Published - Thursday, 22 December, 2022
Nicotex
मरीज की उम्र, लिंग व स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारी के आधार पर ही Nicotex की खुराक निर्धारित की जाती है। इसकी खुराक मरीज की समस्या और दवा देने के तरीके पर भी आधारित की जाती है। विस्तारपूर्वक जानने के लिए खुराक वाले भाग में पढ़ें।
Nicotex के साथ आमतौर पर कुछ साइड इफेक्ट देखे जाते हैं, जैसे मतली या उलटी, मुँह के छाले। इनके अलावा Nicotex के कुछ अन्य दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जो नीचे दिए गए हैं। Nicotex के दुष्प्रभाव जल्दी ही खत्म हो जाते हैं और इलाज के बाद जारी नहीं रहते। अगर ये दुष्प्रभाव और ज्यादा बिगड़ जाते हैं या ठीक नहीं होते तो अपने डॉक्टर से तुरंत बात करें।
यह भी जानना जरूरी है कि Nicotex का प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर मध्यम है और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए मध्यम है। यहां पर ये जानना जरूरी है कि Nicotex का किडनी, लिवर समझें कि विकल्पों की कीमत कैसे तय की जाती है या हार्ट पर कोई प्रभाव पड़ता है या नहीं। इस तरह के दुष्प्रभाव अगर कोई हैं तो इससे जुड़ी जानकारी Nicotex से जुड़ी चेतावनी सेक्शन में दी गई है।
अगर आपको पहले से एनजाइना, अनियमित दिल की धड़कन जैसी कोई समस्या है, तो Nicotex देने की सलाह नहीं दी जाती क्योंकि इसके दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं। ऐसी कुछ अन्य समस्याएं भी हैं, जीने बारे में नीचे बताया गया है। अगर आपको इनमें से कोई भी समस्या है, तो Nicotex न लें।
इन उपरोक्त परिस्थितियों के अलावा Nicotex कुछ अन्य दवाओं के साथ लिए जाने पर गंभीर प्रतिक्रिया कर सकती है। इन प्रतिक्रियाओं की विस्तृत सूची नीचे दी गई है।
ऊपर बताई गई सावधानियों के अलावा यह भी ध्यान में रखें कि वाहन चलाते वक्त Nicotex लेना असुरक्षित है, साथ ही इसकी लत नहीं पड़ सकती है।
क्या 'प्रेफरेंस शेयर' का मतलब जानते हैं आप?
प्रेफरेंस शेयर इक्विटी शेयरों का एक प्रकार हैं. इनमें सामान्य इक्विटी शेयरों से अलग वोटिंग राइट्स होता है.
1. प्रेफरेंस शेयर इक्विटी शेयरों का एक प्रकार हैं. इनमें सामान्य इक्विटी शेयरों से अलग वोटिंग राइट्स होता है. प्रेफरेंस शेयरों को वोटिंग राइट्स में तरजीह मिलती है.
2. सामान्य शेयरों के उलट प्रेफरेंस शेयर में डिविडेंड की दर पहले से तय हो सकती है. इस तरह इनके साथ ज्यादा समझें कि विकल्पों की कीमत कैसे तय की जाती है सुरक्षा जुड़ी होती है.
3. कंपनी सभी अन्य पेमेंट के बाद डिविडेंड का भुगतान करती है. डिविडेंड के भुगतान में सामान्य इक्विटी शेयरहोल्डर के मुकाबले प्रेफरेंस शेयरहोल्डरों को अधिक तरजीह मिलती है. यानी पहले प्रेफरेंस शेयरहोल्डरों को डिविडेंड का भुगतान होता है और बाद में अन्य श्रेणी के
शेयरधारकों के बीच इसे बांटा जाता है.
4. प्रेफरेंस शेयर में इक्विटी और डेट दोनों के फीचर होते है. इनमें इक्विटी रिस्क होता है. इस तरह पूंजी सुरक्षित नहीं होती है. इनमें ब्याज की तरह डिविडेंड मिल सकता है.
5. प्रेफरेंस शेयर को सामान्य शेयरों में बदला जा सकता है. उस स्थिति में इन्हें कन्वर्टिबल प्रेफरेंस शेयर कहते हैं. जब इन्हें बदला न जा सके तो इन्हें नॉन-कन्वर्टिबल प्रेफरेंस शेयर कहा जाता है.
इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.
