उम्मीद की जानी चाहिए कि भारतीय रुपया अंतरराष्ट्रीय बाजार में अन्य मुद्राओं के मुकाबले मजबूत और स्थिर बनेगा। रुपये को वैश्विक मान्यता दिलाने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार में भी वृद्धि करनी होगी, जिसके लिए भारत को एक मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाना होगा। रुपये में निवेश एवं व्यापार को बढ़ाने से रुपये के मूल्य में भी वृद्धि होगी, जो वैश्विक व्यापार में भारत की भागीदारी के नए आयाम स्थापित करेगी।

UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 14 October, 2022 UPSC CNA in Hindi

निम्नलिखित में से किस राष्ट्रीय एक सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी बनने का राज उद्यान का उल्लेख यहाँ किया जा रहा है?

(a) बलफकरम राष्ट्रीय उद्यान

(b) देहिंग पटकाई राष्ट्रीय उद्यान

(c) मौलिंग राष्ट्रीय उद्यान

(d) नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान

उत्तर: d

व्याख्या:

  • नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान वर्ष 1983 में अरुणाचल प्रदेश में स्थापित एक विशाल संरक्षित क्षेत्र है।
  • 1,000 से अधिक फूलों और लगभग 1,400 जीव प्रजातियों के साथ, यह पूर्वी हिमालय में एक जैव विविधता हॉटस्पॉट है।
  • यह पूर्वोत्तर भारत में अरुणाचल प्रदेश राज्य में चांगलांग जिले के भीतर भारत और म्यांमार के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित है।
  • यह दुनिया का एकमात्र उद्यान है जहां बड़ी बिल्ली की चार प्रजातियां हैं बाघ (पैंथेरा टाइग्रिस), तेंदुआ (पैंथेरा पार्डस), हिम तेंदुआ (पैंथेरा उनसिया) और धूमिल तेंदुआ (नियोफेलिस नेबुलोसा) पाई जाती हैं।
  • हालाँकि, राष्ट्रीय उद्यान में हिम तेंदुओं को अभी तक न तो देखा गया है और न ही दर्ज किया गया है और हाल के सर्वेक्षण के आधार पर वन्यजीव अधिकारियों को हिम तेंदुए की मौजूदगी की पुष्टि का इंतजार है।
  • भारत में पाई जाने वाली एकमात्र ‘वानर’ प्रजाति, हूलॉक गिबन्स, इस राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाती है।

प्रश्न 5. भारत के संदर्भ में, ‘अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA)’ के ‘अतिरिक्त नयाचार (एडिशनल प्रोटोकॉल)’ का अनुसमर्थन करने का निहितार्थ क्या है? (CSE-PYQ-2018)(स्तर – कठिन)

(a) असैनिक परमाणु रिएक्टर IAEA के रक्षोपायों के अधीन आ जाते हैं।

(b) सैनिक परमाणु अधिष्ठान IAEA के निरीक्षण के अधीन आ जाते हैं।

(c) देश के पास नाभिकीय पूर्तिकर्ता समूह (NSG) से यूरेनियम के क्रय का विशेषाधिकार हो जाएगा।

(d) देश स्वतः NSG का सदस्य बन जाता है।

उत्तर: a

व्याख्या:

