शॉर्ट टर्म में बड़ा मुनाफा चाहिए तो इन 5 फंडों में लगाएं पैसा, 1 दिन के प्लान पर भी मिलता है रिटर्न
शॉर्ट टर्म का निवेश उनके लिए होता है जो कम समय में ज्यादा पैसा लगाकर ऊंचा रिटर्न पाने की इच्छा रखते हैं. ऐसे निवेश जोखिम भरे हो सकते हैं, लेकिन रिटर्न की भी प्रबल संभावनाएं होती हैं.
निवेश को दो वर्गों में बांटा गया है-कम अवधि यानी शॉर्ट टर्म और दीर्घ अवधि यानी कि लॉन्ग टर्म. यह टर्म प्लान की अवधि पर निर्भर करता है कि कितने दिनों तक प्लान चलाया जा रहा है. अगर शॉर्ट टर्म की बात करें तो यह कम से कम 3 साल के लिए हो सकता है. यह अवधि 6 महीने से 1 साल के लिए भी हो सकती है लेकिन 3 साल को रिटर्न के लिहाज से अच्छा मानते हैं. इसलिए निवेश की योजना बनाने से पहले अपने खर्च का हिसाब लगा लें और उसी के मुताबिक पैसा लगाएं ताकि अवधि पूरी होने पर आपको एक फिक्स इनकम मिलती रहे.
शॉर्ट टर्म का निवेश उनके लिए होता है जो कम समय में ज्यादा पैसा लगाकर ऊंचा रिटर्न पाने की इच्छा रखते हैं. ऐसे निवेश जोखिम भरे हो सकते हैं, लेकिन रिटर्न की भी प्रबल संभावनाएं होती हैं. शॉर्ट टर्म में कमाई पाने के लिए डेट म्यूचुअल फंड को सबसे अच्छा जरिया माना जाता है. आइए उन 5 फंडों के बारे में जानते हैं जो कम समय में अधिक रिटर्न देने की क्षमता रखती हैं.
1-ओवरनाइट फंड
इस म्यूचुअल फंड में सबसे कम दिन के लिए निवेश होता है. जैसा कि नाम से स्पष्ट है, यह निवेश ओवरनाइट या एक दिन के लिए भी हो सकता है. इसमें एक हफ्ते, 15 दिन या एक महीने के लिए पैसा निवेश करते हैं. सेबी के मुताबिक ओवरनाइट फंड का पैसा ओवरनाइट सिक्योरिटीज में जमा करते हैं जिसकी मैच्योरिटी 1 दिन के लिए होती है. इस फंड की खासियत है कि इसमें सबसे कम जोखिम होता है और इसका रिटर्न भी कम मिलता है.
2-लिक्विड फंड
लिक्विड फंड में निवेश का पैसा डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटी में लगता है. इसकी मैच्योरिटी 91 दिनों की होती है. इसका पैसा सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट, कॉमर्शियल पेपर, टर्म डिपॉजिट, कॉल मनी, टी बिल आदि में लगाया जाता है. यह फंड कम जोखिम वाला है. इस फंड में एक महीने से लेकर 3 महीने के निवेश पर कमाई की जा सकती है.
3-अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड
लिक्विड फंड की तुलना में इस फंड की मियाद ज्यादा दिनों की होती है. उसी हिसाब से ज्यादा रिटर्न भी मिलता है. इस फंड में निवेश की अवधि 3 महीने से 6 महीने के लिए होती है. लिक्विड फंड की तुलना में इसमे ज्यादा जोखिम है और इसमें रिटर्न की गुंजाइश ज्यादा है. लिक्विड फंड की तुलना में इसमें अधिक रिटर्न पा सकते हैं.