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Post Office MIS Interest Rate : पोस्ट ऑफिस की सबसे अच्छी स्कीम मंथली इन्कम स्कीम, जानें ब्याज दर
Post Office MIS Interest Rate And Features : पोस्ट ऑफिस ( Post Office ) डिपॉजिटरी सेवा में निवेश पर निश्चित रिटर्न देने वाली योजनाओं की एक विस्तृत वर्गीकरण है ! ये योजनाएं ( POMIS ) संप्रभु गारंटी के लाभ से जुड़ी हैं, अर्थात यह निवेश सरकार द्वारा समर्थित है ! इसलिए, ये योजनाएं इक्विटी शेयरों और कई निश्चित आय विकल्पों की तुलना में सुरक्षित निवेश ( Investment ) विकल्प हैं !
Post Office MIS Interest Rate And Features
New Post Office MIS Interest Rate And Features
पोस्ट ऑफिस मासिक आय योजना ( Post Office Monthly Income Scheme ) जैसे पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट, पोस्ट ऑफिस रिकरिंग डिपॉजिट, पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट, 7.6% की ब्याज दर के साथ सबसे अधिक कमाई वाली योजनाओं में से एक है ! इस योजना में ब्याज, जैसा कि नाम से पता चलता है, मासिक रूप से वितरित है ! यह योजना, अन्य डाकघर ( Post Office ) योजनाओं की तरह, वित्त मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त और मान्य है !
पोस्ट ऑफिस मासिक आय योजना ( Post Office Monthly Income Scheme ) भारतीय डाक सेवा की एक निवेश योजना है ! यह तयशुदा मासिक आय के रूप में निवेशक को प्रति वर्ष 8.5% की गारंटी देता है ! अनुभवी निवेशक एमआईएस ( POMIS ) को फंड पार्क करने के लिए सबसे चतुर निवेश ( Investment ) योजनाओं में से एक मानते हैं क्योंकि यह आपको तीन गुण देता है – आपकी पूंजी बरकरार रहती है, ऋण साधनों की तुलना में बेहतर रिटर्न प्राप्त होता है और एक निश्चित मासिक आय का आश्वासन मिलता है !
पोस्ट ऑफिस की मासिक आय योजना पर वर्तमान ब्याज दरें
ब्याज की दर केंद्र सरकार और वित्त मंत्रालय द्वारा हर तिमाही तय की जाती है और यह सरकार द्वारा दिए गए रिटर्न के आधार पर होती है ! उसी कार्यकाल के बंधन ! Q1 FY20-21 (अप्रैल – जून 2020) के लिए POMIS की ब्याज दर 6.60% है ! निम्नलिखित ऐतिहासिक डाकघर ( Post Office ) एमआईएस ( Post Office Monthly Income Scheme ) ब्याज दरें हैं:
अवधि | डाकघर MIS (वार्षिक) पर ब्याज दर |
1 दिसम्बर 2020 – 30 जनवरी 2021 | 6.60% |
1 अप्रैल 2018 – 30 जून 2018 | 7.3% |
1 जनवरी 2018 – 31 मार्च 2018 | 7.3% |
1 अक्टूबर 2017 – 31 दिसंबर 2017 | 7.5% |
1 जुलाई 2017 – 30 सितंबर 2017 | 7.5% |
1 अप्रैल 2017 – 30 जून 2017 | 7.6% |
Post Office Monthly Income Scheme की विशेषताएं
- कम जोखिम: सुरक्षित निवेश ( Investment ) जो परिपक्वता अवधि के बाद गारंटीकृत रिटर्न प्रदान करता है ! इस योजना ( Post Office Monthly Income Scheme ) में जोखिम-स्तर लगभग 0% है !
- 5-वर्षीय लॉक-इन: 5 साल की अनिवार्य लॉक-इन अवधि ( Post Office ) के साथ आता है ! निवेशक यदि चाहें तो परिपक्वता अवधि के बाद उसी योजना में निवेश भी कर सकते हैं !
- समय से पहले निकासी: एक दंड शुल्क का भुगतान करने के बाद किया जा सकता है !
- नियमित भुगतान: नियमित रूप से ब्याज का भुगतान इस योजना ( POMIS ) को उन लोगों के लिए एक आकर्षक निवेश ( Investment ) विकल्प बनाता है जो लगातार समय पर आय अर्जित करना चाहते हैं !
