सरकार ने किया बड़ा बदलाव, स्टार्टअप को मिलेगा सीधा फायदा, जानें क्या है खास?

Debt Investment: सरकार ने स्टार्टअप (Startups) के लिए कंपनी में किए गए लोन निवेश को इक्विटी शेयरों में बदलने इक्विटी शेयर के फायदे की समयसीमा को बढ़ाकर 10 साल कर दिया है.

By: पीटीआई, एजेंसी | Updated at : 20 Mar 2022 04:01 PM (IST)

स्टार्टअप लोन (फाइल फोटो)

Debt Investment: सरकार ने स्टार्टअप (Startups) के लिए कंपनी में किए गए लोन निवेश को इक्विटी शेयरों में बदलने की समयसीमा को बढ़ाकर 10 साल कर दिया है. सरकार के इस फैसले से उभरते उद्यमियों को कोविड-19 महामारी के प्रभाव से बाहर निकलने में मदद मिलेगी. उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) के एक नोट से यह जानकारी मिली है.

सरकार ने बढ़ाई समय सीमा
अभी तक परिर्वतीय नोट्स को इन्हें जारी करने की तारीख से पांच साल तक इक्विटी शेयरों में बदलने की अनुमति थी. अब इस समयसीमा को बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है.

इक्विटी शेयर जारी करने को कह सकते हैं निवेशक
कोई निवेशक स्टार्टअप में परिवर्तनीय नोट के जरिये निवेश कर सकता है, जो एक प्रकार का बांड या लोन प्रोडक्ट होता है. इस निवेश में निवेशक को यह विकल्प दिया जाता है कि यदि स्टार्टअप कंपनी का प्रदर्शन अच्छा रहता या भविष्य में वह प्रदर्शन के मोर्चे पर कोई लक्ष्य हासिल करती है, तो निवेशक उससे अपने निवेश के बदले में कंपनी के इक्विटी शेयर जारी करने को कह सकता है.

10 साल में बदल सकते हैं शेयरों में
स्टार्टअप कंपनी द्वारा कर्ज के रूप में मिले धन के बदले में परिवर्तनीय नोट जारी किया जाता है. धारक के विकल्प के आधार पर इसका भुगतान किया जाता है या फिर इसे स्टार्टअप कंपनी के इक्विटी शेयर में बदला जा सकता है. अब इन नोट को जारी करने की तारीख से 10 साल के दौरान इक्विटी शेयर में बदला जा सकेगा. एक्सपर्ट ने कहा कि परिवर्तनीय नोट स्टार्टअप के लिए शुरुआती चरण के वित्तपोषण का एक आकर्षक माध्यम बन गए हैं.

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जानें क्या बोले डेलॉयट के प्रमुख?
डेलॉयट इंडिया के भागीदार सुमित सिंघानिया ने कहा, ‘‘परिवर्तनीय डिबेंचर/बांड के उलट परिवर्तनीय नोट इक्विटी में बदलने का लचीला विकल्प देते हैं. इसमें अग्रिम में ही परिवर्तनीय अनुप़ात तय करने की जरूरत नहीं होती.’’ सिंघानिया ने कहा कि परिवर्तनीय नोट को इक्विटी में बदलने की समयसीमा को बढ़ाकर 10 साल किया गया है. इससे स्टार्टअप कंपनियों का बोझ कम हो सकेगा.

Published at : 20 Mar 2022 04:01 PM (IST) Tags: Equity loan Government Decision Debt Investment हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर इक्विटी शेयर के फायदे पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

LIC IPO: खुल गया बाजार का सबसे बड़ा आईपीओ, जानिये एलआईसी में निवेश से क्‍या होंगे फायदे

LIC IPO: खुल गया बाजार का सबसे बड़ा आईपीओ, जानिये एलआईसी में निवेश से क्‍या होंगे फायदे

LIC IPO: भारतीय बाजारों के इतिहास में सबसे बड़ी आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO), LIC IPO आज खुल गया इक्विटी शेयर के फायदे है। लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (एलआईसी) की प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश - भारत का अब तक का सबसे बड़ा इक्विटी शेयर के फायदे आईपीओ - ​​बुधवार को खुदरा और संस्थागत निवेशकों के लिए सदस्यता के लिए खुला। आईपीओ के माध्यम से, जिसका मूल्य बैंड 902-949 रुपये प्रति इक्विटी शेयर तय किया गया है, सरकार का लक्ष्य अपनी 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी को कम करके लगभग 21,000 करोड़ रुपये उत्पन्न करना है।

बीमा दिग्गज ने कहा है कि पॉलिसीधारकों को प्रति इक्विटी शेयर पर 60 रुपये की छूट मिलेगी। इसी तरह, खुदरा निवेशकों और पात्र कर्मचारियों को प्रति इक्विटी शेयर 45 रुपये की छूट दी जाएगी। शेयर की बिक्री 22.13 करोड़ इक्विटी शेयरों के ऑफर-फॉर-सेल (ओएफएस) के माध्यम से होती है। शेयरों के 17 मई को लिस्ट होने की संभावना है।

