दवा सुरक्षा

रोगी और उसके देखभालकर्ताओं के लिए दवाओं का प्रबंधन करना एक बहुत बड़ी चुनौती होती है। परिवार के लोग अक्सर विभिन्न दवाओं में भ्रमित हो जाते हैं। हर दवा की खुराक, इसकी आवृति और इसे लेने का तरीका अलग-अलग हो सकता है। इतनी सारी दवाओं को देखकर भ्रमित हो जाना स्वाभाविक है। लेकिन निम्न कुछ युक्तियों को अपनाकर परिवार के लोग दवाओं का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं।

सभी दवाओं का रिकॉर्ड रखें

सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि बच्चे की दवाओं की सूची और दवा से जुड़ी जानकारियां इस प्रकार से रखी हों कि इनका आसानी से इस्तेमाल किया जा सके।

दवा से जुड़ी जानकारियों और निर्देशों तक सभी देखभाल करने वालों की पहुंच होना सुनिश्चित करें। बहुत से परिवार इन सूचनाओं को बाइंडर में दर्ज करके रखते हैं, ताकि इन्हें व्यवस्थित रखा जा सके और आवश्यकता पड़ने पर इनका उपयोग किया जा सके।

जब भी आप अपने चिकित्सक के पास या फॉर्मेसी पर जाएं, तो इस दवा की सूची को साथ ले जाना न भूलें।

निर्देशों को स्पष्टता से समझ लें

हर दवा के लिए, उस दवा को लेने के बारे में विशिष्ट निर्देश लिखकर रखें, जैसे कि:

  • दवा की खुराक – हर बार कितनी दवा ली जानी चाहिए? इसका मापन किस प्रकार से करना है (गोली, सीरिंज या दवा का कप)? याद रखें, घरों में इस्तेमाल की जाने वाली मापन इकाईयों जैसे कि छोटी चम्मच या बड़ी चम्मच का उपयोग दवा की खुराक के मापन के लिए न करें।
  • दवा का शेड्यूल – दवा कितने अंतराल से लेनी है और दिन में किस समय लेनी है?
  • दवा लेने के बारे में विशिष्ट निर्देश – दवा को किस प्रकार से लिया जाना है (खाने के साथ या बिना खाए, सोने से पहले आदि)?

हर दवा की रीफ़िल प्रक्रिया के बारे में पूछें। आपकी कुछ दवाओं के लिए, सुरक्षा, उपलब्धता और अन्य मानकों के लिए कुछ विशेष आवश्यकताएं होने के कारण, चिकित्सक और फॉर्मासिस्ट द्वारा अतिरिक्त चरणों का पालन किया जा सकता है। अपने चिकित्सक या फॉर्मासिस्ट से किसी भी विशिष्ट प्रक्रिया के बारे में जानकारी लें और पता लगाएं कि आपको रीफ़िल प्रक्रिया कब से शुरू करनी है। हर प्रकार की दवा के लिए विशिष्ट निर्देश लिखकर रखें, जैसे कि “जब 5 गोलियां बाकी हों तब फॉर्मेसी को कॉल करें।”

प्रेस्क्राइब की गई हर दवा को किस प्रकार से लेना है, इसके बारे में दिए गए विशिष्ट निर्देशों को लिखकर रख लें। इन नोट्स में दवा की खुराक, उसे लेने का समय और लेने के बारे में विशिष्ट निर्देश शामिल होने चाहिए।

अपनी दवाओं के बारे में जानें

आपको प्रेस्क्राइब की गई हर दवा के बारे में मूल जानकारियां होनी चाहिए। इससे बहुत सी चीजे़ं होती हैं:

  • दवा संबंधी त्रुटियों को रोकने में मदद मिलती है
  • यह परिवारजनों और देखभाल करने वाली टीम के बीच संवाद बेहतर करने में मदद करती है
  • रोगी और परिवारजनों को इलाज योजना में अधिक नियंत्रण और भागीदारी प्रदान करती है

