किस तरह से स्टार्टअप उठाते हैं निवेशकों से पैसा, समझिये फंडिंग की पूरी ABCD
सीड कैपिटल के जरिये आइडिये में निवेश से लेकर आईपीओ के जरिये किसी स्थापित हो चुके आइडिये से बाहर निकलने तक स्टार्टअप की फंडिंग के कई चरण होते हैं
आज के समय में हर युवा का सपना अपना स्टार्टअप में निवेश कैसे करें खुद का स्टार्टअप (Startup) शुरू करने का है. और अब ज्यादा से ज्यादा स्टार्टअप भी सामने आ रहे हैं. दरअसल आइडिये की शुरुआत से लेकर उसको बढ़ाने तक हर स्तर पर पैसा पाना पहले से आसान हो गया है. जिसका फायदा इनोवेटर्स उठा रहे हैं आपने भी अक्सर फंडिंग के अलग राउंड, सीड फंडिंग जैसे कई शब्द पढ़े होंगे. और आपके मन में भी सवाल उठता है कि आखिर निवेशक (Investor) किस तरह किसी आइडिये में पैसा लगाते हैं और उन्हे आखिर अपना पैसा वापस कैसे मिलता है. आज हम आपको बताते हैं स्टार्टअप की फंडिंग (funding) के 5 अलग चरणों के बारे में. आप भी स्टार्टअप को विकसित करने की इस अहम प्रक्रिया को समझ कर अपने आइडिये पर काम कर सकते हैं. ये जानकारी स्टार्टअपइंडिया के लेख के आधार पर है.
प्री सीड स्टेज
ये वो स्तर होता है जहां कोई शख्स अपने विचार को आकार देता है, या एक प्रोटोटाइप तैयार करता है स्टार्टअप में निवेश कैसे करें ये सबसे शुरुआती दौर होता है इसलिए इसमे निवेश भी काफी कम होता है. आमतौर पर इस कम रकम पर किसी अन्य के साथ भागीदारी से बचने के लिये इनोवेटर्स अपना पैसा लगाना ही पसंद करते हैं. प्री सीड स्टेज पर यानि जब विचार आकार ले रहा हो तो इनोवेटर या तो कोई निवेश ही नहीं करते या फिर अपना पैसा, अपने परिवार से जुटाई रकम या फिर किसी कंपटीशन या इवेंट जहां ऐसे विचार को पनपने के लिये मदद के रूप में पैसा मिलता है, में शामिल हो कर रकम जुटाते हैं.
सीड स्टेज
इस स्टेज में आपका प्रोडक्ट या आइडिये का प्रोटोटाइप तैयार हो चुका होता है और बाजार में इसकी मांग परखने का समय आता है. जिससे जरूरत हो तो सुधार किये जा सकें. फिर इसके साथ ही इसका लॉन्च भी इसमें शामिल होता है. इस स्तर पर इनक्यूबेटर, एंजेल इनवेस्टर, सरकारी स्कीम से लोन या फिर क्राउडफंडिंग का फायदा उठाने की कोशिश की जाती है. इनक्यूबेटर आइडिये का निर्माण और उसके लॉन्च में मदद करने के लिये स्थापित की गई सुविधाएं होती हैं जो इनोवेटर की पहुंच अनुदान, कर्ज या निवेश के अन्य विकल्पों तक सुलभ कराती हैं. अगर आइडिया बड़ा है और उसमें आगे बढ़ने के मौके हैं तो एंजेल इनवेस्टर से स्टार्टअप में निवेश कैसे करें रकम उठाई जा सकती है. ये ऐसे कारोबारी होते हैं जो आइडिये की संभावनाओं के आधार पर उसे बढाने के लिये जरूरी रकम मुहैया कराते हैं.
सीरीज ए स्टेज
आइडिये में संभावनाओं के साथ लॉन्च के बाद बढ़ती मांग पूरा करने या किसी सुधार के लिये रकम की जरूरत होती है जो पिछले स्तरों से बड़ी होती है. इस स्तर पर आइडिये को सीरीज ए फंडिंग की जरूरत होती है. इस स्तर की फंडिंग के लिये सिर्फ आइडिया ही नहीं एक अवधि के दौरान उस आइडिये का प्रदर्शन भी देखा जाता है जैसे कस्टमर बेस, आय , मार्जिन. डिमांड आदि. इस स्तर पर कारोबारी वेंचर कैपिटल फंड्स जो हिस्सेदारी के आधार पर रकम देते हैं. वेंचर डेट फंड जो कर्ज के रूप में रकम देते हैं या फिर बैंकों से कर्ज के जरिये रकम उठाते हैं.
