Indian Rupee : अब रुपये में भी होगा इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट, आरबीआई लाया नई व्यवस्था, घटेगी डॉलर पर निर्भरता
अपनी करंसी में अंतरराष्ट्रीय ट्रेड के फायदे

इसका एक फायदा तो ये है कि अगर किसी देश की करंसी में अंतरराष्ट्रीय ट्रेड होता है तो इससे निर्यातकों को बड़ा फायदा होता है। उन्हें एक्सचेंज रेट रिस्क कम करने में मदद मिलती है। इसका सबसे बड़ा फायदा उन प्रोडक्ट्स में होता है, जिनका भुगतान सामान का ऑर्डर मिलने के काफी समय बाद होता है। इतने दिनों में डॉलर से एक्सचेंज रेट घटने-बढ़ने का निर्यातकों पर बड़ा असर होता है। वहीं दूसरा फायदा ये है कि रुपये में अंतरराष्ट्रीय ट्रेडिंग से एक्सचेंज रेट के रिस्क के बिना ही भारतीय फर्म और वित्तीय संस्थान अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों तक पहुंच बना सकेंगे। साथ ही उन्हें सस्ती दरों पर और बड़े पैमाने पर उधार लेने की इजाजत मिलेगी।

नहीं चलेगी Dollar की दादागिरी, रुपये में होगा इंटरनेशनल ट्रेड, भारत को होंगे ये फायदे!

कई जानकार ये भी बता रहे हैं कि बदली वैश्विक परिस्थितियों में कई देश रुपये को स्वीकार करना पसंद करेंगे. खासकर रूस पर हाल में लगे प्रतिबंध के बाद देशों को आभास हुआ है कि डॉलर पर निर्भरता कितनी खतरनाक साबित हो सकती है और इस कारण दुनिया भर में इसके विकल्प तलाशे जा रहे हैं.

भारत को होंगे कई फायदे (Photo: Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 जुलाई 2022,
  • (अपडेटेड 12 जुलाई 2022, 9:58 AM IST)
  • अब रुपये में भी होगा इंटरनेशनल ट्रेड
  • पूरी दुनिया में बढ़ेगा रुपये का महत्व

बदलते वैश्विक घटनाक्रमों (Global Events) के चलते भारत का व्यापार घाटा (India Trade Deficit) नियंत्रण करना मुश्किल हो रहा है. इस कारण रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) ने एक ऐसा कदम उठाने का ऐलान किया है, जिसकी मांग कई अर्थशास्त्री (Economists) लंबे समय से कर रहे थे. सेंट्रल बैंक ने अंतत: तय कर लिया कि अब इंटरनेशनल ट्रेड का सेटलमेंट (International Trade Settlement) रुपये में भी होगा. जानकारों का कहना है कि रिजर्व बैंक के इस कदम से जहां एक ओर डॉलर पर भारत की निर्भरता (Dollar Dependence) कम होगी, वहीं दूसरी ओर यह व्यापार घाटे को कम करने में मददगार साबित हो सकता है.

कई सालों से चल रही थी इस व्यवस्था की चर्चा

रिजर्व बैंक ने सोमवार को शाम में एक परिपत्र जारी किया. उसमें बताया गया कि अब रुपये में इनवॉयस बनाने, पेमेंट करने और आयात-निर्यात का सेटलमेंट करने की अतिरिक्त व्यवस्था की गई है. बताया जा रहा है कि रिजर्व बैंक का यह कदम ट्रेड सेटलमेंट की करेंसी के तौर पर रुपये को बढ़ावा देने वाला साबित होगा. इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए रुपये का इस्तेमाल करना लंबे समय से चर्चा के केंद्र में रहा है. हालांकि हर बार बात यहां अटक जाती थी कि आयात और निर्यात के सेटलमेंट के लिए रुपये को किस हद तक स्वीकार किया जाएगा. हालांकि अभी रूस और यूक्रेन के बीच महीनों से जारी लड़ाई तथा करेंट अकाउंट के घाटे (CAD) ने रिजर्व बैंक को ऐसा करने के लिए प्रेरित कर दिया.

