क्या भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र में ONDC लाएगा क्रांति?

मान लीजिए बेंगलुरु में एक छोटी सी बेकरी है, जो स्वादिष्ट कुकीज बेचती है। मालिक अपने व्यवसाय को ऑनलाइन करना चाहता है, लेकिन उसे लगता है कि यह उसके लिए बेहद मुश्किल होगा। उसे ऑनलाइन स्टोर बनाने, इन्वेंट्री मैनेजमेंट और ऑर्डर की पूर्ति के लिए एक बड़ा निवेश करने की आवश्यकता होगी। इस सब के बाद भी, ग्राहकों को ऑनलाइन लाना एक कठिन प्रक्रिया है। साथ ही उन्हें विज्ञापनों के लिए एक मोटी रकम खर्च करनी होगी और उनका मानना है कि यह समय और प्रयास का कुछ भी वर्थ नहीं है।

ज़रूर, वह अपने प्रोडक्ट्स को अमेज़न (Amazon) और वॉलमार्ट के ओनरशिप वाले फ्लिपकार्ट (Flipkart) जैसे बड़े प्लेटफार्मों पर लिस्ट कर सकता था। हालांकि, ये ग्लोबल कारपोरेशन ई-कॉमर्स बाजार के 60% से अधिक को नियंत्रित करते हैं और टॉप विक्रेताओं को अच्छी ट्रीटमेंट देते हैं।

तो बेकरी मालिक अपने प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन कैसे बेच सकता है?

खैर, वह ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (Open Network for Digital Commerce - ONDC) पर गौर कर सकते हैं! और हां, यह एक अलग ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म या ऐप नहीं है। आइए इस लेख में हम समझते हैं कि ONDC क्या है!

क्या है ONDC?

ONDC हमारे सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (Department for Promotion of Industry & Internal Trade) द्वारा स्थापित एक नॉन-प्रॉफिट कंपनी है। यह एक ऐसा नेटवर्क है, जो किसी भी विक्रेता को अपने प्रोडक्ट्स और सेवाओं को इसमें रजिस्टर्ड सभी ऐप के सर्च रिजल्ट में प्रदर्शित करने/दिखाने की अनुमति देगा। ONDC के पास वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान में शामिल मूवमेंट्स की पूरी श्रृंखला के लिए खुले प्रोटोकॉल और नियम होंगे (भारत में पेमेंट के लिए यूज़ किये जाने वाले Unified Payments Interface या UPI के समान)। इस प्रकार, ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? खरीदार और विक्रेता वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार कर सकते हैं, चाहे वे किसी भी एप्लिकेशन का उपयोग करें

उदाहरण के लिए, छोटे और मध्यम आकार के व्यवसाय अब ONDC के टेक्नोलॉजी पार्टनर की मदद से एक साधारण सरल वेबसाइट स्थापित कर सकते हैं और उस पर अपने प्रोडक्ट्स और सेवाओं को लिस्ट कर सकते हैं। और एक बार जब वे ONDC के साथ जुड़ेंगे, तो उनके प्रोडक्ट्स अलग़ -अलग़ ऐप और प्लेटफॉर्म पर कंस्यूमर्स को आसानी से दिखाई देंगे! ONDC छोटे रिटेल विक्रेताओं के लिए टाइम-बेस प्रायसिंग (time-based pricing), इन्वेंट्री और ऑर्डर मैनेजमेंट, डिस्ट्रीब्यूशन और डिजिटल कैटलॉगिंग जैसे कार्यों को स्टैंडर्डाइस करेगा।

ONDC नेटवर्क को होलसेल, मोबिलिटी, फ़ूड डिलीवरी, लोजिस्टिक्स और ट्रेवल सर्विसेस सहित वस्तुओं या सेवाओं के लिए खरीदार और ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? विक्रेता के बीच किसी भी डिजिटल लेनदेन की सुविधा के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें बिजनेस-टू-बिजनेस (B2B) ट्रांजेक्शन भी शामिल होंगे।