स्केलिंग
स्केलिंग का मतलब होता है बिजनेस का विस्तार. ऐसी स्थिति में जब आइडिया सफल हो जाता है तो बाजार की हिस्सेदारी बढ़ाने पर फोकस किया जाता है. इसमें पिछले कई राउंड से ज्यादा रकम चाहिए होती है इसलिये स्केलिंग में सीरीज बी सी डी और ई शामिल होती है. रकम की जरूरत के आधार पर राउंड बढ़ते जाते हैं. क्योंकि इस स्तर पर फंडिंग संभावनाओं पर आधारित होती है और संभव है कि कंपनी की मौजूदा कमाई के आधार पर आपके बड़े लोन न मिलें तो इनोवेटर्स वेंचर कैपिटल फंड्स और प्राइवेट इक्विटी फर्म को हिस्सेदारी ऑफर कर फंड्स जुटाते हैं
Startups में Invest करने की सोच रहे, तो एक्सपर्ट की इस सलाह पर जरूर करें गौर
Startups के IPO शेयर बाजार में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। निवेशकों में उनके प्रति अच्छा उत्साह भी देखा गया है। निवेश में स्थापित सत्य है कि जो कंपनी खुद लगातार लाभ कमाने में सक्षम नहीं हो वह निवेशकों को लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न नहीं दे सकती है।
नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। Startups के IPO शेयर बाजार में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। निवेशकों में उनके प्रति अच्छा उत्साह भी देखा गया है। लेकिन निवेश में एक स्थापित सत्य यह है कि जो कंपनी खुद लगातार लाभ स्टार्टअप में निवेश कैसे करें कमाने में सक्षम नहीं हो, वह निवेशकों को लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न नहीं दे सकती है। देश के Startups की यह क्षमता अभी निखरकर सामने नहीं आ सकी है। हाल के कुछ सप्ताह में निवेशकों और निवेश विशेषज्ञों के एक वर्ग ने घाटे में चल रहे हाई प्रोफाइल Startups में निवेश का सख्ती से विरोध किया है। यह जोमैटो के बारे में नहीं है, क्योंकि अभी ऐसे कई मामले आएंगे। व्यक्तिगत तौर पर मैं भी इसी समूह के साथ हूं। मेरा मानना है कि ज्यादा से ज्यादा व्यक्तिगत निवेशकों को यही नजरिया अपनाना चाहिए।
हालांकि, इससे अलग और उलट राय रखने वालों का मानना है कि जोमैटो IPO आने के बाद सात-आठ सप्ताह की लंबी अवधि बीत चुकी है और निवेशकों व कंपनी का नजरिया सामने आ चुका है। ऐसे में इसी तरह के दूसरे IPO की ओर जाना भी फायदे का सौदा हो सकता है।
इसे समझने के लिए बुनियादी बातों पर गौर करते हैं और खुद से पूछते हैं कि कंपनी का लक्ष्य क्या है? कंपनी का लक्ष्य है - रकम बनाना। शेयरधारकों का भी आखिरी लक्ष्य यही है - रकम बनाना। जब तक पहला कदम काम नहीं करता है तब तक उसके बाद उठाए जाने वाला कदम काम नहीं करेगा। शेयरधारकों के पास लगातार वैध तरीके से कमाई करने का एकमात्र तरीका यह है कि कंपनी लगातार मुनाफा कमा रही हो। इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है। एक बार निवेशक जब इस सच्चाई को समझ जाता है तो उसका निवेश के प्रति पूरा नजरिया बदल जाता है।
निवेशकों को यह भी समझना होगा कि एक समय के बाद वे कंपनी के कारोबार के हिसाब से ही कमाई कर सकेंगे। यह रकम कभी ज्यादा तो कभी कम जरूर हो सकती है। लेकिन यह तो कतई नहीं हो सकता कि कंपनी घाटे में चल रही हो और निवेशक कमाई कर रहा हो। यह निवेश की बुनियादी बात है। और स्टार्टअप में निवेश कैसे करें जब मैं यह लिख रहा हूं तो मुझे यह सरल और स्वाभाविक चीज लिखने में थोड़ा संकोच हो रहा है। हालांकि, प्रचार आधारित वर्तमान निवेश माहौल में कई निवेशक इस बात से ज्यादा इत्तेफाक नहीं रखते।
