Share Market Investment: सही स्टॉक चुनें, नहीं तो मुनाफे के बदले मिलेगा धोखा!

राहुल गांधी ने शेयर मार्केट की चाल को समझने में बड़ी गलती कर दी है

बजट के दिन से पहले से ही शेयर बाजार में गिरावट का रुख देखने को मिल रहा था, जो अब तक जारी है. समझिए क्यों कोई नहीं समझ पा रहा है शेयर बाजार की चाल.

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जब भी कुछ बड़ा होता है तो उसका असर शेयर बाजार पर भी देखने को मिलता है. बजट के दिन भी शेयर बाजार में एक हलचल हुई. बजट पेश होने के साथ ही शेयर बाजार में एक गिरावट का रुख दिखाई दिया. लेकिन जितनी तेज गिरावट शुरू में दिखी, उसमें काफी रिकवरी भी हो गई. ये बात बिल्कुल सही है कि बजट वाले दिन शेयर बाजार के गिरने का एक कारण बजट में लॉन्ग टर्म गेन पर टैक्स लगाने का फैसला भी था. लेकिन अगर ये कहा जाए कि बजट की वजह से ही अभी तक लगातार बाजार गिर रहा है तो ऐसा नहीं है. भले ही अपनी राजनीति चमकाने के लिए राहुल गांधी कितना भी बोलें कि बजट की वजह से ही शेयर बाजार गिरा है या फिर लोगों को बजट में भरोसा नहीं है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है.

यह ध्यान रखने वाली बात है कि जो भी विपक्ष में होता है, वह सरकार के फैसलों का विरोध करता ही है, चाहे वह कांग्रेस हो या फिर भाजपा हो. हालांकि, अगर नेता किसी फैसले के खिलाफ बोलने या ट्वीट करने से पहले थोड़ा रिसर्च भी कर लें तो शायद उन्हें सरकार पर निशाना साधने में आसानी हो जाए. यहां यह भी समझना बेहद जरूरी है कि शेयर बाजार में गिरावट सिर्फ भारत में नहीं आ शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं? रही है, बल्कि वैश्विक स्तर पर शेयर बाजार गिर रहा है.

कितनी आई गिरावट?

बजट से लेकर अब तक सेंसेक्स करीब 1711 अंक गिर चुका है. 1 फरवरी को सेंसेक्स 35906 के स्तर पर था, जो 6 फरवरी तक गिरकर 34,195 के स्तर पर पहुंच चुका है. ये पिछले महीने भर का सबसे निचला स्तर है.

अगर बात की जाए निफ्टी की तो उसमें बजट से लेकर अब तक कुल 518 अंकों की गिरावट दर्ज की गई. 1 फरवरी को निफ्टी 11,016 के स्तर पर था, जो 6 फरवरी तक गिरकर 10,498 के स्तर पर पहुंच चुका है.

बजट 2018, शेयर बाजार, मोदी सरकार, अरुण जेटली, नरेंद्र मोदी, बिजनेस, बजट

जानिए, क्यों गिर रहा है शेयर बाजार?

शेयर बाजार के गिरने का दौर बजट से शुरू जरूर हुआ, लेकिन तेजी से नए रिकॉर्ड बनाने के बाद अब शेयर बाजार के लगातार गिरने का कारण कुछ और ही है.

- इसके गिरने का पहला कारण है शेयर बाजार में करेक्शन. विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले कुछ समय में शेयर बाजार में काफी तेजी आई है और अब लोग अपने शेयर बेचकर मुनाफावसूली कर रहे हैं. उनका मानना है कि शेयर बाजार के लिए यह सामान्य सी बात है.

