SL आर्डर का दूसरा अल्टरनेटिव इस्तेमाल:
Stop Loss Order- स्टॉप-लॉस ऑर्डर
क्या होता है स्टॉप-लॉस ऑर्डर?
स्टॉप-लॉस ऑर्डर (Stop Loss Order) किसी सिक्योरिटी को उस वक्त बेचने या खरीदने के लिए किसी ब्रोकर को दिया गया ऑर्डर है, जब यह एक विशेष कीमत पर पहुंच जाती है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर की रूपरेखा सिक्योरिटी में एक पोजिशन पर निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए बनाई जाती है और यह स्टॉप-लिमिट ऑर्डर से अलग होता है। जब कोई स्टॉक, स्टॉप प्राइस से नीचे चला जाता है तो ऑर्डर एक मार्केट ऑर्डर बन जाता है और यह अगली उपलब्ध कीमत पर एक्सीक्यूट होता है। उदाहरण के लिए एक ट्रेडर एक स्टॉक खरीद सकता है और इसे खरीद कीमत से 10 प्रतिशत नीचे स्टॉप-लॉस ऑर्डर पर रख सकता है। अगर स्टॉक में गिरावट आती है तो स्टॉप-लॉस ऑर्डर सक्रिय हो जाएगा और स्टॉक, एक मार्केट ऑर्डर की तरह बिक जाएगा। हालांकि अधिकांश निवेशक एक लॉन्ग पोजिशन के साथ स्टॉप-लॉस ऑर्डर से जुड़ सकते हैं, यह शॉर्ट पोजिशन को भी सुरक्षित कर सकता है, जिसमें सिक्योरिटी खरीदी जाती है अगर यह निर्धारित कीमत से ऊपर ट्रेड करती है।
क्या है Stop Loss और Target Price?
Stop Loss का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें
इसका मतलब यह है कि आपने 100 रुपये की कीमत पर ए के शेयर को 120 रुपये के Target Price के साथ खरीदा है. आप 120 रुपये की कीमत पर पहुंचने पर इस शेयर को बेचकर मुनाफा हासिल कर सकते हैं.
इस शेयर में किसी वजह से गिरावट भी आ सकती है. इसकी कीमत 100 रुपये से कम होने पर आपको नुकसान उठाना पड़ेगा. नुकसान से बचने के लिए आपको स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाने की सलाह दी जाती है.
स्टॉप लॉस क्या है
स्टॉप लॉस आर्डर आप की मदद करता है जब भी आप को लगे की आपने जो आर्डर प्लेस किया है (चाहे वो खरीद का हो या बेचने का हो) वो आपके खिलाफ जा सकता है और आपके नुक्सान को कम करने में आपकी मदद करता है। उदहारण के तौर पे - अगर आपने Rs 100/- का कोई स्टॉक खरीदा है और आप ज़्यादा से ज़्यादा Rs 5/- का नुक्सान उठा सकते है तो आपको अपना स्टॉक को Rs 95/- में बेचने के लिए आर्डर प्लेस करना होगा। इस तरह के आर्डर को स्टॉप लॉस आर्डर कहते है क्योंकि आप आपने नुकसान को उतना ही लिमिट कर रहे हैं जितना की आप सह सकते है।
दो तरह के स्टॉप लॉस आर्डर होते है:
1. SL आर्डर (स्टॉप -लॉस लिमिट) = प्राइस + ट्रिगर प्राइस
2. SL-M आर्डर (स्टॉप -लॉस मार्किट) = सिर्फ ट्रिगर प्राइस
केस 1 > अगर आप ने बाय पोजीशन लिया है तो, आप सेल SL प्लेस करना होगा
केस 2 > अगर आप ने सेल पोजीशन लिया है तो, आप बाय SL प्लेस करना होगा
स्टॉप लॉस ऑर्डर क्या है और इसका इस्तेमाल करके कैसे कमा सकते हैं प्रॉफिट
स्टॉक मार्केट काफी हद तक भावनाओं से चलता है। ऐसे में स्टॉक में इन्वेस्टमेंट से आपको जितना प्रॉफिट होता है उतना भी नुकसान होने का डर रहता है। आपको बता दें कि स्टॉप स्टॉप लॉस क्या है लॉस इसी नुकसान से बचने के लिए बेहतर तरीका है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। शेयरों में इन्वेस्टमेंट करने में स्टॉप लॉस और टारगेट प्राइस का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है। क्या होता है इसका मतलब। आइए, इनके बारे में जानने की कोशिश करते हैं।