पारंपरिक तौर पर यह बात स्वत: सिद्ध थी कि मैनेजमेंट की गुणवत्ता का मतलब मुनाफे वाला बिजनेस स्टार्टअप में निवेश कैसे करें चलाने की क्षमता है। आप देख सकते हें कैसे यह बदल गया है। आज हमारे पास बहुत से ऐसे लोग हैं जो उद्यमियों और बिजनेस लीडर्स के तौर पर रोल माडल तो बन गए, लेकिन वे लगातार कमाऊ कारोबार खड़ा नहीं कर सके हैं। हालांकि इस प्रक्रिया में बहुत से रोल माडल बड़े पैमाने पर रकम बनाने में सफल रहे हैं। लेकिन निवेश की संभावना तलाश रहे इक्विटी निवेशक के लिए वैसी कंपनियां चाहिए जो लगातार मुनाफा देने में सक्षम हों।
रोल मॉडल बन चुके उद्यमियों द्वारा निवेशकों के लिए मुनाफा कमाने वाला बिजनेस खड़ा करने के मामले में ट्रैक रिकार्ड लगभग शून्य है। ऐसे में एक व्यावहारिक निवेशक को सोचना चाहिए कि उसे इन कंपनियों में कितने निवेश का जोखिम लेना चाहिए। हालांकि उद्यमियों और वेंचर कैपिटल फंड्स को ऐसे जोखिम जरूर लेने चाहिए और वे ले भी रहे हैं, कमाई भी कर रहे हैं। लेकिन क्या इक्विटी निवेशक को ऐसा करना चाहिए, फिलहाल मैं सहमत नहीं हूं।
(लेखक वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन डॉट कॉम के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं।)
आप भी बन सकते हैं स्टार्टअप की ग्रोथ स्टोरी का हिस्सा, जानें कैसे करें निवेश
How to invest in Startups: कई प्लेटफॉर्म हैं जो स्टार्टअप्स में निवेश करने की सुविधा देते हैं. हालांकि, इनमें सामान्य से ज्यादा निवेश करना पड़ेगा
- Khushboo Tiwari
- Updated On - June 15, 2021 / 04:30 PM IST
Successful Startups: पेटीएम (Paytm), फ्लिपकार्ट (Flipkart) से लेकर जोमैटो (Zomato) अब शेयर बाजार पर लिस्टिंग की तैयारी कर रहे हैं. इनके IPO को बंपर रेस्पॉन्स की उम्मीदें अभी से हैं. स्टार्टअप्स के तौर पर शुरू हुए इन कारोबार ने बुलिंदियां हासिल कीं और अब भारत हर महीने नए युनिकॉर्न बन रहे हैं.
युनिकॉर्न ऐसे स्टार्टअप्स होते हैं जिनकी वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर को पार कर चुकी है. अब जब ये सफल हो चुकी हैं तो इनकी लिस्टिंग के बाद रिटेल निवेशक इनमें खरीदारी कर सकते हैं. लेकिन, अगर वाकई स्टार्टअप्स की ग्रोथ स्टोरी पर आपको भरोसा है तो आप शुरुआती स्टेज में भी निवेश कर सकते हैं.
ऐसे कई प्लेटफॉर्म हैं जो स्टार्टअप्स में निवेश करने की सुविधा देते हैं. हालांकि, इनमें निवेश के लिए आपको सामान्य तौर से ज्यादा निवेश करना पड़ेगा और रिस्क भी ज्यादा रहेगा. कई सफल स्टार्टअप्स ने अपनी शुरुआत क्राउडफंडिंग से ही की है.
भारत में ही देखें तो DPIIT के तहत 50,000 से ज्यादा स्टार्टअप्स रजिस्टर हो चुके हैं और इन स्टार्टअप्स ने लाखों को रोजगार दिया है. इन स्टार्टअप्स को आगे बढ़ने के लिए चाहिए फंडिंग जो कई वेंचर कैपिटल्स के जरिए जुटाई जाती है.
आम निवेशक भी अलग-अलग प्लेटफॉर्म के जरिए निवेश कर सकते हैं. ध्यान रहे, ये निवेश भी SEBI और रेगुलेटरी के अंतरगत आते हैं.