- कुछ विशेषज्ञों ने तो शेयर बाजार के गिरने का मुख्य कारण तेजी से बढ़ रहे वेतन को बताया है. शुक्रवार को अमेरिका के श्रम विभाग ने रिपोर्ट जारी की, जिसके अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस साल जनवरी में लोगों का वेतन 2.9 फीसदी बढ़ा है. दरअसल, अमेरिका में बेरोजगारी बहुत ही कम है, जिसकी वजह से कंपनियों को अपने कर्मचारियों को अधिक सैलरी देनी पड़ रही है. माना जा रहा है कि बढ़ती सैलरी का असर चीजों के दामों पर पड़ेगा, जिससे महंगाई आएगी. इसके चलते भी शेयर बाजार से लोग मुनाफावसूली करते हुए अपने शेयर निकाल रहे हैं. ड्यूचे बैंक के चीफ इंटरनेशनल इकोनॉमिस्ट Torsten Slok ने भी लोगों का वेतन बढ़ने को ही निवेशकों द्वारा मुनाफावसूली करने की मुख्य वजह बताया है.

- वहीं दूसरी शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं? ओर, यह भी खबरें हैं कि फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरें बढ़ाई जा सकती हैं, जिसके चलते भी शेयर बाजार में गिरावट देखी जा रही है. Torsten Slok के अनुसार फेडरल रिजर्व को आशंका है कि महंगाई बढ़ सकती है, जिसके चलते ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की जा सकती है. जिस तरह से शेयर बाजार गिर रहा है उससे यह भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि हो सकता है फेडरल रिजर्व बाजार को कंट्रोल में रखने के लिए ब्याज दरें न बढ़ाए.

कहां पर कितने गिरे शेयर बाजार?

जैसा ट्रेंड सेंसेक्स में देखने को मिल रहा है ठीक वैसा ही निफ्टी में भी देखने को मिल रहा है. ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ भारतीय शेयर बाजार में है. यही ट्रेंड विदेशी शेयर बाजारों में भी दिखाई दे रहा है. भले ही वह अमेरिका का Dow Jones हो, जापान का Nikkei हो या फिर हांगकांग का Hang Seng हो, कोई भी गिरावट के इस दौर से अछूता नहीं है. नीचे दी गई तस्वीरों में देखिए बजट वाले दिन यानी 1 फरवरी से लेकर अब तक कहां पर कितना गिर गया शेयर बाजार.

बजट 2018, शेयर बाजार, मोदी सरकार, अरुण जेटली, नरेंद्र मोदी, बिजनेस, बजट

सेंसेक्स में तो 30 जनवरी से ही गिरावट शुरू हो गई थी.

बजट 2018, शेयर बाजार, मोदी सरकार, अरुण जेटली, नरेंद्र मोदी, बिजनेस, बजट

निफ्टी में भी लोगों ने 30 जनवरी से ही मुनाफावसूली करना शुरू कर दिया था.

बजट 2018, शेयर बाजार, मोदी सरकार, अरुण जेटली, नरेंद्र मोदी, बिजनेस, बजट

जापान के निक्केई में तो 1 फरवरी को तेजी देखी गई थी, लेकिन उसके बाद फिर गिरावट का दौर शुरू हो गया.

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अमेरिका के डाऊ जोन्स में भी 2 फरवरी से गिरावट देखी गई.

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हांगकांग के हेंगसेंग इंडेक्स में भी 1 फरवरी से गिरावट आई. दुनिया भर के शेयर बाजारों की हालत देखकर यह साफ होता है कि सिर्फ भारतीय शेयर बाजार शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं? में ही गिरावट नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में ही ये गिरावट देखी जा रही है. यानी अगर आप भी अभी तक यह सोच रहे थे कि बजट की वजह से शेयर बाजार में गिरावट आ रही है तो आप गलत हैं. यह ग्लोबल स्तर की गिरावट है, जिसका सीधा असर भारतीय शेयर बाजारों पर पड़ रहा है. तो अगर अब कोई आपको कहे कि बजट की वजह से शेयर बाजार धड़ाम हो गया है, तो उसे ये स्टोरी पढ़ा दीजिएगा, वो समझ जाएगा गिरावट का असली कारण.

