डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं
एटीएम/डेबिट कार्ड का प्रकार
डेबिट कार्ड प्रभार
जारी करने का प्रभार – निशुल्क
वार्षिक रखरखाव प्रभार – लागू प्रभार के अनुसार
हमारे बैंक के एटीएम का उपयोग
प्रतिमाह 5 लेनदेन (वित्तीय + गैर-वित्तीय) निशुल्क
अन्य बैंक के एटीएम का उपयोग
महानगरों में प्रतिमाह 3 लेनदेन (वित्तीय + गैर-वित्तीय) या अन्य केन्द्रों में प्रतिमाह 5 लेनदेन (वित्तीय + गैर-वित्तीय) निशुल्क है.
एटीएम से नकद निकासी की सीमा
पीओएस की सीमा
डेबिट कार्ड के साथ निशुल्क व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा (मृत्यु) कवर*
एसएमएस बैंकिंग प्रभार
लागू प्रभार के अनुसार
चेक के पन्ने जिसमें व्येक्तिक चेक के पन्ने भी शामिल है.
20 पन्ने निशुल्क / वर्ष. 20 पन्ने से अधिक पन्ने के लिए लागू प्रभार के अनुसार
आइए जानते हैं क्या होता है डीमैट अकाउंट, इसे कैसे खोलते हैं
डीमैट अकाउंट क्या है (What is Demat Account in Hindi):
डीमैट का पूरा फुल फॉर्म Dematerialize है। डीमैट अकाउंट एक ऐसा अकाउंट होता है जिसके माध्यम से लोग शेयर बाजार में शेयर की खरीद डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं और बिक्री आसानी से कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति आसानी से अपना डीमैट अकाउंट खुलवा सकता है। इसके लिए पैन कार्ड (PAN CARD) होना जरूरी है। बिना पैन कार्ड के कोई भी व्यक्ति डीमैट अकाउंट नहीं खुलवा सकता है।
इस तरह से हम कह सकते हैं कि डीमैट अकाउंट का इस्तेमाल शेयरों को खरीदने और बेचने के लिए लोग करते हैं। जिस तरह से लोग अपना पैसा बैंक अकाउंट में जमा करके रखते हैं। ठीक उसी तरीके से डीमैट अकाउंट में लोग शेयर को जमा कर के रखते है। डीमैट अकाउंट होने से हम जिस तरह से ऑनलाइन डिजिटल पेमेंट करते हैं उसी तरीके से शेयर को भी एक अकाउंट से दूसरे डीमैट अकाउंट में डिजिटल ट्रांसफर कर सकते हैं। अर्थात शेयरों को भौतिक रूप में बदलने की प्रक्रिया को डिमैटेरियलाइजेशन कहा जाता है। पहले के समय में जब लोग शेयर को खरीदते थे तो कंपनी शेयर से जुड़े दस्तावेज भेज दी थी। जो इस बात का सबूत होते थे कि आपने उस कंपनी के शेयर में निवेश कर रखा है। वही जब आप शेयर को बेचते थे तो वही दस्तावेज कंपनी को दिया जाता था और उसमें लिखें भाव के हिसाब से आपको पैसा दिया जाता था। यह प्रक्रिया काफी जटिल होती थी। यही वजह थी कि आम जनता शेयर मार्केट में निवेश करने से बचती थी। समय के साथ नई तकनीक आई। आज इंटरनेट के दौर में सब कुछ डिजिटल हो गया है। ऐसे में शेयर की खरीद और बिक्री भी डिजिटल माध्यम से होने लगी है और अब डीमेट अकाउंट के जरिए होती है।
डीमेट अकाउंट खोलने के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट
- पैन कार्ड PAN CARD
- आधार कार्ड AADHAR CARD
- पासपोर्ट साइज की दो फोटो
- कैंसिल चेक
- सेविंग बैंक खाता पासबुक
भारत में डीमेट अकाउंट खोलने के लिए जो संस्थाएं है –
- एनएसडीएल (NSDL – National Security Depository Limited)
- सीडीएसएल (CDSL – Central Security Depositary Limited)
आज भारत में इन दोनों कंपनियों के 500 से भी अधिक एजेंट है। जिन्हें डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स के नाम से जाना जाता है। यह लोगों का डीमेट अकाउंट खोलने का काम करती है। डीमेट अकाउंट बैंक ही नहीं बल्कि अन्य संस्थाएं भी हो सकते हैं जिसमें प्रमुख रूप से भारत में डीमेट अकाउंट खोलने वाली संस्था sharekhan, india infoline आदि है।
लोग अब घर बैठे इंटरनेट की मदद से ऑनलाइन डीमेट अकाउंट बहुत आसानी से खोल सकते हैं। इसके लिए सबसे अनिवार्य डॉक्यूमेंट पैन कार्ड (PAN कार्ड) है। पैन कार्ड रहने पर मिनटों में डीमैट अकाउंट खोला जा सकता है।
डीमैट अकाउंट demat account का क्या मतलब होता है?
