This Mutual Fund has generated positive returns for 10 out of last 12 months

This Mutual Fund has generated positive returns for 10 out of last 12 months

पिछले 1 साल में शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव रहा है। पिछले कुछ हफ्तों में, निफ्टी ऊपर चढ़ गया है, हालांकि, अभी भी कायम रहना और ऊपर की ओर बढ़ना बाकी है। इस अस्थिर बाजार में, मैं जांच कर रहा था कि किस फंड ने पिछले 12 महीनों में सकारात्मक रिटर्न की उच्च संख्या दी है और मुझे दिलचस्प तथ्य मिल सकते हैं। मैंने इस तरह के विश्लेषण को पाठकों के साथ साझा करने के बारे में सोचा, जो उपयोगी हो सकता है। इस लेख में हम 2022 में पिछले 12 महीनों में से 10 महीनों के लिए सकारात्मक रिटर्न देने वाले म्यूचुअल फंड के बारे में बात करेंगे।

हमने इस म्यूचुअल फंड को कैसे फ़िल्टर किया?

हमने भारत में सभी म्यूचुअल फंड योजनाओं पर विचार किया है। ईटीएफ को छोड़कर प्रत्यक्ष म्युचुअल फंड की सूची 536 नग आती है।

हमने पिछले 12 महीनों में हर महीने सबसे ज्यादा सकारात्मक रिटर्न देने वाले म्यूचुअल फंड को फिल्टर किया है। मतलब अगर किसी ने 1 पर निवेश किया होताअनुसूचित जनजाति और 30 पर बेच दियावां, उन्होंने लाभ कमाया होगा। यह रिटर्न के प्रतिशत के बावजूद है।

530 म्युचुअल फंडों में से, केवल एक म्युचुअल फंड ने 12 कैलेंडर महीनों में से 10 के लिए लगातार सकारात्मक रिटर्न उत्पन्न किया है और 5 अन्य म्युचुअल फंडों ने 12 में से 9 महीनों के लिए सकारात्मक रिटर्न उत्पन्न किया है। आईसीआईसीआई प्रू एफएमसीजी म्युचुअल फंड – डायरेक्ट प्लान जिसने 12 महीनों में से 10 के लिए सबसे अधिक सकारात्मक रिटर्न अर्जित किया है।

इस म्यूचुअल फंड ने इसी अवधि के दौरान 2 कैलेंडर महीनों के लिए 1.8% से 2% नकारात्मक रिटर्न के साथ 21 दिसंबर से 22 नवंबर तक 0.3% से 10.1% के बीच सकारात्मक रिटर्न उत्पन्न किया है।

आईसीआईसीआई प्रू एफएमसीजी म्यूचुअल फंड के बारे में

एफएमसीजी क्षेत्र का हिस्सा बनने वाली इक्विटी, इक्विटी से संबंधित प्रतिभूतियों में मुख्य रूप से किए गए निवेश के माध्यम से दीर्घकालिक पूंजी वृद्धि उत्पन्न करना। हालाँकि, इस बात का कोई आश्वासन या गारंटी नहीं है कि योजना का निवेश उद्देश्य प्राप्त हो जाएगा।

इस म्यूचुअल फंड में न्यूनतम निवेश 5,000 रुपये है।

कोई प्रवेश भार नहीं है।

15 दिनों के भीतर उसी एएमसी की दूसरी स्कीम में रिडीम करने या स्विच करने पर 1% का एग्जिट लोड लगता है।

इसका मौजूदा एयूएम 1,213 करोड़ रुपए है।

फंड का बेंचमार्क निफ्टी एफएमसीजी टीआरआई है

इसका वर्तमान व्यय अनुपात 1.45% है, जो थोड़ा अधिक है।

यह फंड कहां निवेश करता है?

जबकि यह फंड एफएमसीजी से जुड़े शेयरों में निवेश करता है, आइए हम वर्तमान संरचना पर नजर डालते हैं।

यह फंड अभी तक 22 शेयरों में निवेश करता है।

इस फंड की शीर्ष स्टॉक होल्डिंग्स में आईटीसी, एचयूएल, नेस्ले इंडिया, ब्रिटानिया, डाबर इंडिया, पी एंड जी, जिलेट इंडिया, ज्योति लैब्स, ज़ाइडस वेलनेस इत्यादि हैं।

म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन कैसा है?

