एलआईसी: दशकों से भारत की बीमा कंपनी
यह समाज के सभी वर्गों को वित्तीय स्थिरता प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया था, जो यह सुनिश्चित करता है कि परिवार में कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटना की स्थिति में परिवार को आर्थिक रूप से सुरक्षित किया जा सके।
बीमा क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण क्यों किया गया?
साल 1938-1944 के बीच, बीमा को राष्ट्रीयकृत करने की जरूरत और मांग को विभिन्न बीमा और वित्त कंपनियों द्वारा कई बार उठाया गया था। साल 1938 में विधानसभा में अधिनियम पेश किया गया , जिसमें जीवन सहित सभी बीमा का राष्ट्रीयकरण किया गया।
जीवन बीमा के राष्ट्रीयकरण की आवश्यकता की मांग करते हुए , तत्कालीन वित्त मंत्री , सीडी देशमुख ने बीमा से जुड़े दुराचार और लाभकारी रणनीतियों पर रोशनी डाली, जिससे जीवन बीमा को सार्वजनिक क्षेत्र बनाने की ज़रूरत पैदा हुई। उन्होंने कहा कि “ बीमा एक आवश्यक सामाजिक सेवा है, जिसे एक कुशल राज्य को अपने लोगों को जरूर उपलब्ध कराना चाहिए। किसी अन्य तरीके से इसे मुहैय्या नहीं किए जाने पर राज्य को इस सेवा को प्रदान करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि इस क्षेत्र में राष्ट्रीयकरण अपने आप में उचित है। लाभ के उद्देश्य को समाप्त करने और सेवा की दक्षता को राष्ट्रीयकरण के तहत एकमात्र मानदंड बनाए जाने पर बीमा के संदेश को जितना संभव हो उतना व्यापक रूप से फैलाया जा सकेगा। इसे अधिक उन्नत शहरी क्षेत्रों से परे, ग्रामीण क्षेत्रों तक भी इसका प्रसार हो पाएगा।”
इस बिल को बाद में साल 1944 में जीवन बीमा अधिनियम 1934 में संशोधन करने के लिए लाया गया था। इसके संशोधन में एक दशक से भी अधिक समय लगा। स्वतंत्रता के बाद, 19 जनवरी 1956 को भारत में भारतीय जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। इसने उस वक्त भारत में काम कर रही 154 भारतीय बीमा कंपनियों , 16 गैर-भारतीय कंपनियों , 75 प्रोविडेंट के लिए भारत में बीमा क्षेत्र के दृष्टिकोण को बदल दिया।
मौजूदा भारत के 21 राष्ट्रीयकृत बाजार एक्सचेंज बीमा कंपनियों और भविष्यवक्ताओं के बीच संयोजन के बाद एलआईसी भारत के 21 राष्ट्रीयकृत बाजार एक्सचेंज 1 सितंबर 1956 को अस्तित्व में आई। यह 5 क्षेत्रीय कार्यालयों, 22 मंडल कार्यालयों और 212 शाखाओं के साथ शुरू भारत के 21 राष्ट्रीयकृत बाजार एक्सचेंज हुई थी।
भारत में एलआईसी की स्थापना के साथ आए प्रमुख सुधार -
- आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों को लाभ पहुंचाने भारत के 21 राष्ट्रीयकृत बाजार एक्सचेंज के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बीमा लाभ को आसान बनाना और जीवन बीमा पॉलिसियों को बेचना।
- बीमा उत्पादों को भारत के 21 राष्ट्रीयकृत बाजार एक्सचेंज बचत के साधन के रूप में स्थापित करना।
- पॉलिसीधारकों के फंड को आकर्षक और सुरक्षित रिटर्न के मकसद के साथ निवेश करना ।
- राष्ट्र में एक विश्वसनीय घरेलू नाम बनना जिसपर पॉलिसीधारक विश्वास कर सकें।
- कंपनी के एजेंट और कर्मचारियों के मन में अपनेपन और गर्व की भावना को बढ़ावा देना।
इन सबसे ऊपर LIC का मिशन स्टेटमेंट बताता है-
प्रतिस्पर्धी रिटर्न के साथ आकांक्षी विशेषताओं के उत्पादों और सेवाओं को प्रदान कर और आर्थिक विकास के लिए संसाधनों को प्रदान करके वित्तीय सुरक्षा के माध्यम से लोगों के जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित करना और उसे बढ़ाना।
एलआईसी पॉलिसीधारकों के सभी निवेशों और बीमा जरूरतों को पूरा करने के लिए कई बीमा योजनाएं प्रदान करता है। इसमें मूल जीवन बीमा योजनाओं , ऐड-ऑन , राइडर्स , हेल्थ प्लान , पेंशन प्लान , यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान , मनी बैक प्लान , होल लाइफ प्लान समेत बहुत कुछ शामिल है।