आज हम बात करेंगे डीमेट अकाउंट demat account होता क्या है,डिमैट अकाउंट demat account हम कैसे खोल सकते हैं. डिमैट अकाउंट demat account खोलने के क्या फायदे हो सकते हैं इसके बारे में हम विस्तारपूर्वक जानेंगे। आपको बता दें कि आप लोगों ने इसके बारे में एक नेट पर बहुत से पोस्ट पढ़े होंगे। पर कोई भी वेबसाइट आपको हिंदी में जानकारी नहीं बताएगी लेकिन हम आपको इसके बारे में हिंदी में अच्छे से समझाएंगे।
डिमैट अकाउंट demat account के जरिए ही लोग शेयर बाजार में शेयर खरीदे और बेच सकते हैं। इस अकाउंट को खुलवाने के लिए आपके पास पैन कार्ड का होना जरूरी है बिना पैन कार्ड के आप डीमेट अकाउंट demat account नहीं खोल सकते। कुछ साल पहले जब भी आप किसी कंपनी के शेयर खरीदे थे. तो कंपनी आपको उनसे जुड़े कुछ कागज भेजती थी वह कागज इस बात का सबूत होते थे कि आपने उस कंपनी में निवेश किया है, और उस कंपनी में शेयर खरीद रखे हैं पर डिमैट अकाउंट के आने के बाद सब बदल गया है ,इसके बारे में चलिए आपको बताते हैं.
डीमैट अकाउंट क्या है
आपको बता दें कि डिमैट अकाउंट Demat account में लोगों द्वारा शेयर खरीदने और बेचने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जिस प्रकार हम अपने पैसे बैंक अकाउंट में रखते हैं उसी प्रकार से लोग डिमैट Demat account खाते में अपने शेयर रखते हैं. जब भी हम अपने बैंक खाते से पैसा निकालते हैं, तो वह हमें भौतिक रूप में मिलता है, लेकिन जब तक यह बैंक में है, वह डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं डिजिटल मुद्रा डिजिटल मुद्रा है। जब भी हम डेबिट कार्ड debit card से कहीं पर पेमेंट करते हैं, तो किया भी डिजिटल पेमेंट digital payment यानी कि इलेक्ट्रॉनिक Money Transfer का एक रूप होती है. इसी तरह जब हमारे पास डिमैट अकाउंट Demat account में शेयर होते हैं तो हम उनको किसी दूसरे व्यक्ति के लिए Demat account में digitally ट्रान्सफर कर सकते हैं .
आसान शब्दों में बात की जाए तो शेयरों को Digitally यानी कि इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखने की सुविधा को डिमैट कहते हैं. डीमैट का पूरा नाम “डिमैटरियलाइज़” सिक्योरिटी है यानी शेयरों को भौतिक रूप से बदलने की प्रक्रिया को डीमैटरियलाइज़ेशन कहा जाता है।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पुराने समय में जब भी कोई शेयर खरीदा थे। तो कंपनी आपको उस शेयर से जुड़े सारे दस्तावेज भेज दी थी वह इस बात का सबूत होते कि थे कि आपने शेयर में निवेश किया है, लेकिन जब भी आप उस शेयर को बेचते थे, तो पहले और दस्तावेज कंपनी के कार्यालय में जाते थे, वहां कंपनी देखती थी कि जब आप शेयर बेचते थे तो उसकी कीमत क्या थी, और उसके अनुसार आपको पैसे मिलते थे, इस प्रक्रिया में लंबा समय लगता था समय। यह जटिल होने के साथ-साथ खराब भी था, इसलिए ज्यादातर लोग शेयरों में निवेश करने से बचते रहे।
अपने जैसे ही शेयर खरीदा होगा कुछ ही समय के बाद आपके अकाउंट में आ जाएगा, और आप अगर कोई शेयर बेचते हैं, तो उसका पैसा उसी समय आपके अकाउंट में दे दिया जाएगा। आजकल तो शेयर खरीदने या बेचने के लिए कंप्यूटर की भी आवश्यकता नहीं पड़ती .
