गुरिल्लाओं को हाईकोर्ट से हक़ मिलने की उम्मीद
कुल्लू. एसएसबी प्रशिक्षित स्वयंसेवी गुरिल्ला संगठन की मासिक बैठक ढालपुर में हुई. जिसकी अध्यक्षता जिला कूल्लु संगठन के अध्यक्ष प्रेम सिंह राणा ने की. बैठक में दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले पर चर्चा हुई.
अखिल भारतीय गुरिल्ला संगठन के सलाहकार प्रीतम सिंह ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि 18 जनवरी 2018 को दिल्ली हाइकोर्ट से गुरिल्लाओं को सौ फीसदी हक मिलने की उम्मीद है. हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने गुरिल्लाओं के समायोजन की योजना को बनाने के लिए सरकार को 2008 के फैसले में निर्देश दिए थे. दिल्ली हाइकोर्ट ने कहा कि कोर्ट के फैसले को लेकर पिछले एक दशक के बाद भी गुरिल्लाओं के समायोजन की योजना क्यों नही बनायीं गयी.
तो हमारे पक्ष में होगा फैसला
इस संबंध में कोर्ट ने गृहमंत्रालय व एसएसबी महानिदेशक से हलफनामा प्रस्तुत करने को कहा है. उन्होंने कहा कि केस की अगली सुनवाई 12 अप्रैल 2018 को होनी है, अगर उस समय तक गुरिल्लाओं के समायोजन क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग को योजना नही बनती है, तो कोर्ट का फैसला निश्चित रूप से हमारे पक्ष में होगा और सरकार को योजना बनानी ही पड़ेगी.
अलग-अलग न लड़ें मुकदमा
उन्होंने गुरिल्लाओं से निवेदन किया कि वे अपना अलग-अलग मुकदमा न लड़ें. सभी संगठन के साथ चले. साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि 2 जनवरी 2018 को नई दिल्ली में डीआईजी के साथ बैठक हुई, जिसमे उन्होंने गुरिल्लाओं के लिए योजना बनाने का पूरा भरोसा दिया है. इस विशेष बैठक में कुलदीप ठाकुर, प्रीतम ठाकुर, बीएस बिलोरिया ने भाग लिया.
इस बैठक में संगठन के प्रवक्ता चुनी लाल ठाकुर, जिला महिला अध्यक्ष मीना शर्मा, मुरलीधर, गोहर के प्रधान टेकचंद ठाकुर, दौलत राम ठाकुर, डोला सिंह, राम सिंह, मानसुख, राजानंद, रवौर सिंह, प्रेम चंद, जोगीराम, पदम् सिंह, कुबेर, भवानी प्रकाश, गोपाल, जगतराम, नानक चंद, हरिचंद, रितु देवी, गौरी देवी, गिरी देवी, मैना देवी, निर्मला देवी, कला देवी ,बहादुरी देवी, माया देवी , लता देवी, चंपा देवी, धुमा देवी, जगती देवी, शकुंतला देवी, अनीता देवी आदि सैंकड़ों गुरिल्लाओं ने भाग लिया.
