Intraday Trading और Delivery Trading में जाने आपके लिए क्या सही है ? - Share Market

Know which method is better for you in share market - Simply comare Intraday vs delivery Trading.


By - Pradeep Tomar / New Delhi
देखिये सबसे पहले आपको इन दोनों का मतलब समझना जरुरी है, तो सबसे पहले दोनों के अपने अपने फायदे और अपने अपने नुकसान समझते है फिर आप अपने आप फैसला कर सकेंगे की आपके लिए क्या अधिक सही है. क्युकी ज्यादातर ब्रोकिंग कंपनिया आपको Intraday में trading करने के लिए प्रेरित करती है क्युकी इसमें उन्हें हर दिन ब्रोकरेज मिलती है. बाकी आप नीचे दी गयी जानकारी को पढ़कर स्वयं फैसला ले.

तो सबसे पहले जानते है इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) के बारे में:

1. Intraday ट्रेडिंग में आप कोई भी शेयर खरीदते है तो आपको उस शेयर को उसी दिन बेचना भी पड़ेगा चाहे आपको लाभ हो या हानि.
उदहारण के लिए : आपने XYZ कंपनी के 1000 शेयर 50 रुपये में सुबह ख़रीदे क्युकी कंपनी ने आपको एक्सट्रा मार्जिन मनी (क्रेडिट) दे रखा है और अगर शाम तक शेयर 50 रुपये से एक भी रुपये ऊपर गया तो आप लाभ कमा सकते है अर्थात जितना ऊपर जायेगा उतना आप (1000 X जितना ऊपर गया) लाभ कमा पायेगे. और अगर वही शेयर ऊपर जाने के वजाय नीचे गया तो आप उतना ही आप अपना नुकसान कर बैठेंगे. उस नुक्सान के साथ ही साथ आपको ट्रेडिंग की फुल वैल्यू पर ब्रोकरेज फीस / ट्रेडिंग फीस और टैक्स भी देना पड़ेगा. क्युकी intraday की वैलिडिटी सिर्फ एक दिन की ही होती है.

2. intraday ट्रेडिंग में ब्रोकिंग कंपनी आपको 20 गुना से लेकर 40-50 गुना आपकी जमा की गयी राशी का मार्जिन मनी (क्रेडिट) देती है जिससे आप ज्यादा शेयर खरीद कर ज्यादा लाभ कमा सकते है ये हर ब्रोकरेज कंपनी का अपना अलग अलग होता है जैसे Angel Broking Trading Co. अपने ट्रेडर्स को 40 गुना क्रेडिट मनी देती है.
उदहारण के लिए : आपने अपने ट्रेडिंग अकाउंट में 10000 रुपये ट्रान्सफर किये तो आप 10000 X 40 = 400000 तक की intraday ट्रेडिंग कर सकते है या शेयर खरीद सकते है. मतलब आप कम रुपये में भी Intraday का क्या मतलब होता है ज्यादा की खरीदारी करके ज्यादा लाभ या हानि कर सकते है जो की आपको सिर्फ उसी एक दिन में करना है क्युकी शाम को शेयर मार्किट बंद होने से पहले ये मार्जिन मनी (क्रेडिट) वापस करना होता है.

3. intraday शेयर में आपने जो भी शेयर ख़रीदे है उन्हें आपको लाभ या हानि किसी भी स्थिति में शाम तक बेचना होता है नहीं तो वो auto squre off हो जाते है. मतलब अपने आप बिक जायेंगे.

4. intraday में T2T (Trade to Trade segment) के अंतर्गत आने वाले शेयरस को नहीं खरीद सकते क्युकी ये वो शेयर्स होते है जिनमे ज्यादा रिस्क या कुछ सिक्यूरिटी प्रोब्लम्स होती है. इन शेयर्स में आप intraday में ट्रेडिंग नहीं कर सकते पर आप डिलीवरी ले सकते है जिसके लिए आपको उसका पूरा का पूरा भुगतान करना पड़ेगा.

