क्या है कैपिटल गेंस बॉन्ड, क्या आपको इसमें निवेश करना चाहिए?
कैपिटल गेंस बॉन्ड्स में निवेश की न्यूनतम रकम 20,000 रुपये है। एक फाइनेंशियल ईयर में मैक्सिमम लिमिट 50 लाख रुपये है। अगर आपकी प्रॉपर्टी ज्वाइंट नाम से है तो हर ओनर के लिए 50-50 लाख रुपये की अलग-अलग लिमिट होगी
कैपिटल गेंस बॉन्ड को सरकार का सपोर्ट हासिल होता है। इसलिए रेटिंग एजेंसियां इससे सबसे ज्यादा रेटिंग देती हैं। इसलिए इसे सबसे सुरक्षित इनवेस्टमेंट माना जाता है।
अगर खरीदने के दो साल के अंदर आप रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी (जमीन, घर या अपार्टमेंट) बेच देते हैं तो उससे हुए प्रॉफिट को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) कहा जाता है। दो साल के बाद बेचने पर हुए प्रॉफिट को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) कहा जाता है। STCG पर आपके इनकम टैक्स स्लैब के क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? हिसाब से टैक्स लगता है। LTCG पर इंडेक्सेशन (Indexation) के साथ 20.6 फीसदी के रेट से टैक्स लगता है।
अगर आपको अपना पुराना घर बेचने पर 50 लाख रुपये LTCG होता है तो आपका टैक्स 10.3 लाख रुपये होगा। अगर आप यह टैक्स (10.3 लाख रुपये) बचाना चाहते हैं तो आपके पास दो ऑप्शंस हैं।
पहला ऑप्शन टैक्स सेविंग्स बॉन्ड (Capital Gains Bonds) का है। आपको 50 लाख रुपये का पूरा LTCG टैक्स सेविंग्स बॉन्ड में इनवेस्ट करना होगा। दूसरा ऑप्शन यह है कि इस पूरे पैसे का इस्तेमाल आपको दूसरी रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदने के लिए करना होगा।
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आइए अब पहले ऑप्शन के बारे में जानते हैं। कैपिटल गेंस बॉन्ड्स में निवेश की न्यूनतम रकम 20,000 रुपये है। एक फाइनेंशियल ईयर में मैक्सिमम लिमिट 50 लाख रुपये है। अगर आपकी प्रॉपर्टी ज्वाइंट नाम से है तो हर ओनर के लिए 50-50 लाख रुपये की अलग-अलग लिमिट होगी।
कैपिटल गेंस बॉन्ड को सरकार का सपोर्ट हासिल होता है। इसलिए रेटिंग एजेंसियां इसे सबसे ज्यादा रेटिंग देती हैं। इसलिए इसे सबसे सुरक्षित इनवेस्टमेंट माना जाता है। लेकिन, इसमें पांच साल का लॉक-इन पीरियड होता है। इस पर आपको सिर्फ सालाना 5 फीसदी इंटरेस्ट मिलता है। इनवेस्टर को इस पर टैक्स भी देना पड़ता है।
दूसरा ऑप्शन यह है कि LTCG का इस्तेमाल रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी (मैक्सिमम दो) खरीदने के लिए किया जाए। यह काम आपको तय समयसीमा के अंदर करना होगा। यह याद रखें कि LTCG का इस्तेमाल दो प्रॉपर्टी खरीदने के लिए तभी किया जा सकता है जब LTCG का अमाउंट 2 करोड़ रुपये से ज्यादा न हो। यह भी ध्यान में रखें कि अगर आपने एक बार इस ऑप्शन का इस्तेमाल कर लिया तो भविष्य में आप फिर कभी दोबारा इस ऑप्शन का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।
कैपिटल गेन बॉन्ड्स (54EC) का रिटर्न बहुत कम है। इसकी ट्रांजेक्शन कॉस्ट ज्यादा है। उधर, रियल एस्टेट में रिइनवेस्ट करने में काफी रिस्क है। इसलिए कई फाइनेंशियल प्लानर्स LTCG पर टैक्स चुकाने और फंड को सही जगह इनवेस्ट करने की सलाह देते हैं।