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इस तरह होगा रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड

रिजर्व बैंक ने इस फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि यह वैश्विक व्यापार (Global Trade) को बढ़ावा देने अब विदेशों में भी चलेगा रुपया और भारतीय रुपये में वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी को सपोर्ट करने के लिए उठाया गया कदम है. इस व्यवस्था को अमल में लाने से पहले मंजूरी प्राप्त डीलर बैंकों को रिजर्व बैंक के फॉरेन एक्सचेंज डिपार्टमेंट से पूर्व अनुमति लेने की जरूरत होगी. इस व्यवस्था के तहत दो देशों की मुद्रा की विनिमय दर बाजार पर निर्भर रह सकती है. जो भारतीय आयातक इस व्यवस्था के तहत आयात करेंगे, उन्हें रुपये में भुगतान करना होगा. रुपये में प्राप्त भुगतान पार्टनर कंट्री के संबंधित बैंक के स्पेशल वॉस्ट्रो अकाउंट में जमा होगा. वहीं जो भारतीय निर्यातक इस व्यवस्था को अपनाएंगे, वे भी पार्टनर कंट्री के संबंधित बैंक के स्पेशल वॉस्ट्रो अकाउंट में रुपये में ही भुगतान लेंगे.

इन फैक्टर्स ने रिजर्व बैंक को किया मजबूर

आपको बता दें कि कच्चा तेल समेत अन्य ग्लोबल कमॉडिटीज की कीमतों में हालिया समय में तेजी आई है. खासकर भारत के तेल आयात का बिल (Oil Import Bill) गंभीर तरीके से बढ़ा है. इसने भारत के चालू खाता घाटे को चिंताजनक स्तर पर पहुंचा दिया है. अभी ऐसी आशंका है कि 2022-23 में भारत का चालू खाता घाटा बजट के अनुमान के डबल से भी ज्यादा होकर 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. यह चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) ऐसे समय बढ़ रहा है, जब दुनिया भर में ब्याज दर बढ़ने लगे हैं. भारत में भी रिजर्व बैंक महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरों को बढ़ा रहा है. इससे सरकार के लिए चालू खाता घाटे की भरपाई करना महंगा होता जा रहा है. दूसरी ओर दुनिया भर में बढ़ती ब्याज दरों के चलते विदेशी निवेशक (FPI) भारतीय बाजार को छोड़कर जा रहे हैं.

बदले हालात में रुपये को होगा फायदा

जानकारों का कहना है कि रिजर्व बैंक के इस नए कदम की सफलता पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करती है कि कितने पार्टनर देश रुपये में भुगतान को स्वीकार करते हैं. चूंकि रिजर्व बैंक ने कहा है कि पार्टनर देश की करेंसी और रुपये की विनिमय दर बाजार पर निर्भर रह सकती है, लेकिन ऐसा तभी संभव होगा जब अमुक देश के साथ भारत का ठीक-ठाक व्यापार हो. हालांकि दूसरी ओर कई जानकार ये भी बता रहे हैं कि बदली वैश्विक परिस्थितियों में कई देश रुपये को स्वीकार करना पसंद करेंगे. खासकर रूस पर हाल में लगे प्रतिबंध के बाद देशों को आभास हुआ है कि डॉलर पर निर्भरता कितनी खतरनाक साबित हो सकती है और इस कारण दुनिया भर में इसके विकल्प तलाशे जा रहे हैं.

अब विदेशों में भी चलेगा रुपया, हो सकेगा व्यापार और भुगतान, RBI ने लिया ये बड़ा फैसला

अब रुपया भी डॉलर की लाइन में आ खड़ा हुआ है. भारतीय रिजर्व बैंक ने आज एक बड़ा फैसला लिया. जिसके चलते यह मुमकिन हुआ. दरअसल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए भारतीय रुपये के इस्तेमाल को इजाजत दे दी है.

