नवभारत टाइम्स 09-11-2022

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार चौथे हफ्ते हुई बढ़त, 561.16 अरब डॉलर पर पहुंचा फोरेक्स रिजर्व

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 2 दिसंबर को खत्म हुए हफ्ते में भारत का गोल्ड रिजर्व 1.086 अरब डॉलर से बढ़कर 41.025 अरब डॉलर पर पहुंच गया है जबकि इसी अवधि में Special Drawing Rights (SDRs) 16.4 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 18.04 अरब डॉलर पर रहा है

डॉलर में बताए जाने वाले फॉरेन करेंसी एसेट में गैर डॉलर करेंसियों जैसे यूरो, पाउंड और येन में भी होने वाले उतार-चढ़ाव को भी शामिल किया जाता है

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 2 दिसंबर 2022 को खत्म हुए हफ्ते में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.02 अरब डॉलर की बढ़ोतरी के साथ 561.162 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार चौथे हफ्ते बढ़त देखने को मिली है। इसके पिछले रिपोर्टिंग हफ्ते भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में 2.9 अरब डॉलर की बढ़ोतरी देखने को मिली थी और यह 550.14 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। वहीं 11 नंवबर 2022 को खत्म हुए हफ्ते में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 14.72 अरब डॉलर की बढ़ोतरी देखने को मिली थी। यह अब तक की दूसरी सबसे तेज साप्ताहिक बढ़ोतरी थी।

अक्टूबर 2021 में ऑलटाइम हाई पर था भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

गौरतलब है कि अक्टूबर 2021 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के अपने ऑल टाइम हाई के पास पहुंच गया था। लेकिन उसके बाद ग्लोबल स्थितियों में गड़बड़ी आने के चलते आरबीआई को भारतीय रुपये को सपोर्ट देने के लिए ओपन मार्केट में डॉलर डालने पड़े थे जिसकी वजह से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई।

गिरते रुपये को बचाने में कैसे हो सकता है विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल, जानिए इसका कारण

विदेशी मुद्रा भंडार एक केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्राओं में आरक्षित संपत्ति (assets) है, जिसमें बाॉन्ड, ट्रेजरी बिल और अन्य सरकारी सिक्योरिटीज शामिल हो सकती हैं. विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में एक अहम भूमिका निभाता है. जब किसी भी देश की राष्ट्रीय मुद्रा तेजी से नीचे आती है तब फॉरेक्स रिजर्व उसे स्थिरता प्रदान करने में मदद करता है. यदि किसी देश के पास फॉरेक्स रिजर्व कम होता है या नहीं होता है तो वह दिवालिया हो जाता है. भारत के पास भी अच्छा विदेशी मुद्रा भंडार है. भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा संपत्ति (Foreign Currency Assets), विदेशी मुद्रा बाजार में गोल्ड रिजर्व, स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR), अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ रिजर्व स्थिति शामिल है. आइये एक नजर डालते हैं कि कैसे रुपये को संभालने में विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन उससे पहले जानते है इसके महत्व के बारे में - बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार का महत्व बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार भारत के बाहरी और आंतरिक वित्तीय मुद्दों के प्रबंधन में सरकार और आरबीआई को आराम देते हैं. यह आर्थिक मोर्चे पर भुगतान संतुलन (बीओपी) संकट की स्थिति में एक सहारे के रूप में कार्य करता है. भंडार बढ़ने से डॉलर के मुकाबले रुपये को मजबूत होने में मदद मिलती है. जब किसी देश की मौद्रिक प्राधिकरण (monetery authority) अपनी बाहरी देनदारियों का दायित्व अच्छे से निभाती है तो इससे बाजारों और निवेशकों में विश्वास बढ़ता है. रुपये को संभालने में विदेशी मुद्रा भंडार का कैसे इस्तेमाल होता है सिक्योरिटीज के रूप में होल्ड किया गया विदेशी मुद्रा भंडार एक देश के कई फाइनेंशियल उद्देश्यों को पूरा करता हैं, लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण है किसी भी देश की करेंसी को स्थिरता प्रदान करना. जिसके लिए सरकारें 'बैकअप फंड' तैयार रखती हैं. बैकअप विदेशी मुद्रा बाजार में फंड का इस्तेमाल किसी भी देश में उसके केंद्रीय बैंक या रेगुलेटरी संस्था द्वारा आर्थिक इमरजेंसी के समय किया जाता है. भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) है. यदि विदेशी मुद्रा की मांग में वृद्धि के कारण रुपये का मूल्य घटता है तो आरबीआई भारतीय मुद्रा बाजार में डॉलर बेचता है ताकि भारतीय मुद्रा की गिरावट के कारण की जांच कर उसकी गिरती हुई वैल्यू को रोका जा सके.

