रवीश कुमार ने कल मिहिर शर्मा के हवाले से लिखा है कि रिजर्व बैंक अपने मुनाफे से हर साल सरकार को 50 से 60 हज़ार करोड़ रुपये देती है। उसके पास साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का रिज़र्व है अब मोदी सरकार उस फंड वित्तीय बाजारों के लिए तीन परिदृश्य को हड़प कर जैसे तैसे मई 2019 के चुनाव तक पहुंचना चाहती वित्तीय बाजारों के लिए तीन परिदृश्य है।

चुनौतियों का सामना

कौशल और प्रशिक्षण के क्षेत्र में ब्रिटेन-भारत एक ‘अपराजेय संयोजन’

भारत में यूके ट्रेड एंड इनवेस्टमेंट (यूकेटीआई) टीम द्वारा 12 से 15 अक्टूबर के दौरान कई कंपनियों के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल, तीन शहरों - दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद के दौरे पर जायेंगे । इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं- चार्टर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अकाउंटेंट्स (सीआईएमए), चार्टर्ड इंस्टीट्यूट फॉर सिक्युरिटीज एंड इनवेस्टमेंट (सीआईएसआई), चार्टर्ड इंश्योरेंस इंस्टीट्यूट (सीआईआई), एसोसिएशन ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (एसीसीए), इंस्टीट्यूट एंड फैकल्टी ऑफ एक्चुअरीज (आईएफओए) तथा इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ बुक-कीपर्स एंड अकाउंटिंग प्रोफेशनल्स (आईएबी, आईएएपी)।
भारत के नए विकास परिदृश्य में व्यावसायिक रूप से सुयोग्य कर्मचारियों की भारी मांग है। भारत में यह मांग उनकी आपूर्ति की तुलना में कहीं अधिक है। प्री-स्कूल से लेकर यूनिवर्सिटी और उससे भी आगे की शिक्षा उपलब्ध कराने के मामले में ब्रिटेन विश्व में अग्रणी है। उन ब्रिटिश संस्थानों द्वारा प्रदान की जाने वाली योग्यता और शिक्षा का दुनिया भर के नियोक्ता सम्मान करते हैं। वित्तीय सेवाओं के मामले में भी ब्रिटेन की एक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति रही है और लंदन तो दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण वित्तीय केन्द्र है।

आगे की जानकारी:

इंडिया-यूके फाइनैंशियल पार्टनरशिप (आईयूकेएफपी) की स्थापना ब्रिटिश वित्त मंत्री जॉर्ज ऑसबोर्न तथा भारतीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा भारत और ब्रिटेन के बीच वित्तीय सेवा संपर्क को गहरा करने और वित्तीय केंद्रों के रूप में लंदन तथा मुंबई के बीच सहयोग मजबूत करने के उद्देश्य से की गई है। कोटक महिंद्रा बैंक के एक्जीक्यूटिव वाइस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर उदय कोटक तथा स्टैंडर्ड लाइफ के चेयरमैन सर गेरी ग्रिम्सटोन इसके नेतृत्वकर्ता हैं।

ग्रेट फॉर कोलैबोरेशन: वित्तीय बाजारों के लिए तीन परिदृश्य वित्तीय बाजारों के लिए तीन परिदृश्य प्रधानमंत्री मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ के आह्वान के प्रत्युत्तर में ब्रिटेन में ‘ग्रेट फॉर कोलैबोरेशन’ की शुरुआत की है जो भारत-ब्रिटेन व्यवसाय सहयोग को प्रदर्शित करने वाला एक महत्वाकांक्षी और रोमांचक नव अभियान है। प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री कैमरन द्वारा शुरू किया यह अभियान नई साझेदारी को प्रेरणा देगा और भारत को लेकर ब्रिटेन की जो प्रतिबद्धता है उसकी व्यापकता के प्रति जागरुकता प्रदान करेगा। कुल मिलाकर इसका जो उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यवसाय को बढ़ाना है ।

भारतीय बाजार में कैसा होगा इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स का भविष्य? नीति आयोग और TIFAC ने जारी वित्तीय बाजारों के लिए तीन परिदृश्य की रिपोर्ट

भारतीय बाजार में कैसा होगा इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स का भविष्य? नीति आयोग और TIFAC ने जारी की रिपोर्ट

नीति आयोग और TIFAC द्वारा बनाए गए एक टूल का उपयोग करते हुए देश में इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों की भावी पैठ का विश्लेषण वित्तीय बाजारों के लिए तीन परिदृश्य करने के लिए आठ परिदृश्य विकसित/अनुमानित किए गए हैं.

नीति आयोग (NITI वित्तीय बाजारों के लिए तीन परिदृश्य Aayog) और TIFAC ने हाल ही में ‘भारत में इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों की पैठ का पूर्वानुमान’ (Forecasting Penetration of Electric Two-Wheelers in India) शीर्षक से एक रिपोर्ट पेश की है.

