कम से कम 44 शेयरों (एक लॉट) और अधिकतम 572 शेयरों (13 लॉट) को खरीद सकते हैं। कम से कम 14,960 रुपए और अधिकतम एक लाख 94 हजार 480 रुपए का निवेश कर सकते हैं।
आईपीओ क्या है, आईपीओ में इन्वेस्ट करने से पहले ध्यान देने वाले बातें
इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग एक प्रक्रिया है जिसमें एक कंपनी पहली बार अपनी शेयर्स स्टॉक मार्केट में जनता को, फंड जुटाने के लिए ऑफर करती है।
एक आईपीओ में, इंस्टीटूशन्स और साथ ही रिटेल इन्वेस्टर्स, दोनों भाग ले सकते हैं और इस कारण से, इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग में इंवेस्टमेंट्स, इन्वेस्टर्स द्वारा काफी उत्साह से देखा जाता है ।
स्टॉक की कीमत आईपीओ के दौरान इश्यू सेल द्वारा निर्धारित की जाती है, जो ऊपर या नीचे जा सकती है और यह कंपनी के स्टॉक में इन्वेस्टर्स की रुचि (इंटरेस्ट) पर निर्भर करती है।
साल 2021 के दौरान, भारत में विभिन कंपनियों ने 1.2 लाख करोड़ रूपए का रिकॉर्ड पैसा आईपीओ के द्वारा स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टर्स से उठाएं थें। जो की भारत में किसी एक कैलेंडर साल में अब तक का, आईपीओ से उठाये गए सबसे बड़ा अमाउंट है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के डेटा के अनुसार, साल 2021 में कुल मिला कर 115 कंपनियों ने SEBI के पास अप्रूवल के लिए अपने डाक्यूमेंट्स जमा दिए थें। इनमे से 63 इंडियन कंपनियों ने साल 2021 में आईपीओ स्टॉक मार्केट में लॉन्च किये थें।
IPO में उपयोग की जाने वाली प्रमुख टर्म्स।
नीचे इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग में इस्तेमाल किये जाने बाले टर्म्स दिए गएँ हैं जिनका उपयोग अक्सर तब किया जाता है जब हम आईपीओ पर चर्चा या उसकी एनालिसिस करते हैं:
- Abridgedप्रॉस्पेक्टस – यह आईपीओ प्रॉस्पेक्टस का समरी है जिसमें प्राइमरी प्रॉस्पेक्टस की सभी मुख्य विशेषताएं शामिल हैं।
- Draft Red Herring Prospectus,ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) – यह डॉक्यूमेंट सिक्योरिटीज & एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) को, कंपनी द्वारा आईपीओ के 21 दिन पहले जमा किया जाना चाहिए।
- एप्लीकेशन सपोर्टेड बाई ब्लॉक्ड अमाउंट (ASBA) – इसमें इन्वेस्टर्स द्वारा शेयरों के लिए पेमेंट किया गया लॉट साइज़ क्या उपयोग करना चाहिए पैसा इन्वेस्टर्स के खाते में रहता है। जब तक इन्वेस्टर्स को कंपनी द्वारा शेयर अल्लोट नहीं किए जाते तब तक अमाउंट ब्लॉक्ड रहता है।
- रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस -इस डॉक्यूमेंट में वे सभी इनफार्मेशन शामिल हैं जो इन्वेस्टर्स को कंपनी के बारे में जानना चाहिए, जैसे कि कंपनी का बिज़नेस अकाउंट, मैनेजमेंट क्वॉलिफिकेशन्स (Management Qualifications ), बिज़नेस का फ्यूचर एप्रोच, आईपीओ प्राइस बैंड, आदि।
- लिस्टिंग डेट, लिस्टिंग की तारीख – यह वह दिन है जिस दिन स्टॉक एक्सचेंज में आईपीओ शेयरों का कारोबार शुरू होता है।