5. intraday ट्रेडिंग में आपको बहुत ज्यादा लाभ या बहुत ज्यादा हानि कर सकते है. मतलब रिस्क डिलीवरी ट्रेडिंग से बहुत ज्यादा होता है.
6. इंट्राडे ट्रेडिंग (intraday Trading) में आप कम पैसो में भी ज्यादा मुनाफा कमा सकते है.
7. इंट्राडे ट्रेडिंग (intraday Trading) में आप लम्बे समय का इन्वेस्टमेंट नहीं कर सकते.
8. Intraday Trading charges ya Brokerage Charges कम होते है अगर डिलीवरी ट्रेडिंग से तुलना करो तो. आप अपने ब्रोकर से इसकी जानकारी जरुर ले.

चलिए अब जानते है डिलीवरी (Delivery Trading) ट्रेडिंग के बारे में:

1. अगर आप शेयर को खरीदते समय डिलीवरी (Delivery Trading ) का आप्शन चुनते है तो आपको वैलिडिटी वाली समस्या नहीं होगी, मतलब शेयर की डिलीवरी मिलने के बाद उसे कभी भी बेंच सकते है, ज्यादातर लोग 2-10 में बेंच कर लाभ कमा लेते है, आप चाहे तो दीर्घकाल रखकर सही समय पर बेंच सकते है.

2. डिलीवरी ट्रेडिंग करने के लिए ज्यादातर ब्रोकिंग कंपनियां आपको क्रेडिट मनी न के बराबर या नहीं देती है. मतलब आपके पास अगर 10000 रुपये है तो आप इसी वैल्यू के शेयर्स खरीद कर रख सकते है.

3. डिलीवरी ट्रेडिंग में ख़रीदे गये शेयर को आप कभी भी बेंच सकते है जब भी आपको लगे की आपको लाभ मिल रहा है .
4. डिलीवरी ट्रेडिंग ( Delivery Trading ) में T2T (Trade to Trade segment) के अंतर्गत आने वाले शेयरस को भी खरीद सकते है लेकिन खरीदने से पहले उनके रिस्क के बारे में जरुर पता कर ले.
5. ऐसा नहीं है की डिलीवरी ट्रेडिंग ( Delivery Trading ) में रिस्क नहीं होता पर intraday से कम होता है मतलब कम रिस्क कम लाभ-हानि, ज्यादा रिस्क मतलब ज्यादा लाभ-हानि की स्थिति रहती है.
6. डिलीवरी ट्रेडिंग ( Delivery Trading ) में आपके पास जितना इन्वेस्टमेंट होगा उतने का ही व्यापार कर सकते है.
7. डिलीवरी ट्रेडिंग ( Delivery Trading ) में आप लम्बे या छोटे समय तक का इन्वेस्टमेंट कर सकते है.
8. Delivery Trading charges ज्यादा होते है अगर intraday से तुलना करो तो. आप अपने ब्रोकर कंपनी से इसकी जानकारी जरुर ले.

intraday vs delivery Trading में जाने आपके लिए क्या सही है ? - Share Market

इंट्राडे ट्रेडिंग v / s डिलिवरी ट्रेडिंग - Intraday vs Delivery Trading :

यह निष्कर्ष करना आसान है कि इंट्राडे ट्रेडिंग आमतौर पर एक दिन में पूरी हो जाती है। इसका विशेष रूप से मतलब है कि दिन में खरीदे गए सभी शेयरों को बाजार के बंद होने से पहले, दिन के अंत तक बेचा जाना चाहिए। अगर इन शेयरों को नहीं बेचा जाता है, तो वे अपने आप बिक जाते है उस समय पर जो भी उसका रेट हो.

हालांकि, दूसरी तरफ, डिलीवरी आधारित व्यापार में, उच्च लाभ रिटर्न के लिए खरीदी गई शेयर लंबी अवधि के लिए बनाए रखा जा सकता है।

जबकि इंट्राडे ट्रेडिंग कम पूंजी में ही और ब्रोकिंग कंपनी आपको एक्सट्रा मार्जिन मनी देता है, मतलब आप उधार के पैसो से ज्यादा शेयर खरीद कर अपना लाभ लेकर उन पैसो को वापस करना होता है. वही डिलीवरी ट्रेडिंग के लिए इसके लेनदेन के लिए पूरी रकम की आवश्यकता होती है।

तो अब ये आप पर निर्भर करता है की आप कम पैसो में ज्यादा लाभ या हानि लेना चाहते है या जितने आपके पास पैसे है उन्हें से लाभ या हानि लेना चाहते है.