ए) महीने के हिसाब से रिटर्न (दिसंबर-21 से नवंबर-22)

फंड मासिक रिटर्न
दिसंबर-21 0.59%
जनवरी -22 0.34%
फरवरी-22 -2.01%
मार्च-22 3.27%
अप्रैल -22 3.18%
मई -22 1.02%
जून-22 -1.86%
जुलाई-22 10.19%
अगस्त-22 2.01%
सितम्बर 22 0.36%
अक्टूबर -22 1.58%
नवम्बर-22 2.31%

  • 1 वर्ष – 21%
  • 3 साल – 18%
  • 5 साल – 13%
  • 10 वर्ष – 15%
  • 3 साल – 23% (10K मासिक SIP निवेश 3.6 लाख होता और यह निवेश बढ़कर 5 लाख रुपये हो जाता)
  • 5 साल – 17% (10K मासिक SIP निवेश 6 लाख होता और यह निवेश बढ़कर 9.2 लाख रुपये हो जाता)
  • 10 साल – 17% (10K मासिक SIP निवेश 12 लाख होता और यह निवेश बढ़कर 23 लाख रुपये हो जाता)

क्या आपको आईसीआईसीआई प्रू एफएमसीजी म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए?

इस म्युचुअल फंड ने पिछले 12 महीनों में से 10 महीनों में लगातार सकारात्मक रिटर्न दिया है। जबकि मैंने पहले भी कई बार संकेत दिया था, बेहतर रिटर्न पाने के लिए मध्यम अवधि से लंबी अवधि के लिए म्युचुअल फंड में निवेश करना चाहिए, यह लेख किसी भी ऐसे फंड पर ध्यान केंद्रित करने के लिए है जो कम अवधि में भी लगातार अच्छा प्रदर्शन करता रहा हो।

यह फंड एक सेक्टर फंड और हाई रिस्क है। हालांकि, एफएमसीजी सदाबहार क्षेत्रों में से एक है। यदि आप एक उच्च जोखिम वाले निवेशक हैं और अपने समग्र म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो के हिस्से के रूप में एक सेक्टर फंड बनाना चाहते हैं, तो आप मध्यम अवधि के परिप्रेक्ष्य में ऐसे फंड में निवेश कर सकते हैं। हालांकि, किसी को ऐसे फंड के एक्सपोजर को सीमित करना चाहिए क्योंकि यह सेक्टर फंड है, जो प्रकृति में चक्रीय हो सकता है और प्रदर्शन लघु से मध्यम अवधि में ऊपर या नीचे हो सकता है। मध्यम से कम जोखिम वाले निवेशकों को ऐसी म्यूचुअल फंड योजनाओं से बचना चाहिए।

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Mutual Fund Tax Ki Jaankari Hindi Me,

Zerodha

लेकिन अब जबकि 1 फरवरी 2018 से नियमो में बदलाव कर दिया गया है, और अब म्यूच्यूअल फण्ड में शोर्ट टर्म कैपिटल गेन के साथ mutual fund tax नियमो में long term capital gain tax भी लगा दिया गया है.

तो आइए आज के इस पोस्ट में हम म्यूच्यूअल फण्ड टैक्स के बारे डिटेल में समझने की कोशिश करते है, इस पोस्ट में हम जानेंगे कि –

  • म्यूच्यूअल फण्ड पर क़िस तरह के टैक्स लगते है?
  • म्यूच्यूअल फण्ड में किस तरह के टैक्स नहीं लगते है?
  • नया mutual fund tax नियम क्या है ?
  • टैक्स लगने की क्या क्या नियम और शर्ते है ?
  • म्यूच्यूअल फण्ड में टैक्स की क्या क्या छुट है ?

म्यूच्यूअल फण्ड पर कैपिटल गेन टैक्स

Mutual fund Tax की बात की जाये तो जैसे मैंने पहले कहा, म्यूच्यूअल फण्ड निवेश पर सीधे तौर पर आपको मुख्य रूप से दो टैक्स लगते है, जिन्हें आपको चुकाना होता है,

Short Term Capital Gain Tax

शोर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स की दर है -15 प्रतिशत,

अब सवाल है किस म्यूच्यूअल फण्ड निवेश को शोर्ट टर्म कैपिटल गेन के योग्य माना जायेगा ? तो इसका जवाब है –

EQUITY MUTUAL FUND और BALANCED MUTUAL FUND के केस में शोर्ट टर्म का मतलब है – 12 महीने से कम समय के भीतर ही म्यूच्यूअल फण्ड को ख़रीदा गया और बेच दिया गया.