4-लो ड्यूरेशन फंड
यह शॉर्ट टर्म डेट फंड का एक वेरिएंट है जिसका पैसा मनी मार्केट में लगाया जाता है. इसकी अवधि 6 महीने से 12 महीने की होती है. इसमें लंबी अवधि के डेट पेपर में निवेश किया जाता है. बाकी फंड की तुलना में इसमें रिटर्न की ज्यादा संभावना होती है. उसी के मुताबिक रिस्क फैक्टर ज्यादा होता है. अगर कोई व्यक्ति 1 साल में म्यूचुअल फंड में अच्छी कमाई चाहता है और उसे जोखिम लेने में कोई दिक्कत नहीं तो वह लो ड्यूरेशन फंड में निवेश कर सकता है.
5-मनी मार्केट फंड
जैसा कि नाम से साफ है, इस फंड का पैसा मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट में निवेश किया जाता है. इसकी मैच्योरिटी 1 साल के लिए होती है. मनी मार्केट फंड का पैसा सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट, कॉमर्शियल पेपर्स, टर्म डिपॉजिट, कॉल मनी, ट्रेजरी बिल में निवेश किया जाता है. 1 साल तक के निवेश पर अच्छा रिटर्न चाहते हैं तो मनी मार्केट फंड में निवेश कर सकते हैं. एफडी की तुलना में इस फंड में ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना होती है.
Mutual Funds: 5 साल में पैसा ट्रिपल करने वाली 5 स्कीम, सालाना 28% तक मिल रहा है रिटर्न
बाजार में उठापठक के चलते इक्विटी म्यूचुअल फंड में भले ही शॉर्ट टर्म या 1 साल तक का रिटर्न बिगड़ा है, लेकिन लंबी अवधि के निवेशकों ने इसके जरिए अच्छा पैसा बनाया है.
इक्विटी म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार में निवेश का एक सुरक्षित तरीका है. (File)
Best Equity Mutual Fund Scheme: बाजार में उठापठक के चलते इक्विटी म्यूचुअल फंड में भले ही शॉर्ट टर्म या 1 साल तक का रिटर्न बिगड़ा है, लेकिन लंबी अवधि के निवेशकों ने इसके जरिए अच्छा पैसा बनाया है. बीते 5 साल की बात करें तो कई म्यूचुअल फंड स्कीम ने निवेशकों का पैसा 3 गुना या इससे भी अधिक बढ़ा दिया है. असल में इक्विटी म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार में निवेश का एक सुरक्षित तरीका है. अगर निवेशक इक्विटी में निवेश करना चाहें, लेकिन उनकी रिस्क लेने की सबसे अच्छा शॉर्ट टर्म फंड कौन सा है क्षमता ज्यादा नहीं है तो यह एक बेहतर विकल्प है. एडवाइजर म्यूचुअल फंड में रिस्क प्रोफाइल समझकर एक लक्ष्य तयकर लंबी अवधि के लिए निवेश की सलाह देते हैं. लंबी अवधि में निवेश के चलते इनमें कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है. निवेशक एकमुश्त या सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए इसमें निवेश कर सकते हैं.