हम सभी ने UPI को भारत में पेमेंट सिस्टम में क्रांतिकारी बदलाव करते देखा है। इसी तरह, ONDC का उद्देश्य ई-कॉमर्स का लोकतंत्रीकरण करना और छोटे व्यापारियों या परिवार के ओनरशिप वाले दुकान को अमेज़ॅन (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Flipkart) जैसे विशाल ई-टेलर्स द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रणालियों और टेक्नोलॉजी तक पहुंच प्रदान करना है। ONDC से ई-कॉमर्स उद्योग में प्रतिस्पर्धा बढ़ने और स्टार्टअप इनोवेशन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

यह कैसे काम करता है?

  • ONDC खरीदारों और विक्रेताओं की मेजबानी करने वाले इंटरफेस के रूप में स्थित है।
  • विक्रेताओं के पास अपने प्रोडक्ट को बिक्री के लिए रखने और ऑर्डर स्वीकार करने के लिए ऐप्स होंगे।
  • कंस्यूमर्स के रूप में, हम प्रोडक्ट्स को ब्राउज़ करने और खरीदने के लिए ONDC नेटवर्क पर रजिस्टर्ड किसी भी ऐप का उपयोग कर सकते हैं।
  • ONDC नेटवर्क में ऐसे ऐप भी होंगे, जो ONDC रजिस्ट्री में लिस्टेड बायर-साइड (buyer-side) ऐप से सेलर-साइड (seller-side) ऐप पर आये सर्च रिक्वेस्ट को दिखाएंगे।
  • नेटवर्क को लॉजिस्टिक्स फर्मों (डिलीवरी की सुविधा के लिए) और ई-कॉमर्स ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? स्टोर होस्टिंग सेवा प्रोवाइडर द्वारा समर्थित किया जाएगा।

उदाहरण के लिए, जब आप Paytm पर लैपटॉप की खोज कर रहे हैं -> ऐप ONDC नेटवर्क से कनेक्ट होगा -> ONDC इसे सेलर-साइड (seller-side) ऐप से कनेक्ट करेगा, जो सभी फर्मों को लिस्टेड करता है जहां से आप अपना पसंदीदा लैपटॉप खरीद सकते हैं।

आप अपनी पसंद का कोई भी ONDC ऐप (UPI के समान) डाउनलोड करने में सक्षम होंगे और इसका उपयोग विक्रेताओं से प्रोडक्ट और सेवाओं को खरीदने के लिए कर सकते हैं, जो उन्हें पेश करते ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? हैं।

प्रमुख चुनौतियां

  • ONDC लागू करने के लिए एक कॉम्प्लेक्स इको-सिस्टम है। ई-कॉमर्स में प्रोडक्ट्स की क्वालिटी, पेमेंट, रिटर्न, ग्राहकों की शिकायतों आदि सहित बहुत सारे मुद्दे शामिल हैं।
  • ब्रांड जो भ्रामक या घटिया प्रोडक्ट्स ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? बनाते हैं और खराब बिक्री के बाद सपोर्ट प्रोवाइड करते हैं, उन्हें नेटवर्क के माध्यम से ग़लत एक्सपोजर मिल सकता है। इसके चलते यूजर को ONDC के साथ इंटेग्रटे होने वाले नए ब्रांड या प्लेटफॉर्म पर भरोसा करना थोड़ा मुश्किल होगा।
  • लाखों मौजूदा किराना स्टोरों को ONDC नेटवर्क में शामिल करने के लिए बड़े पैमाने पर, अच्छी तरह से फंड अडॉप्शन लेने के अभियान की आवश्यकता होगी।