डीमैट खातों तक पहुंचने के लिए आपको एक पासवर्ड की आवश्यकता होती है और transaction के लिए आपको transaction password दर्ज करना होता है।
Documents जिनकी जरुरत होती हैं : –
Pan Card / Pan Card
Aadhar Card / Aadhar Card
2 passport size photographs
Canceled Check / Savings Bank Account Passbook
Demat Account खोलने में कितने रुपये लगते है?
अगर आप सोच रहे हैं कि डीमेट अकाउंट demat account को खोलने में आपको ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे तो आप गलत सोच रहे हैं आपको एक डिमैट अकाउंट खोलने में आप300 से 700 ₹ आसानी से demat account खोल सकते हैं, और आप शेयरों में निवेश शुरू कर सकते हैं।demat account अकाउंट को खुलवाने के लिए आपको वैसे तो मात्र ₹300 या उससे कुछ ज्यादा रुपए खर्च करने पड़ते हैं पर डीमेट अकाउंट को चलाने के लिए डीपी आपसे कई तरह की फीस लेती है, हर चीज के लिए अलग फीस होती है.यह फिर अलग-अलग कंपनी डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं में अलग-अलग हो सकती है.
आपको बता दें कि इसमें सबसे पहले जो फीस ली जाती है वह होती है अकाउंट ओपनिंग फीस opening fee इसके बाद अकाउंट को मैनेज करने के लिए जो फीस ली जाती है वह होती है एनुअल मैनेजमेंट annual management फीस या फिर कंपनी शुरुआत में ही ले लेती है और साल भर खाते को मैनेज करके फिर उसे रखा जाता है.
Transaction fees: इसका मतलब है जब भी कोई शेयर कर दो डिमैट अकाउंट में आदान-प्रदान किया जाता है तो उसके लिए कंपनी एक अलग से शुल्क चार्ज करती है वह शुल्क शेयर के नंबर और उनकी कीमत के अनुसार हो सकता है अगर आप बाजार में नए-नए हैं तो आपको यह सलाह दी जाएगी कि आप निवेश करने से पहले किसी ब्रोकर से अवश्य सहायता ले।
डीमैट खाता कौन खोलेगा
आपको बता दें कि यदि आप भारत में डीमेट अकाउंट खोलना चाहते हैं तो भारत में 2 संस्थाएं कार्य करती हैं पहली NSDL (National Securities Depository Limited) और दूसरी CDSL (central securities depository limited). इनके करीबन 500 से अधिक एजेंट है, जिनको डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंटdepository participants कहा जाता है. इनका डीमैट अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं काम खाता खुलवाना होता है और इन्हें आम भाषा में डीपी भी कहा जाता है. ऐसा जरूरी नहीं है कि डीपी कोई बैंक ही हो और सिर्फ वही डिमांड अकाउंट खोल सकती है इसके अलावा कोई भी कई संस्थाएं हैं जो कि डिमैट अकाउंट खोल सकती है इनमें से कुछ मुख्य संस्थाएं जैसे कि sharekhan,india infoline आदि है.
आप इनके दफ्तर जाकर भी डीमैट अकाउंट खुलवा सकते हैं या फिर आप अपने घर बैठे ही डिमैट अकाउंट ऑनलाइन इन ट्रेंड की मदद से खोल सकते हैं यह क्रिया बहुत ही सरल है और इसको खोलने के लिए आपके पास पैन कार्ड का होना बहुत ही जरूरी है.
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डिविडेंड मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है. अंतरिम डिविडेंड, फाइनल डिविडेंड और स्पेशल डिविडेंड. अगर आप किसी कंपनी के डिविडेंड का लाभ उठाना चाहते हैं तो रिकॉर्ड डेट के दिन वह शेयर आपके डीमैट अकाउंट में होना जरूरी है.