Updated: July 11, 2022 9:59 PM IST

RBI

अब रुपया भी डॉलर की लाइन में आ खड़ा हुआ है. भारतीय रिजर्व बैंक ने आज एक बड़ा फैसला लिया. जिसके चलते यह मुमकिन हुआ. दरअसल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए भारतीय रुपये के इस्तेमाल को इजाजत दे दी है. आरबीआई ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर होने वाले हर कारोबार का निपटारा भारतीय रुपये में किया जा सकेगा. दरअसल एक्सपोर्ट में भारतीय रुपए के इस्तेमाल से , ग्लोबल ट्रेडिंग में रुपये को बढ़ावा मिलने से भारतीय रुपये में मजबूती आएगी.

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गौरतलब है कि भारतीय रुपये में व्यापार निपटान की सुविधा के साथ ही भारत को अब उन देशों या कंपनियों से व्यापार करने में आसानी होगी, जो कि डॉलर में लेनदेन करने की इच्छुक नहीं थी. उदाहरण के लिए रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका ने पूर्व के कई देशों पर डॉलर में रूस के साथ व्यापार करने पर रोक लगा दी थी, ऐसे में रुपये में व्यापार करने का विकल्प आने से ऐसे देशों से व्यापार करना और आसान होगा.

अतिरिक्त इंतजाम करने के निर्देश

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रुपये में वैश्विक कारोबारी समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए बैंकों को भारतीय मुद्रा में आयात एवं निर्यात के लिए अतिरिक्त इंतजाम करने का सोमवार को निर्देश दिया. रिजर्व बैंक ने एक परिपत्र में कहा कि बैंकों को यह व्यवस्था लागू करने के पहले उसके विदेशी मुद्रा विभाग से पूर्व-अनुमति लेना जरूरी होगा. आरबीआई ने कहा, ‘भारत से निर्यात बढ़ाने पर जोर और भारतीय रुपये में वैश्विक कारोबारी समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए वैश्विक व्यापार को बढ़ाने के लिए यह तय किया गया है कि बिल बनाने, भुगतान और रुपये में आयात/निर्यात के निपटान के लिए एक अतिरिक्त इंतजाम किया जाए.’

इस तरह आसान होगा व्यापार

परिपत्र के मुताबिक, व्यापार सौदों के समाधान के लिए संबंधित बैंकों को साझेदार कारोबारी देश के अभिकर्ता बैंक के विशेष रुपया वोस्ट्रो खातों की जरूरत होगी. केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘इस व्यवस्था के जरिये भारतीय आयातकों को विदेशी विक्रेता या आपूर्तिकर्ता से वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति के इन्वॉयस या बिल के एवज में भारतीय रुपये में भुगतान करना होगा जिसे उस देश के अभिकर्ता बैंक के खास वोस्ट्रो खाते में जमा किया जाएगा.’ इसी तरह विदेश में वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति करने वाले निर्यातकों को उस देश के निर्दिष्ट बैंक के खास वोस्ट्रो खाते में जमा राशि से भारतीय रुपये में भुगतान किया जाएगा. इस व्यवस्था से भारतीय निर्यातक विदेशी आयातकों से अग्रिम भुगतान भी रुपये में ले सकेंगे.

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International Trading In Rupee: अब डॉलर नहीं बल्कि रुपये में होगा आयात-निर्यात! जानिए रिजर्व बैंक के इस कदम से आपको होगा क्या फायदा