बड़े बच्चों और व्यस्कों को उनकी उम्र के अनुसार और चिकित्सकीय रूप से अनुमत तरीके से, दवा के प्रबंधन की प्रक्रिया में भाग लेना सिखाया जा सकता है।

निम्न जानकारियों को अपने रिकॉर्ड में रखें:

दवा का नाम – दवा का ब्रांड नाम और जेनेरिक नाम क्या है? अक्सर दवाएं अलग-अलग नाम से आती हैं। दवा के लेबल या इसके कंटेनर पर दवा का नाम किस प्रकार से लिखा गया है, इस बारे में पूरी तरह से सुनिश्चित हो जाएं। दवा को कभी भी “नारंगी गोली” या “पानी जैसी गोली” जैसे नामों से संदर्भित न करें, बहुत सी अलग-अलग दवाएं देखने में एक जैसी होती हैं और इनके नाम भी लगभग समान होते हैं। हर दवा का विशिष्ट नाम पता होने से भ्रम और त्रुटियों की संभावना कम हो जाती है।

दवा का उद्देश्य – दवा का इस्तेमाल किस लिए किया जाना है? हर दवा की खुराक और इसे प्रेस्क्राइब करने के कारण के बारे में जानकारी प्राप्त करें। उदाहरण के लिए, क्या दवा कीमोथेरेपी दवा है, या दर्द की दवा है या जीवाणु नाशक दवाई दवा है? अगर परिवारजनों को हर दवा के इस्तेमाल के बारे में जानकारी हो तो वे देखभाल करने वाली टीम और फॉर्मासिस्ट से बेहतर तरीके से संवाद कर सकते हैं। दवा की आवश्यकता क्यों है, इसके बारे में जानकारी भी दवा अनुपालन प्रक्रिया को बेहतर बना सकती है (आपको दवा कब लेनी है और किस प्रकार से लेनी है)। दवा की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी दवा से जुड़े खतरों जैसे कि प्रतिक्रिया और अधिक खुराक ले लेना आदि से आपको सुरक्षा प्रदान कर सकती है।

दुष्प्रभाव – दवाओं के आम दुष्प्रभाव क्या हैं? अक्सर सभी प्रकार की दवाओं के बहुत से दुष्प्रभाव होते हैं। कुछ दुष्प्रभावों के प्रकट होने की संभावना बहुत अधिक होती है जबकि कुछ कभी-कभी प्रकट होते हैं। अगर परिवार के सदस्यों को इन दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी हो तो वे प्रतिक्रियाओं तथा लक्षणों को देख सकते हैं तथा इन्हें प्रारंभिक अवस्था में ही पकड़ सकते हैं।

रूप या आकार - दवा कैसी दिखती है? दवा कैसी दिखती है, हर दवा के बारे में यह जानकारी दवा संबंधी त्रुटियों को कम करने में मदद करती है। दवा का विवरण लिख लें या फिर अपने सेलफोन में इसकी एक फोटो ले लें। अगर दवा देखने में या स्वाद में सामान्य से अलग है, तो तुरंत अपने फॉर्मासिस्ट से संपर्क करें। हो सकता है कि यह वही दवा हो, बस इसे अलग तरीके से तैयार किया गया हो। या, हो सकता है कोई गलती हुई हो। सुरक्षा की दृष्टि से इस बारे में प्रश्न पूछ लेना ही सही रहता है।

भंडारण – दवाओं का भंडारण किस प्रकार से किया जाना चाहिए? कुछ दवाओं को फ्रिज़ या रेफ्रिजरेटर में रखने की आवश्यकता होती है। जबकि अन्य दवाओं को कमरे के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है। दवाओं को नम जगहों, जैसे कि बाथरूम में स्टोर न करें। कुछ दवाएं तैयार करने के बाद तेजी से खराब होने की प्रवृति रखती हैं। दवा का सही तरीके से काम करना सुनिश्चित करने के लिए, भंडारण के लिए दिए स्वाभाविक और समय मूल्य गए निर्देशों का पालन करें। दवाओं को बच्चों की पहुंच से बाहर रखना सुनिश्चित करें। बची हुई दवाओं के निपटान के बारे में अपने फॉर्मासिस्ट से जानकारी प्राप्त करें।