एलआईसी ने मुख्य रूप से घरेलू संस्थानों के नेतृत्व वाले एंकर निवेशकों से 5,627 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है। एंकर इन्वेस्टर्स (एआई) के हिस्से (5,92,96,853 इक्विटी शेयर) को 949 रुपये प्रति इक्विटी शेयर पर सब्सक्राइब किया गया था। सेंसेक्स 1,300 अंक से अधिक टूट गया, निफ्टी 16,600 पर समाप्त हुआ क्योंकि आरबीआई ने ब्याज बढ़ाया।

एलआईसी ने अपने इक्विटी शेयर के फायदे आईपीओ के आकार को मौजूदा बाजार की स्थिति के कारण पहले तय किए गए 5 प्रतिशत से घटाकर 3.5 प्रतिशत कर दिया। करीब 20,557 करोड़ रुपये के घटे आकार के बाद भी एलआईसी का आईपीओ देश में अब तक का सबसे बड़ा आरंभिक सार्वजनिक निर्गम होने जा रहा है।

जानिये एलआईसी के बारे में

एलआईसी का गठन 1 सितंबर 1956 को 245 निजी जीवन बीमा कंपनियों का विलय और राष्ट्रीयकरण करके 5 करोड़ रुपये की प्रारंभिक पूंजी के साथ किया गया था। इसके उत्पाद पोर्टफोलियो में 32 व्यक्तिगत उत्पाद (16 भाग लेने वाले उत्पाद और 16 गैर-भाग लेने वाले उत्पाद) और सात व्यक्तिगत वैकल्पिक राइडर लाभ शामिल हैं। बीमाकर्ता के समूह उत्पाद पोर्टफोलियो में समूह के 11 उत्पाद शामिल हैं। दिसंबर 2021 तक, एलआईसी के पास प्रीमियम या जीडब्ल्यूपी के मामले में 61.6 फीसदी, नए बिजनेस प्रीमियम के मामले में 61.4 फीसदी, जारी की गई व्यक्तिगत पॉलिसियों की संख्या के मामले में 71.8 फीसदी और 88.8 फीसदी की बाजार हिस्सेदारी थी।

Infosys ने की अपने ही शेयर बेचने की शुरुआत, ₹1900 के पार जाएगा भाव!

एयूएम कैपिटल के मुताबिक अगले 9-12 महीनों की अवधि में शेयर का भाव ₹1937 तक जा सकता है। यह वर्तमान शेयर भाव के मुकाबले 300 रुपये से भी ज्यादा के फायदे को दिखाता है।

Infosys ने की अपने ही शेयर बेचने की शुरुआत, ₹1900 के पार जाएगा भाव!

देश की दिग्गज आईटी कंपनी Infosys ने शेयर बायबैक ऑफर की शुरुआत कर दी है। बीते 7 दिसंबर से शुरू हुआ बायबैक ऑफर 6 जून, 2023 तक जारी रहेगा। इसके तहत कंपनी निवेशकों को अपने शेयर बेच रही है।

शेयर का क्या है हाल: हालांकि, बायबैक ऑफर के शुरू होने के बाद से Infosys के शेयर में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं दिख रहा है। सप्ताह के चौथे कारोबारी दिन यानी गुरुवार को Infosys का शेयर भाव मामूली बढ़त के साथ 1610 रुपये के पार कारोबार कर रहा था। वहीं, ब्रोकरेज एयूएम कैपिटल ने शेयर का टारगेट प्राइस 1930 रुपये से ज्यादा रखा है। एयूएम कैपिटल के मुताबिक अगले 9-12 महीनों की अवधि में शेयर का इक्विटी शेयर के फायदे भाव ₹1937 तक जा सकता है। यह वर्तमान शेयर भाव के मुकाबले 300 रुपये से भी ज्यादा के फायदे को दिखाता है।

बायबैक ऑफर की डिटेल: Infosys का बायबैक ऑफर ₹9300 करोड़ कीमत का है। ऑफर के पहले दिन यानी 7 दिसंबर को Infosys ने लगभग ₹202 करोड़ मूल्य के इक्विटी शेयर खरीदे। इंफोसिस का कुल बायबैक प्रस्ताव 5.02 करोड़ इक्विटी शेयरों से अधिक होगा। Infosys के ऑफर के तहत बायबैक प्राइस ₹1,850 प्रति शेयर से अधिक नहीं होना चाहिए। कंपनी के मुताबिक बायबैक से Infosys को अपने शेयरधारकों को सरप्लस कैश लौटाने में मदद मिलेगी।

Infosys के शेयर बायबैक में कैसे हिस्सा लें?
पिछले महीने, Infosys शेयर बायबैक पर अपने ब्लॉग में आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने कहा था कि चूंकि बायबैक ओपन मार्केट का है, इसलिए किसी विशेष भागीदारी की आवश्यकता नहीं है। कोई भी इक्विटी शेयरधारक जो अपने डीमैट खाते में इंफोसिस के शेयरों का मालिक है, बायबैक में भाग लेने के लिए पात्र है।