जबकि DEBT MUTUAL FUND के केस में शोर्ट टर्म का मतलब है – 36 महीने से कम समय के भीतर ही म्यूच्यूअल फण्ड को ख़रीदा गया और बेच दिया गया.

ELSS FUND के CASE में Short Term Capital Gain Tax नहीं लगता, बल्कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन ही लगता है, क्योकि इसे आप 3 साल के बाद ही बेचते है,

Long Term Capital Gain Tax

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की दर है –20 प्रतिशत (इंडेक्सेशन को एडजस्ट करके) और 1 लाख तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स फ्री है,

इंडेक्सेशन को समझने के लिए he Cost Inflation Index (CII) को समझना होगा.

अब सवाल है किस म्यूच्यूअल फण्ड निवेश को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के योग्य माना जायेगा ? तो इसका जवाब है –

EQUITY MUTUAL FUND और BALANCED MUTUAL FUND के केस में लॉन्ग टर्म का मतलब है – अगर म्यूच्यूअल फण्ड को 12 महीने से अधिक समय तक होल्ड किया गया है यानि म्यूच्यूअल फण्ड को खरीदने के 12 महीने बाद उसे बेचा गया है, तो ऐसे केस में LONG TERM CAPITAL GAIN TAX लगता है,

जबकि DEBT MUTUAL FUND के केस में लॉन्ग टर्म का मतलब है – म्यूच्यूअल फण्ड को 36 महीने से अधिक डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? समय तक के लिए होल्ड किया गया है.

ELSS FUND के CASE में सिर्फ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन ही लगता है, क्योकि इसे आप 3 साल के बाद ही बेचते है,

म्यूच्यूअल फण्ड पर लगने वाले दुसरे TAX

ध्यान दीजिए कि म्यूच्यूअल फण्ड में कैपिटल गेन के आलावा भी कुछ एनी TAX लगते है, जो आपके म्यूच्यूअल फण्ड निवेश से मिलने वाले लाभ या जब आप आप म्यूच्यूअल फण्ड निवेश को डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? बेचते है तो देना होता है, ऐसे तीन टैक्स है –

  1. TDS (Tax Deducted at source) – TDS सिर्फ NRI (नॉन रेजिडेंट इंडियन) के ऊपर लगता है, भारत के निवासी के म्यूच्यूअल फण्ड निवेश पर टीडीएस नहीं लगता है बल्कि DDT (Dividend Distribution Tax) लगता है.
  2. DDT (Dividend Distribution Tax) – जब कंपनी आपको डिविडेंड देती है, तो कंपनी पहले ही आपके डिविडेंड से इस टैक्स डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? को काट कर बचा हुआ पैसा ही आपको डिविडेंड के रूप में देती है.
  3. STT (Securities Transaction Tax) – जब भी आप कोई म्यूच्यूअल फण्ड बेचते है जिसमे EQUITY का हिस्सा 65% से अधिक होता है तो उस पर म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी को STT Securities Transaction Tax चुकाना होता है, ध्यान दीजिए कि STT राशी को आपके म्यूच्यूअल फण्ड निवेश को बेचने से मिलने वाले रूपये से काट लेती है, और STT काटने के बाद बचा हुआ पैसा आपको दिया जाता है.
  4. GST (Goods and Service Tax) – म्यूच्यूअल फण्ड को 18% के हिसाब से exit लोड के रूप में gst भी चुकाना होता है, जो आपके निवेश के मूल्य से कट कर दिया जाता है, और बचा हुआ पैसा ही आपको मिलता है.

तो, दोस्तों, आज के इस पोस्ट में मैंने आपसे MUTUAL FUND TAX के बारे में बात की, इसके बारे में अन्य जानकारी AMFI की वेबसाइट पर भी पढ़ सकते है,

पोस्ट के बारे में अपने सुझाव या सवाल आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते है, पोस्ट पूरा पढने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद.