Tata Digital India Fund
5 साल में रिटर्न: 28% CAGR
5 साल में 1 लाख की वैल्यू: 3.45 लाख रुपये
5 साल में 10 हजार मंथली SIP की वैल्यू: 11.56 लाख रुपये
कम से कम एकमुश्त निवेश: 5000 रुपये
कम से कम SIP: 150 रुपये
कुल एसेट्स: 5512 करोड़ (31 मई, 2022)
एक्सपेंस रेश्यो: 0.35% (30 अप्रैल, 2022)
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ICICI Pru Technology Fund
5 साल में रिटर्न: 27.5% CAGR
5 साल में 1 लाख की वैल्यू: 3.36 लाख रुपये
5 साल में 10 हजार मंथली SIP की वैल्यू: 11.97 लाख रुपये
कम से कम एकमुश्त निवेश: 5000 रुपये
कम से कम SIP: 100 रुपये
कुल एसेट्स: 8772 करोड़ (31 मई, 2022)
एक्सपेंस रेश्यो: 0.71% (30 अप्रैल, 2022)
ABSL Digital India Fund
5 साल में रिटर्न: 26% CAGR
5 साल में 1 लाख की वैल्यू: 3.21 लाख रुपये
5 साल में 10 हजार मंथली SIP की वैल्यू: 11.27 लाख रुपये
कम से कम एकमुश्त निवेश: 1000 रुपये
कम से कम SIP: 100 रुपये
कुल एसेट्स: 3028 करोड़ (31 मई, 2022)
एक्सपेंस रेश्यो: 0.70% (30 अप्रैल, 2022)
SBI Tech Opportunities Fund
5 साल में रिटर्न: 24.70% CAGR
5 साल में 1 लाख की वैल्यू: 3 लाख रुपये
5 साल में 10 हजार मंथली SIP की वैल्यू: 11 लाख रुपये
कम से कम एकमुश्त निवेश: 1000 रुपये
कम से कम SIP: 500 रुपये
कुल एसेट्स: 2416 करोड़ (31 मई, 2022)
एक्सपेंस रेश्यो: 0.90% (30 अप्रैल, 2022)
Quant Infrastructure Fund
5 साल में रिटर्न: 21.30% CAGR
5 साल में 1 लाख की वैल्यू: 2.65 लाख रुपये
5 साल में 10 हजार मंथली SIP की वैल्यू: 12.15 लाख रुपये
कम से कम एकमुश्त निवेश: 5000 रुपये
कम से कम SIP: 1000 रुपये
कुल एसेट्स: 573 करोड़ (31 मई, 2022)
एक्सपेंस रेश्यो: 0.64% (31 मई, 2022)
ये हैं निवेश के लिए 10 सबसे अच्छे म्यूचुअल फंड
हमने पांच अलग-अलग कैटेगरी से दो स्कीमों को चुना. इन कैटेगरी में एग्रेसिव हाइब्रिड, लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप और मल्टीकैप शामिल हैं.
यह भी मुमकिन है कि जिन स्कीमों के नाम बताए जाएं, वे लक्ष्यों और जोखिम प्रोफाइल के अनुकूल न हों. यही देखते हुए हमने टॉप 10 म्यूचुअल फंड स्कीमों की एक लिस्ट बनाई है. इसमें पांच अलग-अलग कैटेगरी से दो स्कीमों को चुना गया है. इन कैटेगरी में एग्रेसिव हाइब्रिड, लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप और मल्टीकैप शामिल हैं. हमारा मानना है कि नियमित म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए ये पर्याप्त होनी चाहिए.
टॉप 10 स्कीमों की लिस्ट
1. एक्सिस ब्लूचिप फंड
2. मिराए एसेट लार्जकैप फंड
3. पराग पारेख लॉन्ग टर्म इक्विटी फंड
4. कोटक स्टैंडर्ड मल्टीकैप फंड
5. एक्सिस मिडकैप फंड
6. डीएसपी मिडकैप फंड
7. एक्सिस स्मॉलकैप फंड
8. एसबीआई स्मॉलकैप फंड
9. एसबीआई इक्विटी हाइब्रिड फंड
10. मिराए एसेट हाइब्रिड इक्विटी फंड
हालांकि, इन स्कीमों में निवेश करने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. पहली बात यह कि हर एक कैटेगरी के बारे में जानें और पता करें कि क्या वह आपके निवेश के लक्ष्य और जोखिम प्रोफाइल से मेल खाती है.
एग्रेसिव हाइब्रिड स्कीमों के लिए अपनी कुल रकम का 65-80 फीसदी इक्विटी में निवेश करना जरूरी है. बाकी का 20-35 फीसदी उन्हें डेट में निवेश करना होता है. ये पूर्व की बैलेंस्ड या इक्विटी हाइब्रिड स्कीमों की तरह निवेश करती हैं. इक्विटी में कम से कम 65 फीसदी निवेश की सीमा के चलते इन पर इक्विटी स्कीमों की तरह टैक्स लगता है.