अन्य सावधानियां – क्या दवाओं के उपयोग से जुड़ा कोई अन्य विशेष सुरक्षा उपाय है? कुछ दवाएं, जैसे की कीमोथेरेपी दवाएं, देखभालकर्ताओं के लिए भी जोखिम का कारण बन सकती हैं। इनकी सुरक्षित हैंडलिंग के लिए दिए गए निर्देशों का पालन करें। इनमें दस्ताने पहनना, दवाओं और आपूर्तियों का सही तरीके से निपटान करना और रोगी के शारीरिक द्रवों से संपर्क न होने देना है।

प्रतिक्रिया – क्या इस दवा को लेते समय, कुछ स्वाभाविक और समय मूल्य विशिष्ट भोजन, सप्लीमेंट या ओवर-द-काउंटर दवाओं का उपयोग निषेध है? दवाओं की प्रतिक्रिया दवा की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर दवा का प्रभाव कम कर सकती है। दवाईयों का एक दूसरे पर असर लगना रोगी के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकती है।

स्वाभाविक और समय मूल्य

मूल को अधिकांश शुभ कार्यों के लिये सामान्य माना जाता है। इसीलिये यह शुभ मुहूर्त में स्वीकृत है। यह पृष्ठ वर्ष 2022 में मूल नक्षत्र के सभी दिनों को प्रारम्भ और अन्त समय के साथ सूचीबद्ध करता है।

मूल नक्षत्र के निम्नलिखित गुण हैं -

जनवरी 2022

जनवरी 2022

फरवरी 2022

मार्च 2022

अप्रैल 2022

मई 2022

जून 2022

जुलाई 2022

अगस्त 2022

सितम्बर 2022

अक्टूबर 2022

अक्टूबर 2022

नवम्बर 2022

दिसम्बर 2022

टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Surgut, रूस के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

हिन्दु पञ्चाङ्ग से सम्बन्धित अन्य पृष्ठ

शुद्ध एवं सटीक माह पञ्चाङ्ग एवं विस्तृत दैनिक पञ्चाङ्ग, त्यौहारों की सूची के साथ।

किसी भी स्थान एवं दिन के लिए तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण, मुहूर्त समय इत्यादि के साथ शूक्ष्म एवं शुद्ध दैनिक पञ्चाङ्ग।

शुभ चौघड़िया का प्रयोग नए काम को शुरू करने के लिए शुभ समय की जाँच के लिए किया जाता है।

लग्न, जो किसी व्यक्ति के कुण्डली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, पूर्वी क्षितिज में उदय होती हुई सूर्य राशि है।

कोलेजियम पर पुनर्विचार का समय, कोई भी स्वयं के मामले में नहीं हो सकता न्यायाधीश

संविधान द्वारा देश की न्यायपालिका को न्यायिक समीक्षा का अधिकार देने के बाद भी संविधान की मूल भावना का एक सत्य यह भी है कि प्रजातंत्र का अंतिम सत्य एवं शक्ति प्रजा ही है। देश की संसद इस प्रजा का सीधा प्रतिनिधित्व करने वाली सर्वोच्च सभा है।

डा. अभय सिंह यादव: हमारे देश की न्यायपालिका विश्व के श्रेष्ठतम न्यायतंत्रों की श्रेणी में उपस्थिति दर्ज करवाती रही है। स्वतंत्रता के उपरांत इसने समय की चुनौतियों से गुजरते हुए अपनी प्रतिष्ठा एवं गरिमा को सुरक्षित रखा है। संविधान ने इसे प्रजातंत्र के प्रहरी की भूमिका में संविधान की रक्षा का दायित्व सौंपा है। सरकार के शेष दोनों अंगों कार्यपालिका एवं विधायिका के कार्य की समीक्षा का दायित्व भी न्यायपालिका के पास है। पूरी व्यवस्था को सुव्यवस्थित एवं सुचारु बनाने के लिए तीनों ही अंगों को परिसीमित करने वाली लक्ष्मण रेखा भी संविधान में निहित है, ताकि सरकार के सभी अंग अपनी-अपनी सीमा में रहते हुए सामंजस्य एवं संतुलन के साथ अपने कार्यक्षेत्र में आगे बढ़ते रहें।