अगर आपको ये लेख अच्छा लगा तो हमें जरुर बताये ताकि इससे सम्बंधित और जानकारी लिख सकू. आप अपने सवाल कमेंट बॉक्स में डाले. और हाँ इस जानकारी को अपने मित्रो के साथ फेसबुक या ट्विटर पर जरुर शेयर करे.

सावधान : शेयर मार्किट में किसी भी तरह इन्वेस्टमेंट बाजार के उतार चढाव पर निर्भर है कृपया बुद्धिमानी से काम ले.


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Margin Trading- मार्जिन ट्रेडिंग

मार्जिन ट्रेडिंग
What is Margin Trading: शेयर बाजार में मार्जिन ट्रेडिंग से अर्थ उस प्रक्रिया से है, जहां व्यक्तिगत निवेशक शेयर खरीद की अपनी क्षमता से ज्यादा स्टॉक्स खरीदते हैं। मार्जिन ट्रेडिंग भारत में इंट्रा डे ट्रेडिंग को भी परिभाषित करती है। मार्जिन ट्रेडिंग की सुविधा विभिन्न स्टॉक ब्रोकर्स देते हैं। मार्जिन ट्रेडिंग में एक सिंगल सेशन में सिक्योरिटीज की खरीद और बिक्री शामिल रहती है। समय के साथ विभिन्न ब्रोकरेजेस ने टाइम ड्यूरेशन के मामले में कुछ ढील दी है। मार्जिन ट्रेडिंग में निवेशक एक विशेष सत्र में शेयर की चाल का अनुमान लगाते हैं। इलेक्ट्रॉनिक स्टॉक एक्सचेंजेस की बदौलत, मार्जिन ट्रेडिंग अब छोटे ट्रेडर्स के लिए भी एक्सेसिबल है। मार्जिन ट्रेडिंग की प्रक्रिया काफी सरल है।

मार्जिन अकाउंट, निवेशकों को अपनी शेयर खरीद क्षमता से ज्यादा शेयर खरीदने के संसाधन उपलब्ध कराता है। इस उद्देश्य के लिए ब्रोकर शेयर खरीदने के लिए पैसे उधार देता है और शेयरों को अपने पास गिरवीं रख लेता है। मार्जिन अकाउंट के साथ ट्रेड करने के लिए निवेशक को सबसे पहले मार्जिन अकाउंट खुलवाने के लिए अपने ब्रोकस को रिक्वेस्ट करनी होती है। इसके लिए ब्रोकर को कैश में पैसे देने होते हैं, जिसे मिनिमम मार्जिन कहते हैं।

अकाउंट खुल जाने पर क्या करना होता है
अकाउंट खुल जाने पर निवेशक को इनीशिअल मार्जिन का भुगतान करना होता है। यह टोटल ट्रेडेड वैल्यू की निश्चित परसेंटेज होती है, जिसे ब्रोकर निर्धारित करता है। मार्जिन अकाउंट से ट्रेडिंग शुरू करने से पहले निवेशक को तीन महत्वपूर्ण स्टेप्स याद रखने होते हैं। पहला, सेशन के जरिए मिनिमम मार्जिन को मेंटेन करना होता है। दूसरा हर ट्रेडिंग सेशन के खत्म होने पर अपनी पोजिशन पर आना होता है यानी अगर शेयर खरीदे हैं तो उन्हें बेचना होगा और अगर शेयर बेचे हैं तो उन्हें सेशन खत्म होने पर खरीदना होगा। तीसरा स्टेप्स यह कि ट्रेडिंग के बाद शेयरों को डिलीवरी ऑर्डर में कन्वर्ट करना होता है।

