एक ड्राइवर के बेटे की सीएम बनने की असली कहानी
हिमाचल प्रदेश के होने वाले नए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के बारे में जानना दिलचस्प है। वो लगातार 4 बार विधायक बने। बुरे हालात में भी जीते लेकिन कभी उन्हें मंत्री या किसी बोर्ड का चेयरमैन नहीं बनाया गया। सशक्त राजपूत नेता होने के बावजूद कोई गुट नहीं बनाया और सिर्फ कांग्रेस और गांधी परिवार के निष्ठावान सिपाही बने रहे। अब जब उनको पार्टी आलाकमान ने सब्र का फल दिया है तो सीधे विधायक से सीएम की कुर्सी तक पहुंचा दिया। और जानिएः
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हिमाचल प्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का इस टॉप पद तक पहुंचना आसान नहीं था लेकिन कांग्रेस से उनकी अटूट निष्ठा हर चीज पर भारी पड़ी। हिमाचल के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह जो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं, उनको मनाना इतना आसान नहीं था। कांग्रेस को बैठक पर बैठक करनी पड़ी, तब जाकर प्रतिभा सिंह ने अपनी सहमति दी।
हालांकि हिमाचल में कांग्रेस की जीत और सुक्खू की नियुक्ति का श्रेय प्रियंका गांधी वाड्रा को दिया जा रहा है, लेकिन हकीकत यही है कि चार बार के विधायक सुक्खू पार्टी नेता राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं।
कांग्रेस आलाकमान की सूझबूझ भी इस चयन के पीछे नजर आई। उसने सुक्खू को सीएम और मुकेश अग्निहोत्री को डिप्टी सीएम का पद देकर क्षत्रिय यानी ठाकुर-ब्राह्मण का गजब का संतुलन साधा है। इस पहाड़ी राज्य में राजपूत सबसे प्रमुख जाति है। कोई राजनीतिक दल उसके रुतबे को नजरन्दाज नहीं कर सकता। हिमाचल के पिछले छह मुख्यमंत्रियों में से पांच राजपूत रहे - डॉ वाईएस परमार, राम लाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह, पीके धूमल और जय राम ठाकुर सभी राजपूत। सिर्फ शांता कुमार ऐसे थे जो गैर राजपूत सीएम बने।
मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के नादौन के रहने वाले सुक्खू अपने कॉलेज के वर्षों के दौरान कांग्रेस के छात्र विंग एनएसयूआई में शामिल हो गए।
सुक्खू ने 1998 से 2008 तक प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में काम किया। उन्हें 2013 में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। वह 13 वीं हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य हैं और नादौन विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
गुरुवार को विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद सुक्खू हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उभरे थे। उनके पिता रसील सिंह बस ड्राइवर थे। संघर्ष के अपने शुरुआती दिनों में वो छोटा शिमला में दूध का कारोबार करते थे। उनकी पत्नी गृहणी हैं और वो कल रविवार को शिमला में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में नादौन से आ रही हैं।
हिमाचल में विधानसभा चुनाव 12 नवंबर को हुए थे और नतीजे 8 दिसंबर को घोषित किए गए। कांग्रेस ने 40 सीटें जीतकर अपनी बड़ी जीत से खुशी मनाई, जबकि बीजेपी ने 25 सीटें जीतीं।
58 साल के सुक्खू के लिए आम सहमति बनाना आसान नहीं था क्योंकि प्रतिभा सिंह जोरदार विरोध कर रही थीं। उनके विरोध की वजह का अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है क्योंकि सुक्खू ने कभी भी वीरभद्र जैसी बड़ी शख्सियत का मुकाबला करने में भी संकोच नहीं किया और अक्सर बतौर सीएम वीरभद्र सिंह को भी निशाने पर लिया था। यानी वो पार्टी में अपनी आलोचना को स्पष्ट रूप से रखते थे।
प्रतिभा सिंह और सीएलपी नेता मुकेश अग्निहोत्री को आलाकमान के दूतों, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और राजीव शुक्ला किसी तरह शांत किया और सुक्खू को सीएलपी नेता के रूप में निर्वाचित करने में कामयाब रहे।
दिलचस्प बात यह है कि सुक्खू एक आम विधायक से सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचा दिए गए। यह कांग्रेस आला कमान की ताकत थी जो उसने दिखाई। सुक्खू पार्टी काडर में काफी लोकप्रिय हैं और बुरे हालात में पार्टी नहीं छोड़ी। आलाकमान ने उनको निष्ठा का इनाम दिया है। एक मंत्री होने की बात तो छोड़िए, उन्होंने अपने लगभग तीन दशक लंबे राजनीतिक करियर में मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) या किसी बोर्ड या निगम के अध्यक्ष का पद भी नहीं संभाला है।
सुक्खू के पक्ष में जो बात गई वह कांग्रेस के 40 विधायकों के बहुमत का समर्थन था। इसके अलावा उन्हें राहुल और प्रियंका सहित गांधी परिवार का समर्थन मिलने की बात भी थी। कांग्रेस ने सुक्खू के गृह जिले हमीरपुर में पांच में से चार सीटें जीतकर बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है जबकि एक सीट निर्दलीय ने जीता था। कांग्रेस ने हमीरपुर, ऊना और बिलासपुर के तीनों जिलों में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है।