गोरिल्ला देख गदगद हुए बच्चे, लिया ट्रेड फेयर का आनंद
बुलंदशहर, जेएनएन : शहर के नुमाईश मैदान में शुरू हुए ट्रेड फेयर में रविवार को काफी भीड़ रही। बच्चे गोरिल्ला देख गदगद हो गए। उन्होंने मेले का खूब मजा लिया। मेले में सजी विभिन्न राज्यों की वस्तुएं देखी और खरीदारी भी की। शनिवार को ट्रेड फेयर का उद्घाटन हुआ था। इस मेले का दैनिक जागरण मीडिया पार्टनर है। हालांकि उद्घाटन वाले दिन तो खास भीड़ नहीं रही लेकिन रविवार को शाम होने से पहले ही लोग आने लगे थे। यहां उन्होंने सहारनपुर का फर्नीचर, मेरठ का आचार, हापुड़ का पापड़, आगरा का पेठा, बरेली का सुरमा, खुर्जा की पॉटरी, राजस्थानी और हरियाणवी व्यंजन के साथ असम, मणिपुर और गुजरात समेत कई प्रदेशों से आई दुकानों पर जाकर व्यंजनों का स्वाद लिया और वस्तुएं भी खरीदीं।
सबसे अधिक बच्चों की भीड़ गोरिल्ला व डायनासोर देखने वालों की रही। दूसरी ओर लखनवी कुर्ते, गुजराती, पंजाबी व हरियाणवी सूट, लहेंगे व दुपट्टे आदि खरीदने में युवक-युवतियां भी व्यस्त नजर आए। ट्रेड फेयर के झूले भी आनंद पहुंचाने वाले लगे हैं। झूलों पर महिलाओं की खूब भीड़ लगी रही। बच्चों के खिलौनों की दुकान की सजावट भी देखते ही बन रही है। बच्चे इन दुकानों की ओर क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग खूब आकर्षित हो रहे हैं। ट्रेड फेयर आयोजक दीपक जैन और नीरज जैन ने बताया कि इस बार के मेले में देखने, झूले, खाने व खरीदने के लिए सब कुछ बीते सालों से अलग है। रविवार से डायनासोर पार्क पूरी तरह खोल दिया गया है। खाने के स्टाल भी गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए लगवाए गए हैं। पहले दिन खासी भीड़ मेले में पहुंची है।
गुरिल्ला हमलों के लिए कश्मीरी युवकों की भर्ती, हिट लिस्ट में थे BJP नेता, NIA की चार्जशीट में पाकिस्तान की नापाक साजिश का भांडाफोड़
FATF की जांच और जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) की विशेष स्थिति को निरस्त करने से परेशान होकर पाकिस्तान (Pakistan) ने आतंकवाद के लिए कश्मीरी पत्रकारों और छात्रों की भर्ती की है
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने आतंकी साजिश के एक मामले में आरोप पत्र दायर किया है। इसमें दावा किया है कि FATF की जांच और जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) की विशेष स्थिति को निरस्त करने से परेशान होकर पाकिस्तान (Pakistan) ने आतंकवाद के लिए कश्मीरी पत्रकारों और छात्रों की भर्ती की है। इसके साथ ही उसकी हिट लिस्ट में बीजेपी कार्यकर्ता और उनके सहयोगी शामिल थे।
NIA ने अपने 2,000 पन्नों के आरोपपत्र में ऑडियो रिकॉर्डिंग, टेप और पूछताछ का हवाला देते हुए दावा किया है कि ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) ISI समर्थित द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) के हाइब्रिड आतंकवादी बन गए थे। उन्हें कश्मीर में सत्तारूढ़ दल के बीजेपी कार्यकर्ताओं, सहयोगियों और नेताओं को निशाना बनाने का काम सौंपा गया था।
एक 'कॉर्डिनेट ग्रुप'
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CNN-News18 की रिपोर्ट के मुताबकि, उस चार्ज शीट में कहा गया, "जांच से पता चलता है कि आरोपी इशफाक अमीन वानी ने जेके अपनी पार्टी के अल्ताफ बुखारी, बीजेपी की हिना बेग, बीजेपी के दूसरे कार्यकर्ताओं, कोर्ट कॉम्प्लेक्स, बटमालू और CRPF के साल्टेंग कैंप की रेकी की थी। क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग इशफाक ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी कमांडरों के निर्देश पर आतंकवादी संगठनों के सक्रिय कैडरों के साथ मिलकर इस काम को अंजाम दिया।"