इसका कोई औचित्य नहीं कि प्राथमिक विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक शिक्षकों की कमी का सामना करते रहें।

उच्च पदों पर न्यायिक नियुक्तियों की वर्तमान कोलेजियम प्रणाली पर हाल में छिड़ी बहस ने आम जनमानस का ध्यान न्यायपालिका पर केंद्रित किया है। इसलिए और भी अधिक, क्योंकि कोलेजियम को लेकर विभिन्न नेताओं की ओर से संसद के भीतर और बाहर लगातार वक्तव्य दिए जा रहे हैं। निःसंदेह यह एक गंभीर विषय है। मूल रूप से संविधान में न्यायिक नियुक्तियों की एक सुस्पष्ट व्यवस्था उपलब्ध थी, परंतु कुछ परिस्थितिजन्य घटनाओं ने एक ऐसी स्थिति पर पहुंचा दिया, जहां न्यायपालिका ने अपनी न्यायिक समीक्षा की शक्तियों का प्रयोग करते हुए उच्च न्यायिक नियुक्तियों का अधिकार काफी हद तक अपने पास सीमित कर लिया, जिसे कोलेजियम प्रणाली के रूप में जाना जाता है। अब इस कोलेजियम प्रणाली की कुछ सीमाएं रेखांकित होने लगी हैं। यही कारण है कि इस विषय में प्रबुद्ध वर्ग में चिंतन एवं विवेचन का सिलसिला शुरू हुआ है।

बढ़ते टकराव के इस दौर में विश्व का बहुपक्षीय ढांचा दरक रहा है और भूराजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं।

केंद्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद इस प्रणाली का एक पारदर्शी एवं प्रभावी विकल्प संसद के समक्ष लाया गया और न्यायिक नियुक्ति की इस व्यवस्था को देश की सर्वोच्च विधायिका ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान संशोधन विधेयक के जरिये बनाए गए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के अमल में आने से पहले ही अपने न्यायिक समीक्षा के अधिकार का प्रयोग करते हुए उसे निरस्त कर दिया। आम स्वाभाविक और समय मूल्य जनमानस के मानस पटल पर इस घटनाक्रम ने अनेक प्रश्न छोड़ दिए। सामान्यतः कोई भी व्यक्ति अपने स्वयं के मामले में न्यायाधीश नहीं हो सकता। इसके लिए हमेशा तीसरे पक्ष से निर्णय की अपेक्षा की जाती है।

जी-20 के लिए ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ वाला भारत का विचार और प्रासंगिक हो गया है।

लगभग पूरी न्यायिक व्यवस्था की एक स्थापित मान्यता है कि यदि किसी मामले से किसी न्यायाधीश का कोई संबंध रहा है तो ऐसे मामलों की सुनवाई से वे स्वयं को अलग कर लेते हैं, किंतु इस मामले में न्यायपालिका ने स्वयं से सीधा संबंध रखने वाले मामले का खुद ही निर्णय कर दिया। यहां यह बात भी स्वाभाविक रूप से आती है कि सर्वोच्च न्यायालय से ऊपर देश में कोई न्यायिक व्यवस्था उपलब्ध ही नहीं है तो इसका निर्णय उसे ही करना था। इसके बाद भी इस विषय पर लीक से हटकर विचार किया जा सकता था, जिसमें इसे मात्र न्यायिक निर्णय मानने की मनोस्थिति से बाहर निकलकर विचार हो सकता था।