International Trading In Rupee: रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वह रुपये में आयात-निर्यात के निपटारे का इंतजाम करें। अंतरराष्ट्रीय ट्रेडिंग रुपये में होने की वजह से भारत को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। अभी तक आयात-निर्यात के लिए भारत समेत अधिकतर देश डॉलर पर निर्भर हैं। इससे एक्सचेंज रेट का रिस्क भी कम होगा और सस्ती दरों पर कई डील हो सकेंगी।

rupee

हाइलाइट्स

  • रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वह रुपये में आयात-निर्यात के निपटारे का इंतजाम करें
  • अंतरराष्ट्रीय ट्रेडिंग रुपये में होने की वजह से भारत को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी
  • अभी तक आयात-निर्यात के लिए भारत समेत अधिकतर देश डॉलर पर निर्भर हैं
  • इससे एक्सचेंज रेट का रिस्क भी कम होगा और सस्ती दरों पर कई डील हो सकेंगी

अमेरिका के दबाव में नहीं रहेगा भारत!
जब भारत की डॉलर पर निर्भरता घटेगी तो अमेरिका से किसी तनाव की स्थिति में भी भारत को अधिक डरने की जरूरत नहीं होगी। जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो सबसे पहले अमेरिका ने उस पर डॉलर में ट्रेड करने पर प्रतिबंध लगा दिया। इसकी वजह से रूस को अंतराष्ट्रीय ट्रांजेक्शन करने में थोड़ी दिक्कत हुई, लेकिन वह पहले से ही अपनी करंसी रूबल में कई अंतरराष्ट्रीय ट्रांजेक्शन करने लगा था, इसलिए उस पर अमेरिका का ज्यादा दबाव नहीं बना। भारत की भी अपनी करंसी अंतरराष्ट्रीय ट्रेड के लिए इस्तेमाल होगी तो भारत को अमेरिका से तनाव की किसी स्थिति में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

आम आदमी को कैसे होगा फायदा?
रुपया अंतरराष्ट्रीय ट्रेडिंग में इस्तेमाल होने से आम आदमी को कई तरह से फायदा होगा। सबसे बड़ा फायदा तो यही होगा कि कई प्रोडक्ट सस्ते हो सकते हैं। जैसे कुछ ही महीनों पहले रूस ने भारत को सस्ता कच्चा तेल ऑफर किया था। यानी पेट्रोल-डीजल के दाम कम हो सकते थे। हालांकि, भारत की निजी कंपनियों ने इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया और निर्यात पर ज्यादा जोर दिया। ये तो सिर्फ एक उदाहरण था। भारत और अन्य देशों के बीच सिर्फ कच्चे तेल ही नहीं, बल्कि खाने के तेल, ड्राई फ्रूट्स, गैस, कोयला, दवाएं समेत कई चीजों का व्यापार होता है। कई बार तो प्याज भी आयात किया जाता है। रूपये में ट्रेड होने से एक्सचेंज रेट का रिस्क नहीं रहेगा और कारोबारी बेहतर बार्गेनिंग करते हुए सस्ते में डील फाइनल कर सकते हैं, जिससे आम आदमी तक वह सामान सस्ते में पहुंच सकेगा।

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अपनी करंसी में अंतरराष्ट्रीय ट्रेड के फायदे

इसका एक फायदा तो ये है कि अगर किसी देश की करंसी में अंतरराष्ट्रीय ट्रेड होता है तो इससे निर्यातकों को बड़ा फायदा होता है। उन्हें एक्सचेंज रेट रिस्क कम करने में मदद मिलती है। इसका सबसे बड़ा फायदा उन प्रोडक्ट्स में होता है, जिनका भुगतान सामान का ऑर्डर मिलने के काफी समय बाद होता है। इतने दिनों में डॉलर से एक्सचेंज रेट घटने-बढ़ने का निर्यातकों पर बड़ा असर होता है। वहीं दूसरा फायदा ये है कि रुपये में अंतरराष्ट्रीय ट्रेडिंग से एक्सचेंज रेट के रिस्क के बिना ही भारतीय फर्म और वित्तीय संस्थान अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों तक पहुंच बना सकेंगे। साथ ही उन्हें सस्ती दरों पर और बड़े पैमाने पर उधार लेने की इजाजत मिलेगी।

Dollar vs Rupee: सबके लिए घाटे का सौदा नहीं होता गिरता रुपया, इन भारतीयों को हो रहा है मोटा फायदा!