अगर आप शेयर बाजार के निवेशक हैं तो डिविडेंड या लाभांश के बारे में जरूर सुना होगा. जब कभी इसकी चर्चा होती है तो इसके साथ कई तरह के टर्म का इस्तेमाल किया जाता है. जैसे स्पेशल डिविडेंड, रिकॉर्ड डेट, एक्स डिविडेंड डेट, अंतरिम डिविडेंड, फाइनल डिविडेंड. इस आर्टिकल में आपको इन तमाम टर्मों का मतलब बताएंगे जिससे आने वाले दिनों में आप इसका उचित फायदा उठा सकें.
सबसे पहले डिविडेंड डिक्लेरेशन डेट होता है. यह वह तारीख होती है जिस दिन किसी कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर डिविडेंड की घोषणा करता है. जिस दिन कंपनी डिविडेंड की घोषणा करती है उसके साथ दो और डेट की घोषणा की जाती है. ये दो डेट होते हैं रिकॉर्ड डेट और पेमेंट डेट. रिकॉर्ड डेट वह डेट होती है जिस दिन कंपनी यह देखती है कि कौन-कौन इन्वेस्टर्स हैं, जिनके डीमैट अकाउंट में शेयर्स हैं.
डीमैट अकाउंट में शेयर होना जरूरी
अगर आपको डिविडेंड का लाभ चाहिए तो रिकॉर्ड डेट के दिन आपके डीमैट अकाउंट में शेयर्स होने चाहिए. उदाहरण के तौरन पर कंपनी A ने डिविडेंड की घोषणा की और 20 सितंबर उसका रिकॉर्ड डेट है. आपको डिविडेंड का लाभ तभी मिलेगा जब 20 सितंबर को वह शेयर आपके डीमैट अकाउंट में हो.
रिकॉर्ड डेट से पहले होता है एक्स डिविडेंड डेट
रिकॉर्ड डेट से एक या दो कारोबारी सत्र पूर्व एक्स डिविडेंड डेट होता है. डिविडेंड का लाभ उठाने के लिए निवेशकों को एक्स डिविडेंड डेट से पहले शेयर की खरीदारी करनी होगी ताकि वह शेयर उसके डीमैट अकाउंट में रिकॉर्ड डेट के दिन रहे. यहां इस बात को समझना जरूरी है कि इंडियन स्टॉक मार्केट में जब आप कोई शेयर खरीदते हैं तो T+2 में वह आपके डीमैट अकाउंट में पहुंचता है. इसलिए एक्स डिविडेंड डेट से पहले तक खरीदारी करनी होगी. एक्स डिविडेंड डेट के दिन खरीदारी करने पर डिविडेंड का लाभ नहीं मिलेगा.
क्या होता है अंतरिम और फाइनल डिविडेंड?
इसके अलावा मुख्य रूप से दो- अंतरिम और फाइनल डिविडेंड होता है. किसी वित्त वर्ष के लिए जब तक बुक्स ऑफ अकाउंट क्लोज नहीं होता है, उससे पहले कंपनी जब डिविडेंड की घोषणा करती है तो उसे अंतरिम डिविडेंड कहते हैं. ये शेयर होल्डर्स की सहमति से वापस भी लिए जा सकते हैं. फाइनल डिविडेंड वह डिविडेंड होता है जब फाइनेंशियल ईयर समाप्त होने पर कंपनी एनुअल जनरल मीटिंग के समय इसकी घोषणा करता है. इस डिविडेंड को वापस नहीं लिया जा सकता है.
क्लोजिंग भाव के मुकाबले 5 फीसदी से ज्यादा हो डिविडेंड
इन दो तरह के डिविडेंड के अलावा एक स्पेशल डिविडेंड भी होता है जिसकी घोषणा कंपनी की तरफ से कभी भी की जा सकती है. जी बिजनेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जब कोई कंपनी स्टॉक प्राइस के मुकाबले 5 फीसदी से ज्यादा के डिविडेंड की घोषणा करती है तो उसे स्पेशल डिविडेंड माना जाता है. जैसे 11 सितंबर को एक शेयर का क्लोजिंग भाव 100 रुपए है और उसने 6 रुपए प्रति शेयर डिविडेंड की घोषणा की है तो इसे स्पेशल डिविडेंड माना जाएगा.
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