नीति आयोग और TIFAC द्वारा बनाए गए एक टूल का उपयोग करते हुए देश में इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों की भावी पैठ का विश्लेषण करने के लिए आठ परिदृश्य विकसित/अनुमानित किए गए हैं.

रिपोर्ट की खास बातें

‘टेक्नोलॉजी आधारित’ परिदृश्य में यदि किसी R&D कार्यक्रम के जरिए वित्त वर्ष 2023-24 और वित्‍त वर्ष 2025-26 के बीच इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों की रेंज और पावर को सालाना 5% और वित्त वर्ष 2026-2027 में 10% बढ़ाना संभव हो जाता है, तो वित्त वर्ष 2031-32 में इलेक्ट्रिक-दुपहिया वाहनों की पैठ बढ़कर लगभग 72% तक पहुंच सकती है - यहां तक कि मांग संबंधी प्रोत्साहनों की अवधि को बढ़ाए बिना भी.

इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों की बिक्री ‘आशावादी’, ‘समान प्रदर्शन’ और ‘बैटरी की कीमत चुनौतीपूर्ण’ परिदृश्यों के तहत वित्त वर्ष 2028-29 में 220 लाख यूनिट या वाहनों के स्‍तर को पार कर सकती है. यह बिक्री ‘प्रौद्योगिकी-आधारित’ परिदृश्य के तहत 180 लाख यूनिट या वाहनों तक पहुंच सकती है. 'प्रोत्साहन अभियान' परिदृश्य के तहत इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहनों की बिक्री वित्त वर्ष 2031 में केवल 55 लाख यूनिट या वाहनों तक ही पहुंचने की संभावना है.

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RBI Monetary Policy Review: चालू वित्त वर्ष की RBI की पहली मौद्रिक वित्तीय बाजारों के लिए तीन परिदृश्य नीति समीक्षा की मुख्य बातें

Updated: April 8, 2022 1:23 PM IST

RBI Governor Shaktikanta Das

RBI Monetary Policy Review: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2022-23 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी. इसके प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं…

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  1. नीतिगत रेपो दर चार प्रतिशत के स्तर पर बरकरार, सीमांत स्थायी सुविधा दर और बैंक दर भी 4.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित.
  2. मुद्रास्फीति को निर्धारित लक्ष्य के भीतर रखने के लिए रिजर्व बैंक वित्तीय बाजारों के लिए तीन परिदृश्य अपने नरम रुख को धीरे-धीरे वापस लेने पर ध्यान देगा.
  3. वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी वृद्धि के अनुमान को 7.8 प्रतिशत वित्तीय बाजारों के लिए तीन परिदृश्य से घटाकर 7.2 प्रतिशत किया गया, यह अनुमान चालू वित्त वर्ष में कच्चे तेल की औसत कीमत के 100 डॉलर प्रति बैरल पर रहने की धारणा पर आधारित.
  4. मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत किया गया
  5. भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने से आर्थिक परिदृश्य प्रभावित.
  6. रबी फसलों की उपज अच्छी रहने से ग्रामीण वित्तीय बाजारों के लिए तीन परिदृश्य मांग में सुधार आने की उम्मीद, इससे संपर्क-सघन सेवाओं को मिलेगी तेजी.
  7. कारोबारी धारणा सुधरने, बैंक ऋण में तेजी आने और सरकार की पूंजीगत व्यय की योजनाओं से निवेश गतिविधियों को मजबूती मिलेगी.
  8. आरबीआई से विनियमित वित्तीय बाजारों के खुलने का समय 18 अप्रैल से महामारी-पूर्व की तरह 9 बजे होगा.
  9. युक्तिसंगत आवासीय ऋण मानकों को 31 मार्च 2023 तक बढ़ाया गया.
  10. आरबीआई जलवायु जोखिम एवं टिकाऊ वित्त पर परामर्श-पत्र लेकर आएगा.
  11. आरबीआई अपनी निगरानी वाली इकाइयों में उपभोक्ता सेवा संबंधी मानकों की समीक्षा के लिए एक समिति बनाएगा.
  12. यूपीआई के जरिये कार्ड-रहित नकदी निकासी की सुविधा का दायरा सभी बैंकों एवं एटीएम नेटवर्क तक बढ़ाया जाएगा.

वित्तीय बाजारों के लिए तीन परिदृश्य

सांकेतिक तस्वीर

देश एक बेहद गंभीर वित्तीय संकट के मुहाने पर खड़ा है और यह बात अब मोदी सरकार को भी स्वीकार करनी पड़ रही है। कल आर्थिक मामलों के विभाग ( DEA) ने कंपनी मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखकर मौजूदा आर्थिक परिदृश्य पर गंभीर चिंता जताई है । DEA का कहना है कि यदि आने वाले 6 सप्‍ताह में बाजार में (डेट मार्केट) पर्याप्‍त पैसों की आपूर्ति नहीं की गई तो कई नॉन-बैंकिंग फाइनेंस और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के सामने डिफॉल्‍ट होने का खतरा पैदा हो जाएगा।

मेक इन इंडिया

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भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके।

'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।

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