Year Ender 2018: ये आर्थिक नियम जो इस साल बदल गए, आपकी जिंदगी पर डाला असर

ये साल पैन कार्ड को लेकर हरकत भरा रहा. पैन कार्ड को लेकर इस साल नियमों में 2 बार बदलाव किए गए. 2018 में पैन कार्ड की अर्जी देने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया.

By: एबीपी न्यूज, वेब डेस्क | Updated at : 26 Dec 2018 09:32 PM (IST)

नई दिल्लीः साल 2018 खत्म होने को है और 2019 दस्तक दे रहा है. ये साल आर्थिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहा है क्योंकि टैक्स नियमों से लेकर पैन कार्ड तक, आधार कार्ड से लेकर म्यूचुअल फंड तक और एनपीएस से लेकर शेयर मार्केट तक में कई नियम बदले हैं जिनका आपकी जिंदगी पर बड़ा असर हो रहा है. इस साल आर्थिक जगत में कौन कौन से नियम बदले हैं इसकी सारी जानकारी आपको यहां मिल पाएगी.

पैन कार्ड से जुड़े ये नियम बदले गए ये साल पैन कार्ड को लेकर हरकत भरा रहा. पैन कार्ड को लेकर इस साल नियमों में 2 बार बदलाव किए गए. 2018 में पैन कार्ड की अर्जी देने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए ये आदेश दिया कि जिसके पास भी 1 जुलाई 2017 तक पैन नंबर है उसे इसे आधार से लिंक करना जरूरी होगा. 31 मार्च 2019 इसके लिए आखिरी तारीख तय की गई है.

5 दिसंबर को लागू किए गए नियमों में पहले पैन कार्ड में ट्रांसजेंडर का ऑप्शन जोड़ा जा चुका है. वहीं एक और फैसला किया गया जिसके तहत माता-पिता के अलग होने के हालात में पिता का नाम देना पैन कार्ड की अर्जी में जरूरी नहीं रह गया है. यानी सिंगल मदर के बच्चों को पैन कार्ड में अपने पिता का नाम देना अनिवार्य नहीं होगा. ये एक काफी अच्छा नियम बनाया गया है जिससे एप्लीकेशन देने वालों को काफी आसानी होगी.

इसके अलावा अब विदेश में पैसा भेजने पर पैन कार्ड नंबर देना जरूरी कर दिया गया है.

आईटीआर और इनकम टैक्स से जुड़े ये नियम बदले इनकम टैक्स रिटर्न को देर से फाइल करने पर पेनल्टी का नियम साल 2018 में ही तय किया गया. नए नियमों के मुताबिक देरी से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों पर 10,000 रुपये तक की पेनल्टी या फाइन लग सकता है. छोटे टैक्स पेयर्स के लिए 1 हजार रुपये की पेनल्टी का नियम बनाया गया है.

अगर आपसे इनकम टैक्स रिटर्न भरने में गलती हो जाती है तो इसको ठीक करने के लिए अगले साल की 31 मार्च तक का ही वक्त आपको मिल पाएगा. पहले के नियमों के मुताबिक करदाता को रिटर्न सही करवाने के लिए 2 साल तक का वक्त मिलता था.

अब सीनियर सिटीजन के लिए 50 हजार तक के ब्याज पर कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा. इसके लिए सरकार ने इनकम टैक्स एक्ट में 80टीटीटीबी नाम का नया सेक्शन जोड़ा है. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय ये डिडक्शन मौजूद रहेगा और इसका फायदा सीनियर सिटीजन्स को मिलेगा.

बजट में हुए बदलाव बजट 2018 में नौकरीपेशा लोगों के लिए एक बड़ा बदलाव किया गया जिसके तहत अब स्टैंडर्ड डिडक्शन को मेडिकल और ट्रांसपोर्ट अलाउंसेस की जगह लाया गया. इसके तहत 40 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा और इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय इसका दावा किया जा सकता है.डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है?

डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स इस साल के बजट में इक्विटी म्यूचुअल फंड पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स भी लगाया गया है. इसके लिए 1 अप्रैल 2018 की तारीख तय की गई थी और इस तारीख से इक्विटी म्यूचुअल फंड पर के डिविडेंड पर 10 प्रतिशत टैक्स लगना शुरू हो चुका है. बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स का प्रस्ताव किया गया. इक्विटी और इक्विटी बेस्ड म्यूचुअल फंड के बेचने पर 1 लाख रुपये से ऊपर के फायदे पर 10 फीसदी टैक्स का प्रोविजन किया गया. ये तभी लागू होता है जब आप 1 साल बाद इक्विटी और इक्विटी बेस्ड म्यूचुअल फंड बेचते हैं.

