डॉलर के मुकाबले 32 पैसे गिरकर 78.25 रूपये पर पहुंचा

पश्चिम बंगाल : लोन दिलाने के बहाने ठगी मामले में पांडे ब्रदर्स गिरफ्तार

पश्चिम बंगाल के व्यवसायी शैलेश पांडे और उनके दो भाइयों अरविंद पांडे और रोहित पांडे से जुड़े ऋण जालसाजी घोटाले की जांच पुलिस और ईडी कर रही है. इस विदेशी मुद्रा पैसे पश्चिम बंगाल बीच कोलकाता पुलिस ने शैलेश रोहित और अरविंद पांडे को गिरफ्तार कर लिया है (Kolkata Police nab Pandey brothers).

कोलकाता: कोलकाता पुलिस की खुफिया इकाई ने शुक्रवार को शहर में ऋण-सह-विदेशी मुद्रा गबन घोटाले के मुख्य आरोपी शैलेश पांडे और तीन अन्य को ओडिशा और गुजरात से गिरफ्तार किया (Kolkata Police nab Pandey brothers). इनमें दो शैलेश के भाई अरविंद व रोहित हैं. इस बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामले में विदेशी मुद्रा लेनदेन के पहलू से भी मामले की जांच शुरू कर दी है.

पुलिस ने गुरुवार देर रात गुजरात और ओडिशा से हावड़ा के पांडे ब्रदर्स शैलेश रोहित और अरविंद पांडे को गिरफ्तार किया. ईडी ने शिबपुर स्थित उनके घर और उनकी कार से करोड़ों रुपये बरामद किए थे. पांडे ब्रदर्स कुछ समय के लिए फरार चल रहे थे.

पुलिस ने गुजरात और ओडिशा की सीमा से पांडे बंधुओं को गिरफ्तार किया है. कोलकाता पुलिस पांडे बंधुओं को ट्रांजिट रिमांड पर कोलकाता लाएगी. पांडे बंधुओं के साथ एक अन्य व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया गया है. पुलिस इस मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. लालबाजार सूत्रों के मुताबिक वे पांडे बंधुओं को कोर्ट में पेश कर अपनी हिरासत में लेना चाहते हैं. इसके बाद कोलकाता पुलिस चारों से पूछताछ करेगी.

पुलिस अब तक भाइयों के घर और कार से 200 करोड़ रुपये से अधिक बरामद कर चुकी है.उन्हें हिरासत में लेने के बाद यह पता करने की कोशिश की जाएगी कि ये पैसा कहां से आया. इसके अलावा, पांडे बंधुओं पर चिटफंड और ऑनलाइन गेमिंग एप के जरिए कई हवाला देने का आरोप है.

गौरतलब है कि सप्ताह के शुरू में कोलकाता पुलिस ने शैलेश और अरविंद पांडे के आवासों पर छापेमारी की थी. इस दौरान भारी मात्रा में सोने और हीरे के आभूषणों के साथ लगभग 8 करोड़ रुपये की नकदी भी जब्त की थी. वहीं पुलिस ने शैलेश पांडे के दो बैंक खातों में जमा 20 करोड़ रुपये की राशि को भी सील कर दिया है. आरोप है कि चार्टर्ड अकाउंटेंट होने का दावा करने वाला शैलेश लोगों को कर्ज के प्रस्तावों को मंजूरी दिलाने का वादा कर ठगी करता था.

जानें भारत में एक नोट और सिक्के को छापने में कितनी लागत आती है?

भारत में नोट छापने का एकाधिकार यहाँ के केन्द्रीय बैंक अर्थात भारतीय रिज़र्व बैंक के पास है| भारतीय रिज़र्व बैंक पूरे देश में एक रुपये के नोट को छोड़कर सभी मूल्यवर्गों (denominations) के नोट छापता है| छोटे मूल्यवर्ग के नोट को छापने की लागत कम (जैसे 5 रु. के नोट की लागत 48 पैसे) और बड़े मूल्य के नोट (1000 रु. के नोट की लागत 3.17 रुपये) की लागत अधिक आती है |