Post Office MIS Interest Rate : पोमिस ( POMIS ) के लिए पात्रता मानदंड
POMIS ( Post Office Monthly Income Scheme ) को जोखिम वाले निवेश ( Investment ) के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें इक्विटी उपकरणों का एक बड़ा हिस्सा नहीं है, जो निश्चित मासिक भुगतान के स्रोत के लिए शिकार करते हैं ! अपनी नियमित जीवन शैली को बनाए रखने के लिए नियमित रूप से सुरक्षित आय समझें कि विकल्पों की कीमत कैसे तय की जाती है प्राप्त करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ एक आजीवन निवेश करने के लिए तैयार हैं !
Post Office Monthly Income Scheme
एनआरआई डाकघर की मासिक आय योजना ( POMIS ) में निवेश नहीं कर सकते हैं ! इस पोस्ट ऑफिस ( Post Office ) बचत योजना के बारे में सबसे अच्छी बात यह ! है कि प्रवेश की आयु पर समझें कि विकल्पों की कीमत कैसे तय की जाती है निचली टोपी 10 साल से कम है ! तो, 10 साल का नाबालिग भी उसके नाम से पोमिस खाता खोल सकता है ! एक नाबालिग जो अधिकतम राशि निवेश कर सकता है, वह 3,00,000 रुपये है !
Post Office MIS Interest Rate : पोस्ट ऑफिस की सबसे अच्छी स्कीम मंथली इन्कम स्कीम, जानें ब्याज दर
Post Office MIS Interest Rate And Features : पोस्ट ऑफिस ( Post Office ) डिपॉजिटरी सेवा में निवेश पर निश्चित रिटर्न देने वाली योजनाओं की एक विस्तृत वर्गीकरण है ! ये योजनाएं ( POMIS ) संप्रभु गारंटी के लाभ से जुड़ी हैं, अर्थात यह निवेश सरकार द्वारा समर्थित है ! इसलिए, ये योजनाएं इक्विटी शेयरों और कई निश्चित आय विकल्पों की तुलना में सुरक्षित निवेश ( Investment ) विकल्प हैं !
Post Office MIS Interest Rate And Features
Post Office MIS Interest Rate And Features
पोस्ट ऑफिस मासिक आय योजना ( Post Office Monthly Income Scheme ) जैसे पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट, पोस्ट ऑफिस रिकरिंग डिपॉजिट, पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट, 7.6% की ब्याज दर के साथ सबसे अधिक कमाई वाली योजनाओं में से एक है ! इस योजना में ब्याज, जैसा कि नाम से पता चलता है, मासिक रूप से वितरित है ! यह योजना, अन्य डाकघर ( Post Office ) योजनाओं की तरह, वित्त मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त और मान्य है !
पोस्ट ऑफिस मासिक आय योजना ( Post Office Monthly Income Scheme ) भारतीय डाक सेवा की एक निवेश योजना है ! यह तयशुदा मासिक आय के रूप में निवेशक को प्रति वर्ष 8.5% की गारंटी देता है ! अनुभवी निवेशक एमआईएस ( POMIS ) को फंड पार्क करने के लिए सबसे चतुर निवेश ( Investment ) योजनाओं में से एक मानते हैं क्योंकि यह आपको तीन गुण देता है – आपकी पूंजी बरकरार रहती है, ऋण साधनों की तुलना में बेहतर रिटर्न प्राप्त होता है और एक निश्चित मासिक आय का आश्वासन मिलता है !
पोस्ट ऑफिस की मासिक आय योजना पर वर्तमान ब्याज दरें
ब्याज की दर केंद्र सरकार और वित्त मंत्रालय द्वारा हर तिमाही तय की जाती है और यह सरकार द्वारा दिए गए रिटर्न के आधार पर होती है ! उसी कार्यकाल के बंधन ! Q1 FY20-21 (अप्रैल – जून 2020) के लिए समझें कि विकल्पों की कीमत कैसे तय की जाती है POMIS की ब्याज दर 6.60% है ! निम्नलिखित ऐतिहासिक डाकघर ( Post Office ) एमआईएस ( Post Office Monthly Income Scheme ) ब्याज दरें हैं:
अवधि | डाकघर MIS (वार्षिक) पर ब्याज दर |
1 दिसम्बर 2020 – 30 जनवरी 2021 | 6.60% |
1 अप्रैल 2018 – 30 जून 2018 | 7.3% |
1 जनवरी 2018 – 31 मार्च 2018 | 7.3% |
1 अक्टूबर 2017 – 31 दिसंबर 2017 | 7.5% |
1 जुलाई 2017 – 30 सितंबर 2017 | 7.5% |
1 अप्रैल 2017 – 30 जून 2017 | 7.6% |
Post Office Monthly Income Scheme की विशेषताएं
- कम जोखिम: सुरक्षित निवेश ( Investment ) जो परिपक्वता अवधि के बाद गारंटीकृत रिटर्न प्रदान करता है ! इस योजना ( Post Office Monthly Income Scheme ) में जोखिम-स्तर लगभग 0% है !