Startup Investments: ये प्लेटफॉर्म आएंगे काम
लेट्स वेंचर (Let’s Venture)
इस प्लेटफॉर्म पर आप पेपरवर्क आसानी से कर सकते हैं और साथ ही कंपनी के हर तिमाही के नतीजे – मुनाफे और आय की जानकारी, युनिट्स का प्रदर्शन जैसी जानकारी पा सकते हैं. आपके निवेश की वैल्यूएशन की सालाना रिपोर्ट भी पा सकते हैं. साइन-अप करने के बाद आप अपने पसंद के स्टार्टअप चुन सकते हैं, और फाउंडर्स के साथ सवाल जवाब भी कर सकते हैं. हालांकि, इस प्लेटफॉर्म पर निवेश के लिए कम से कम 5 लाख रुपये से शुरू करना होगा. जब राउंड में जुटाई जा रही पूरी रकम इकट्ठा हो जाएगी तब आपका निवेश सफल होगा. पूरी कानूनी प्रक्रिया प्लेटफॉर्म की ओर से की जाती है और उसके बाद ही फंड ट्रांसफर करना होता है.
रिपब्लिक (Republic)
ये प्लेटफॉर्म वीडियो गेम्स, क्रिप्टोकरेंसी, रियल एस्टेट और अन्य स्टार्टअप्स (startups) में निवेश का मौका देता है. कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक इस प्लेटफॉर्म के जरिए 10 डॉलर जैसी छोटी रकम से भी निवेश शुरू किया जा सकता है. हालांकि, ज्यादातर कंपनियां 50 डॉलर से 250 डॉलर तक का स्टार्टअप में निवेश कैसे करें कम से कम निवेश एक्सेप्ट करती हैं. प्लेटफॉर्म पर आप स्टार्टअप का प्रोफाइल, उनके पिच देख सकते हैं. छोटा निवेश होने से आप ज्यादा स्टार्टअप्स में डायवर्सिफाई कर सकते हैं. प्लेटफॉर्म का कहना है कि यहां लिस्टेड हर स्टार्टअप में वे खुद भी निवेश करते हैं.
एंजल लिस्ट इंडिया और एंजल लिस्ट अमेरिका (AngelList)
एंजल लिस्ट इंडिया के जरिए भी आप प्री-आईपीओ कंपनियों और स्टार्टअप्स में निवेश कर सकते हैं. ये सिंडिकेट्स और एंजल फंड्स के जरिए निवेश का मौका देते हैं, लेकिन, इसमें निवेश के लिए आपकी एलिजिबिलिटी होनी चाहिए. इंडिवुजुअल निवेशक का नेट टैंजिबल एसेट कम से कम 2 करोड़ रुपये होना चाहिए और अगर वे किसी सीनियर मैनजेमेंट पोजिशन में है या उन्हें बिजनेस का अनुभव है. या फिर, उनके पास अर्ली स्टेज स्टार्टअप्स में निवेश का कुछ अनुभव है.
बतौर एक कॉरपोरेट बॉडी भी इसमें निवेश किया जा सकता है जिसका नेट वर्थ 10 करोड़ रुपये हो. वहीं, अगर आप अमेरिकी कंपनियों में पैसा लगाने चाहते हैं तो उसके लिए एलिजिबिलिटी अलग है. इसके लिए इंडिविजुअल की नेट वर्थ 10 लाख डॉलर (1 मिलियन डॉलर) होनी चाहिए.
निवेश से पहले दें ध्यान
एंजल इन्वेस्टर और मेंटर अजीत खुराना कहते हैं कि बेस्ट मैनेजमेंट और ग्रोथ और मुनाफे की सबसे बेहतरीन स्टार्टअप्स जरूरी नहीं कि स्टार्टअप में निवेश कैसे करें स्टार्टअप में निवेश कैसे करें आपको इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म पर मिलें. ये अधिकतर आपसी पहचान के बीच ही पैसे जुटाती हैं. इसके लिए नेटवर्किंग जरूरी है ताकि आप खुद पहचान सकें कि कौन सी कंपनियां फंड जुटाने पर काम कर रही हैं और उनमें कैसे निवेश हो रहा है. वे कहते हैं कि अगर आप प्लेटफॉर्म और एंजल प्लेटफॉर्म के जरिए निवेश कर रहे हैं तो जान लें कि ये एक पूल ऑफ फंड की तरह काम करेगा. आप भले 1 लाख रुपये के निवेश से शुरू कर रहे हों, लेकिन आगे और निवेश करने के लिए तैयार रहें. ये रेगुलेटरी जरूरत है.
कितना समय इंतजार करना होगा?