भारत में नोट छापने का एकाधिकार यहाँ के केन्द्रीय बैंक अर्थात भारतीय रिज़र्व बैंक के पास है| भारतीय रिज़र्व बैंक पूरे देश में एक रुपये के नोट को छोड़कर सभी मूल्यवर्गों (denominations) के नोट छापता है| एक रुपये के नोट छापने और सभी प्रकार के सिक्के बनाने का अधिकार वित्त मंत्रालय के पास है| ध्यान देने योग्य बात यह है कि पूरे देश में मुद्रा की पूर्ती (नोट और सिक्के दोनों) करने का अधिकार केवल भारतीय रिज़र्व बैंक के पास है|

भारत में कितनी मुद्रा RBI द्वारा छापी जायेगी इसका निर्धारण न्यूनतम आरक्षी प्रणाली (Minimum Reserve System) के आधार पर किया जाता है| यह प्रणाली पूरे देश में 1957 से कार्य कर रही है जिसके अनुसार RBI को 200 करोड़ की संपत्ति को अपने पास रखना होता है जिसमे सोने का भण्डार रु.115 और रु. 85 करोड़ की विदेशी मुद्रा रखनी होती है | इतनी संपत्ति अपने पास रखकर R.B.I. अर्थव्यवस्था की जरुरत के हिसाब से कितनी भी मात्रा में रुपया छाप सकती है| इसे ही न्यूनतम आरक्षी प्रणाली कहा जाता है |

इतनी जानकारी के बाद अब दिमाग में यह प्रश्न उठना लाजिमी है कि आखिर इन रुपयों की छपाई में कितना खर्च आता है अर्थात एक नोट को बनाने में कितनी विदेशी मुद्रा पैसे पश्चिम बंगाल लागत आती है |

भारत में नोट कहां पर छपते हैं ?

देश में चार बैंक नोट प्रेस, चार टकसाल और एक पेपर मिल है। नोट प्रेस भारत के देवास (मध्य प्रदेश), नासिक (महाराष्ट्र), सालबोनी (पश्चिम बंगाल)और मैसूर(कर्नाटक) में हैं।

देवास की नोट प्रेस में एक साल में 265 करोड़ नोट छपते हैं। यहाँ पर 20, 50, 100, 500 रुपए मूल्य के नोट छपते हैं | मजेदार बात यह है कि देवास में ही नोटों में प्रयोग होने वाली स्याही का उत्पादन भी किया जाता है |

करेंसी प्रेस नोट नाशिक:सन 1991 से यहाँ पर 1, 2, 5 10, 50 100 के नोट छापे जाते हैं| पहले यहाँ पर 50 और 100 रुपये के नोट नहीं छापे जाते थे |

मध्य प्रदेश के ही होशंगाबाद में सिक्यॉरिटी पेपर मिल है। नोट छपाई में इस्तेमाल होने वाला कागज होशंगाबाद और विदेश से आता हैं। 1000 रु. के नोट मैसूर में छपते हैं।

printing press in india

image source:Indian Coins

भारत में सिक्के कहाँ ढलते हैं ?

भारत में चार जगहों पर सिक्के ढाले जाते हैं |

mints in india

अभी भारतीय बाजार में कुल कितनी मुद्रा की पूर्ती है ?

23 दिसम्बर 2016 को RBI द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल 120449 अरब रुपये भारतीय अर्थव्यवस्था में चलन (M3) में है जिसमे जनता के हाथों में 7829 अरब रुपये और बाकि रुपये व्यावसायिक बैंकों और R.B.I. के पास जमा हैं |

क्या सभी नोटों की छपाई पर बराबर खर्च विदेशी मुद्रा पैसे पश्चिम बंगाल आता है ?