Investment Tips for Beginners: स्टॉक मार्केट में निवेश कर बनना चाहते हैं अमीर? तो इन 6 बातों का जरूर रखें ध्यान

Investment Tips: आज के समय में हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन और डिजिटल प्लेटफॉर्म हैं, जिसके चलते अब कोई भी आसानी से स्टॉक मार्केट में निवेश कर सकता है.

Investment Tips for Beginners: स्टॉक मार्केट में निवेश कर बनना चाहते हैं अमीर? तो इन 6 बातों का जरूर रखें ध्यान

नए निवेशक भी आसानी से स्टॉक मार्केट के बारे में सीख सकते हैं और निवेश कर पैसे कमा सकते हैं.

Investment Tips for Beginners: वे दिन गए जब केवल फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स ही निवेश किया करते थे. आज के समय में हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन और डिजिटल प्लेटफॉर्म हैं, जिसके चलते अब कोई भी आसानी से स्टॉक मार्केट में निवेश कर सकता है. नए निवेशक भी आसानी से स्टॉक मार्केट के बारे में शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं? सीख सकते हैं और निवेश कर पैसे कमा सकते हैं. हालांकि निवेश का कोई शॉर्टकट नहीं है. अगर आप कुछ बेसिक नियमों को ध्यान में रखते हैं और बाजार को समझते हुए निवेश करते हैं तो अच्छा खासा रिटर्न जनरेट कर सकते हैं. शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होता ही है, ऐसे में यह समझना जरूरी है कि शेयरों में निवेश पर आपको फायदा भी हो सकता है और नुकसान भी. बाजार की चाल हमेशा ऊपर की ओर नहीं होती है. इसलिए निवेश करते समय धैर्य रखना जरूरी है.

आप अपने फाइनेंशियल गोल्स को ध्यान में रखते हुए शेयर बाजार में लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म के लिए निवेश कर सकते हैं. यहां हमने बताया है कि आपको निवेश से जुड़े फैसले लेने से पहले किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

प्लानिंग के साथ करें निवेश

समझने वाली पहली बात यह है कि म्यूचुअल फंड के विपरीत, शेयरों में सीधे निवेश करने से रिस्क ज्यादा होता है. निवेश करने से पहले कैपिटल अमाउंट की योजना बनाना और निर्धारित करना जरूरी है. जरूरी बात यह है कि पहले आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता का पहचानना होगा और इसी आधार पर निवेश करना चाहिए. ‘हाई रिस्क, हाई रिटर्न’ फिलॉसफी को आंख मूंदकर फॉलो न करें और आपको अपने इन्वेस्टमेंट के लॉन्ग टर्म प्रभावों पर विचार करना चाहिए.

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यह तय करते समय कि किन शेयरों में निवेश करना है, सभी ट्रेड में अपनी नुकसान उठा लेने की क्षमता को समझें. अगर बाजार में गिरावट आती है तो इससे आपको बायबैक और एग्जिट प्लान तैयार करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, अपने निवेश को डायवर्सिफाई करना भी जरूरी है. अगर आपको किसी स्टॉक में नुकसान हो भी जाता है तो डायवर्सिफिकेशन से संतुलन बना रहता है. अलग-अलग इक्विटी में निवेश करने से लंबी अवधि में अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने में भी मदद मिलती है.

बाजार को समझना है जरूरी

नए निवेशकों को यह समझना चाहिए कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है. यहां तक कि अनुभवी निवेशक भी हमेशा बाजार के व्यवहार का सटीक अनुमान नहीं लगा सकते हैं. यदि एक दिन स्टॉक की कीमत बढ़ जाती है, तो ऐसा भी हो सकता है कि अगले दिन उसकी कीमत घट जाए. इसलिए, शेयर बाजार को प्रभावित करने वाले कारकों को समझना अहम है. अनुभवी निवेशक भी कई बार गलत साबित हो सकते हैं. छोटी अवधि में होने वाले नुकसान पर फोकस करने के बजाय लंबी अवधि के रिटर्न पर ध्यान दें.