एक शेयरधारक बायबैक में हिस्सा लेने की योजना बना रहा है, उन्हें केवल अपने ब्रोकर को इक्विटी शेयर के फायदे उस इक्विटी शेयर के बारे में सूचित करना होगा जिसे वे बेचना चाहते हैं। जब भी कंपनी बायबैक प्लान के तहत बाय ऑर्डर देती है तो ब्रोकर एक सेल ऑर्डर देता है।

इक्विटी म्यूचुअल फंड या शेयर, किसमें निवेश ज्यादा फायदेमंदॽ

जब तक कि आप जानकार निवेशक नहीं हैं, तब तक शेयरों में सीधे निवेश करने में समझदारी नहीं है.

इक्विटी म्यूचुअल फंड या शेयर, किसमें निवेश ज्यादा फायदेमंदॽ

जब तक कि आप जानकार निवेशक नहीं हैं, तब तक शेयरों में सीधे निवेश करने में समझदारी नहीं है. इसलिए, निवेश की शुरुआत करने वाले लोगों के लिए एक विकल्प सीधा और सरल है. विकल्प यह है कि आपको म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश इक्विटी शेयर के फायदे करना चाहिए.

मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सीधे निवेश करके आप सफल नहीं हो सकते हैं. ऐसे कई लोग हैं, जो खुद से निवेश करते हैं और अच्छे नतीजे प्राप्त करते हैं. लेकिन, यह सिर्फ गिने-चुने लोगों की बात है. ज्यादातर लोगों को इस मामले में असफलता ही हाथ लगती है. हर 100 में से केवल पांच या 10 लोगों को ही सीधे निवेश करके अच्छे परिणाम मिलते हैं. जो कुछ लोग सफल भी होते हैं, उन्हें कर्इ असफलताओं के बाद इसका स्वाद चखने को मिलता है. हर विफलता के साथ उन्हें कुछ नुकसान उठाना पड़ता है.

हममें से ज्यादातर का लक्ष्य बिल्कुल साफ होता है. अपनी बचत पर ज्यादा से ज्यादा रिटर्न हासिल करना. नुकसान से सीखना घाटे का सौदा दिखता है. इसलिए इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड इस समस्या का आसान समाधान हैं.

म्यूचुअल फंड के माध्यम से इक्विटी में निवेश का एक बड़ा लाभ अनुशासित विविधीकरण यानी डिसिप्लिन्ड डायवर्सिफिकेशन है. फंड मैनेजर संस्थागत ढांचे के भीतर काम करते हुए निवेश के कुछ आधारभूत नियमों का पालन करते हैं. मसलन इक्विटी शेयर के फायदे कुल पोर्टफोलियो में निश्चित प्रतिशत के साथ कम से कम 15 या 20 स्टॉक होने चाहिए.

इन स्टॉक को कम से कम पांच सेक्टरों से होना चाहिए. कुछ हिस्सा बड़ी कंपनियों में निवेश करना चाहिए. कारण है कि मुश्किल समय में ये ज्यादा स्थिर होती हैं. जो लोग अपने आप शेयरों का प्रबंधन करते हैं, वे शायद ही इन सभी बातों का ख्याल रखते हैं.

अगर आप अपने आप सीधे शेयर खरीदकर डायविर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाने का प्रयास करते हैं, तो आपको अपेक्षाकृत बड़ी रकम की आवश्यकता होगी. कम से कम कुछ लाख की.

म्यूचुअल फंड में आप यही काम कुछ हजार रुपये में कर सकते हैं. आप हर महीने एक निश्चित राशि को नियमित रूप से निवेश करके यह काम कर सकते हैं. सच तो यह है कि खास इक्विटी म्यूचुअल फंड में डेढ़ लाख रुपये तक के निवेश पर आप सेक्शन 80सी के तहत टैक्स भी बचा सकते हैं.

एक और फायदा यह है कि लंबे समय में इक्विटी म्यूचुअल फंड से आपको कहीं ज्यादा रिटर्न मिलता है. सभी इक्विटी पोर्टफोलियो को कुछ खरीद या बिक्री की आवश्यकता होती है. कारण है कि किसी खास स्टॉक की मांग कम या ज्यादा हो सकती है.

हालांकि, अगर आप अपने आप शेयरों की ट्रेडिंग कर रहे हैं तो इस तरह के लेनदेन के साथ टैक्स देना पड़ता है. वहीं, इक्विटी म्यूचुअल फंड में यह ट्रेडिंग स्कीम के भीतर रहते हुए फंड मैनेजर करते हैं. इस तरह आप पर टैक्स देनदारी नहीं बनती है, क्योंकि आप खुद खरीद-फरोख्त नहीं कर रहे हैं.

(लेखक वैल्यू रिसर्च के सीर्इओ हैं.)

(इक्विटी शेयर के फायदे डिस्क्लेमर-लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं . र्इटी का इससे सहमत होना जरूरी नहीं है.)


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