सेस में भी हुई बढ़ोतरी 1 अप्रैल 2018 से टैक्स पेमेंट पर सेस को 3 फीसदी से बढ़कर 4 फीसदी किया गया. यानी इसमें 1 फीसदी की बढ़त कर दी गई. इसके तहत एजुकेशन सेस 0.5 फीसदी और हेल्थ सेस 0.5 फीसदी लगाया गया.

Published at : 26 Dec 2018 09:31 PM (IST) Tags: ses Income Tax Return itr aadhar pan card Year Ender 2018 Year-ender हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

भारत में विभिन्न प्रकार के टैक्स

1.- Direct Tax में सबसे पहला टैक्स है Income Tax हर एक व्यक्ति, जिसकी आय taxable limit से ज्यादा होती है, उसे Income tax देना होता है। भारत में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा की सालाना आय पर इनकम टैक्स देना होता है।

2.- भारत में दूसरा Direct Tax है Capital Gains Tax. इसके तहत अगर आपकी संपत्ति, शेयर, बॉन्ड्स या महंगी वस्तुओं को बेचकर आप मुनाफा कमाते हैं तो आपको ये टैक्स सरकार को चुकाना होता है।

3.- तीसरा Direct tax है Securities Transaction Tax. इसके तहत stock exchange में हर transaction पर आपको टैक्स देना होता है।

4.- चौथे प्रकार का Direct tax टैक्स है Corporate Tax, जिसके तहत देश भर की कंपनियां अपनी आय पर सरकार को टैक्स देती हैं।

5.- Indirect Taxes के तहत वस्तुओं को बेचने पर लगने वाले टैक्स को Sales Tax कहते हैं। जिसका सीधा बोझ ग्राहक पर पड़ता है।

6.- ज्यादातर राज्य सरकारें वस्तुओं और सेवाओं पर Value Added Tax यानी VAT भी लगाती हैं। VAT की दर अलग-अलग राज्यों में अलग अलग है।

7.- सभी सेवाओं पर लगने वाले टैक्स को Service Tax कहते हैं। अभी भारत में आपको हर सेवा पर 15 फीसदी Service Tax देना पड़ता है।

8.- भारत में विदेश से आयात होकर आने वाले सामानों पर सरकार Custom duty लगाती है।

9.- देश में बनने वाले उत्पादों पर लगने वाले टैक्स को Excise Duty कहते हैं।

10.- इसके अलावा सरकार वकीलों, डॉक्टरों, चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेट्री जैसे Professionals से Professional tax भी वसूलती है।

11.- जो कंपनियां अपने निवेशकों को अपने लाभ का हिस्सा देती हैं, उन्हें सरकार को Dividend distribution Tax देना होता है ।

12.- इसके अलावा हर शहर का नगर निगम, किसी संपत्ति के मालिक से property tax के रूप में Municipal Tax वसूलता है।

13.- राज्य सरकारें फिल्म shows, प्रदर्शनियों, DTH service और cable service पर Entertainment Tax लगाती हैं, जो आखिरकार ग्राहकों से वसूला जाता है।

14.- अगर आप कोई संपत्ति खरीदते हैं तो आप अपनी राज्य सरकार को Stamp Duty भी चुकाते हैं।

15.- इसके अलावा सरकार आपके income tax पर 3 प्रतिशत का Education Cess भी लेती है

16.- अगर आपको साल भर में 50 हज़ार रुपये की कीमत से ज्यादा का कोई गिफ्ट मिलता है तो सरकार आपसे Gift Tax भी लेती है।

17.- इसके अलावा Toll Tax से तो आप सब वाकिफ हैं ही। लगभग हर शहर में सड़कों और पुलों के इस्तेमाल पर आपको toll tax देना होता है

- 15 नवंबर 2015 से टैक्स के दायरे में आने वाली सेवाओं पर केन्द्र सरकार ने स्वच्छ भारत सेस लगाने का ऐलान भी किया है।