Margin Trading- मार्जिन ट्रेडिंग

मार्जिन ट्रेडिंग
What is Margin Trading: शेयर बाजार में मार्जिन ट्रेडिंग से अर्थ उस प्रक्रिया से है, जहां व्यक्तिगत निवेशक शेयर खरीद की अपनी क्षमता से ज्यादा स्टॉक्स खरीदते हैं। मार्जिन ट्रेडिंग भारत में इंट्रा डे ट्रेडिंग को भी परिभाषित करती है। मार्जिन ट्रेडिंग की सुविधा विभिन्न स्टॉक ब्रोकर्स देते हैं। मार्जिन ट्रेडिंग में एक सिंगल सेशन में सिक्योरिटीज की खरीद और बिक्री शामिल रहती है। समय के साथ विभिन्न ब्रोकरेजेस ने टाइम ड्यूरेशन के मामले में कुछ ढील दी है। मार्जिन ट्रेडिंग में निवेशक एक विशेष सत्र में शेयर की चाल का अनुमान लगाते हैं। इलेक्ट्रॉनिक स्टॉक एक्सचेंजेस की बदौलत, मार्जिन ट्रेडिंग अब छोटे ट्रेडर्स के लिए भी एक्सेसिबल है। मार्जिन ट्रेडिंग की प्रक्रिया काफी सरल है।

मार्जिन अकाउंट, निवेशकों को अपनी शेयर खरीद क्षमता से ज्यादा शेयर खरीदने के संसाधन उपलब्ध कराता है। इस उद्देश्य के लिए ब्रोकर शेयर खरीदने के लिए पैसे उधार देता है और शेयरों को अपने पास गिरवीं रख लेता है। मार्जिन अकाउंट के साथ ट्रेड करने के लिए निवेशक को सबसे पहले मार्जिन अकाउंट खुलवाने के लिए अपने ब्रोकस को रिक्वेस्ट करनी होती है। इसके लिए ब्रोकर को कैश में पैसे देने होते हैं, जिसे मिनिमम मार्जिन कहते हैं।

अकाउंट खुल जाने पर क्या करना होता है
अकाउंट खुल जाने पर निवेशक को इनीशिअल मार्जिन का भुगतान करना होता है। यह टोटल ट्रेडेड वैल्यू की निश्चित परसेंटेज होती है, जिसे ब्रोकर निर्धारित करता है। मार्जिन अकाउंट से ट्रेडिंग शुरू करने से पहले निवेशक को तीन महत्वपूर्ण स्टेप्स याद रखने होते हैं। पहला, सेशन के जरिए मिनिमम मार्जिन को मेंटेन करना होता है। दूसरा हर ट्रेडिंग सेशन के खत्म होने पर अपनी पोजिशन पर आना होता है यानी अगर शेयर खरीदे हैं तो उन्हें बेचना होगा और अगर शेयर बेचे हैं तो उन्हें सेशन खत्म होने पर खरीदना होगा। तीसरा स्टेप्स यह कि ट्रेडिंग के बाद शेयरों को डिलीवरी ऑर्डर में कन्वर्ट करना होता है।

Square Off Meaning (Square off का Trading माई मतलब क्या है)

Square Off Meaning in Hindi: किसी भी intraday trader के लिए intraday से जुड़ी हर छोटी से छोटी चीज को जानना जरूरी होता है। यदि आप intraday trading में नए investor है तो आज का यह post आपके लिए खास होने वाला है। आज इस post के जरिए हम आपको square off meaning in hindi के बारे में विस्तार पूर्वक बताने वाले हैं।

यदि intraday trading में आपकी position भी square off हो जाती है, परंतु आप समझ नहीं पाते कि ऐसा क्यों है या position को square off करना क्यों जरूरी है, तो यह जानने व समझने के लिए आप हमारे इस post में अंत तक जरूर बने रहे।

Square off क्या होता है? (Square off meaning in hindi)

Square off, day trading का एक feature होता है। Intraday trading मे लंबे समय के लिए invest नहीं किया जाता, बल्कि एक पूरे दिन में कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव के कारण लाभ कमाने के लिए केवल एक ही दिन के लिए invest किया जाता है।

Square off का अर्थ है कि यदि आप सुबह trading शुरू होने पर किसी शेयर को खरीदते हैं या sell करते हैं, तो आपको वह share एक्सचेंज बंद होने से पहले sell करना होगा या फिर से buy करना होता है अर्थात् अपने सभी positions को square off करना ही होता है।

Position को square off कैसे किया जाता है?