लक्ष्य ऐसे बनाएं, जिन्हें हासिल किया जा सके

शौकिया निवेशक अक्सर फौरन हाई रिटर्न की उम्मीद करते हैं. उदाहरण के लिए, हर साल स्टॉक पर 100% से अधिक का रिटर्न कमाने की उम्मीद करना ठीक नहीं है. हालांकि, कुछ निवेश हाई रिटर्न दे सकते हैं. इसलिए आपको हमेशा वास्तविकता को समझते हुए निवेश करना चाहिए. फाइनेंशियल गोल ऐसे होने चाहिए जिन्हें आप हासिल कर सकते हैं. इसके अलावा, उन स्कीम में निवेश से शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं? बचें जो कम समय में हाई रिटर्न का वादा करती हैं. निवेश करने से पहले पूरी तरह से रिसर्च कर लें.

शुरुआत में लीवरेज्ड इंस्ट्रूमेंट्स से बचें

नए निवेशकों को कैश डिवीजन में इक्विटी में निवेश करना शुरू कर देना चाहिए और लीवरेज्ड फाइनेंस से बचना चाहिए. लीवरेज्ड निवेश एक ऐसी रणनीति है जिसके तहत पैसे उधार लेकर निवेश के मुनाफे को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है. ये लाभ उधार ली गई पूंजी पर निवेश रिटर्न और ब्याज की लागत के बीच के अंतर से प्राप्त होते हैं. इसमें प्रॉफिट की संभावना तो बढ़ जाती है, लेकिन नुकसान की संभावना भी बढ़ जाती है.

जल्दबाजी में फैसले लेने से बचें

फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बनाए रखने के लिए चीजों को सरल रखना चाहिए. अपने एनालिसिस को जितना हो सके सरल रखें. जैसा कि पहले हमने बताया है कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होता ही है. हालांकि, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप कभी भी बाजार के उतार-चढ़ाव को देखकर जल्दबाज़ी में और फौरन फैसले न लें. स्टॉक के प्रदर्शन से घबराने के बजाय, आपको एक व्यापक रणनीति बनानी चाहिए और उस पर टिके रहना चाहिए.

नए निवेशक बनाएं रणनीति

शेयर बाजार में निवेश पर काफी फायदा हो सकता है. हालांकि, आपको कुछ ऐसे नुकसानों से बचना चाहिए जिनका सामना ज्यादातर नए निवेशक पहली बार निवेश करते समय करते हैं. नए लोगों को निवेश के लिए एक रणनीति तैयार करनी चाहिए. यह रणनीति ऐसी होनी चाहिए जिसके तहत बाजार की स्थितियों की परवाह किए बिना अच्छे और बुरे दोनों समय में उस पर कायम रहा जा सके.

(By Anish Singh Thakur. लेखक बूमिंग बुल्स एकेडमी के CEO हैं. यहां व्यक्त विचार लेखक के हैं. Financialexpress.com इसकी जिम्मेदारी नहीं लेता है. कृपया कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें.)

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यह तो सभी को मालूम है कि किसी भी बाजार में अगर मांग के मुकाबले आपूर्ति ज्यादा है तो कीमत गिरेगी। अगर इसका उल्टा आपूर्ति कम है तो कीमत बढ़ेगी। लेकिन शेयर बाजार और आलू-प्याज मार्केट में एक महत्वपूर्ण अंतर भी है। आप आलू-प्याज को एक उपभोक्ता यानी एंड यूजर के तौर पर खरीदते हैं, न कि एक ट्रेडर के तौर पर। (हमारे जो पाठक आलू-प्याज के ट्रेडर हैं, वे इस उदाहरण शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं? को खरीद-फरोख्त की जाने वाली किसी दूसरी वस्तु मसलन जमीन, फ्लैट या सोने-चांदी के संदर्भ में समझ सकते हैं) लेकिन जब आप कोई शेयर खरीदते हैं तो आप यूजर नहीं बल्कि ट्रेडर हो जाते हैं क्योंकि शेयर खरीदने का एक ही मकसद होता है, उसे बेचकर मुनाफा कमाना।