लैडर7 वेल्थ प्लानर्स के फाउंडर और प्रिंसिपल ऑफिसर सुरेश सदगोपन ने कहा, "टैक्स चुकाकर सही जगह इनवेस्ट करना और ज्यादा रिटर्न हासिल करना बेहतर ऑप्शन है। कैपिटल गेन बॉन्ड्स में इनवेस्ट करने पर आपका पैसा पांच साल के लिए लॉक हो जाता है। "
उन्होंने कहा कि आप इक्विटी आधारित प्रोडक्ट्स पर विचार कर सकते हैं। लंबी अवधि के निवेश के लिए यह अच्छा है। उन्होंने कहा, "आप सीधे शेयरों, म्यूचुअल फंड्स, पीएमएस आदि में इनवेस्ट कर सकते हैं। इनमें लंबे समय तक इनवेस्ट कर 10 फीसदी से ज्यादा रिटर्न कमाया जा सकता है।"
MoneyControl News
First Published: Jun 15, 2022 12:41 PM
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शॉर्ट टर्म डेट फंड या शॉर्ट ड्यूरेशन फंड
जैसा कि नाम से पता चलता है, शॉर्ट टर्म डेट फंड, जिन्हें शॉर्ट ड्यूरेशन फंड के रूप में भी जाना जाता है, आमतौर पर डेट होते हैंम्यूचुअल फंड्स जो छोटी अवधि के लिए पैसा निवेश करते हैं, आमतौर पर 3 साल से कम। शॉर्ट टर्म के रूप में भी जाना जाता हैआय फंड, शॉर्ट टर्म डेट फंड डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं औरमुद्रा बाजार उपकरण जिसमें शामिल हैंबैंक कागजात (जमा प्रमाणपत्र भी कहा जाता है), सरकारी कागजात (जी-सेक) और वाणिज्यिक पत्र (सीपी)। यह म्यूचुअल फंड योजना उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो प्राथमिकता देते हैंराजधानी संरक्षण, लेकिन लंबी अवधि (1-3 वर्षों के बीच) में अच्छा रिटर्न अर्जित करने के लिए मुख्य रूप से लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं। जो निवेशक 1-3 साल की छोटी अवधि के लिए निवेश करने के इच्छुक हैं, वे शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड में निवेश कर सकते हैं। अल्पावधि ऋण उत्पाद ब्याज से लाभान्वित हो सकते हैंस्त्रोतों ऋण पोर्टफोलियो में और संबंधित फंड मैनेजर द्वारा उच्च अवधि के ऋण के लिए सामरिक जोखिम से।
लघु अवधि (अल्पकालिक) ऋण निधि की विशेषताएं
शॉर्ट टर्म फंड की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं:
लिक्विडिटी
शॉर्ट टर्म डेट फंड अत्यधिक तरल होते क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? हैं क्योंकि परिपक्वता अवधि कम होती है और निवेश के रास्ते अनुमति देते हैंलिक्विडिटी. आमतौर पर, इन फंडों पर कोई एंट्री और एक्जिट लोड नहीं लगता है। हालांकि, कुछ शॉर्ट टर्म डेट फंड कुछ महीनों में एग्जिट लोड चार्ज करते हैं। इसलिए, निवेशकों को सभी मापदंडों पर विचार करते हुए समझदारी से निवेश करने का सुझाव दिया जाता है।
रिटर्न
जब यह आता हैम्यूचुअल फंड में निवेश, रिटर्न वे होते हैं जिनकी लोग वास्तव में तलाश करते हैं। हालांकि, सर्वोत्तम शॉर्ट टर्म चुनते समय यह एकमात्र पैरामीटर नहीं होना चाहिएडेट फंड निवेश के लिए। हाल की रिपोर्टों में, आरबीआई ने कहा कि निवेशक बेहतर रिटर्न अर्जित करेंगेनिवेश शॉर्ट से मिड-टर्म फंड में जो एक से पांच साल के बीच मैच्योरिटी वाले इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं। आम तौर पर, ऐसे फंडों को संभालने वाले फंड मैनेजर उच्च क्रेडिट रेटिंग वाली प्रतिभूतियों में निवेश करना पसंद करते हैं। इस प्रकार, कम से कम संभावना सुनिश्चित करनाचूक जारीकर्ताओं द्वारा निवेशकों की पूंजी को सुरक्षा प्रदान करना। वर्तमान में, एक-तीन साल की मैच्योरिटी अवधि वाले शॉर्ट टर्म डेट फंड 9-10% प्रति वर्ष क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? का वार्षिक रिटर्न देते हैं। निवेशकों को न केवल रिटर्न का पीछा करना चाहिए, बल्कि पोर्टफोलियो की क्रेडिट गुणवत्ता पर भी ध्यान देना चाहिए। यदि आप एक रूढ़िवादी हैंइन्वेस्टर तो यह सुनिश्चित करने के लिए समझ में आता है कि अतिरिक्त सुरक्षा के लिए कुछ रिटर्न दें।