विदेशी मुद्रा भंडार एक केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्राओं में आरक्षित संपत्ति (assets) है, जिसमें बाॉन्ड, ट्रेजरी बिल और अन्य सरकारी सिक्योरिटीज शामिल हो सकती हैं. विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में एक अहम भूमिका निभाता है. जब किसी भी देश की राष्ट्रीय मुद्रा तेजी से नीचे आती है तब विदेशी मुद्रा बाजार में फॉरेक्स रिजर्व उसे स्थिरता प्रदान करने में मदद करता है.

यदि किसी देश के पास फॉरेक्स रिजर्व कम होता है या नहीं होता है तो वह दिवालिया हो जाता है. भारत के पास भी अच्छा विदेशी मुद्रा भंडार है. भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा संपत्ति (Foreign Currency Assets), गोल्ड रिजर्व, स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR), अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ रिजर्व स्थिति शामिल है.

आइये एक नजर डालते हैं कि कैसे रुपये को संभालने में विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन उससे पहले जानते है इसके महत्व के बारे में -

बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार भारत के बाहरी और आंतरिक वित्तीय मुद्दों के प्रबंधन में सरकार और आरबीआई को आराम देते हैं. यह आर्थिक मोर्चे पर भुगतान संतुलन (बीओपी) संकट की स्थिति में एक सहारे के रूप में कार्य करता है. भंडार बढ़ने से डॉलर के मुकाबले रुपये को मजबूत होने में मदद मिलती है. जब किसी देश की मौद्रिक प्राधिकरण (monetery authority) अपनी बाहरी देनदारियों का दायित्व अच्छे से निभाती है तो इससे बाजारों और निवेशकों में विश्वास बढ़ता है.

सिक्योरिटीज के रूप में होल्ड किया गया विदेशी मुद्रा भंडार एक देश के कई फाइनेंशियल उद्देश्यों को पूरा करता हैं, लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण है किसी भी देश की करेंसी को स्थिरता प्रदान करना. जिसके लिए सरकारें 'बैकअप फंड' तैयार रखती हैं.

बैकअप फंड का इस्तेमाल किसी भी देश में उसके केंद्रीय बैंक या रेगुलेटरी संस्था द्वारा आर्थिक इमरजेंसी के समय किया जाता है. भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) है. यदि विदेशी मुद्रा की मांग में वृद्धि के कारण रुपये का मूल्य घटता है तो आरबीआई भारतीय मुद्रा बाजार में डॉलर बेचता है ताकि भारतीय मुद्रा की गिरावट के कारण की जांच कर उसकी गिरती हुई वैल्यू को रोका जा सके.

थम नहीं रही विदेशी मुद्रा भंडार की गिरावट, 28 महीने पहले जैसे हुए हालात

21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में भी डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी रुपया कमजोर हुआ। सप्ताह के दौरान 83 प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया था। पिछले छह हफ्तों में यह लगभग 4% लुढ़क चुका है।

थम नहीं रही विदेशी मुद्रा भंडार की गिरावट, 28 महीने पहले जैसे हुए हालात

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में एक बार फिर गिरावट आई है। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 3.8 अरब डॉलर घटकर 524.5 अरब डॉलर रह गया। जुलाई 2020 यानी करीब 28 माह बाद रिजर्व अपने सबसे निचले स्तर पर है। पिछले साल से रिजर्व में 115 अरब डॉलर की गिरावट आई है।

वजह क्या है: भंडार में गिरावट की सबसे बड़ी वजह विदेशी मुद्रा एसेट हैं। इसमें 3.5 अरब डॉलर की कमी आई है। इसी तरह, केंद्रीय रिजर्व बैंक के पास रखे गोल्ड के मूल्य में 14 अक्टूबर की तुलना में 2.47 अरब डॉलर की गिरावट आई है। भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी 7.1 फीसदी है।

आपको बता दें कि 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में भी डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी रुपया कमजोर हुआ। सप्ताह के दौरान 83 प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया था। पिछले छह हफ्तों में यह लगभग 4% लुढ़क चुका है। शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 82.474 पर बंद हुआ।

रुपये की रिकॉर्ड गिरावट को रोकने में मदद करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने अब तक विदेशी मुद्रा से लगभग 118 अरब डॉलर खर्च किए हैं।

रुपया 45 पैसे की तेजी के साथ 81.47 प्रति डॉलर पर बंद हुआ

नवभारत टाइम्स लोगो

नवभारत टाइम्स 09-11-2022

मुंबई, नौ नवंबर (भाषा) अमेरिकी डॉलर के कमजोर होने और विदेशी पूंजी के सतत निवेश से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 45 पैसे की तेजी के साथ 81.47 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 81.43 पर खुला। कारोबार के दौरान 81.23 के दिन के उच्चस्तर और 81.62 के निचले स्तर को छूने के बाद अंत में यह 45 पैसे की तेजी के साथ 81.47 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। पिछले कारोबारी सत्र में (सोमवार को) रुपया 81.92 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। ‘गुरुनानक जयंती’ के मौके पर मंगलवार को विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार बंद था।

इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कमजोरी या मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.18 प्रतिशत बढ़कर 109.83 हो गया।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.64 प्रतिशत घटकर 94.75 डॉलर प्रति बैरल रह गया।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विदेशी मुद्रा एवं सर्राफा विश्लेषक, गौरांग सोमैया ने कहा, ‘‘रुपये में मजबूती जारी रही क्योंकि डॉलर में, ऊंचे स्तर पर बिकवाली का दबाव देखा गया। अमेरिकी मध्यावधि चुनाव परिणाम आने से पहले भी डॉलर दबाव में रहा।’’

वहीं बीएसई का 30 शेयरों विदेशी मुद्रा बाजार में वाला सेंसेक्स 151.60 अंक की गिरावट के साथ 61,033.55 अंक पर बंद हुआ।

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल रहे। उन्होंने सोमवार को 1,948.51 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

भारत से लेकर चेक ​गणराज्य तक के घट रहे विदेशी मुद्रा भंडार, वैश्विक स्तर पर रिकॉर्ड 1 लाख करोड़ डॉलर की कमी

भारत से लेकर चेक ​गणराज्य तक के घट रहे विदेशी मुद्रा भंडार, वैश्विक स्तर पर रिकॉर्ड 1 लाख करोड़ डॉलर की कमी

दुनिया भर में विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign-Currency Reserves) में काफी तेजी से गिरावट आ रही है. इसकी वजह है कि भारत से लेकर चेक ​गणराज्य तक, कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने अपनी-अपनी मुद्रा को समर्थन देने के लिए हस्तक्षेप किया है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल वैश्विक मुद्रा भंडार लगभग 1 लाख करोड़ डॉलर या 7.8 प्रतिशत घटकर 12 लाख करोड़ डॉलर रह गया है. ब्लूमबर्ग ने इस डाटा को कंपाइल करना साल 2003 से शुरू किया था. विदेशी मुद्रा भंडार में यह तब से लेकर अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है.

इस गिरावट का एक हिस्सा केवल वैल्युएशन में बदलाव के कारण है. अमेरिकी मुद्रा डॉलर, यूरो और येन जैसी अन्य आरक्षित मुद्राओं के मुकाबले दो दशक के उच्च स्तर पर पहुंच गई है. इसने इन मुद्राओं की होल्डिंग की डॉलर वैल्यू को कम कर दिया. लेकिन घटते भंडार भी मुद्रा बाजार में तनाव को दर्शाते हैं, जो केंद्रीय बैंकों की बढ़ती संख्या को मूल्यह्रास को रोकने के लिए अपने खजानों में झांकने के लिए मजबूर कर रहा है.

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 96 अरब डॉलर घटा

उदाहरण के विदेशी मुद्रा बाजार में लिए, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस साल 96 अरब डॉलर घटकर 538 अरब डॉलर रह गया है. देश के केंद्रीय विदेशी मुद्रा बाजार में बैंक आरबीआई का कहना है अप्रैल से अब तक के वित्तीय वर्ष के दौरान भंडार में आई गिरावट में 67 प्रतिशत का योगदान एसेट वैल्युएशन बदलाव का है. इसका अर्थ है कि शेष गिरावट, भारतीय मुद्रा को आगे बढ़ाने के लिए केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप की वजह से है. रुपये में इस साल डॉलर के मुकाबले करीब 9 प्रतिशत की गिरावट आई है और पिछले महीने यह रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया.

जापान ने निकाले 20 अरब डॉलर

जापान ने 1998 के बाद पहली बार मुद्रा को समर्थन देने के लिए सितंबर में येन की गिरावट को धीमा करने के लिए लगभग 20 अरब डॉलर खर्च किए. इसका, इस साल जापान के विदेशी मुद्रा भंडार के नुकसान में लगभग 19% हिस्सा होगा. चेक गणराज्य में मुद्रा हस्तक्षेप ने फरवरी से भंडार को 19% कम किया है. हालांकि गिरावट की भयावहता असाधारण है, लेकिन मुद्राओं की रक्षा के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करने की प्रथा कोई नई बात नहीं है. जब विदेशी पूंजी की बाढ़ आती है तो केंद्रीय बैंक डॉलर खरीदते हैं और मुद्रा की वृद्धि को धीमा करने के लिए अपने भंडार का निर्माण करते हैं. बुरे समय में वे इससे पूंजी निकालते हैं.

भारत का भंडार 2017 के स्तर से अभी भी 49% अधिक

ब्लूमबर्ग के मुताबिक, अधिकांश केंद्रीय बैंकों के पास अभी भी हस्तक्षेप जारी रखने के लिए पर्याप्त शक्ति है. भारत में विदेशी मुद्रा भंडार अभी भी 2017 के स्तर से 49% अधिक है, और नौ महीने के आयात का भुगतान करने के लिए पर्याप्त है. हालांकि कुछ केंद्रीय बैंक ऐसे भी हैं, जहां यह भंडार तेजी से ​खत्म हो रहा है. इस साल 42% की गिरावट के बाद, पाकिस्तान का 14 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार तीन महीने के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

क्या 2030 तक दुनिया से गरीबी खत्म नहीं हो पाएगी? जानिए विश्व बैंक ने क्या कहा?

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