भारत में बीमा क्षेत्र पर रिसर्च के अनुसार एलआईसी को भारत में सबसे भरोसेमंद बीमा प्रदाता के रूप में नामित किया गया था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि एलआईसी अपने ग्राहकों पर ध्यान देता है। विश्वास और भरोसे के 60 से अधिक वर्षों के साथ एलआईसी बीमा के लिए एक पारिवारिक नाम बन गया है। घर पर ही आपकी पॉलिसी एक भरोसेमंद एजेंट द्वारा हो जाती है, ऐसी सुविधाओं के साथ एलआईसी ने वर्षों में अपने पॉलिसीधारकों के साथ अच्छे संबंध बनाए हैं। एलआइसी पर लोगों का भरोसा पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है। इसके अलावा उद्योग में नवीनतम तकनीकी विकास के साथ एलआईसी ने सभी ऑनलाइन-आधारित बीमा प्रदाताओं के बीच भी खुद को स्थापित किया है।
गैर-जीवन बीमा राष्ट्रीयकरण
गैर-जीवन बीमा जिसे जनरल इंश्योरेंस के रूप में भी जाना जाता है, इसे साल भारत के 21 राष्ट्रीयकृत बाजार एक्सचेंज 1973 में राष्ट्रीयकृत किया गया था। इससे पहले इसका राष्ट्रीयकरण इसलिए नहीं हुआ था क्योंकि सामान्य बीमा शाखा को व्यापार और उद्योग की निजी संपत्ति माना जाता था।
हालांकि वर्ष 1972 में भारत के 21 राष्ट्रीयकृत बाजार एक्सचेंज जनरल इंश्योरेंस बिजनेस एक्ट पेश किया गया और 1 जनवरी 1973 को सामान्य बीमा का राष्ट्रीकरण हो गया।
जनरल इंश्योरेंस के भारत के 21 राष्ट्रीयकृत बाजार एक्सचेंज राष्ट्रीयकरण होने से पहले यह विदेशों से लिंक अपनी 107 बीमा शाखाओं के साथ मुख्य रूप से शहरी उद्योग और ट्रेडों पर केंद्रित था। इन कंपनियों के समूह को बाद में चार कंपनियों के वर्गों में बांटा गया। उनके नाम नेशनल इंश्योरेंस कंपनी , ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी , यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी और न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी है।
देश में जनरल इंश्योरेंस का राष्ट्रीयकरण करने का उद्देश्य प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के शब्दों में ये था- “ जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण एक समाजवादी संप्रदाय की प्रगति में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका उद्देश्य व्यक्ति के साथ-साथ राज्य की भी सेवा करना होगा। लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए जीवन बीमा की पहुँच को तेज़ी से देश भर में फैलाने की आवश्यकता है।”
बीमा क्षेत्र के इस दो-भाग के राष्ट्रीयकरण ने आजादी के बाद, भारत जैसे विकासशील देश की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा बदलाव देखा। जहां भारत अभी भी अपनी अर्थव्यवस्था की जड़ों को मजबूत करने के तरीके खोज रहा था, इस कदम ने देश के वित्त और औद्योगिक क्षेत्रों में आगामी क्रांतियों की नींव रख दी थी।
ऐसी ही एक क्रांति साल भारत के 21 राष्ट्रीयकृत बाजार एक्सचेंज 1999 में आई थी, जिसे मल्होत्रा समिति की सिफारिशें कहा गया था, जिसकी अध्यक्षता पूर्व आरबीआई गवर्नर आर.एन. मल्होत्रा ने की थी। यह समिति भारत सरकार द्वारा साल 1993 में बनाई गई थी। इसका मूल उद्देश्य भारत के बीमा उद्योग के मानकों और सुधारों को प्रतिबिंबित करना था। इसी समिति द्वारा वर्ष 1994 में एक रिपोर्ट पेश की गई , जिसने बीमा उद्योग जगत में एक और क्रांति को उजागर किया, जिसकी चर्चा हम अगले अध्यायों में करेंगे।
निष्कर्ष
क्यों ना हम अगले मॉड्यूल में भारत में बीमा के विकास के बारे में विस्तार से चर्चा करें? और जानने के लिए क्लिक करें।
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