इसमें 'एग्रेसिव' शब्द से आपको भ्रमित नहीं होना चाहिए. कई म्यूचुअल फंड एडवाइजर नए निवेशकों को एग्रेसिव हाइब्रिड स्कीमों में पैसा लगाने की सलाह देते हैं. उनकी दलील होती है कि इक्विटी और डेट का मिलाजुला पोर्टफोलियो उथल-पुथल के दौरान इन्हें स्थिरता देता है.
वहीं, लार्जकैप म्यूचुअल फंड स्कीमें बेहद बड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश करती हैं. सेबी के वर्गीकरण नियमों के अनुसार, लार्जकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों के लिए निवेशकों से जुटाई गई रकम का कम से कम 80 फीसदी शीर्ष 100 कंपनियों में निवेश करना जरूरी है. चूंकि ये स्कीमें अपेक्षाकृत कम अस्थिर होती हैं. इसलिए इनमें रिटर्न भी सामान्य होता है. ऐसे में लार्जकैप स्कीमों में निवेश करते हुए रिटर्न की अपेक्षाओं को वास्तविक रखने की जरूरत है.
मिडकैप म्यूचुअल फंड स्कीमें मध्यम आकार की कंपनियों में निवेश करती हैं. इनमें बड़े आकार की कंपनी बनने का दमखम होता है. बेशक इनके सबसे अच्छा शॉर्ट टर्म फंड कौन सा है साथ जोखिम और अस्थिरता ज्यादा होती है. लेकन, इनसे अधिक रिटर्न की भी अपेक्षा की जा सकती है. एडवाइजर नए निवेशकों को मिडकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों की सलाह नहीं देते हैं. न ही उन्हें इन स्कीमों में पैसा लगाने को कहा जाता है जो अपने निवेश के साथ ज्यादा जोखिम नहीं ले सकते हैं.
स्मॉलकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों के लिए अपनी कुल रकम का 80 फीसदी छोटी कंपनियों में निवेश करना जरूरी है. शेयर बाजार में 250वें पायदान के नीचे आने वाली सभी कंपनियां इस श्रेणी में आती हैं. इनमें हमेशा सात से 10 साल की लंबी अवधि को ध्यान में रखकर ही निवेश करना चाहिए. छोटी अवधि में केवल ज्यादा रिटर्न के लिए इनमें निवेश करने पर आप नुकसान उठा सकते हैं. इनके साथ बहुत ज्यादा जोखिम होता है. नए निवेशकों को इन स्कीमों में पैसा लगाने की सलाह नहीं दी जाती है.
मल्टीकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों का सुझाव अक्सर उन निवेशकों को दिया जाता रहा है जो निवेश के साथ थोड़ा जोखिम ले सकते हैं. सेबी के नए नियमों के अनुसार, मल्टीकैप स्कीम को अपने कुल एसेट का कम से कम 75 फीसदी इक्विटी या इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट में निवेश करना होगा. उनके लिए लार्ज, मिड और स्मॉलकैप शेयरों में न्यूनतम 25-25 फीसदी निवेश करना अनिवार्य किया गया है.
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काम की बात: बहुत फायदे का सौदा है Mutual Fund, लेकिन इसमें निवेश से पहले ये सावधानियां बरतना बहुत जरूरी
ज्यादातर विशेषज्ञ Mutual Fund को निवेश के लिए सबसे अच्छा विकल्प मान रहे हैं. लेकिन इसमें कुछ जोखिम भी होते हैं, इसलिए म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले आपको जरूर जान लेनी चाहिए ये 4 बातें.