दरअसल यहीं शेयर बाजार दूसरे बाजारों के मुकाबले अलग और अनोखा है। यहां हर सौदे में दो ट्रेडर आमने-सामने होते हैं। वे एक दूसरे को न जानते हैं, न पहचानते हैं फिर भी एक बेचता है तो दूसरा खरीदता है। इसे एक और सरल उदाहरण से समझिए। माना कि आपने 520 रुपए के भाव पर टाटा स्टील के 100 शेयर खरीदे। जाहिर सी बात है कि ये शेयर किसी ने बेचे तभी आप इन्हें खरीद पाए। अब जरा सोचिए कि जब आपको लगा कि 520 रुपए में टाटा स्टील का शेयर खरीद लेना चाहिए क्योंकि शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं? इसकी कीमत में उछाल आने के आसार हैं। ठीक तभी किसी दूसरे शख्स इस नतीजे पर पहुंचा कि उसके डि-मैट अकाउंट में टाटा स्टील के जो शेयर हैं, उन्हें बेच देना चाहिए क्योंकि इसकी कीमत गिरनेवाली है। उसने बेचने का ऑर्डर दिया, आपने खरीदने का ऑर्डर दिया और ट्रेड हो गया। इस प्रकार एक दूसरे के धुर विपरीत सोच वाले दो ट्रेडर्स जब स्टॉक एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म एक समय में आमने-सामने होते हैं तभी कोई सौदा होता है। इसी को शेयर बाजार का ‘जीरो सम गेम’ कहते हैं। यानी टाटा स्टील के जो 100 शेयर कल तक उस शख्स के पास थे, वो अब आपके पास हैं, अगर आने वाले दिनों में वे शेयर चढ़ते हैं तो इसका मतलब है कि आपकी ट्रेडिंग सफल रही, अगर यह शेयर गिरता है, बेचने वाले का आकलन सही साबित होगा।

संवेदनशील बाजार में कैसे समझें कि कौन शेयर गिरेगा और कौन चढ़ेगा

अब आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि इतनी कशमकश के बीच कैसे तय किया जाए कि कौन सा शेयर उठ सकता है और कौन सा गिरने वाला है। इस सवाल का कोई सीधा जवाब न है, न हो सकता है। क्योंकि शेयर बाजार एक जटिल, व्यापक और संवेदनशील मशीन की तरह काम करता है। इसे प्रभावित करने वाले तत्वों की कतार बहुत लंबी है। माइक्रो से लेकर मैक्रो तक यानी किसी छोटी सी कंपनी के वार्षिक नतीजों से लेकर आम चुनाव के परिणाम तक कोई भी चीज स्टॉक की कीमत में बड़ा उलटफेर कर सकती है। विनिवेश से लेकर अधिग्रहण तक कोई भी खबर किसी शेयर की कीमत में तूफान खड़ा कर सकती है। कई बार तो कोई बड़ी वजह नहीं होती है फिर भी शेयर बाजार में भूचाल आ जाता है। जैसा कि रेल बजट वाले दिन हुआ। रेल बजट ने बाजार को निराश तो कतई नहीं किया। फिर भी शेयर बाजार में दस महीनों की सबसे भयानक गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी 160 प्वाइंट फिसल गया। इसकी दो बड़ी वजहें मानी गईं- पहली-मुनाफावसूली हुई, दूसरी-बाजार बहुत चढ़ गया था, इसलिए उसमें करेक्शन हुआ, बड़े बड़े शेयर औंधे मुंह गिरे। दिलचस्प है कि इतनी बड़ी गिरावट डाउनट्रेंड मार्केट में नहीं बल्कि अपट्रेंड मार्केट में आई। कहने का मतलब यह कि शेयर बाजार को किसी एक फॉर्मूले से साधा नहीं जा सकता है। हो सकता है कि आपने जिस फैक्टर को कम करके आंका, वही सबसे पावरफुल साबित हो।