Dollar vs Rupee: डॉलर ने यूरोप से लेकर अमेरिकी महाद्वीप की कई बड़ी अर्थव्यवस्था वाली करेंसी को भी गहरी चोट पहुंचाई है. लेकिन भारतीय रुपये की गिरती कीमत कुछ लोगों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है.

डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में बड़ी गिरावट

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2022,
  • (अपडेटेड 17 जुलाई 2022, 2:04 PM IST)
  • एक्सपोर्टरों को भी मिलता है गिरते रुपये का फायदा
  • इंपोर्ट के लिए खर्च करनी पड़ती है अधिक रकम

डॉलर (Dollar) के मुकाबले भारतीय रुपया (Indian Currency) इन दिनों अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है. रुपया डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर लुढ़क चुका है. गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 79.99 पर बंद हुआ था. हालांकि, ऐसा नहीं है कि डॉलर के मुकाबले सिर्फ भारतीय करेंसी ही कमजोर हुई है. डॉलर ने यूरोप से लेकर अमेरिकी महाद्वीप की कई बड़ी अर्थव्यवस्था वाली करेंसी को भी गहरी चोट पहुंचाई है. लेकिन भारतीय रुपये की गिरती कीमत कुछ लोगों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है.

कैसे मिल रहा है फायदा

मान लीजिए कि आपके घर का कोई व्यक्ति अमेरिका (USA) में किसी सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी करता है. चूंकि अमेरिका की करेंसी डॉलर है, तो उसे भी सैलरी इसी करेंसी में मिलती है. इसके बाद वो अपनी सैलरी भारत में आपके पास भेजता है. डॉलर में भेजी गई रकम आपको एक्सचेंज (Currency Exchange) के बाद भारतीय रुपये में मिलती है. ऐसे में अगर आज के समय में एक डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू करीब 80 रुपये हो गई है, तो आपके लिए डॉलर में भेजी गई रकम भी इसी अनुपात में मिलेगी.

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अगर 100 डॉलर आपके लिए किसी ने भेजा है, तो आज के समय भारतीय करेंसी (Indian Currency) में ये लगभग 8000 रुपये होगी. वहीं, अगर डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की वैल्यू 70 रुपये होती, तो आपको 7000 रुपये मिलते. यानी 1000 रुपये आपको कम प्राप्त होते. इस तरह रुपये की गिरती वैल्यू के बीच भी कई लोगों को तगड़ा फायदा मिल रहा है.

कितना आता है विदेशों से पैसा

विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार भारत में विदेशों से साल 2020 में 83 अरब डॉलर से अधिक धन भेजा गया था. वहीं, 2021 में 87 अरब डॉलर की रकम भारत आई थी. विदेशों में नौकरी कर रहे भारतीय भारी मात्रा में पैसा देश में अपने परिवारों के पास भेजते हैं. इससे देश के विदेशी मुद्रा कोष को फायदा होता है.

एक्सपोर्टरों के लिए भी फायदे का सौदा

जब भी डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू गिरती है, तो एक्सपोर्टर फायदे में रहते हैं. सॉफ्टवेयर कंपनियां और फार्मा कंपनियां इसका अधिक फायदा उठाती हैं. क्योंकि उन्हें पेमेंट का भुगतान डॉलर में मिलता है, जिसकी वैल्यू भारत में आकर बढ़ जाती है. इस वजह उन्हें रुपये में आई गिरावट का फायदा मिलता है.

हालांकि, कुछ एक्सपोर्टर अधिक महंगाई दर की वजह से इसका फायदा नहीं उठा पाते हैं, क्योंकि उनके प्रोडक्ट की लागत बढ़ जाती है. पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स, ऑटोमोबाइल, मशीनरी सामान बनाने वाली कंपनियों की प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ जाती है.