- लॉट साइज – शेयरों की मिनिमम संख्या जिसके लिए लॉट साइज़ क्या उपयोग करना चाहिए आईपीओ में बोली लगाई जा सकती है। यदि आप अधिक शेयरों के लिए बोली लगाना चाहते हैं, तो आप मल्टीप्लेस में बोली लगा सकते हैं।
- ऑफर डेट,ऑफर की तारीख – यह वह शुरुआती तारीख होती है जिस दिन से इन्वेस्टर्स आईपीओ में शेयरों के लिए बोली लगाना शुरू कर सकते हैं।
- मिनमम सब्सक्रिप्शन (Minimum Subscription) – यह आईपीओ शेयरों का मिनिमम प्रोपोरशन है जिसे रिटेल इन्वेस्टर्स को आईपीओ के लिए सब्सक्राइब करना चाहिए, जो कि कर्रेंटली 90% है।
- ओवर सब्सक्राइब – यह तब होता है जब इन्वेस्टर्स, कंपनी द्वारा प्रोपोसड शेयरों की संख्या से अधिक बोली लगाते हैं।
- प्राइस बैंड – यह वह मूल्य लिमिट है जिसके अंदर इन्वेस्टर आईपीओ शेयरों के लिए बोली लगा सकते हैं।
- बुक बिल्डिंग प्रोसेस – यह आईपीओ के लिए इश्यू प्राइस तय करने की प्रोसेस है जो इन्वेस्टर्स द्वारा बोली लगाने वाली कीमतों पर निर्भर करती है।
- फ्लोर प्राइस – यह आईपीओ के लिए आवेदन करते समय प्रति शेयर का सबसे कम कीमत है। इश्यू प्राइस- यह वह कीमत है जिस पर शेयर, एक्सचेंज में लिस्टेड होने पर इन्वेस्टर्स को अलॉट किया जाता है।
- कट-ऑफ प्राइस – लॉट साइज़ क्या उपयोग करना चाहिए यह सबसे कम इशू प्राइस है, जिस पर शेयर्स आल्लोट किए जाते हैं।
- अंडरराइटर (underwriter) – वे इन्वेस्टमेंट बैंकर्स हैं जो कंपनी की इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग और बुक बिल्डिंग प्रोसेस मैनेज करते है।
आईपीओ में इन्वेस्ट करने से पहले, नीचे दिए गए कुछ विशेष बातों को चेक करें।
रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस पढ़ें:
ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस एक कंपनी द्वारा सेबी (SEBI) के पास जमा किया जाता है जब वह जनता को अपने शेयर बेचकर धन जुटाना चाहती है।
यह डॉक्यूमेंट बताता है कि कंपनी कैसे, जुटाई जाने वाली जनता के पैसे का उपयोग करना चाहती है, और इन्वेस्टर्स के लिए पॉसिबल रिस्क्स क्या हैं। DRHP में कंपनी के बारे में वह सब कुछ लिखा होता है जो एक इन्वेस्टर को कंपनी के बारे में पता होना चाहिए। जैसे फाइनेंसियल हिस्ट्री, कंपनी का स्ट्रेंथ, रिस्क, कंपनी के विरुद्ध कोई कानूनी प्रक्रिया चल रही है या नहीं, आदि। इस लिए, इन्वेस्टर्स को किसी भी आईपीओ में इन्वेस्ट करने से पहले इस डॉक्यूमेंट को पढ़ना चाहिए ।
फण्ड जुटाने के पीछे कारण:
ध्यान दें कि यह जांचना आवश्यक है कि कंपनी द्वारा IPO से जुटाई गई फंड्स का उपयोग कैसे किया जाएगा।
इन्वेस्टर्स के काम की खबर: इस हफ्ते आपको मिलेगा तीन आईपीओ में निवेश का मौका, जानिए किस लॉट साइज़ क्या उपयोग करना चाहिए सेक्टर की कंपनी है, शेयर की क्या कीमत है और कब होगा अलॉटमेंट और लिस्टिंग
इस हफ्ते तीन आईपीओ आ रहे हैं। इसमें म्यूचुअल फंड के लिए सेवा देनेवाली कैम्स और केमकॉन स्पेशियलिटी केमिकल का इश्यू आज खुल रहा है। यह दोनों इश्यू 23 सितंबर को बंद होंगे। जबकि एंजल ब्रोकिंग का इश्यू कल यानी मंगलवार को खुलेगा और गुरुवार को बंद होगा। हम आपको बता रहे हैं इन आईपीओ के बारे में। कैसे इसमें आप निवेश करेंगे और कंपनी कैसी है।
आईपीओ का मतलब क्या है?