ब्याज दर जोखिम
इन फंडों की अल्पकालिक प्रकृति को देखते हुए, रिटर्न इससे ज्यादा प्रभावित नहीं होते हैंमुद्रास्फीति और कम ब्याज दर जोखिम है। आमतौर पर, शॉर्ट टर्म डेट फंड शॉर्ट से मीडियम टर्म पर अर्जित ब्याज से आय उत्पन्न करते हैंबांड. यह प्रोद्भवन आय, जिसका अर्थ है संचित ब्याज, इसमें जुड़ जाता हैकुल संपत्ति का मूलय और आपका अंतिम रिटर्न बन जाता है। चूंकि आप जानते हैं कि ये फंड स्थिर आय प्रदान करते हैं, इसलिए, अन्य लंबी अवधि के आय वाले फंडों की तुलना में रिटर्न कम अस्थिर होता है। कुछ शॉर्ट टर्म फंड में ब्याज दर का थोड़ा जोखिम होता है, इसे पोर्टफोलियो की अवधि नामक एक पैरामीटर द्वारा मापा जा सकता है। आप पोर्टफोलियो की औसत परिपक्वता को भी देख सकते हैं। ये दोनों पैरामीटर स्कीम के फैक्ट शीट पर उपलब्ध हैं। बस एक साधारण नियम याद रखें, जितनी अधिक अवधि या परिपक्वता उतनी ही अधिक ब्याज दर जोखिम! अगर ब्याज दरें गिरती हैं, तो यह सकारात्मक है, हालांकि, अगर दरें बढ़ती हैं, तो रिटर्न नकारात्मक रूप से प्रभावित होगा।
निवेश क्षितिज
शॉर्ट टर्म डेट फंड उन उपकरणों में निवेश नहीं करते हैं जिनकी परिपक्वता बहुत लंबी होती है क्योंकि वे कम ब्याज दर जोखिम बनाए रखने और बेहतर कर-समायोजित रिटर्न देने की कोशिश करते हैं। चूंकि ये फंड एक से तीन साल की समयावधि में स्थिर रिटर्न प्रदान करते हैं, इसलिए निवेशकों को फंड की औसत परिपक्वता के साथ निवेश की समय-सीमा का मिलान करने का प्रयास करना चाहिए। वे जिन उपकरणों में निवेश करते हैं क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? उनमें पैसा शामिल हैमंडी बांड जैसे उपकरण,वाणिज्यिक पत्र और जमा आदि का प्रमाण पत्र।
सक्रिय प्रबंधन की आवश्यकता
शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट होने के कारण इन फंड्स को भारी मात्रा में निवेश की आवश्यकता नहीं होती हैसक्रिय प्रबंधन फंड मैनेजर द्वारा। एक बार पोर्टफोलियो के हिस्से आवंटित हो जाने के बाद, निवेश को सक्रिय रूप से प्रबंधित करने (खरीदने और बेचने वाली इकाइयों) की आवश्यकता कम होती है, यह कहते हुए कि फंड मैनेजर को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ब्याज दर के विचारों को शामिल किया गया है और वह क्रेडिट गुणवत्ता पर सतर्क है। पोर्टफोलियो के साथ-साथ नए अवसर भी। फंड के नियमित सक्रिय प्रबंधन को सुनिश्चित करके स्थिर रिटर्न प्रदान करने का उनका उद्देश्य प्राप्त किया जाता है।
लाभांश भुगतान
शॉर्ट टर्म डेट फंड डिविडेंड पेआउट का विकल्प भी देते हैं। इस विकल्प के साथ, निवेशक नियमित अंतराल पर अधिकतर मासिक और पाक्षिक लाभांश प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, इन फंडों द्वारा भुगतान किए गए लाभांश पर व्यक्तिगत निवेशकों के लिए 25% का डीडीटी (लाभांश वितरण कर) लगता है।
निवेशकों को क्यों शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड में करना चाहिए निवेश ?