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बता दें कि, आपका स्टॉक ब्रोकर हर शेयर के लिए एक टारगेट प्राइस के बारे में बताता है। मान लीजिये कि आप XYZ कंपनी का शेयर को खरीदना चाहते हैं। फिलहाल इसकी प्राइस 100 रुपये है। आपको ब्रोकर बताएगा कि 3 मंथ में इसकी प्राइस बढ़कर 120 रुपये हो जाएगी। कहने का मतलब है कि आपने 100 रुपये की प्राइस पर XYZ के शेयर को 120 रुपये के टार्गेट प्राइस के साथ अगर खरीदा है तो आप 120 रुपये की प्राइस पर पहुंचने पर इस शेयर को बेचकर हासिल कर सकते हैं। वहीं इस शेयर में काही गिरावट के दौर में तो इसकी प्राइस 100 रुपये से कम होने पर आपको नुकसान उठाना पड़ सकता हैं। लेकिन नुकसान से बचने के लिए आपको स्टॉप लॉस लगाने की सलाह दी जाती है। मान लीजिए कि इस स्टॉक के मामले स्टॉप लॉस क्या है में आपको 90 रुपये की प्राइस पर स्टॉप लॉस लगाने की सलाह दी जाती है। इसका मतलब यह हुआ कि किसी कारणवश XYZ के स्टॉक में कमजोरी आने पर उसे 90 रुपये में बेच देना ही सही रहता है।
क्या है स्टॉप लॉस
स्टॉप लॉस वह मूल्य होता है जिस पर आप अपने शेयर सेल कर देते हैं। स्टॉप लॉस प्राइस पर स्टॉक बेच देने की वजह से आप बड़े नुकसान से बच जाते हैं। बता दें कि, किसी शेयर का स्टॉप लॉस वह मूल्य होता है जिस पर आपको अधिक नुकसान नहीं होता है। वहीं, किसी शेयर की करेंट प्राइस पर उसमें संभावित नुकसान की सीमा को तय कर सकते हैं। साथ ही, आप स्टॉप लॉस लगाते हैं, जिससे आपको नुकसान कम हो जाता है।
स्टॉप लॉस का इस्तेमाल प्रयोग इसलिए किए जाते हैं जिससे स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकते हैं। स्टॉक मार्केट काफी हद तक भावनाओं से चलता है। ऐसे में स्टॉक में इन्वेस्टमेंट से आपको जितना प्रॉफ़िट होता है, उतना भी नुकसान होने का डर रहता है। आपको बता दें कि स्टॉप लॉस इसी नुकसान से बचने के लिए बेहतर तरीका है। स्टॉप लॉस लगाने का यह भी एक फायदा होता है कि अगर आप नियमित रूप से ट्रेडिंग नहीं करते और अपने इन्वेस्टमेंट को रेगुलर मॉनीटर नहीं कर सकते हैं तो ये आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। वहीं स्टॉप लॉस के जरिए वास्तव में इस स्थिति में आपको कई खतरों से बचा सकता है। आपको बता दें कि, स्टॉप लॉस शॉर्ट टर्म के लिए तो बहुत महत्वपूर्ण होता है, लेकिन अगर किसी को लॉंग टर्म के लिए इन्वेस्टमेंट करना है तो फिर उसके लिए इसका कोई बहुत अधिक महत्व नहीं होता है। आपको इस बात के लिए खुद को तैयार होना चाहिए कि शेयर मार्केट में कभी भी कोई चेंज हो सकता है।
what is stop loss in share market ? शेयर बाजार में स्टॉप लॉस क्या है
अपने मूवी में सुना होगा रिस्क है तो इश्क है लेकिन रिस्क लेने की कैपेसिटी हर आदमी की अपनी अपनी होती है ।आपकी रिस्क लेने की कैपेसिटी कितनी है लेकिन रिस्क कितना लिया जाए शेयर मार्केट में इसकी कोई लिमिट नहीं है आप कभी हीरो कभी जीरो होते हैं ।और अधिकतर देखा गया है जब ट्रेडिंग में लोग अपने पैसे को जीरो जरूर कर लेते हैं यहां पर आपकी रिस्क को कम करने के लिए स्टॉप लॉस का यूज किया जाता है।
जब आप का खरीदा हुआ स्टॉक प्राइस गिरता है तो उसको कब तक गिरने देना है कहां पर स्टॉप करना है यह स्टॉप लॉस के जरिए किया जा सकता है ।चलिए हम जानते हैं कि स्टॉपलॉस क्या होता है।
What is stop loss ?| स्टॉप लॉस क्या होता है ?