आज के समय में हर कोई निवेश के वो विकल्प ढूंढता है, जिसमें उसे कम समय में बेहतर रिटर्न मिल सके. ऐसे में म्यूचुअल फंड तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. बीते कुछ समय में लोगों को इससे काफी अच्छा रिटर्न मिला है, यही वजह है किआज ज्यादातर विशेषज्ञ Mutual Fund को निवेश के लिए सबसे अच्छा विकल्प मान रहे हैं. आप SIP (Systematic Investment Plan) के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करके लम्बे समय में काफी अच्छा रिटर्न पा सकते हैं. अच्छी बात ये है कि म्यूचुअल फंड को आप 500 से 1000 रुपए से भी शुरू कर सकते हैं. अगर आप भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने का मन बना चुके हैं तो इसमें इनवेस्ट करने से पहले कुछ बातों को जरूर जान लें, ताकि बाद में किसी तरह का पछतावा न हो.
जोखिमभरा है म्यूचुअल फंड
इस मामले में फाइनेंशियल एक्सपर्ट शिखा चतुर्वेदी कहती हैं कि Mutual Funds को जोखिमभरा माना जाता है क्योंकि इसका रिटर्न शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होता है. हालांकि रिटर्न का जोखिम इस पर निर्भर करता है कि आपने किस तरह के शेयरों का चुनाव किया है. अगर आप लार्जकैप या ब्लूचिप फंड्स में पैसा लगा रहें हैं तो आपके लिए जोखिम कम होगा. वहीं स्मॉलकैप फंड्स में पैसा लगाने पर बढ़त में रिटर्न ज्यादा मिलेगा, लेकिन गिरावट में नुकसान की आशंका भी ज्यादा होगी. इस मामले में Fund Manager के अनुभव मददगार साबित होते हैं. वे इसके जोखिम को कम करने और निवेशकों को बेहतर रिटर्न के मौके बनाते हैं.
सही म्यूचुअल फंड का करें चुनाव
निवेश के लिए सही म्यूचुअल फंड का चुनाव बहुत जरूरी है. सही यानी वो म्यूचुअल फंड जो आपकी जरूरतों को पूरा कर सके. हर व्यक्ति को निवेश करने से पहले अपना आर्थिक लक्ष्य तय कर लेना चाहिए और इसके बाद ये तय करना चाहिए कि कौन सा म्यूचुअल फंड उपर्युक्त साबित होगा. उपर्युक्त म्यूचुअल फंड चुनने के लिए सबसे पहले बेस्ट म्यूचुअल फंड की दावेदारी करने वाले शीर्ष दावेदारों की लिस्ट बनाएं. उनकी तुलना करें और देखें कि आपकी जरूरतों को काैन पूरा कर रहा है. आप चाहें तो आर्थिक सलाहकार की भी मदद ले सकते हैं.
एक्सपेंस रेश्यो जरूर देखें
म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले एक्सपेंस रेश्यो जरूर देख लें. आमतौर पर आपको लगता होगा कि अगर किसी फंड का रिटर्न 15 फीसदी या 18 फीसदी है तो आपको भी निवेश करने पर उतना ही फायदा होगा. लेकिन ऐसा नहीं होता क्योंकि इसके बीच एक्सपेंस रेश्यो आ जाता है. आपके म्यूचुअल फंड को मैनेजमेंट का जो भी खर्च आता है उसे एक्सपेंस रेश्यो कहा जाता है. किसी भी फंड का एक्सपेंस रेश्यो ही ये तय करता है कि आपको कोई फंड कितना सस्ता मिलेगा. एक्सपेंस रेश्यो कम या ज्यादा होने का असर आपके रिटर्न पर भी पड़ता है.
महंगाई का जोखिम
म्यूचुअल फंड पर महंगाई का जोखिम भी होता है क्योंकि इसमें लंबे समय के लिए निवेश किया जाता है. हालांकि आपको इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि यहीं पर आपके फंड मैनेजर का अनुभव भी काम करता है. फंड मैनेजर फंड्स के रिटर्न को ऐसे स्तर तक बनाए रखने की कोशिश करते हैं जिससे महंगाई के असर के बाद भी मुनाफा बेहतर हो.
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