समय के साथ बदलें रणनीति
शेयर मार्किट एक ऐसा युद्ध है जिसमें समय के साथ रणभूमि और रणनीति दोनों बदलनी पड़ती है। यहां कुछ भी फिक्स्ड नहीं है। आप ट्रेडिंग टर्मिनल को देखेंगे तो महसूस करेंगे कि हर पल बाजार की हलचल के हिसाब से भावों में उसी तरह उतार-चढ़ाव होता है, जैसे सागर की लहरों में। इसके बावजूद कुछ लोग दावा करते हैं कि उनके पास शेयरों की अचूक भविष्यवाणी करने की शक्तिहै। लेकिन ऐसी भविष्यवाणियों पर आंखमूंद कर भरोसा करना खुद को ठगने जैसा है।

टिप्सों पर आंखमूंद कर न करें यकीन

फीस लेकर टिप्स देने वाली एजेंसियां इस संवेदनशील शेयर बाजार के बारे में यह दावा करती हैं कि उसके ट्रेडिंग टिप्स कभी फेल नहीं होते हैं, तो वे एक तरह से भोले-भाले निवेशकों को झांसा दे रही होती हैं। क्योंकि अनिश्चितता तो शेयर बाजार की धड़कन है। इसलिए नए निवेशकों को सलो शेयर बाजार में फायदे और नुकसान का गणित समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर इस बाजार में कारोबार होता कैसे है? बुनियादी तौर पर देखा जाए तो शेयर बाजार और आलू-प्याज के मार्केट में कहने के लिए कोई खास फर्क नहीं है। दोनों मांग और आपूर्ति के सिद्धांत पर चलते हैं। लेकिन शेयर बाजार की प्रकृति अन्य बाजारों से अलग है। कैसे, आइए समझते हैं ।

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Share Market Investment: सही स्टॉक चुनें, नहीं तो मुनाफे के बदले मिलेगा धोखा!

बीते एक साल में रिटेल निवेशक (Retail Investors) अपने निवेश चयन को लेकर काफी होशियार हो गए हैं। वे समझ गए हैं कि बाजार में उतना जोखिम (Risk in Share Market) नहीं है, जिनता वे सोच रहे थे। अब बैंक में एफडी (Bank FD) और बीमा (Insurance) जैसे सुरक्षित निवेश (Safe Investment) से निकल शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं? कर अन्य विकल्पों में हाथ आजमा रहे हैं। इस वजह से भारतीय शेयर बाजार में नए डीमैट खातों (Demat Accounts) की बाढ़ आ गई। वित्त वर्ष 2020-21 में इनकी संख्या 1।4 करोड़ तक पहुंच गई, जो वित्त वर्ष 2019-20 में 47 लाख थी।

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Share Market Investment: सही स्टॉक चुनें, नहीं तो मुनाफे के बदले मिलेगा धोखा!

कुछ गलतियां नए निवेशकों को पहुंचा सकती है भारी नुकसान

नए निवेशक (New Investor) सबसे बड़ी गलती करते हैं कि वे एक या दो सप्ताह में शेयर बेच देंगे। चूंकि, उन्होंने दोयम दर्जे के शेयर में पैसा लगाया होता है, इसलिए उन्हें बड़ा नुकसान (Loss) उठाना पड़ता है। या फिर, तय अवधि से अधिक समय तक शेयर को अपने पास रखते हैं और फिर उसका खामियाजा भुगते हैं। वक्रांगी के शेयरों में कुछ ऐसा ही हुआ था। सबसे बड़ी समस्या यह है कि ज्यादातर मौकों पर निवेशक अपने शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं? निवेश से जुड़ी रिसर्च (Research) नहीं करते। उनके पास सही फैसला लेने या इंडस्ट्री के अन्य शेयरों से तुलना करने के लिए सटीक उपकरण नहीं होते हैं।