आईपीओ का मतलब कोई भी कंपनी जब पहली बार स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होती है तो उसे कुछ शेयर जारी करने होते हैं। इसे हम इनीशियल पब्लिक ऑफर कहते हैं।
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बीएफएसएल अकाउंट धारक तुरंत अप्लाई कर सकते हैं क्योंकि उनके विवरण आईपीओ एप्लीकेशन फॉर्म में पहले से भर दिए जाते हैं.
आईपीओ का अर्थ है इनिशियल पब्लिक लॉट साइज़ क्या उपयोग करना चाहिए ऑफरिंग (आईपीओ), जब किसी निजी स्वामित्व वाली कंपनी के शेयर पहली बार जनता को बिक्री के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं. यह कंपनियों के लिए अपने विभिन्न बिज़नेस ऑपरेशन या बिज़नेस विस्तार के लिए पैसे जुटाने का एक माध्यम है. निवेशक आईपीओ के समय बिडिंग के माध्यम से सीधे जारीकर्ता कंपनी से शेयर खरीदते हैं. इनिशियल ऑफरिंग के बाद, शेयर सेकंडरी मार्केट (स्टॉक एक्सचेंज) में सूचीबद्ध हो जाते हैं और इन्वेस्टर द्वारा ट्रेड किए जा सकते हैं.
EURUSD - Euro/US Dollar
फॉरेक्स टाइम लिमिटेड (www.forextime.com/eu) साइप्रस प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग द्वारा विनियमित है, जिसका CIF लाइसेंस नंबर है 185/12, तथा यह दक्षिण अफ्रीका के फाइनेंशियल सेक्टर कंडक्ट अथॉरिटी (FSCA) द्वारा लाइसेंस प्राप्त है और इसका FSP नंबर 46614 है। यह कंपनी यूके के फाइनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी के साथ रजिस्टर्ड है, जिसका नंबर 600475 है।
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कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे करें – How To Start Commodity Trading In India
कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे करें, Commodity Trading Kaise Kare: कमोडिटी ट्रेडिंग शुरू करने के लिए किसी भी ब्रोकर के पास ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होता है। ट्रेडिंग अकाउंट ओपन करवाने के लिये बैंक अकाउंट, पैन कार्ड और एड्रेस प्रूफ चाहिये होता है उसके बाद अपने ट्रेडिंग अकाउंट में पैसे ऐड करके Commodity Market में ट्रेडिंग शुरू कर सकते है।
इससे पहले मैंने एक पोस्ट लिखी थी जिसमें मैंने बताया था कमोडिटी ट्रेडिंग क्या है – What Is Commodity Trading In Hindi अगर अब आपने उस पोस्ट को नहीं पढ़ा है तो उसे जरूर पढ़िये। इस पोस्ट में कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे करें – How To Start Commodity Trading In India उसके बारे में जानेंगे।
कमोडिटी ट्रेडिंग शुरू करने के लिए कितने पैसों लॉट साइज़ क्या उपयोग करना चाहिए की जरुरत होती है
MCX में ट्रेडिंग 5000 रुपये से भी शुरू की जा सकती है लेकिन NCDEX में ट्रेडिंग शुरू करने के लिये 30000 रुपये तक की जरुरत होती है।
Margin: किसी भी कमोडिटी को खरीदने को लिये पुरे पैसे नहीं देने होते है, बस कुछ मार्जिन जमा करवाना होता है। जैसे: 1 किलो चांदी खरीदने के लिये सिर्फ 5000 रुपये का मार्जिन देना होता है। आम तौर पर ब्रोकर दवारा लिवरेज मिलती है लिवरेज एक उधार होता है जिससे ट्रेडर किसी भी कमोडिटी को खरीद सकता है और ट्रेड कम्पलीट होने के बाद उस उधार को ब्रोकर वापिस ले लेता है।