शेयर मार्केट में आपके रिस्क को कम करने की एक डिजिटल विधि है stop loss एक आर्डर की तरह स्टॉप लॉस क्या है काम करता है जिसे आप अपनी ब्रोकर के ऐप में या ऑनलाइन डिजिटल के रूप में लगाते हैं उदाहरण के लिए मान लीजिए आपने रिलायंस का कोई शेयर ₹2600 के भाव पर खरीदा है लेकिन आपको लग रहा है कि यह नीचे भी आ सकता है आप अपने इस डर को कम करने के लिए स्टॉपलॉस का यूज कर सकते हैं।
मान लीजिए आप इस शेयर पर ₹200 तक का नुकसान सहन कर सकते हैं उससे ज्यादा नुकसान आप नहीं उठाना चाहते इस स्थिति में आप दो काम कर सकते हैं या तो आप रेगुलर ली स्टॉक को देखते रहिए जैसे ही वह गिरता है तो आप सेल कर सकते हैं या फिर आप पहले से ही एक स्टॉपलॉस लगा सकते हैं जो ₹2400 के भाव पर लगेगा जिसमें आपको रेगुलर देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी जैसे ही भाव ₹200 गिरता है आपका stock सेल हो जाएगा
Types of stop loss | स्टॉप लॉस के प्रकार
सेल स्टॉप लॉस ऑर्डर का उपयोग लॉन्ग पोजीशन को प्रोटेक्ट करने के लिए किया जाता है आपने किसी शेयर में लॉन्ग पोजीशन बना रखी है वहां पर आप सेल स्टॉप लॉस ऑर्डर का उपयोग करते हैं उदाहरण के लिए आपने किसी कंपनी का शेयर ₹100 में खरीदा है आपके प्रोडक्शन के हिसाब से यह शेयर ₹150 जाएगा इस पोजीशन को हम लोग पोजीशन कहते हैं इस पोजीशन को प्रोटेक्ट करने के लिए आप सेल स्टॉपलॉस आर्डर लगा सकते हैं
2. Buy-Stop Orders
Buy-Stop Orders वैचारिक रूप से सेल-स्टॉप ऑर्डर के समान हैं। हालांकि, उनका उपयोग शॉर्ट पोजीशन की सुरक्षा के लिए किया जाता है। एक खरीद-स्टॉप ऑर्डर की कीमत मौजूदा बाजार मूल्य से ऊपर होगी और अगर कीमत उस स्तर से ऊपर उठती है तो ट्रिगर होगी
On which position to put stop loss? |स्टॉप लॉस किस पोजीशन पर लगाये ?
Technical analysis उन स्तरों को निर्धारित करने के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है जिन पर stop loss सेट किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक long term के लिए, स्टॉक के लिए प्रमुख समर्थन स्तरों का पता लगाना नकारात्मक जोखिम का अनुमान लगाने के लिए उपयोगी हो सकता है। यहां आधार यह है कि एक बार एक प्रमुख समर्थन स्तर के टूटने के बाद, यह स्टॉक के लिए अतिरिक्त नुकसान का संकेत दे सकता है। हालाँकि, झूठे ब्रेकआउट से सावधान रहें। सुनिश्चित करें कि आप अपने ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में प्रवेश करने से पहले तकनीकी विश्लेषण और अन्य उपकरणों का उपयोग करते हुए, स्टॉप-लॉस स्तरों पर लगन से शोध करते हैं।
यदि आपने पहले कोई शेयर खरीद रखा है .आप उस शेयर पर स्टॉप लॉस लगा सकते है .इसके लिए आपको अपने एप्प के शेयर सेल्ल ऑप्शन पर जाकर सेल स्टॉप लोस्स आर्डर लगाना पड़ेगा
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