दो तरह से आप स्टार्टअप में निवेश कर सकते हैं – एक तो जैसे आप लिस्टेड कंपनियों में निवेश करते हैं – आपने निवेश किया और छोड़ दिया. वहीं, दूसरी ओर आप उन कंपनियों की ग्रोथ का हिस्सा भी बन सकते हैं जैसे उनका नेटवर्क बड़ा करने में मदद करें, उन्हें क्लाइंट्स, स्टार्टअप में निवेश कैसे करें पार्टनरशिप और कर्मचारियों से संपर्क में ला सकते हैं.
खुराना कहते हैं कि स्टार्टअप्स (startups) में किए अपने निवेश पर कुछ रिटर्न पाने के लिए आपको कम से कम 3 से 5 साल तक का समय लग सकता है. वे मानते हैं कि भारत में स्टार्टअप्स को लेकर फॉर्मल डेटा की कमी है, लेकिन अगर अमेरिकी बाजार को देखें तो स्टार्टअप एक ऐसा सेक्टर हैं जहां रिटर्न इंडेक्स निगेटिव है – यानी कई लोगों के पैसे का घाटा भी हो रहा है. यही हाल भारत में भी है.
स्टार्टअप निवेश में जोखिम जरूर है. लेकिन, आप अगर उनके इस सफर में ग्रोथ की तरफ स्टार्टअप में निवेश कैसे करें साथ देना चाहते हैं तो आप उनके बिजनेस की मदद कर सकते हैं. जो लोग स्टार्टअप में बतौर ऐसेट क्लास निवेश करना चाहते हैं उन्हें स्टार्टअप में निवेश कैसे करें रिटर्न के लिए बड़ा इंतजार करना पड़ सकता है. लेकिन, जो लोग इसे बतौर प्रोफेशन चुनकर इन स्टार्टअप्स की ग्रोथ का हिस्सा बनना चाहते हैं उनके लिए बड़ी कमाई का मौका है.
स्टार्टअप निवेश, कितना जोखिम?
अजीत खुराना के मुताबिक आप जितनी जल्दी किसी स्टार्टअप (startups) में निवेश कर रहे हैं जोखिम उतना ही बड़ा है. अगर आप आइडिया स्टेज पर ही स्टार्टअप में निवेश करते हैं तो बेहद कम रकम में लगा पाएंगे लेकिन रिस्क भी उतना ही होगा. वहीं, अगर ये स्टार्टअप सफल हो जाता है तो कमाई भी उतनी ही बड़ी होगी. स्टार्टअप के शुरू होने के बाद उसमें निवेश करेंगे तो रिस्क कम रहेगा, सफलता की गुंजाइश भी होगी लेकिन थोड़ा ज्यादा पैसा लगाना पड़ सकता है और रिटर्न भी कम रहेगा.
सफल होने वाले स्टार्टअप की पहचान कैसे हो?
आज के दौर में सबसे ज्यादा सफल स्टार्टअप बिजनेस को देखें तो पाएंगे कि उन्होंने पहले से ही मौजूद बिजनेस को और आसान बनाया और इसी में इन्हें ग्रोथ मिली. खुराना उदारहण के तौर पर बताते हैं कि फ्लिपकार्ट ने पहले से मौजूद रिटेल बिजनेस को बस ऑनलाइन लाने का काम किया, ठीक ऐसे ही ओला ने पहले से मौजूद कैब सर्विस का फायदा उठाना आसान बनाया. सफल होने का मंत्र है कि टेक्नोलॉजी के जरिए पहले से मौजूद जरूरतों और दिक्कतों का हल निकाला जाए, उन्हें आसान बनाकर उनमें बिजनेस का मौका खोला जाए.
स्टार्टअप इंडिया - एक स्टार्टअप क्रांति की शुरुआत
स्टार्टअप इंडिया भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य देश में स्टार्टअप्स और नये विचारों के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है जिससे देश का आर्थिक विकास हो एवं बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न हों।
स्टार्टअप एक इकाई है, जो भारत में पांच साल से अधिक से पंजीकृत नहीं है और जिसका सालाना कारोबार किसी भी वित्तीय वर्ष में 25 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है। यह एक इकाई है जो प्रौद्योगिकी या बौद्धिक सम्पदा से प्रेरित नये उत्पादों या सेवाओं के नवाचार, विकास, प्रविस्तारण या व्यवसायीकरण की दिशा में काम करती है।
सरकार द्वारा इस संबंध में घोषित कार्य योजना स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के सभी पहलुओं को संबोधित करने और इस आंदोलन के प्रसार में तेजी लाने की उम्मीद करती है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 310