जो निवेशक बिलकुल भी जोखिम नहीं ले सकते या कम रिस्क लेना चाहते हैं, उन्हें फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान में जाना चाहिए.
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कोटक म्यूचुअल फंड की चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर (डेट) लक्ष्मी अय्यर ने कहा, 'निवेशक शॉर्ट टर्म डेट फंड और एक्युरल फंड्स में निवेश कर क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? सकते हैं. वे फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान में भी निवेश कर सकते हैं.'
उन्होंने कहा, 'जो निवेशक लंबी अवधि के ड्यूरेशन फंड में निवेश कर चुके हैं, वे अपने पोर्टफोलियो में थोड़ा बदलाव कर सकते हैं. अब उन्हें अपने फिक्स्ड इनकम वाले निवेश का थोड़ा हिस्सा शॉर्ट टर्म डेट फंड्स में लगाना चाहिए.'
डीएचएफएल प्रमेरिका म्यूचुअल फंड के सीआईओ फिक्स्ड क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? इनकम कुमारेश रामकृष्णन ने कहा, 'पॉलिसी में बहुत सावधानी बरती गयी है. इसमें राजकोषीय चिंता का भी ख्याल रखा गया है.'
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उन्होंने कहा कि फिक्स्ड इनकम के निवेशकों को भी शॉर्ट टर्म डेट फंड में जाना चाहिए, क्योंकि इनमें उतार-चढ़ाव कम होता है. जो निवेशक जोखिम ले सकते हैं उन्हें एक्युरल फंड में जाना चाहिए.
रामकृष्णन ने कहा, 'जो निवेशक बिलकुल भी जोखिम नहीं ले सकते या कम रिस्क लेना चाहते हैं, उन्हें फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान में जाना चाहिए.'
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान वास्तव में क्लोज एंडेड फंड हैं, जिनकी परिपक्वता की अवधि पहले से तय होती है. इसमें निवेश से निकलने के विकल्प सीमित होते हैं. ये प्रोडक्ट आम तौर पर तय समय के लिए "खरीदें एवं होल्ड करें" की धारणा पर आधारित होते हैं.
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Short Term Investment: शॉर्ट टर्म के लिए लगाना है पैसा, चुनें 1 महीने से 1 साल मैच्योरिटी वाली स्कीम, 24% तक सालाना मिल रहा है रिटर्न
Invest in Short Term Maturity Scheme: मौजूदा दरें बॉन्ड मार्केट के लिए कंफर्टेबल दिख रही है, खासतौर से शॉर्ट मैच्योरिटी वाले पेपर्स के लिए. लॉन्ग ड्यूरेशन बॉन्ड में वोलेटिलिटी दिख सकती है.
एक्सपर्ट एक्टिवली मैनेजड शॉर्ट ड्यूरेशन वाले फंड में निवेश की सलाह दे रहे हैं. (File)
Short Duration Maturity Funds Return: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मई से अबतक 3 बार में ब्याज दरों में 140 बेसिस प्वॉइंट का इजाफा कर दिया है. रेपो रेट 5.40 फीसदी पर आ गया है. महंगाई कंट्रोल करने के लिए ब्याज दरों में कुछ और बढ़ोतरी की जा सकती है. ब्याज दरों में बढ़ोतरी या कटौती का सीधा असर बॉन्ड मार्केट डेट मार्केट पर होता है. एक्सपर्ट का मानना है कि बाजार को दरों में कुछ और इजाफे की उम्मीद है. हालांकि मौजूदा दरें बॉन्ड मार्केट क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? के लिए कंफर्टेबल दिख रही है, खासतौर से शॉर्ट मैच्येारिटी वाले पेपर्स के लिए. लॉन्ग ड्यूरेशन बॉन्ड में वोलेटिलिटी दिख रही है. एक्सपर्ट एक्टिवली मैनेज्ड शॉर्ट ड्यूरेशन वाले फंड क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? में निवेश की सलाह दे रहे हैं.