संविधान द्वारा देश की न्यायपालिका को न्यायिक समीक्षा का अधिकार देने के बाद भी संविधान की मूल भावना का एक सत्य यह भी है कि प्रजातंत्र का अंतिम सत्य एवं शक्ति प्रजा ही है। देश की संसद इस प्रजा का सीधा प्रतिनिधित्व करने वाली सर्वोच्च सभा है। यही कारण है कि स्वयं संविधान ने इसमें संशोधन का अधिकार केवल संसद को ही दिया है। जब संसद ने विशेष तौर से सर्वसम्मति से एक कानून बना दिया और वह भी जो सीधे तौर पर न्यायिक नियुक्तियों से संबंधित था, तो यह न्यायिक समीक्षा का सामान्य मामला नहीं था, जिसे लागू करने से पहले ही निरस्त करने की जल्दबाजी से बचा जा सकता था।

यदि इसे लागू होने के उपरांत समय की कसौटी पर खरा स्वाभाविक और समय मूल्य उतरने का अवसर दिया जाता तो यह स्थापित न्यायिक व्यवस्था एवं गरिमा के हित में होता। इसके क्रियान्वयन उपरांत गुण-दोष के आधार पर यदि यह समीक्षा होती तो जनमानस में इसकी स्वीकार्यता कहीं अधिक होती। इस संबंध में एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता की मुख्य आधार शक्ति जन आस्था होती है। यह आस्था न्यायपालिका के निष्पक्ष एवं पारदर्शी न्याय दर्शन का प्रतिबिंब होती है, जिसके अविरल प्रवाह को बनाए रखना स्वयं न्यायपालिका का मूल दायित्व है। जनमानस में तनिक भी संदेह न्यायिक गरिमा के लिए घातक हो सकता है।

अतः न्यायिक नियुक्तियों के विकल्प में न्यायपालिका से अधिक सावधानी बरतने की अपेक्षा है। बेहतर तो यही होगा कि न्यायिक नियुक्तियों के मामले में न्यायपालिका को स्व-संपूर्णता और मुग्धता के भाव से बाहर निकलना होगा। यह कटु सत्य है कि मानव प्रकृति के स्वाभाविक दोषों से कोई भी व्यक्ति या संस्था पूर्ण रूप से मुक्त नहीं रह सकती। ये दोष मानव स्वभाव के अभिन्न अंग हैं, जिनसे पूर्ण मुक्ति हिमालय की कंदराओं में तपने वाले साधु भी संभवतः प्राप्त नहीं कर सके। अत: किसी भी संस्था को इनसे दूर रखने के लिए व्यवस्थागत छलनी की आवश्यकता है, जिसके मूल में पारदर्शिता हो। अतः न्यायपालिका को पारदर्शिता के साथ आंतरिक समीक्षा के माध्यम से आत्मदर्शन का रास्ता तलाश करना होगा।

(लेखक भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी एवं हरियाणा विधानसभा के सदस्य हैं)

Aries Monthly Horoscope : मेष राशि वाले न छोड़े अपने मूल स्वभाव को, जानिए मार्च माह में आपके लिए क्या है शुभ

Aries Monthly Horoscope : मेष राशि वालों के लिए यह माह (01 मार्च 2022 कैसा रहेगा, आइए जानते हैं ) मेष राशि का मासिक राशिफल.

By: पं. शशिशेखर स्वाभाविक और समय मूल्य त्रिपाठी | Updated at : 27 Feb 2022 12:43 PM (IST)

Aries Monthly Horoscope : इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ अजीब सी होती नजर आ सकती है, तो वहीं दूसरी ओर कर्मक्षेत्र में बैठे शनिदेव आपकी सर्वाधिक मदद करने वाले हैं. शत्रुओं से सावधान रहें वह अपना कार्य करेंगे और आपको क्रोध दिलाने का प्रयास करेंगे. परेशान न हों आप कहीं भी परास्त नहीं होंगे. थोड़ा नियमबद्ध रहना होगा और दूसरों को भी पालन करने की सलाह दें. सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए, ऐसा करना आपके नेटवर्क को मजबूत करने वाला होगा. आपको आलस्य नहीं करना हैं. मेष वाले मूल स्वभाव को ध्यान में रखते हुए सभी के साथ संपर्क बनाए रखें. साथ ही कि किसी को तीखी वाणी का शिकार न बनाएं, अन्यथा सामने वाले व्यक्ति से आपके संबंध खराब हो सकते हैं. इस माह हनुमान जी की पूजा आराधना करना आपके लिए अति आवश्यक है. माह के मध्य में देवी की उपासना भी जोड़नी होगी.