NIA ने दावा किया है कि ISI ने अपनी प्लानिंग को आकार देने के लिए हिजबुल, लश्कर और क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग अल बद्र के सभी टॉप आतंकी कमांडरों की बैठक बुलाई थी।
यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के सैयद सल्लाहुद्दीन के नेतृत्व में बैठक के बाद एक 'कॉर्डिनेट ग्रुप' बनाया गया था, ताकि आतंकी संगठनों के कैडर एक दूसरे के साथ समन्वय कर सकें और लक्षित हमले कर सकें।
एजेंसी ने अपनी चार्जशीट में कहा, "UJC के प्रमुख सैयद सल्लाहुद्दीन ने खासतौर से प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के शीर्ष कमांडरों से कहा था कि वे कश्मीर घाटी में सभी पूर्व उग्रवादियों और अनुभवी ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) को फिर से संगठित करें। घाटी में गुरिल्ला हमले करने के लिए पैसे, हथियारों को लाने ले जाने के लिए स्थानीय भोले-भाले युवाओं को भर्ती करें।" इसमें कहा गया है कि ISJK और अंसार गजवत-उल-हिंद (AuGH) ने भी इस कॉर्डिनेट ग्रुप के साथ हाथ मिलाया है।
NIA ने आरोपियों के फोन से बरामद किए गए स्क्रीनशॉट भी इसमें लगाए हैं। इन स्क्रीन शॉट में इस्लामिक स्टेट (IS) के झंडे और ऐसी घटनाएं शामिल हैं, जहां IS का झंडा पकड़े हुए 'कश्मीर बनेगा अफगानिस्तान' के नारे लगाए गए थे।
चार्जशीट से जुड़े कई ऑडियो और वीडियो में आतंकवादी कमांडरों को घाटी की स्थिति के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को दोषी ठहराते हुए दिखाया गया है। इसमें "मोदी और उनके नेताओं को सबक सिखाने" के लिए कार्रवाई की मांग की गई है।
CNN-News18 ने चार्जशीट से जुड़ी एक ऑडियो फाइल सुनी, जिसमें एक संदिग्ध को पाकिस्तान में अपने हैंडलर से यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या करेगा।
ऑडियो में संदिग्ध को कहते हुए सुना जा सकता है, "मैं अपने साथ एक बंदा ले जाउंगा। उसके पास छोटा (पिस्टल) होगा, मेरे पास बड़ा (असॉल्ट राइफल)। अगर मौका मिलेगा तो उड़ देंगे दोनो को और भी अगर उनके साथ बीजेपी के होंगे तो उड़ा देंगे।"
NIA की जांच में यह भी दावा किया गया है कि TRF इसलिए बनाया गया था, क्योंकि पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के दबाव में था और आतंकवादियों के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई की जांच कर क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग रहा था।
MoneyControl News
First Published: May 06, 2022 12:53 PM
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क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग
PNN/ Faridabad: देश में कहर बरपाने वाली कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर जैसे-जैसे कमजोर पड़ती जा रही है, वैसे ही ‘किसान आंदोलन’ सक्रिय हो गया है। इस बार किसानों क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग ने कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए एक खास रणनीति तैयार की है। अब “गुरिल्ला आंदोलन” (Gurilla Andolan) शुरू क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग होगा। सरकार को ये समझ नहीं आएगा कि कब कहां क्या हो जाए। ये तय है कि इस नए आंदोलन में भाजपा के जनप्रतिनिधि, जिनमें मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक शामिल हैं, इनकी राह मुश्किल हो सकती है। किसान संगठनों का ‘काला झंडा’ इनका पीछा नहीं छोड़ेगा। जिस तरह से हरियाणा और पंजाब में भाजपा के जनप्रतिनिधियों के सामने हल्लाबोल कर क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग उनका सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लेना मुश्किल कर दिया था, अब वही तरीका उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आजमाया जाएगा। इसके बाद देश के दूसरे हिस्सों में भी भाजपा नेताओं को इसी तरह का विरोध झेलना पड़ सकता है।
ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के अध्यक्ष सत्यवान बताते हैं कि केंद्र सरकार अब किसानों की मांगों को लेकर आपराधिक प्रवृति की राह पर चल पड़ी है। यानी वह चाहती है कि ये आंदोलन लंबा खिंचता रहे और किसी तरह खुद क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग ही बदनाम हो जाए। सरकार पहले भी ऐसे प्रयास कर चुकी है।
सत्यवान कहते हैं, इस बार किसान आंदोलन नए रूप और नए तौर तरीकों के साथ लोगों के सामने आ रहा है। दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन चलता रहेगा, उसके अलावा ऐसी रणनीति बनाई गई कि ये आंदोलन देश के सभी जिलों में शुरू हो। सोशल मीडिया के माध्यमों के जरिए किसान अपनी बात राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाएंगे। 26 मई को किसान संगठन और सेंट्रल ट्रेड यूनियन मिलकर ‘काला दिवस’ मनाएंगी।
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ ‘एआईडीईएफ’ के महासचिव सी. श्रीकुमार कहते हैं, केंद्र सरकार ने किसानों का मजाक बनाकर रख दिया है। सरकार दोधारी तलवार की तरह काम कर रही है। एक तरफ किसानों को बर्बाद करने पर तुली है तो दूसरी ओर लाभ में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजी हाथों में सौंप रही है। सरकार की इन नीतियों के खिलाफ हल्लाबोल किया जाएगा। देश के कर्मचारी संगठन, किसानों के साथ खड़े हैं। जब तक तीनों काले कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जाता, तब तक सरकार के खिलाफ आंदोलन करते रहेंगे।
ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के अध्यक्ष सत्यवान के अनुसार, इस बार हमारा प्रयास है कि किसान आंदोलन देश के हर हिस्से में मजबूती के साथ खड़ा हो। पिछली बार सरकार यह कहती रही कि ये तो ढाई प्रदेशों के किसानों का आंदोलन है। इस बार सरकार का यह वहम तोड़ा जाएगा। सरकार के खिलाफ जनमत तैयार करने की रणनीति बनाई गई है। इस मुहिम में युवा, कामगार और महिलाएं शामिल रहेंगी। दो बातें अहम रहेंगी। एक, भाजपा नेताओं का उनके सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान काला झंडा दिखाकर घेराव किया जाएगा। दूसरा, देश के हर जिले में बीस, पचास या सौ युवाओं की ऐसी टोली तैयार की जाएंगी, जो भाजपा के मंत्रियों व पदाधिकारियों का पुतला फूंक सकें।
इसके साथ ही शहरों में किसान आंदोलन की दस्तक होगी। पंजाब और हरियाणा के शहरों में किसान आंदोलन का व्यापक असर देखने को मिला है। इसी तर्ज पर दूसरे राज्यों में आंदोलन का विस्तार होगा। सत्यवान बताते हैं, किसान संगठनों के नेताओं ने पश्चिम बंगाल में केंद्र सरकार की पोल खोली थी। वहां के लोगों ने किसानों की बात को ध्यान से सुना है। नतीजा आपके सामने है। अब लोगों को यह अहसास हो गया है कि भाजपा जनविरोधी नीतियों पर चल रही है।
जिस तरह हाल ही में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उनके गृह जिले में काले झंडे दिखा दिए गए, वैसे ही सभी मंत्रियों को अपने अपने क्षेत्रों में काले झंडे देखने को मिलेंगे। समाज के बौद्धिक वर्गों को साथ लिया जा रहा है। रोजाना फेसबुक पर प्रात: 11 बजे से एक बजे तक परिचर्चा हो रही है। नॉर्थ जोन और साउथ जोन में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उनमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाता है। अलग अलग राज्यों के किसानों द्वारा अपनी बात रखी जाती है। किसान संगठन, कोविड 19 के नियमों को ध्यान में रखकर आंदोलन को आगे बढ़ाते रहेंगे।
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