शॉर्ट से मिड ड्यूरेशन मैच्योरिटी फंड का सुधरा रिटर्न
बॉन्ड मार्केट के रिटर्न चार्ट पर नजर डालें तो अब इसमें सुधार हो रहा है. मिड ड्यूरेशन के फंडों की बात करें तो इसमें 24 फीसदी तक सालाना के हिसाब से रिटर्न मिल रहा है. वहीं शाूर्ट ड्यूरेशन फंडों में 12 फीसदी तक, लो ड्यूरेशन फंडों में 12 फीसदी तक और अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंडों में 7 फीसदी तक सालाना के हिसाब से रिटर्न दिख रहा है. एक्सपट्र भी इनमें पैसे लगाने की सलाह दे रहे हैं.
क्या कहना है एक्सपर्ट का
PGIM India MF के हेड-फिक्स्ड इनकम पुनीत पाल का कहना है कि आरबीआई ने अगस्त पॉलिसी रेपो दर में 50 बीपीएस की बढ़ोतरी करके मैक्रो स्टेबिलिटी और 35 बेसिस प्वॉइंट के अनुमान से महंगाई पर फोकस किया है. उम्मीद है कि आगे दरों में बढ़ोतरी की स्पीड कम होगी. ऐसा अनुमान है कि अप्रैल 2023 तक रेपो रेट 6 फीसदी से 6.25 फीसदी के दायरे में रह सकता है. यह शॉर्ट टर्म मैच्योरिटी वाले फंडों के लिए कंफर्टेबल है. निवेशकों को एक्टिवली मैनेज्ड शॉर्ट टर्म फंड में पैसे लगाने चाहिए. वहीं रिस्क क्षमता के अनुसार कुछ पैसे डायनमिक बॉन्ड फंड में लगाया जा सकता है.
Better than Post Office! पोस्ट ऑफिस से ज्यादा रिटर्न दे रहे ये 5 बैंक, एफडी पर सीनियर सिटिजन को 9% तक ब्याज
New Fund Offer: महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड ने लॉन्च किया स्मॉल कैप फंड, 5 दिसंबर तक कर सकते हैं निवेश
SBI Reverse Mortgage Loan: सीनियर सिटिजन के लिए एसबीआई का खास प्लान, रिवर्स मॉर्गेज लोन के जरिए पा सकते हैं अतिरिक्त इनकम, चेक डिटेल
मिरे एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के CIO, फिक्स्ड इनकम, महेंद्र जाजू का कहना है कि रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023 के लिए महंगाई का अनुमान 6.70 फीसदी पर बरकरार रखा है. पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की कीमतों सहित ग्लोबल कमोडिटी की कीमतों में गिरावट और रीसेंट हाई से ग्लोबल बॉन्ड यील्ड में भारी गिरावट को देखते हुए, डेट मार्केट से थोड़ा बेहतर गाइडेंस मिल रहा है. हालांकि अभी भी कुछ सतर्कता बरतने की जरूरत है. हाल फिलहाल में मैक्रो कंडीशंस सुधरने से बॉन्ड मार्केट में यील्ड कुछ बढ़ा है. शॉर्ट टर्म में अभी दरों में इजाफा हो सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में दरें स्टेबल रहने की उम्मीद है.