नही! हर एक नोट की छपाई पर खर्च अलग-अलग आता है | रु.1, 2 और 10 रुपए की छोटी कीमत वाले नोटों को छापने का खर्च कम आता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इनमें सिक्योरिटी फीचर्स कम होते हैं और इन्हें नकली भी कम मात्रा में ही बनाया जाता है| ज्यादा सिक्योरिटी फीचर्स के चलते बड़े नोटों में छपाई का खर्च ज्यादा आता है। 1रुपए का नोट एकमात्र ऐसा नोट है जिसकी बाजार कीमत वास्तविक लागत से ज्यादा है अर्थात इसे बनाने में सरकार को 1.14 रुपये खर्च करने पड़ते हैं।

बड़े नोटों की छपाई पर खर्च कई बार बदल भी जाता है क्योंकि नोट में लगने वाले कच्चे माल (स्याही और कागज) को आयात भी करना पड़ता है और आयात बिल विनिमय दर में परिवर्तन आदि के कारण घटता-बढ़ता रहता है। मसलन 2011 में जहां 1000 के नोट की छपाई करीब 4.1 रुपए में होती थी, वहीं 2014 में यह कीमत करीब 3.17 रुपए हो गई। इसलिए हम यहां पर गणना करते समय नोट को बनाने में लगने वाली औसत लागत को ही जोड़ रहे हैं |

फिलहाल 1000 और 500 रुपये के नोटों का देश में कुल वितरण (circulation) 24.4% जबकि वैल्यू 86.4% है। जून 2016 तक रिज़र्व बैंक ने 2120 करोड़ करेंसी नोट छापे हैं, जिसके लिए करीब 3421 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं |

आईये अब जानते हैं कि किस नोट को बनाने में कितना खर्च आता है?

a. 5 रुपए का नोट

प्रिंट करने की लागत = 48 पैसे

बाजार में कितनी संख्या= 8500 मिलियन

b. 10 रुपए का नोट

प्रिंट करने की लागत = 96 पैसे

बाजार में कितनी संख्या= 2,000 मिलियन

c. 20 रुपए का नोट

प्रिंट करने की लागत = 96 पैसे

बाजार में कितनी संख्या= 5000 मिलियन

d. 50 रुपए का नोट

प्रिंट करने की लागत = 1.81 रुपए

बाजार में कितनी संख्या= 4000 मिलियन

e. 100 रुपए का नोट

प्रिंट करने की लागत = 1.20 रुपए

बाजार में कितनी संख्या= 16,000 मिलियन

f. 500 रुपए का नोट

प्रिंट करने की लागत = 3.58 रुपए

बाजार में कितनी संख्या= 16,000 मिलियन

g. 1000 रुपए का नोट

प्रिंट करने की लागत = 3.17 रुपए

बाजार में कितनी संख्या= 6000 मिलियन

सिक्कों को छापने की लागत:-

ज्ञातब्य है कि भारत के सिक्के कितनी मात्रा में छापे जायेंगे इस बात का निर्धारण केवल भारत सरकार करती है | भारत में अभी तक 10 पैसे, 20 पैसे, 25 पैसे, 50 पैसे, 1 रुपया, 2 रुपया 5 रुपया, 10 रुपया, 100 रुपया और 1000 रुपया तक के सिक्के बनाये जाते हैं | 50 पैसे से कम मूल्य के सिक्कों को 'छोटे सिक्के' और 1 रुपये से ऊपर विदेशी मुद्रा पैसे पश्चिम बंगाल के सिक्कों को " Rupee Coins" कहा जाता है |

coin of 1000

भारत में 1 रुपये के सिक्के को छपने में अभी 70 पैसे खर्च होते हैं जबकि 10 रुपये के सिक्के को छापने में 6.10 रु. की लागत आती है | सरकार ज्यादा मात्रा में सिक्के इसलिए बना रही है ताकि नये नोटों के छापने में प्रत्येक साल होने वाले खर्च को कम किया जा सके क्योंकि कागज के नोटों की आयु लगभग एक साल ही होती है और आनुमानिक तौर पर इसका सालाना खर्च 1500 करोड़ बैठता है|

1.68 करोड़ की विदेशी मुद्रा के साथ दो तस्करों गिरफ्तार

न्‍यूज भारत, कोलकता: जहां एक तरफ विदेशी मुद्रा पैसे पश्चिम बंगाल आज भारत में हर्षोल्लास के साथ रक्षाबंधन मनाया जा रहा है। जिला–उत्तर 24 परगना जिले में तैनात बीएसएफ का जवान अपनी राखी की परवाह न करते हुए अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अपनी उत्कृष्टता का परचम लहरा रहा है। इसी की मिशाल पेश करते हुए दक्षिण बंगाल फ्रंटियर, सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने 21 अगस्त, 2021 को 02 तस्करों के ट्रक से 8,50,000 सऊदी अरब रियाल के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किया। सऊदी अरब रियाल की भारतीय मुद्रा में कीमत 1,68,38,500/- भारतीय रुपये है । इन सभी रुपये को उत्तर 24 परगना जिले के आईसीपी पेट्रापोल क्षेत्र से तस्करी के माध्यम से बांग्लादेश से भारत मे लाने का प्रयास था। जिसे बीएसएफ के तेजतर्राह जवानों ने विफल कर दिया।