नवीनतम चीजों से अनजान

एक सामान्य निवेशक ने आईईएक्स जैसी कंपनी का नाम तक नहीं सुना होगा, जो भारत का एकमात्र सूचीबद्ध पावर एक्सचेंज है, मगर इसने बीते एक साल में निवेशकों का पैसा तिगुना कर दिया है। चूंकि आईईएक्स का उत्पाद आम आदमी के रोजमर्रा के इस्तेमाल में नहीं आता है, नए निवेशकों को इस कंपनी के बारे में मालूम ही नहीं चलता। आईईएक्स एक नई कंपनी है, जिसकी लिस्टिंग साल 2017 में हुई थी और लिस्टिंग के बाद से ही इसने 40 फीसदी का रिटर्न ऑन इक्विटी दिया है, मगर पुराने प्रदर्शन से चिपके रहने वाले निवेशक इस कंपनी को नजरअंदाज करते रहे हैं।

छुपे रुस्तम को खोज पाना ​कठिन

करीब 4,500 कंपनियों के शेयरों से भरपूर बाजार में नए खिलाड़ियों के लिए आईईएक्स जैसे छुपे रुस्तम खोज पाना कठिन होता है। सच तो यह है कि 70 फीसदी शेयर बैंक एफडी से भी बेहतर रिटर्न दे पाने में विफल रहते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इक्विटी बाजार में निवेश करने का क्या मकसद है, जब आपको ऐसे शेयरों से धोखा ही मिलना है? इसका जवाब है कि निवेश एक कला है और अच्छी कमाई करना एक अनुशासित प्रक्रिया है। यह गहन शोध और कंपनी की बारीकियां तथा उद्योग का गणित समझने से आ सकती है। शेयरों का चयन मुंबई की भीड़-भाड़ वाली लोकल ट्रेन में चढ़ने जैसा है, जिसके विकल्प तो कई है, मगर चढ़ने के मौके और समय काफी कम हैं।

दो फीसदी कंपनियों में से ही करना है चयन

आपको दो फीसदी कंपनियों (Companies) में से ही चयन करना है। क्योंकि, हर 45 में से सिर्फ एक शेयर ही निवेशक (Investors) को बेहतरीन कमाई का मौका देता है। यह चयन वाकई काफी मुश्किल होता है। इतनी सारी कंपनियों पर शोध, तकनीकी समझ, वैल्यूएशन (Valuation) की जानकारी काफी कठिन होता है और जब तक आप दूसरे शेयर की तलाश करेंगे, पहले शेयर के समीकरण बदल जाएंगे।

नए निवेशकों के लिए क्या है सबक?

पुराने तरीकों की तरफ जाना और एक ही गलती को बार-बार दोहराना समस्या का समाधान नहीं है। सबसे बढ़िया उपाय है कि

1. अपना शोध करें। कंपनी के अनुपात, कर्ज, ग्रोथ आसार, शेयरों के चार्ट्स, मार्जिन की नियमितता, नकदी आदि के जरिए कंपनी के काम को समझा जा सकता है।

2. अपना सारा निवेश एक ही जगह न रखें। निवेश में विविधता की जरूर होता है, जो ताकि अचानक आई गिरावट के दौरान आप अपना सारा पैसा गंवाने से बचे।

3. अपनी पूंजी के सिर्फ सीमित पैसे को जोखिम में डालिये ताकि आप अपने सारा पैसा न गंवाए। यदि आपके पोर्टफोलियो में किसी शेयर की हिस्सेदारी काफी अधिक बढ़ जाती है, तो मुनाफा भुनाइए और पैसा दूसरे क्वालिटी शेयर में निवेश कर दीजिए। सुनिश्चित कीजिए कि आपके निवेश जोखिम में भरपूर विविधता है।

4. अपुष्ट स्रोतों पर भरोसा न करें। यदि आप को किसी विश्वसनीय स्रोत से सलाह या सुझाव मिलता है, तो भी अपना शोध करने के बाद ही उसमें निवेश करें।

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