केंद्रीय बैंकों को विश्वास है कि सीबीडीसी क्रिप्टो को खत्म कर देगा. वास्तव में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी. रबी शंकर ने इस साल जून में एक आईएमएफ वेबिनार में रिकॉर्ड के रूप में इस पर काफी कुछ बताया. उन्होंने कहा कि अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी का मूल्य बिलकुल शून्य होता है, उनकी कीमत काल्पनिक स्तरों पर होती है. बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) के अधिकारियों ने भी यह कहा है कि सीबीडीसी के आने के बाद क्रिप्टो का कोई भविष्य नहीं होगा.

Digital Rupee: क्या है डिजिटल रुपया, डिजिटल करेंसी से कैसे है अलग, जानें पूरी डिटेल

Digital vs Cryptocurrency: वित्त मंत्री ने बताया डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो में फर्क, डिजिटल मुद्रा बनाम क्रिप्टोकरेंसी वर्चुअल असेट पर टैक्स को लेकर दिया दो टूक जवाब

वित्त मंत्री के मुताबिक, आरबीआई के डिजिटल रुपये के अलावा क्रिप्टो वर्ल्ड में मौजूद सभी क्वाइन वर्चुअल असेट्स में गिने जाएंगे। इनके लेन-देन डिजिटल मुद्रा बनाम क्रिप्टोकरेंसी में अगर किसी को मुनाफा होता है तो हम उस पर 30 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

बजट 2022 में वर्चुअल डिजिटल असेट पर 30 फीसदी टैक्स लगाने का एलान किया गया। इसके बाद क्रिप्टोकरेंसी को लेकर तमाम अटकलें लगने लगीं। कई विशेषज्ञों ने इसे क्रिप्टोकरेंसी की तरफ भारत के बढ़ते कदम की तरह बताया। बजट के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो में फर्क बताया। साथ ही, वर्चुअल असेट पर लगने वाले 30 फीसदी टैक्स को लेकर भी साफ-साफ जानकारी दी।

वित्त मंत्री ने कही यह बात

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि रिजर्व बैंक डिजिटल करेंसी जारी करेगा। कोई भी मुद्रा 'करेंसी' तभी कहलाती है, जब केंद्रीय बैंक उसे जारी करता है। जो भी केंद्रीय बैंक के दायरे से बाहर है, उसे हम करेंसी नहीं कहेंगे। हम ऐसी 'डिजिटल मुद्रा बनाम क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल मुद्रा बनाम क्रिप्टोकरेंसी करेंसी' पर टैक्स नहीं लगा रहे हैं, जिसे अभी जारी होना बाकी है। डिजिटल रुपये को RBI जारी करेगा, यही डिजिटल करेंसी कहलाएगी। इसके अलावा वर्चुअल डिजिटल दुनिया में जो कुछ है, वो असेट्स हैं।

वित्त मंत्री के मुताबिक, आरबीआई के डिजिटल रुपये के अलावा क्रिप्टो वर्ल्ड में मौजूद डिजिटल मुद्रा बनाम क्रिप्टोकरेंसी सभी क्वाइन वर्चुअल असेट्स में गिने जाएंगे। इनके लेन-देन में अगर किसी को मुनाफा होता है डिजिटल मुद्रा बनाम क्रिप्टोकरेंसी तो हम उस पर 30 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा। इस तरह के हर लेन-देन पर सरकार नजर रखेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि क्रिप्टो की दुनिया में होने वाले हर लेन-देन पर एक फीसदी TDS लगाएंगे। इस तरह फर्क साफ है कि डिजिटल करेंसी वही होगी, जिसे इस साल RBI जारी करेगा। वहीं, क्रिप्टो की दुनिया में मौजूद अलग-अलग तरह की संपत्तियों के हर लेन-देन पर टैक्स लगेगा।

क्रिप्टोकरेंसी पर इस वजह से लगा टैक्स

इस मामले में नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि हम जिन्न को फिर से बोतल में बंद नहीं कर सकते। इस वजह से इस क्रिप्टोकरेंसी नाम के जिन्न पर टैक्स लगा दिया। इस तरीके से हम इस नए असेट क्लास को और उसके अस्तित्व को स्वीकार करते हैं।

इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि हम यही दोहराना चाहेंगे कि हमने टैक्स नहीं बढ़ाया है। हमने दो साल से एक भी टैक्स नहीं लगाया है। पिछली बार पीएम मोदी का आदेश था कि घाटा कितना भी क्यों न हो, महामारी के दौर में जनता पर टैक्स का बोझ नहीं डालना है। पीएम मोदी ने इस बार भी यही आदेश दिया, जिसका ध्यान बजट में रखा गया। हमने महामारी की वजह से सरकार के सामने मौजूद चुनौतियों का टैक्स के जरिए राहत ढूंढने की कोशिश नहीं की है।