Lot Size: किसी भी कमोडिटी को अपने मन मुताबिक मात्रा में नहीं खरीद सकते है बल्कि पहले से ही निर्धारित Lot Size में खरीदना और बेचा जाता है जैसे: चांदी मिनी के 1 लोट में 1 किलो चांदी होती है अगर आपको 2 किलो चांदी खरीदनी है तो कमोडिटी एक्सचेंज पर चांदी के 2 लोट खरीदने होंगे।(How To Do Commodity Trading In India In Hindi)
ट्रेडिंग के लिये 5 सबसे बढ़िया कमोडिटी (Top Commodity To Trade In India)
- Crude Oil: लॉट साइज़ क्या उपयोग करना चाहिए क्रूड ऑइल सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे ज्यादा ट्रेड होने वाली कमोडिटी में से एक है। क्रूडऑयल के 1 Lot को डिलीवरी पर खरीदने के लिये लगभग 55000 रुपयों की जरुरत होती है।
- Silver: सिल्वर एक Precious Metal है 5 Kg. सिल्वर के 1 Lot को डिलीवरी पर खरीदने के लिये लगभग 25000 रुपयों की जरुरत होती है और 1 Kg Silver Mic के 1 Lot डिलीवरी पर को खरीदने के लिये लगभग 5000 रूपये मार्जिन देना होता है।
- Gold: Gold इस दुनिया की सबसे पुरानी करेंसी कमोडिटी में से एक है। 100 ग्राम सोने के 1 लोट को डिलीवरी पर खरीदने के लिये लगभग 35000 रुपये निवेश करने होते है। 4. Natural Gas: नेचुरल गैस एक Environment फ्रेंडली फ्यूल है समय के साथ इसकी डिमांड भी बढ़ रही है। नेचुरल गैस के 1 Lot को डिलीवरी पर खरीदने के लिये लगभग 23500 रुपयों की जरुरत होती है।
कमोडिटी ट्रेडिंग में प्रॉफिट कैसे कैलकुलेट करते है
मान लीजिये आपने Crude Oil Future का 1 Lot को 3410 रुपये पर ख़रीदा, जिसकी एक्सपायरी 1 महीने बाद है और एक्सपायरी के समय उसकी प्राइस 3510 रुपये हो जाती है तो आपका प्रॉफिट होगा (3510-3410) = 100 Rupee Per Unit
Actual Profit = 100*100 = 10000 Rupee Profit
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Commodity Market में किसी कमोडिटी की प्राइस डिमांड और सप्लाई पर तय होती है। यदि किसी कमोडिटी की Market Demand बढ़ जाये लेकिन उसकी सप्लाई न बढे तो उस कमोडिटी की प्राइस भी बढ़ जाती है। और अगर कमोडिटी की सप्लाई डिमांड से ज्यादा हो तो उस कमोडिटी की प्राइस घट जाती है। डिमांड और सप्लाई के अलावा Volume, Commodity Usage, Liquidity से भी कमोडिटी की प्राइस लॉट साइज़ क्या उपयोग करना चाहिए घटती – बढ़ती है।
कमोडिटी ट्रेडिंग में अनुशासन का होना जरूरी है इसलिये एक अच्छी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी बनाये जिसमे मनी लॉट साइज़ क्या उपयोग करना चाहिए मैनेजमेंट, स्टॉप लोस्स, टारगेट, रिस्क मैनेजमेंट, एंट्री – एग्जिट पॉइंट इन सभी बातों का ध्यान रखा गया हो। डर या लालच में आकर ख़रीदे या बेचें नहीं।कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे करें – How To Start Commodity Trading In India
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