आर्थिक एवं करियर- इस माह ऑफिस में टीम को लीड करना पड़ सकता है, तो वहीं उनकी छोटी-छोटी गलतियों को ठीक करते चले. महत्वपूर्ण फाइल को संभाल कर रखें आपसे खोने की आशंका है. ग्रहों की स्थितियाँ नौकरी संबंधित मामलों में आपका सहयोग करेंगी. पिछले पेंडिंग कार्यों को भी खत्म करने में फोकस करना चाहिए. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए माग शुभ रहने वाला है. पार्टनरशिप में कार्य करने वाले व्यापारी नये प्रोजेक्ट पर कार्य करने से पहले पार्टनर के सुझावों को अनदेखा न करें. व्यापारियों को नया स्टॉक लेना चाहिए, इससे भविष्य में लाभ होने की संभावनाएं हैं. खानपान का व्यापार करने वाले व्यापारियों को बड़े मुनाफे हाथ लगते नजर आ रहे हैं. व्यापारी वर्ग ग्राहकों से पैसे को लेकर वाद-विवाद करने से बचे.

स्वास्थ्य- मार्च यानी इस माह बढ़ते वजन पर पैनी निगाह रखनी होगी. उन लोगों को सचेत रहना है, जिनका गंभीर बीमारियों के चलते इलाज चल रहा है. किडनी से संबंधित समस्याओं के प्रति भी अलर्ट रहें यदि आप स्वास्थ्य लाभ के लिए योग और ध्यान करते हैं, तो बहुत अच्छे परिणाम मिलेगें. स्टोन की शिकायत सुनने को मिल सकती है. रक्त चाप के रोगियों को सावधान रहना होगा. पुराने रोगों के प्रति अलर्ट रहने के साथ-साथ क्षणिक क्रोध भी आपके स्वास्थ्य में गिरावट कर सकता है. स्वास्थ्य संबंधित मामलों में लापरवाही करने से बचना मुख्य फोकस होना चाहिए.

परिवार एवं समाज- इस माह विवाह संबंधों की चर्चा में सावधानी बरतें, क्योंकि रिश्तेदार कुछ ही ज़्यादा आपकी गुप्त बातें जानने का प्रयास करेंगे. इस माह जीवनसाथी पर भरोसा रखें. माता-पिता के अनुशासन को बंधन समझना गलत होगा. पार्टनर व मित्रों के साथ बनाकर रखना है, यदि उन्होंने कॉफिडेन्शल बातें शेयर की है तो उसे अपने तक ही रखें, अन्यथा रिश्तों में दरार आ सकती है. बड़े भाई का सम्मान करें यदि उनका जन्मदिन है तो उपहार भी दें. ननिहाल पक्ष की ओर से आपको लाभ मिलने की संभावना दिखाई दे रही है. होली के मध्य अचानक खर्चों की लिस्ट लंबी होने की आशंका है. समय मिलने पर घर के छोटे-मोटे कार्यों का निपटारा करना होगा.

Published at : 27 Feb 2022 12:43 PM (IST) Tags: Mesh Rashifal monthly Horoscope Monthly Horoscope for Aries हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट स्वाभाविक और समय मूल्य एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Astro News in Hindi

2022 में गण्ड मूल नक्षत्र कब होगा | 2022 में गण्ड मूल नक्षत्र के दिन और समय | गंडमूल नक्षत्र 2022