भारत अधिक इंपोर्ट करने वाला देश

भारत एक्सपोर्ट के मुकाबले अधिक इम्पोर्ट करने वाला देश है. यानी ऐसी बहुत सी वस्तुएं हैं जिनके लिए हम विदेशों से आयात पर निर्भर करते हैं. पेट्रोलियम उत्पाद के साथ-साथ खाद्य तेल और इलेक्ट्रॉनिक सामान महत्वपूर्ण है. ऐसे में अब जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 80 रुपये के स्तर तक पहुंच गया है. इस वजह हमें अब आयात के लिए अधिक पैसा खर्च करना पडे़गा.

विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट

भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक तेजी कई अब विदेशों में भी चलेगा रुपया अब विदेशों में भी चलेगा रुपया अंतरराष्ट्रीय कारणों की वजह से रुपये में लगातार गिरावट देखी जा रही है. इस बीच देश के विदेशी मुद्रा भंडार (India's Forex Reserve) में तेजी से गिरावट आई है. देश का व्यापार घाटा भी बढ़ा है. जून में देश का व्यापार घाटा 26.18 अरब डॉलर रहा है. रुपये को संभालने के लिए आरबीआई ने खुले मार्केट में डॉलर की बिक्री भी की है, लेकिन अभी तक इसका असर दिख नहीं रहा है.

Rupee Power : अब यूएई में चलेगा रुपया, दुबई एयरपोर्ट पर भारतीय करेंसी में कर सकेंगे खरीदारी

आमतौर पर विदेश जाने पर हमें भारतीय मुद्रा को उस देश की स्थानीय करेंसी या फिर डॉलर से बदलना होता है। लेकिन दुबई जाने पर आप वहां के एयरपोर्ट पर भारतीय मुद्रा में ही खरीदारी कर सकते हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 04, 2019 7:40 IST

Dubai Airport Duty free- India TV Hindi

Dubai Airport Duty free

आमतौर पर विदेश जाने पर हमें भारतीय मुद्रा को उस देश की स्‍थानीय करेंसी या फिर डॉलर से बदलना होता है। लेकिन दुबई जाने पर आप वहां के एयरपोर्ट पर भारतीय मुद्रा में ही खरीदारी कर सकते हैं। जी हां, आपको दुबई एयरपोर्ट पर मौजूद ड्यूटी फ्री दुकानों से खरीदारी करने के लिए आपको करेंसी एक्‍सचेंज की जरूरत नहीं होगी। आप भारतीय रुपए में ही पेमेंट कर सकते हैं।

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संयुक्‍त अरब अमीरात के एक अखबार गल्‍फ न्‍यूज की रिपोर्ट के अनुसार इससे भारतीय यात्रियों को काफी फायदा होगा। अभी तक यात्रियों को करेंसी का एक बड़ा हिस्‍सा एक्‍सचेंज के दौरान गंवा देना पड़ता था। लेकिन अब वे भारतीय करेंसी में ही पेमेंट कर सकेंगे।

गल्‍फ न्‍यूज के मुताबिक भारतीय करेंसी अब दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के तीनों टर्मिनल और अल मकतूम एयरपोर्ट पर स्‍वीकार की जाएगी। अखबार को एक ड्यूटी फ्री शॉप के दुकानदार ने बताया कि हमने भारतीय रुपए में पेमेंट लेनी शुरू कर दी है।

बता दें कि हर साल करीब 9 करोड़ लोग दुबई के एयरपोर्ट आते हैं। इसमें से करीब 1.2 करोड़ भारतीय होते हैं। बता दें कि दु‍बई में ड्यूटी फ्री दुकानों से खरीदारी करने के लिए भारतीय यात्रियों को डॉलर, दिरहम या फिर यूरो में मुद्र को परिवर्तित करना पड़ता था।

बता दें कि दुबई एयरपोर्ट पर 1983 से लेकर अब तक 15 विदेशी करेंसियों को ड्यूटी फ्री शॉप से खरीदारी के लिए मान्‍यता प्रदान की गई है।

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