बीएसएफ से जारी प्रेस रिलीज में बताया गया कि 21 अगस्त, 2021 को बीएसएफ की खुफिया विभाग द्वारा प्राप्त सूचना पर कार्य करते हुए आईसीपी पेट्रापोल, पर 179 वीं वाहिनी , सेक्टर कोलकाता के जवानो ने अंतरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक वाहन चेकिंग अभियान चलाया । इसी दौरान लगभग 13.20 बजे सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने एक संदिग्ध ट्रक (WB 23 A 8400) को बांग्लादेश से भारत की ओर आते देखा जो निर्यात का माल खाली कर वापस आ रहा था। जब जवानों ने सुरक्षा जांच के दौरान बारीकी से संदिग्ध ट्रक की तलाशी ली तो इसके कैबिन के अंदर ड्राइवर की सीट के नीचे से 09 पैकेट मिले जिसे काफी अच्छे तरीके से टेप से लपेटा गया था। बीएसएफ द्वारा यह पैकेट खोला गया तो इसके अंदर से 500-500 के सऊदी अरब रियाल के 17 विदेशी मुद्रा पैसे पश्चिम बंगाल बंडल पाए गए । जिसे ट्रक चालक अवैध तरीके से तस्करी के माध्यम से बांग्लादेश से भारत मे ला रहा था। जवानों ने जब्त विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा पैसे पश्चिम बंगाल के सभी पैकेट सहित ट्रक को जब्त कर लिया तथा ट्रक चालक (तस्कर) और क्लीनर को भी हिरासत में ले लिया। पकड़े गए ट्रक चालक (तस्कर) विदेशी मुद्रा पैसे पश्चिम बंगाल और क्लीनर की पहचान बाकी बिल्ला साह जी (चालक), उम्र- 20 वर्ष, साहिन हुसैन मंडल (क्लीनर) , उम्र- 18 वर्ष, निवासी पेट्रापोल, बनगाँव पश्चिम बंगाल के रूप में हुई है।

पूछताछ के दौरान पकड़े गये तस्कर बाकी बिल्ला साह जी ने बताया कि वह एक भारतीय नागरिक है तथा स्थाई रूप से बनगांव में रहता है। आगे उसने बताया कि वह यूनियन ट्रक चालक के रूप में कार्य करता है तथा 'इनलैंड & फैक्टो' ट्रांसपोर्ट का निर्यात का माल लेकर नियमित तौर पर बांग्लादेश जाता रहता है। उसने आगे बताया कि वह 12 अगस्त को निर्यात का माल (कपड़ा) लेकर बांग्लादेश गया था और आज 21 अगस्त को वह साहिन हुसैन मंडल (क्लीनर ) के साथ कार्गो गेट से खाली गाड़ी लेने बेनापोल (बांग्लादेश) पार्किंग गया था। लगभग 11.30 बजे अब्दुल नाम के एक बांग्लादेशी व्यक्ति ने उसे बेनापोल पार्किंग में संदिग्ध पैकेट दिया तथा इसे भारत मे नईमुद्दीन मंडल नाम के एक व्यक्ति को देने को बताया था। जिसके बदले उसे 300 रुपये प्रति पैकेट के हिसाब से पैसा मिलता लेकिन आईसीपी (अंतर्राष्ट्रीय सीमा) पार करने से पहले ही बीएसएफ ने उसे वाहन चेकिंग के दौरान संदिग्ध पैकेट (सऊदी अरब रियाल) के साथ पकड़ लिया।