एमसीडीः चुनाव नजदीक आते ही पूर्वांचल के लोगों को राजनीतिक दलों का मिल रहा सहारा, जाने कितने हैं वोटर्स
एमसीडी चुनाव की दौड़ तेज होने के बीच भाजपा, आप और कांग्रेस ने पूर्वांचली मतदाताओं को लुभाना शुरू कर दिया है जो दिल्ली के सबसे बड़े वोट बैंक में से एक हैं। भाजपा और आप दोनों ने पूर्वांचली पृष्ठभूमि से करीब 50-50 उम्मीदवार उतारे हैं। दिल्ली के सभी विधानसभा क्षेत्रों में समुदाय की महत्वपूर्ण उपस्थिति का अनुमान है। दिल्ली में बसे पूर्वी यूपी, बिहार और झारखंड के भोजपुरी भाषी मूल निवासी पूर्वांचल माने जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, वे राष्ट्रीय राजधानी में कुल 1.46 करोड़ वोटों में से करीब एक तिहाई हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को छठ पूजा समितियों के सदस्यों से बातचीत करते हुए पूर्वांचली लोगों से चार दिसंबर को होने वाले एमसीडी चुनाव में पार्टी को आशीर्वाद देने का आग्रह किया। नडडा, जिनका पटना में बचपन और जवानी बीता, ने कहा, 'मैं छठ पर ठेकुआ का प्रसाद चखता था। फिर चार दिसंबर को छठ का प्रसाद मांग रहा हूं।' दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा, 'बीजेपी ने एमसीडी चुनाव में करीब 50 पूर्वांचल उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। पूर्वांचल के लोग पूरे शहर में रहते हैं और वे हमारे समर्थक हैं।'
दिल्ली भाजपा नेताओं का यह भी अनुमान है कि पूर्वांचली मतदाता, जिनमें से अधिकांश शहर की अनधिकृत कॉलोनियों और झुग्गी बस्तियों में रहते हैं, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के 250 वार्डों में से 75-80 पर उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करते हैं। पूर्वांचली पृष्ठभूमि के स्टार प्रचारकों में दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी और यूपी के उनके लोकसभा सहयोगी रवि किशन और दिनेश यादव निरहुआ शामिल हैं। तीनों आने वाले दिनों में समुदाय के प्रभुत्व वाले कुछ क्षेत्रों में प्रचार करने के लिए तैयार हैं।
आप विधायक और एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक, जो कि इसी क्षेत्र से आते हैं, ने कहा कि पार्टी ने समुदाय के लोगों को बहुत सम्मान दिया है। पाठक ने कहा कि दिल्ली में प्रमुख पार्टी आप ने एमसीडी चुनाव में पूर्वांचली पृष्ठभूमि के 40-50 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
उन्होंने कहा, "अगर आप देखें तो पूर्वांचल के मतदाताओं को अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने सबसे अधिक सम्मान दिया है। जब हमारी सरकार सत्ता में आई थी, तब केवल 50-60 छठ घाट थे जो सरकार द्वारा स्थापित किए गए थे और अब लगभग 1,200 हैं।" पाठक ने कहा कि इस साल छठ पूजा बड़े पैमाने पर मनाई गई और केजरीवाल सरकार ने व्यापक इंतजाम किए।
पूर्वांचल के मतदाताओं को परेशान करने वाले मुद्दों के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि उनमें से एक बड़ा हिस्सा एमएसीडी की मूल कहानी अनधिकृत कॉलोनियों में रहता है जहां वे "सबसे अस्वच्छ" स्थिति में रहते हैं, और आरोप लगाया कि अगर उन्हें आवास संरचना में कोई संशोधन करना है, तो उन्हें एमसीडी अधिकारियों को रिश्वत देनी पड़ती है। उन्होंने कहा, "दिल्ली में, हर निर्वाचन क्षेत्र में पूर्वांचली मतदाता हैं और संभवत: हर निर्वाचन क्षेत्र में 10,000 वोट हैं।"
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि उनकी पार्टी शहर में पूर्वांचल समुदाय के सामने आने वाले मुद्दों को उजागर करने में सबसे आगे रही है। “कांग्रेस उनके मुद्दों को और उजागर करेगी, जैसा कि वह करती रही है। और हम उन्हें याद दिलाएंगे कि कैसे भाजपा और आप दोनों ने उन्हें बार-बार विफल किया।
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MCD चुनाव में इस बार बेलन-बल्ला सहित ऐसे चिन्ह भी नजर आएंगे EVM में
News18 हिंदी 15-11-2022 Ravishankar Singh
नई दिल्ली. दिल्ली नगर निगम चुनाव (MCD Election) में इस बार बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. इस मुकाबले को और रोचक बना रहे हैं निर्दलीय उम्मीदवार (Independent Candidates). इन निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए चुनाव आयोग (Election Commission) ने अब चुनाव चिन्ह (Election Symbols) आवंटित कर दिए हैं. चुनाव आयोग ने इन निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए इस बार 197 चुनाव चिन्ह निर्धारित किए हैं. चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित किए गए चुनाव चिन्हों में अखरोट, तरबूज, कुआं, बल्ला, हवाई जहाज, कूड़ेदान, टूथपेस्ट, माचिस, सीढ़ी, चिमटा, गिलास, गमला, टार्च, मेज, कुर्सी, बेलन, सीटी आदि कुछ प्रमुख नाम हैं.