- 5-वर्षीय लॉक-इन: 5 साल की अनिवार्य लॉक-इन अवधि ( Post Office ) के साथ आता है ! निवेशक यदि चाहें तो परिपक्वता अवधि के बाद उसी योजना में निवेश भी कर सकते हैं !
- समय से पहले निकासी: एक दंड शुल्क का भुगतान करने के बाद किया जा सकता है !
- नियमित भुगतान: नियमित रूप से ब्याज का भुगतान इस योजना ( POMIS ) को उन लोगों के लिए एक आकर्षक निवेश ( Investment ) विकल्प बनाता है जो लगातार समय पर आय अर्जित करना चाहते हैं !
Post Office MIS Interest Rate : पोमिस ( POMIS ) के लिए पात्रता मानदंड
POMIS ( Post Office Monthly Income समझें कि विकल्पों की कीमत कैसे तय की जाती है Scheme ) को जोखिम वाले निवेश ( Investment ) के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें इक्विटी उपकरणों का एक बड़ा हिस्सा नहीं है, जो निश्चित मासिक भुगतान के समझें कि विकल्पों की कीमत कैसे तय की जाती है स्रोत के लिए शिकार करते हैं ! अपनी नियमित जीवन शैली को बनाए रखने के लिए नियमित रूप से सुरक्षित आय प्राप्त करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ एक आजीवन निवेश करने के लिए तैयार हैं !
एनआरआई डाकघर की मासिक आय योजना ( POMIS ) में निवेश नहीं कर सकते हैं ! इस पोस्ट ऑफिस ( Post समझें कि विकल्पों की कीमत कैसे तय की जाती है Office ) बचत योजना के बारे में सबसे अच्छी बात यह ! है कि प्रवेश की आयु पर निचली टोपी 10 साल से कम है ! तो, 10 साल का नाबालिग भी उसके नाम से पोमिस खाता खोल सकता है ! एक नाबालिग जो अधिकतम राशि निवेश कर सकता है, वह 3,00,000 रुपये है !
'2022 में बहुत अच्छे नहीं रहे मीडिया के हालात, चुनौतियों के साथ उम्मीदों का साल होगा 2023'
by समाचार4मीडिया ब्यूरो
Published - Thursday, 22 December, 2022
अकु श्रीवास्तव।।
मैं दरअसल रुदन में बहुत अधिक विश्वास नहीं रखता हूं कि हालात बहुत खराब रहे। लेकिन मीडिया के हालात सचमुच धीरे-धीरे बहुत आशाजनक नहीं रहे हैं। खासकर 2022 की बात करें तो कोरोनाकाल खत्म होने की आहट के बीच में ऐसा लग रहा था कि स्थितियां बहुत तेजी से सामान्य होंगी, जो हुई नहीं। इस वजह से मीडिया पर बहुत सारे दबाव रहे हैं। सबसे बड़ा दबाव जो आने वाले दिनों में देखने में आ रहा है कि भारतीय अखबारों की स्थिति खराब रहने के हालात हैं।
चूंकि बदलाव का दौर चल रहा है। इस दौर में तमाम मुश्किलें सामने आने वाली हैं। इनका अहसास अभी से शुरू हो गया है। हमारे यहां ज्यादातर अखबार विज्ञापन पर आश्रित होते हैं। इस साल तो ऐसा हुआ है कि अखबारी कागज 80-85 रुपये प्रति किलो तक बिका है। यह स्थिति अपने आप में बहुत डराने वाली थी। अखबारी कागज की बढ़ती कीमतों को देखते हुए धीरे-धीरे अखबार में पन्नों की संख्या कम की गई, कंटेंट कम किया गया और कोशिश की गई कि अखबार में कम से कम पेज रखे जाएं।