यदि कोई investor एक्सचेंज open Intraday का क्या मतलब होता है होने पर किसी शेयर में position बनाता है तो उसे एक्सचेंज बंद होने तक वह position exit करनी होती है अर्थात square off करनी होती है। वह simply sell करके इस प्रक्रिया को पूरा करता है।

इसके अलावा, यदि कोई नहीं investor दिन की शुरुआत में किसी share को बेच देता है और उसी शेयर को बाजार बंद होने से पहले कम price पर वापिस buy कर लेता है तो यह प्रक्रिया भी square off प्रक्रिया ही होती है।

Square Off का उदाहरण

मान लीजिए, किसी trader ने सुबह ITC के 200 शेयर ₹230 में खरीदे और उसी दिन एक्सचेंज बंद होने से पहले वह शेयर को 270 रुपए प्रति शेयर बेच देता है, तो इस प्रक्रिया में trader के द्वारा ITC की position को square off कर दिया गया है।

एक अन्य उदाहरण, किसी trader के द्वारा TATA के 100 शेयर को 106 पर short sell किया जाता है और उस दिन के session खत्म होने से पहले वह trader TATA के शेयर को 101 पर buy कर लेता है तो यह प्रक्रिया भी square off प्रक्रिया कहलाती है।

Square Off के प्रकार

Square Off दो प्रकार के होते हैं:-

  1. Automatic square off
  2. Manual square off

Automatic square off क्या है?

यह broker के द्वारा किया जाता है। यह तब किया जाता है जब कोई trader अपनी position को स्वयं square off करना भूल जाता है या फिर investor के द्वारा खरीदे गए share मे upper circuit लगने के कारण position को बंद नहीं कर पाता, तो उस स्थिति में broker का system इसे auto square off कर देता है।

Automatic square off के दो प्रकार होते है:-

  • Timer based
  • Market to market base

Timer based square off mode मे, ब्रोकर के द्वारा एक समय निर्धारित कर दिया जाता है। इस निर्धारित समय पर position अपने आप square off हो जाती है। यह समय सभी brokers का अलग-अलग हो सकता है। जैसे यदि किसी broker का यह समय 3:00 बजे का है, तो किसी का 3:10 मिनट या फिर किसी का 3:20 मिनट भी हो सकता है।

Market to market square off mode मे, किसी investor की equity और F&O मे हुए loss की calculation करने के बाद auto square off हो जाता है। इस calculation के बाद बुक किए गए profit को ही माना जाएगा। इसमें auto square off मे 80% और pre square off में 70% square off percentage set किया जाता है।

Manual square off क्या है?

Manual square off मे investor अपनी positions को स्वयं ही बंद करता है।

कुछ brokers के automatic square off का समय व charges

BrokerAuto square off timeCharges
Zerodha3:15 – 3:20 PM₹50 +18% GST
ICICI direct3:30 PM₹50 +18% GST
5 paisa3:15 PM₹20 +18% GST
Hdfc securities3:00 PM₹50 +18% GST
Upstocks3:15 PM₹20 +18% GST
Kotak securities3:10 PM₹50 +18% GST
Angel broking3:15 PM₹50 +18% GST
Axis direct2:45 PM₹50 +18% GST
Sharekhan3:30 PM₹50 +18% GST
IIFL securities3:15 PM₹50 +18% GST
Sbi securities3:05 PM₹50 +18% GST
Karvi online3:15 PM₹50 +18% GST

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क्या होगा यदि आप intraday मैं अपनी position तो square off नहीं करते?

यदि कोई investor स्वयं अपनी position को square off नहीं करता है, तो वह broker Intraday का क्या मतलब होता है के द्वारा auto square off कर दी जाती है। जिसके लिए आपको broker को कॉल और trade चार्ज भी देना पड़ता है। इसीलिए आपको स्वयं निर्धारित समय से Intraday का क्या मतलब होता है पहले सभी position को square off कर देना चाहिए।

क्या delivery trading में भी position को square off करना होता है?

यदि कोई trader intraday trade करता है तो उसे अपनी postion square off करनी होती है, परंतु यदि आपने कोई share delivery के लिए खरीदा है तो वह आपके demat account में चला जाएगा। ऐसा होने पर आपको trade और call का चार्ज भी नहीं देना होता है।

Square off और sell में क्या अंतर है?

अपनी sell side या buy side position को बंद करना square off कहलाता है जबकि सेल एक तरफा प्रक्रिया होती है।

निष्कर्ष

दोस्तों, आज हमने आपको इस post के माध्यम से square off meaning in hindi के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी है। आशा करते हैं कि यह जानकारी आपको पसंद आई होगी।

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