प्रारंभिक पूछ ताछ के दौरान साहिन होसैन मंडल (क्लीनर) ने बताया कि वह भारतीय निवासी है जो जयंतीपुर/पेट्रापोल का रहने वाला है। आगे उसने बताया कि वह उक्त ट्रक चालक के साथ नियमित तौर पर क्लीनर के रूप में बांग्लादेश जाता है। आज 21 अगस्त को भी सुबह 0900 बजे वह बाकी बिल्ला साह जी (ट्रक चालक) के साथ बांग्लादेश गया था लेकिन उसे जब्त किए गए पैकेट के बारे में किसी प्रकार की जानकारी नहीं है । क्योंकि संदिग्ध पैकेट उसके सामने गाड़ी में नहीं रखा गया था। गिरफ्तार दोनों तस्कर को तथा जब्त की गई सामग्री को आगे की कानूनी कार्यवाही के लिए पुलिस स्टेशन पेट्रापोल को सौंप दिया गया है |

इधर अजय कुमार, 179 वीं वाहिनी के कार्यवाहक कमांडिंग ऑफिसर ने आईसीपी पेट्रापोल पर आयात और निर्यात वाहन तथा यात्रियों के व्यक्तिगत समान के आड़ में होने वाली तस्करी को रोकने के लिए कस्टम अधिकारियों से बातचीत की है, जिससे की सामान की आड़ में किसी भी प्रकार की तस्करी न हो पाए। अधिकारी ने बताया कि बीएसएफ का खुफिया विभाग लगातार जांच में जुटा हुआ है की इतनी बड़ी रकम के पीछे किसी बड़े माफिया का हाथ भी हो सकता है।

डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर आया रुपया, एक डॉलर के मुकाबले 32 पैसे गिरकर 78.25 रूपये पर पहुंचा

नई दिल्ली: अमेरिकी मुद्रा की मजबूती और जोखिम से बचने के चलते रुपया सोमवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 36 पैसे टूटकर अपने सबसे निचले स्तर 78.25 पर पहुँच गया है. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि कमजोर एशियाई मुद्राएं, घरेलू शेयर बाजार में गिरावट और विदेशी पूंजी के लगातार बाहर जाने से निवेशकों की भावनाएं प्रभावित हुईं. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 78.20 पर खुला, और फिर जमीन खोते हुए 78.25 तक गिर गया, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 32 पैसे की गिरावट दर्शाता है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 19 पैसे की भारी गिरावट के साथ 77.93 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. इस गिरावट के साथ ही रुपये को सबसे निचले स्तर पर देखा गया था. लेकिन सोमवार को स्थिति और खराब हो गई.

डॉलर के आगे रुपया पस्त

माना जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में तेजी और शेयर बाजारों में विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी के चलते रुपये में ये गिरावट देखी जा रही है. लेकी कई विश्लेषकों का मानना है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध होने के बाद से रुपया लगातार डॉलर के मुकाबले कमजोर होता जा रहा है. विदेशी निवेशकों द्वारा वैश्विक अस्थिरता के चलते अपने निवेश को वापस निकालने के चलते रुपया अब तक विदेशी मुद्रा पैसे पश्चिम बंगाल के अपने ऐतिहासिक निचले स्तर 78.25 रुपये पर जा गिरा है. आपको बता दें 23 फरवरी, 2022 को युद्ध शुरू होने से पहले रुपया डॉलर के मुकाबले 74.62 रुपये पर था जो गिरकर 10 जून, 2022 को 77.82 रुपये पर पहुँच गया.

डॉलर के मुकाबले 32 पैसे गिरकर 78.25 रूपये पर पहुंचा

क्यों आई रुपये में गिरावट

दरअसल अमेरिका में महंगाई में बढ़ोतरी हुई है. जिसके कारण शुक्रवार को अमेकिरी बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. अब आशंका जताई जा रही है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दर को बढ़ा सकता है.

अमेरिकी फेडरल रिजर्व

विदेशी निवेशकों ने 14,000 करोड़ की बिकवाली करी

भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे हैं. जून महीने में अब तक निदेशी निवेशकों ने 14,000 करोड़ रुपये के शेयर बेच डालें हैं. वहीं आज मई महीने के लिए खुदरा महंगाई दर के आंकड़े भी आने वाले हैं जिसपर नजर है.

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