आगे का रास्ता

2020 से, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India) अमेज़न(Amazon) और फ्लिपकार्ट (Flipkart) की कथित प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं की जाँच कर रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, दोनों फर्म विशेष व्यवस्थाओं के आधार पर विशिष्ट विक्रेताओं को बढ़ावा देती हैं और उन्हें भारी छूट प्रदान करती हैं। ई-कॉमर्स दिग्गज भी कथित तौर पर अपने विक्रेता "भागीदारों" के प्रोडक्ट्स को लॉन्च करने में मदद करने के लिए कंस्यूमर के ख़रीदारी पैटर्न से मिले डेटा का उपयोग करते हैं।

कुछ टॉप खिलाड़ियों के बीच शक्ति केंद्रित करने के बजाय, ONDC कंज्यूमर और विक्रेताओं को यह चुनने की अनुमति देगा कि वे सिंगल नेटवर्क तक पहुंचने के लिए किन ऐप्स का उपयोग करना चाहते हैं। ONDC नेटवर्क के साथ, इन बड़े ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को छोटे स्टोर्स, वेबसाइटों और ब्रांड के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी! ONDC को अगले दो वर्षों में भारत में ई-कॉमर्स की पैठ 8% से बढ़ाकर 25% करने की उम्मीद है। यह पांच साल के भीतर 90 करोड़ खरीदारों और 12 लाख विक्रेताओं को नेटवर्क से जोड़ने की भी योजना बना रहा है!

ONDC ने भारत के प्रमुख शहरों में चुनिंदा खरीदारों और विक्रेताओं के साथ टेस्टिंग भी शुरू की है। हमने पिछले कुछ महीनों में कई कंपनियों को ONDC के साथ इंटीग्रेटेड होते देखा है। माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft), पेटीएम (ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? Paytm), स्नैपडील (Snapdeal), डंजो (Dunzo), ई-समुदाय (eSamuday) , फोनपे (PhonePe), SBI, HDFC बैंक, आईटीसी स्टोर (ITC Store) और इंडिया पोस्ट (India Post) ने ONDC में शामिल होने में रुचि दिखाई है। यहां तक ​​​​कि फ्लिपकार्ट (Flipkart), रिलायंस रिटेल(Reliance Retail) और अमेज़ॅन (Amazon) भी नेटवर्क में शामिल होने के लिए बातचीत कर रहे हैं! हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि इसे अब कितनी अच्छी तरह लागू किया जाता है।

ONDC पर आपके क्या विचार हैं? हमें मार्केटफीड ऐप के कमेंट सेक्शन में बताएं।

भारत के ONDC प्लेटफॉर्म में शामिल हुआ माइक्रोसॉफ्ट, जानिए क्या है ONDC?

डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान के सभी पहलुओं के लिए खुले नेटवर्क को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स पहल शुरू की गई थी। यह ओपन सोर्स पद्धति पर आधारित है। यह नेटवर्क भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में Amazon और Flipkart के एकाधिकार का मुकाबला करने के लिए विकसित किया जा रहा है। ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? इस प्लेटफॉर्म को डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड द्वारा मई 2022 में लॉन्च किया गया था।

ONDC में शामिल कंपनियां

फिलहाल डंजो फॉर बिजनेस, कोटक, पेटीएम, डिजिट, लोडशेयर, फोनपे और गो फ्रुगल जैसी कंपनियां ONDC में शामिल हो गई हैं। स्नैपडील अगस्त 2022 में अपने प्लेटफॉर्म पर 3 मुख्य प्रोडक्ट कैटेगरी लॉन्च करने जा रही है। एयरटेल, एक्सिस बैंक और HDFC बैंक ने भी इस नेटवर्क ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? के ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? साथ एकीकरण शुरू कर दिया है। Flipkart और Amazon भी ONDC नेटवर्क से जुड़ने पर विचार ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? कर रहे हैं।

ONDC काम कैसे करता है?