विस्तार

बजट 2022 में वर्चुअल डिजिटल असेट पर 30 फीसदी टैक्स लगाने का एलान किया गया। इसके बाद क्रिप्टोकरेंसी को लेकर तमाम अटकलें लगने लगीं। कई विशेषज्ञों ने इसे क्रिप्टोकरेंसी की तरफ भारत के बढ़ते कदम की तरह बताया। बजट के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो में फर्क बताया। साथ ही, वर्चुअल असेट पर लगने वाले 30 फीसदी टैक्स को लेकर भी साफ-साफ जानकारी दी।

क्या क्रिप्टोकरेंसी को खत्म कर देगा RBI का ई-रुपी, समझिए पूरा मामला

क्या क्रिप्टोकरेंसी को खत्म कर देगा RBI का ई-रुपी, समझिए पूरा मामला

(आर श्रीधरण) भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने पिछले महीने अपनी डिजिटल करेंसी पर एक कॉन्सेप्ट नोट प्रकाशित किया. यह आरबीआई को कई डिजिटल मुद्रा बनाम क्रिप्टोकरेंसी केंद्रीय बैंकों (अंतिम गणना में 60 से ज्यादा) में से एक बनाता है, जो अत्यधिक संदिग्ध और अस्थिर क्रिप्टोकरेंसी के जवाब में अपनी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) पर काम कर रहे हैं. केंद्रीय बैंक अपनी CBDC के बारे में क्या सोच रहे हैं. जवाब साफ है. क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता ने उन्हें चिंतित कर दिया है. करीब 900 बिलियन डॉलर की वैश्विक पूंजी के साथ आज 20,000 से अधिक क्रिप्टोकरेंसी चलन में हैं (उनके मूल्यों में भारी गिरावट के बावजूद – 9 नवंबर, 2021 को अकेले बिटकॉइन का मार्केट कैप 1.28 ट्रिलियन डॉलर था).

ई-रुपी बनाम क्रिप्टो

इससे पहले कि हम जानें की ई-रुपी क्या है और यह कैसे काम करेगा, आइए सबसे पहले सारांश में ई-रुपी और क्रिप्टोकरेंसी के बीच का अंतर जान लें:

• बिटकॉइन के विपरीत ई-रुपी एक फिएट मुद्रा होगी, जिसके पीछे एक जारी करने वाला प्राधिकरण (अथॉरिटी) होगा. जबकि बिटकॉइन के पीछे कोई जारी करने वाला प्राधिकरण नहीं होता है.

• ई-रुपी का मूल्य पारंपरिक रुपये के बराबर होगा और इसमें विनिमय करने की शक्ति होगी, इसलिए यह क्रिप्टो की तरह अस्थिर नहीं होगा.

• ई-रुपी को क्रिप्टो की तरह एक डिस्ट्रीब्यूटेड पब्लिक लेजर (Ledger) की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि रिकॉर्ड रखने का काम केंद्रीय बैंक करेगा. हालांकि, यह मध्यस्थ बैंकों को डिजिटल मुद्रा बनाम क्रिप्टोकरेंसी खत्म करने के लिए स्मार्ट टोकन जैसी ब्लॉकचेन तकनीक की कुछ विशेषताओं का इस्तेमाल कर सकता है.

• क्रिप्टो की तरह, ई-रुपी लेन-देन को रफ्तार देगा और लेन-देन की लागत को कम या खत्म कर देगा. क्रिप्टो की तरह, टोकन-आधारित ईरुपी के मामले में अकाउंट को रखने वाला डिजिटल मुद्रा बनाम क्रिप्टोकरेंसी इसका स्वामी होगा.

सीबीडीसी कैसे काम करेगी?

अब अगर आप सोच रहे हैं कि ई-रुपी और डिजिटल बैंकिंग में क्या अंतर है, तो इसका जवाब यह है कि ई-रुपी केंद्रीय बैंक (रिजर्व बैंक) की देनदारी होगी, जो इसकी बही-खातों में दिखाई गई होगी. इसके विपरीत आपके कमर्शियल बैंक खाते में मौजूद डिजिटल पैसा बैंक की देनदारी होती है और वह अकेले ही लेनदेन का डिजिटल मुद्रा बनाम क्रिप्टोकरेंसी रिकॉर्ड रखता है. इसके अलावा बैंक में जमा पैसा आपको ब्याज से आय देता है, लेकिन डिजिटल मुद्रा बनाम क्रिप्टोकरेंसी ई-रुपी के साथ होल्डिंग्स पर ब्याज के भुगतान के पक्ष और विपक्ष दोनों के अपने तर्क हैं. कारण: सीबीडीसी को बैंक में जमा धन के साथ प्रतिस्पर्धा करने से रोकना है. आरबीआई आखिर में, जो भी निर्णय ले मगर यह निश्चित है कि ई-रुपी पारंपरिक रुपये के साथ सह-अस्तित्व में होगा.