- देश में किसानों के हालात सुधारने के लिए कृषि कल्याण सेस भी लिया जाता है।

- इस बार के बजट में वित्त मंत्री ने Infrastructure Cess लगाने का ऐलान किया था, जो कार और वाहनों पर लगाया जाता है।

- भारत की कुल जनसंख्या के सिर्फ 4 फीसदी लोग ही income tax चुकाते हैं। Income Tax डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? उन सुविधाओं के लिए चुकाना चाहिए जो उसे देश के नागरिक होने की हैसियत से मिलती हैं।

- वर्ष 2014-15 में सिर्फ 5 करोड़ 17 लाख लोगों ने अपना Income Tax Return भरा जो भारत की जनसंख्या का सिर्फ 4 फीसदी है।

- 32 करोड़ की जनसंख्या वाले अमेरिका में करीब 14 करोड़ 40 लाख नागरिक अपना income tax चुकाते हैं।

- South Carribean Sea में स्थित Aruba island के 59 प्रतिशत लोग टैक्स चुकाते हैं
स्वीडन और डेनमार्क के 56 प्रतिशत लोग टैक्स देते हैं। Netherlands के 52 फीसदी लोग टैक्स देते हैं जबकि बेल्जियम, जापान, आस्ट्रिया और इंग्लैंड के 50 प्रतिशत लोग टैक्स चुकाते हैं।

जब Budget का गणित समझने के लिए लोगों को करना पड़ा संघर्ष

बिजनेस डेस्क: बहुत शोर सुनते थे पहलू में दिल का.. इसी तरह जो लोग महीनों से बजट का इंतजार कर रहे थे, अबवो सकते में हैं। करीब-करीब पौने तीन घंटे का बजट भाषण सुनने के बाद ये कहना ही मुश्किल था कि बजट में क्या है और ऐसा क्या है जिससे अर्थव्यवस्था में नई जान आएगी। शेयर बाजार ने तो साथ ही साथ दिखा दिया कि उसे कैसा लगा बजट। हालांकि सरकार का कहना है कि ये भारी गिरावट जल्दबाजी का नतीजा है और सोमवार को बजट समझने के बाद रुख बदल सकता है।

जिस हिस्से को सबसे ज्यादा ध्यान से सुना गया वो था इनकम टैक्स का नया गणित। ऐसा लगा कि कुछ तो राहत मिली। लेकिन कुछ ही देर में समझ में आने लगा कि एक हाथ दे दूसरे हाथ ले की कहानी है और इसमें भी देने से ज्यादा लेना ही भारी है। ज्यादातर लोगों के लिए तो ये गणित इतना मुश्किल है कि अब उन्हें एक सीए की जरूरत पड़ेगी ये समझने के लिए कि सारी छूट त्याग कर नया वाला टैक्स सिस्टम मान लें या पुराने रेट पर टैक्स भरकर छूट लेते रहें। कौन-कौन सी छूट चली गई है ये जानकर और झटका लगेगा। शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों के लिए राहत की खबर थी डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स खत्म होना, लेकिन यह उन्हीं कंपनियों के शेयर होल्डरों के लिए तकलीफ बन गई। क्योंकि अब उन्हें जो डिविडेंड मिलेगा उसपर टैक्स देना पड़ेगा।

दूसरा हड़कंप मचा है ये सुनकर कि सरकार जीवन बीमा निगम में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने के लिए आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है। हजारों लोग इस फिक्र में डूब गए हैं कि उनकी पॉलिसी के पैसे खतरे में तो नहीं पड़ जाएंगे। बरसों से वो जो पैसा एलआईसी में लगा रहे थे वो डूब तो नहीं जाएगा। तो ये फिक्र त्याग दें। आपके लिए ऐसा कोई खतरा नहीं है। उल्टे ये इस बजट का एक साहस भरा फैसला है। एलआईसी की यूनियन ने इसका विरोध शुरू कर दिया है और विपक्ष भी हल्ला मचा रहा है। लेकिन अगर सरकार ये कदम उठा लेगी तो इसके कई फायदे हैं। एक तो समय रहते कंपनी की हिस्सेदारी बेचकर वो अच्छी कीमत पा सकती है और दूसरे लिस्टिंग के बाद कंपनी का मैनेजमेंट भी ज्यादा जवाबदेह होगा और आपके पैसे का क्या इस्तेमाल होता है ये आप भी देख पाएंगे।

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