ONDC प्लेटफॉर्म खरीदारों और विक्रेताओं के बीच एक सेतु का काम करेगा। वर्तमान में, Paytm खरीददार इंटरफेस के लिए होस्ट है। दूसरी ओर, GoFrugal आदि विक्रेता पक्ष इंटरफ़ेस को होस्ट कर रहे हैं। जब कोई खरीदार पेटीएम एप्प पर आइटम खोजेगा, तो उसे ONDC प्लेटफॉर्म से कनेक्ट किया जाएगा। इसके बाद ONDC प्लेटफॉर्म विक्रेता पक्ष के इंटरफेस को जोड़ेगा, जहां सभी कंपनियों को आइटम खरीदने के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।

तो क्या आपके मोहल्ले की दुकानों को खा जाएंगे ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म, कैट ने जारी की ऐसी सनसनीखेज रिपोर्ट

देश में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर वर्ष 2021 में 55 अरब डॉलर का व्यापार हुआ, जिसके वर्ष 2026 तक 120 अरब डॉलर और वर्ष 2030 तक 350 अरब डॉलर होने की संभावना है।

तो क्या आपके मोहल्ले की दुकानों को खा जाएंगे ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म, कैट ने जारी की ऐसी सनसनीखेज रिपोर्ट

देश में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर वर्ष 2021 में 55 अरब डॉलर का व्यापार हुआ, जिसके वर्ष 2026 तक 120 अरब डॉलर और वर्ष 2030 तक 350 अरब डॉलर होने की संभावना है। कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की रिसर्च शाखा कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी के सर्वेक्षण में कहा गया कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म हर वर्ष के साथ बड़े स्तर पर बढ़ रहा है। यह सर्वेक्षण देश के विभिन्न राज्यों के 40 शहरों में कराया गया, जिसमें टियर 2 और टियर 3 शहर भी शामिल रहे। इसमें लगभग पांच हजार व्यापारियों ऑनलाइन रूप से शामिल हुए।

सर्वेक्षण में शामिल हुए अधिकांश व्यापारियों को लगता है कि ई-कॉमर्स में माल बेचने के लिए विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों की कुप्रथाएं और नियमों का उल्लंधन जारी है। इस प्लेटफॉर्म पर व्यापार करने के लिए अनिवार्य रूप से जीएसटी पंजीकरण का होना एक बड़ी रूकावट है। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि सर्वेक्षण के अनुसार 78 प्रतिशत व्यापारियों ने कहा कि भारत में व्यापारियों के लिए अपने वर्तमान व्यापार के अलावा ई-कॉमर्स को भी व्यापार का एक अतिरिक्त तरीका बनाना जरूरी होगा जबकि 80 प्रतिशत व्यापारियों का कहना है की ई कॉमर्स पर व्यापार करने के लिए जीएसटी पंजीकरण की अनिवार्यता छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ी रूकावट है। छोटे व्यापारियों में से 92 प्रतिशत का मानना है कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां देश के रिटेल व्यापार पर नियमों एवं कानूनों की खुली धज्जियां उड़ाते हुए और अपनी व्यापारिक कुप्रथाओं के बल पर ग्राहकों को भरमा रही हैं और व्यापारियों के व्यापार को बड़ी क्षति पहुंचा कर एकतरफा प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाये हुए हैं।

सर्वेक्षण में 92 प्रतिशत व्यापारियों के अनुसार देश में ई कॉमर्स व्यापार को निष्पक्ष एवं पारदर्शी बनाने के लिए ई-कॉमर्स नीति एवं इससे संबंधित उपभोक्ता कानून को संशोधित कर तुरंत लागू करना बेहद जरूरी है जबकि 94 प्रतिशत व्यापारियों के मुताबिक ई-कॉमर्स व्यवसाय को जिम्मेदार बनाने के लिए एक मजबूत मॉनिटरिंग अथॉरिटी का गठन जरूरी है। वहीं 72 प्रतिशत व्यापारियों ने मत व्यक्त किया की खुदरा क्षेत्र में वर्तमान एफडीआई नीति में आवश्यक संशोधन होने तुरंत आवश्यक है जिससे विदेशी कंपनियों के आतंक एवं मनमानी पर प्रभावी रोक लग सके ।

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