  • पुराने आईएईए (International Atomic Energy Agency (IAEA)) सुरक्षा उपायों के तहत सभी एनपीटी हस्ताक्षरकर्ता अपने परमाणु स्थलों को निर्दिष्ट करेंगे और आईएईए निर्दिष्ट स्थलों का निरीक्षण करेगा।
  • इस प्रकार, आईएईए, पुराने सुरक्षा उपायों के तहत, केवल किसी देश द्वारा घोषित या निर्दिष्ट स्थलों पर ही अनधिकृत गतिविधियों के लिए निरीक्षण कर सकता था।
  • इस प्रकार इसने मूल रूप से राष्ट्रों के लिए गुप्त परमाणु कार्यक्रम चलाने का एक विकल्प खुला छोड़ दिया – जैसा कि इराक के मामले में हुआ था।
  • इस प्रकार, वर्ष 1993 में, IAEA ने मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा करने के लिए अतिरिक्त प्रोटोकॉल (AP) तैयार किए।
  • हालांकि, भारत विशिष्ट अतिरिक्त प्रोटोकॉल आईएईए को उन गतिविधियों में बाधा डालने या हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देते हैं जो भारत के सुरक्षा समझौतों के दायरे से बाहर हैं, इस प्रकार भारत IAEA समझौते के बाहर एक सैन्य परमाणु कार्यक्रम के संचालन का अधिकार सुरक्षित रखता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. “पेलेट संयंत्र और टॉरफेक्शन दिल्ली के प्रदूषण का जवाब हो सकता है”। व्याख्या कीजिए। (150 शब्द, 10 अंक) (जीएस-3; पर्यावरण)

प्रश्न 2.”मनरेगा योजना महामारी के दौरान और बाद विफलता और एक सफलता दोनों थी”। समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (जीएस-2; शासन)

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार लुढ़का

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। देश में जितना भी विदेशी मुद्रा भंडार जमा होता है, उसके आंकड़े समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाते हैं। वहीं, अब RBI ने एक बार फिर नए आंकड़े जारी कर दिए हैं। जिनके अनुसार, देश का विदेशी मुद्रा भंडार (IMF) कुछ लुढ़कता हुआ सा नजर आरहा है। इतना ही नहीं इसके साथ ही देश के स्वर्ण भंडार की कीमत में भी गिरावट दर्ज की गई है।

RBI के ताजा आंकड़े :

भारतीय एक सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी बनने का राज रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी तजा आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5 फरवरी 2021 को समाप्त सप्ताह में 6.24 अरब डॉलर (लगभग 45000 करोड़ रुपए) घटकर 583.945 अरब डॉलर पर आ पहुंचा। जबकि पिछले सप्ताह में समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.852 करोड़ डॉलर एक सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी बनने का राज बढ़कर 590.185 अरब डॉलर की सर्वकालिक ऊंचाई पर था। RBI के आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन अवधि में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (FCA) के घटने के चलते मुद्रा भंडार में गिरावट दर्ज की गई है। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम भाग मानी जाती है।

आंकड़ों के अनुसार FCA :

RBI के साप्ताहिक आंकड़ों पर नजर डालें तो, समीक्षाधीन अवधि में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (FCA) 4.88 अरब डॉलर घटकर 542.338 अरब डॉलर रह गयी। बता दें, FCA को डॉलर में दर्शाया जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्रा सम्पत्ति भी शामिल होती हैं।

गोल्ड रिजर्व की वैल्यू :

बताते चलें, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी तजा आंकड़ों के अनुसार, भारत के गोल्ड रिजर्व की वैल्यू में भी गिरावट दर्ज की गई है। यह घटकर 11.327 अरब डॉलर घटकर 34.967 अरब डॉलर पर आ पहुंची है। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) में देश का स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDR) 60 लाख डॉलर घटकर 1.503 अरब डॉलर हो गया। जबकि IMF के पास आरक्षित मुद्रा भंडार 2.7 करोड़ डॉलर घटकर 5.138 अरब डॉलर रहा।

क्या है विदेशी मुद्रा भंडार ?

कई लोगों को विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का मतलब नहीं पता होगा तो, हम उन्हें बता दें, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी अच्छी बात होती है। इसमें करंसी के तौर पर ज्यादातर डॉलर होता है यानि डॉलर के आधार पर ही दुनियाभर में कारोबार किया जाता है। बता दें, वर्तमान में डॉलर की तुलना में भारतीय करंसी 75 रुपये से ज्यादा है। यानि कि, एक डॉलर 75 रुपये से ज्यादा है।

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