आरबीआई की नोट की तरह, सीबीडीसी के दो अलग-अलग यूजर्स होंगे: पहला, खुदरा (आप और मेरे जैसे लोग) और दूसरा थोक यानी बैंक. बैंक सीबीडीसी का इस्तेमाल दूसरे बैंकों से लेन-देन में करेंगे. जबकि आप और हम नियमित लेनदेन के लिए इसके टोकन-आधारिक वर्जन का इस्तेमाल करेंगे.

क्या सीबीडीसी क्रिप्टो को खत्म कर देगा?

क्रिप्टो जमा करने वाले सीबीडीसी पर पैनी नजर रखे हुए हैं. उन्हें केंद्रीय बैंकों के अपने क्षेत्र में दखल देने का विचार पसंद नहीं आ रहा है. आखिरकार, बिटकॉइन मौद्रिक रुपये को खत्म करने के उद्देश्य से सामने आया. यह डिजिटल मुद्रा बनाम क्रिप्टोकरेंसी किसी देश के मुद्रा पर कब्जे के खिलाफ एक विद्रोह जैसा था. बिटकॉइन के समर्थकों ने सवाल किया कि किसी मुद्रा को जारी करने, बढ़ाने या मूल्य कम करने की शक्ति केवल उसे जारी करने वाले देश के हाथ में ही क्यों हो? राष्ट्र के बजाय लोगों का एक समूह अपनी निजी मुद्रा क्यों नहीं चला सकता, जिसे राजनेताओं और नौकरशाहों की इच्छा के मुताबिक नहीं, बल्कि कंप्यूटर एल्गोरिथम के तर्क के अनुसार प्रबंधित किया जा सकता हो. विचार के रूप में तो यह बहुत ही अच्छा है मगर यह अनजाने खतरों से खाली नहीं है. क्रिप्टो बाजार में साल भर की उथल-पुथल ने यह साबित भी कर दिया है.

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डिजिटल करेंसी का उद्देश्य क्या और इससे क्या फायदे होंगे, कॉन्सेप्ट नोट में इस बात पर भी चर्चा हुई है कि इस करेंसी का बैंकिंग प्रणाली, मौद्रिक नीति और देश की वित्तीय स्थिरता पर कैसा प्रभाव होगा. रिजर्व बैंक ने इसे किसी प्राइवेट वर्चुअल करेंसी (बिटकॉइन) से अधिक सुरक्षित बताया है.

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1 नवंबर से डिजिटल रुपये की शुरुआत, जानिए क्या हैं अंतर और फायदे

आरबीआई डिजिटल करेंसी: आरबीआई की डिजिटल करेंसी को लेकर पिछले कई महीनों से चर्चा चल रही है। आखिरकार 1 नवंबर से भारतीय रिजर्व बैंक बड़ी डील में डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है। इसके लिए कुल 9 बैंकों का चयन किया गया है। डिजिटल मुद्रा का उपयोग सबसे पहले बड़े भुगतान और निपटान के लिए किया जाएगा। क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते प्रचलन और जोखिमों को देखते हुए सरकार ने बजट में डिजिटल करेंसी लाने की घोषणा की थी। उसके बाद आरबीआई ने डिजिटल रुपया लॉन्च करने का खाका तैयार किया। रिजर्व बैंक के मुताबिक सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद-बिक्री पर डिजिटल रुपये का इस्तेमाल सेटलमेंट राशि के तौर पर किया जाएगा। इसके बाद एक महीने के भीतर खुदरा लेनदेन के लिए एक डिजिटल रुपया पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया जाएगा।

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आरबीआई डिजिटल करेंसी: आरबीआई की डिजिटल करेंसी को लेकर पिछले कई महीनों से चर्चा चल रही है। आखिरकार 1 नवंबर से भारतीय रिजर्व बैंक बड़ी डील में डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है। इसके लिए कुल 9 बैंकों का चयन किया गया है। डिजिटल मुद्रा का उपयोग सबसे पहले बड़े भुगतान और निपटान के लिए किया जाएगा। क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते प्रचलन और जोखिमों को देखते हुए सरकार ने बजट में डिजिटल करेंसी लाने की घोषणा की थी। उसके बाद आरबीआई ने डिजिटल रुपया लॉन्च करने का खाका तैयार किया। रिजर्व बैंक के मुताबिक सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद-बिक्री पर डिजिटल रुपये का इस्तेमाल सेटलमेंट राशि के तौर पर किया जाएगा। इसके बाद एक महीने के भीतर खुदरा लेनदेन के लिए एक डिजिटल रुपया पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया जाएगा।

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