हालांकि, अब धीरे-धीरे समझें कि विकल्पों की कीमत कैसे तय की जाती है थोड़ी सी सामान्य स्थिति हुई है। लेकिन इससे पहले स्थितियां बहुत खराब रही हैं और इस वजह से जो अखबार के साथ में होता है कि उसकी बैलेंसशीट देखी जाती है, उसकी लाभ-हानि देखी जाती है, जो अखबार को चलाए रखने के लिए बहुत जरूरी भी है, तो वह संकट अभी बहुत बड़ा है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, न्यू मीडिया और वेबसाइट्स के पास तो किसी तरह पैसा जा रहा है, लेकिन प्रिंट मीडिया के पास बहुत कम पैसा बचा है, जिससे काम चलना नहीं है। लेकिन ये मजबूरी है, क्योंकि तमाम विज्ञापनदाताओं को चल रहा है कि उन प्लेटफॉर्म्स की रीच यानी पहुंच ज्यादा है, इसलिए वे उस तरफ जा रहे हैं।
अंग्रेजी अखबार भी धीरे-धीरे सर्कुलेशन में कम हुए, लेकिन उन्होंने अपनी क्रेडिबिलिटी बनाए रखी है। कुछ अखबारों ने अभी भी सच्ची और निर्भीक पत्रकारिता की ज्वाला जलाए रखी है। हिंदी में भी कुछ ऐसे अखबार हैं। हिंदी के अखबारों के अस्तित्व पर संकट तब तक नहीं है, जब तक देश में इंफ्रॉस्ट्रक्चर बहुत मजबूत नहीं हो जाता है। यहां इंफ्रॉस्ट्रक्चर से मेरा आशय कम्युनिकेशन और कम्युनिकेशन के विस्तार से है और वह जैसे-जैसे बढ़ेगा, अखबार का असर कम होगा, लेकिन उसमें अभी बहुत समय लगेगा।
प्रादेशिक अखबार और हिंदी के ज्यादातर अखबार अभी चलते रहेंगे, लेकिन अंग्रेजी के अखबारों में गिरावट रुकने के आसार अभी मुझे नहीं दिख रहे हैं। वर्ष 2023 में मीडिया से तमाम उम्मीदें हैं। स्वतंत्र मीडिया ज्यादा बड़ा काम कर रहा है, ज्यादा अच्छे से काम कर रहा है। इसके साथ-साथ ये दुर्भाग्य हो रहा है कि देश में दो खेमे बंट गए हैं। ये एक बड़ा और खतरनाक परिवर्तन हो रहा है। खतरनाक इसलिए कि आपको किसी न किसी एक का पक्ष लेना पड़ेगा।
बीच के ऐसे लोग, जो खरी बात कह सकें। दोनों की आलोचना कर सकें, उन्हें अब कहीं जगह नहीं मिल रही है। यह अपने आप में एक बहुत बड़ी दिक्कत है। सरकार कोई अच्छा काम करे तो उसकी सराहना की जानी चाहिए और यदि कुछ गलत करे तो उसे भी उठाना चाहिए। ऐसा ही विपक्ष के मामले में भी होना चाहिए। लेकिन, किसी न किसी एक का पक्ष लेने की मजबूरी तो रहेगी ही रहेगी। हालांकि, मैं इसके बावजूद मुद्दों के साथ खड़े रहना ज्यादा पसंद करूंगा।
नए साल की चुनौती की बात करें तो निष्पक्ष रहना ही सबसे बड़ी चुनौती है। हालांकि, निष्पक्ष रहना काफी मुश्किल काम हो जाएगा। फिर भी नए साल से काफी उम्मीदें हैं, क्योंकि नए रास्ते खुल रहे हैं, नया मीडिया आ रहा है। उसके खतरे भी हैं, लेकिन उसके लाभ ज्यादा हैं। स्वतंत्र मीडिया यदि बनी रहती है, हालांकि यह काफी मुश्किल है, लेकिन यदि ऐसा होता है और इस दिशा में रास्ते खुलते हैं तो शायद स्थिति सुधरेगी। फिर भी नए साल में कुछ अच्छी बातें सोचिए। कोरोना न आए, कोरोना का आतंक न आए और उससे हम प्रभावित न हों, ये ज्यादा बड़ी चीज है।
(यह लेखक के निजी विचार हैं। लेखक 'पंजाब केसरी' और 'नवोदय टाइम्स' के कार्यकारी संपादक हैं।)
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