हिंदू नक्षत्र में कुल 27 नक्षत्रों का उल्लेख मिलता है, जिसमें कुछ नक्षत्र शुभ है और कुछ अशुभ माने गये हैं। इन अशुभ नक्षत्रों को गंडमूल कहा जाता है।ज्योतिष के अनुसार, इस श्रेणी में आने वाले नक्षत्र हैं अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती। इन नक्षत्रों का आप पर शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ता है। गंडमूल नक्षत्र में पैदा हुए बच्चों के जीवन में विभिन्न बाधाओं और समस्याएं आती हैं और इन समस्याओं के निवारण के लिए पूजा की आवश्यकता होती है ।

27 नक्षत्रों में केतु व बुध के अधिकार में आने वाले नक्षत्र गंडमूल कहलाते हैं। ये गंडमूल नक्षत्र अपने अंदर अशुभ व मारक प्रभाव रखते हैं ।

1- अश्विनी नक्षत्र- इस नक्षत्र का स्वामी केतु है और देवता अश्विनी कुमार हैं।

2- अश्लेषा नक्षत्र- बुध इस नक्षत्र के स्वामी हैं और सर्प देवता हैं।

3- मघा नक्षत्र- यह केतु का नक्षत्र हैं और पितृ देवता है।

4- ज्येष्ठा नक्षत्र- इस नक्षत्र के स्वामी बुध है और इंद्र देवता हैं।

5- मूल नक्षत्र- मूल नक्षत्र के स्वामी केतु है और राक्षस इसके देवता है।

6- रेवती नक्षत्र- इसके स्वामी बुध हैं और पूषा इसके देवता है।

क्यों होता है गंडमूल नक्षत्र

हिंदू ज्योतिष के अनुसार नक्षत्र, राशि और लग्न के संधि काल को अशुभ माना जाता है और गंडमूल नक्षत्र संधि नक्षत्र होत हैं इसलिए आप पर इसका अशुभ प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। गंडमूल नक्षत्रों के देवता भी बुरे प्रभाव प्रदान करते हैं। ये नक्षत्र मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु व मीन राशि के आरंभ व अंत में आते हैं। इन राशियों का प्रभाव आपके शरीर, मन, बुद्धि, आयु, भाग्य आदि पर पड़ता है और गंडमूल का प्रभाव भी इन्हीं के ऊपर देखने को मिलता है ।

गंडमूल दोष का प्रभाव

यदि कोई आप गंडमूल नक्षत्र में पैदा होते हैं तो आपको और आपके परिजनों को निम्न कष्टों का सामना करना पड़ सकता है-

1- आपको स्वास्थ्य संबंधी कष्टों का सामना करना पड़ता है ।

1- आपके माता पिता व भाई बहनों के जीवन पर बाधाएं आती हैं ।

1- आपके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है ।

1- आपको जीवनयापन में संघर्ष का सामना करना पड़ता है ।

1- परिवार में दरिद्रता आती है ।

1- दुर्घटना का भय बना रहता है ।

आपको बता दें कि मघा नक्षत्र के पहले दो चरण में ही माता और पिता को कष्ट होता है, बाकी के दो चरणों में बच्चे को अच्छा खासा धन व उच्च शिक्षा प्राप्त होती है ।

गंडमूल अश्विनी, मूल या मग में पैदा हुए है तो नियमित रूप से भगवान स्वाभाविक और समय मूल्य गणेश की पूजा करें, बुधवार या गुरुवार को भूरे रंग के कपड़े दान करें।बच्चे के जन्म के 27वें दिन बाद शांति पूजा किया जाना चाहिए और जब तक शांति पूजा ना हो जाए तब तक पिता को बच्चे का चेहरा नहीं देखना चाहिए ।

गंडमूल अश्लेषा, ज्येष्ठ और रेवती में पैदा हुए बच्चे के लिए बुधवार को हरी सब्जियां, धनिया, पन्ना, भूरे रंग के बर्तन और आंवला का दान करें। शिशु पूजा बच्चे के जन्म के 37वें दिन बाद किया जाना चाहिए, लेकिन 10वीं या 19वें दिन भी किया जा सकता है। यदि ऐसा करना संभव नहीं है तो चंद्रमा जन्म नक्षत्र स्थिति में लौटने पर शांति पूजा करें ।

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