(Disclaimer: यहां निवेश की सलाह एक्सपर्ट के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)
इस म्यूचुअल फंड ने लाया एक से 3 साल के लिए निवेश का मौका, आज से खुल गया एनएफओ
शॉर्ट टर्म बांड फंड मुख्य रूप से 1 से 3 साल के समय वाले होते हैं। इसमें पोर्टफोलियो का समय सुनिश्चित करने वाली स्कीम कम समय के लिए निवेश करती है। इसमें आमतौर पर पोर्टफोलियो में उच्च लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए हाई रेटिंग वाले क्रेडिट और सिक्योरिटीज में सरकारी सिक्योरिटीज के लिए महत्व दिया जाता है।
शार्ट टर्म बांड फंड में आया है निवेश का मौका
हाइलाइट्स
- महिंद्रा मैनुलाइफ म्यूचुअल फंड ने निवेशकों के लिए नए फंड ऑफर (एनएफओ) की घोषणा की है
- महिंद्रा मैनुलाइफ म्यूचुअल फंड ने किसी भी डेट स्कीम में आज तक कोई डिफॉल्ट नहीं किया है
- इसमें पर्याप्त लिक्विडिटी होती है, मतलब कि जब आप चाहें तुरंत पैसा निकाल सकते हैं
मुंबई
महिंद्रा मैनुलाइफ म्यूचुअल फंड ने निवेशकों के लिए नए फंड ऑफर (New Fund Offer) की घोषणा की है। महिंद्रा मैनुलाइफ म्यूचुअल फंड ने किसी भी डेट स्कीम में आज तक कोई डिफॉल्ट नहीं किया है।। हम यहां बता रहे हैं कि क्या होता शार्ट टर्म बांड फंड..
- क्या होता है शार्ट टर्म बांड फंड?
शॉर्ट टर्म बांड फंड मुख्य रूप से 1 से 3 साल के समय वाले होते हैं। इसमें पोर्टफोलियो का समय सुनिश्चित करने वाली स्कीम कम समय के लिए निवेश करती है। इसमें आमतौर पर पोर्टफोलियो में उच्च लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए हाई रेटिंग वाले क्रेडिट और सिक्योरिटीज में सरकारी सिक्योरिटीज के लिए महत्व दिया जाता है। लिक्विडिटी का मतलब तरलता से है। यानी जब आप चाहें तुरंत पैसा निकाल सकते हैं। - क्या होती है मैच्योरिटी अवधि
इसकी एक वर्ष से तीन साल के बीच मैच्योरिटी होती है। ये अच्छी खासी लिक्विडिटी प्रदान करते हैं। ये डिविडेंड और ग्रोथ ऑप्शन्स में भी उपलब्ध हैं। महिंद्रा मैनुलाइफ शॉर्ट टर्म फंड 1-3 साल की लक्ष्य के लिए हाई क्वालिटी सिक्योरिटीज में पोर्टफोलियो के प्रमुख हिस्से को निवेश कर सकता है। इस तरीके से किये जाने वाले निवेश का उद्देश्य सेक्टर और ग्रुप एक्सपोजर की लगातार निगरानी करके जोखिम को कम करना होता है। - इसमें निवेशकों को क्या जानना जरूरी है?
शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड जिसके बारे में निवेशकों को जरूर पता होना चाहिए कि फंड कभी डिफाल्ट किया है या नहीं। यह 1 से 3 साल तक निवेश के लिए सही है। यह लंबी अवधि की तुलना में अच्छा रिटर्न देती है। यह इंडेक्सेशन के माध्यम से पारंपरिक निवेश पर लांग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्सेशन बेनिफिट्स प्रदान कर सकता है। जहां तक महिंद्रा मैनुलाइफ म्यूचुअल फंड की बात है क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? तो क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? इसकी किसी भी डेट स्कीम में आज तक डिफॉल्ट नहीं हुआ है। - एनएफओ कब खुलेगा और कब बंद होगा?
यह एनएफओ 9 फरवरी को खुला है और 16 फरवरी को बंद होगा। आंकड़ों के मुताबिक बेंचमार्क इंडेक्स में 3 साल के निवेश के विश्लेषण से पता चलता है कि पूरे समय की 86 फीसदी अवधि में इसने 7 पर्सेंट से ज्यादा रिटर्न दिया है। जबकि औसत रिटर्न 8 पर्सेंट रहा है। हाउस रिसर्च एंड प्रोसेस फ्रेमवर्क में रिस्क गार्ड प्रोसेस के आधार पर सिक्योरिटीज को चुना जाता है। ऐसे निवेशक, जो 1 से 3 साल के समय के साथ सुरक्षा, लिक्विडिटी और रिटर्न्स चाहते हैं, उनके लिए यह अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
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