दिल्ली एमएसीडी की मूल कहानी राज्य चुनाव आयोग ने कहा है कि निर्दलीय उम्मीदवारों को अपने नामांकन पत्र में इन चुनाव चिन्हों में से तीन का नाम लिखना जरूरी था. अधिकांश निर्दलीय उम्मीदवारों ने निरंतर उपयोग में आने वाले सामान को ही अपना चुनाव चिन्ह बनाने का निर्णय लिया है.
चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित किए गए चुनाव चिन्हों में अखरोट, तरबूज, कुआं, सीटी आदि कुछ प्रमुख नाम हैं.(News18)
कमल के फूल, हाथ और झाडू का होगा इनसे मुकाबाल
गौरतलब है कि इस बार बीजेपी, आप और कांग्रेस को अपने ही बागियों से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. खासतौर पर टिकट नहीं मिलने से नाराज बीजेपी के कई नेता आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. बीजीपी से आप और कांग्रेस में शामिल होने वाले नेताओं ने आरोप लगाया है कि पार्टी में उनकी मेहनत को मान्यता नहीं मिली. वहीं, आम आदमी पार्टी के विधायक और एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि बीजेपी के कई स्थानीय नेता कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन जब भी उन्होंने क्षेत्र में कचरा प्रबंधन से संबंधित कोई मुद्दा उठाया तो पार्टी ने उपेक्षा की.
निर्दलीय उम्मीदवारों को मिलेंगे ये सिंबॉल
हर पार्टी को बागियों की वजह से नुकसान उठाना पड़ रहा है. रविवार को ही आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद हसीब-उल-हसन नाराज होकर बिजली के टावर पर चढ़ गए थे. हसीब ने आप के कई नेताओं का नाम लेते हुए आरोप लगाया था कि उनको चुनाव में उतारने के बहाने उनके मूल दस्तावेज ले लिए और अब उन्हें लौटाने से इनकार कर रहे हैं. साथ ही हसीब ने पार्टी नेताओं पर करोड़ों रुपये में टिकट बेचने का आरोप भी लगाया था.
Delhi Drama: आप के पूर्व पार्षद हसीब-उल-हसन टिकट न मिलने से टावर पर चढ़ गए. उन्होंने पार्टी नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए. (twitter-ANI)
जाहिर है एमसीडी चुनावों में भाजपा ही नहीं आप को भी बगावत का सामना करना पड़ रहा है. ये बागी अब निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है. दिल्ली राज्य चुनाव आयोग के अनुसार एक ही वार्ड में अधिकतर निर्दलीय उम्मीदवारों ने कुछ ही चुनाव चिन्हों का चुनाव किया है. ऐसे में सभी निर्दलीय उम्मीदवारों को उनकी पसंद का चुनाव चिन्ह देना मुश्किल हो रहा है. इसी को ध्यान में रखकर चुनाव चिन्हों का एक लिस्ट जारी किया गया है.
DELHI MCD ELECTION: जनता चलाएगी एमसीडी, आरडब्ल्यूए को ‘मिनी पार्षद’ का दर्जा: केजरीवाल
DELHI MCD ELECTION चुनाव जीतने पर आप मुखिया ने किया वादा
DELHI MCD ELECTION
DELHI MCD ELECTION नयी दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा कि अगर आम आदमी पार्टी (आप) यहां नगर निगम की सत्ता में आती है तो ‘रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन’ को वित्तीय और राजनीतिक रूप से सशक्त बनाया जाएगा और उन्हें “मिनी पार्षदों” का दर्जा दिया जाएगा।
केजरीवाल ने कहा, इसे जनता चलाएगी एमसीडी अभियान का नाम देते हुए जनता से अपील की कि वे उन्हें वोट दें और ‘रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन’ (आरडब्ल्यूए) के जरिए अपने काम जल्दी पूरा कराएं।
केजरीवाल ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव से कुछ दिन पहले एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इस एमएसीडी की मूल कहानी नजरिए का मकसद जनता को दिल्ली का मालिक बनाना है।
आप के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने कहा, अगर आप एमसीडी में सत्ता में आती है, तो हम ‘जनता चलाएगी एमसीडी’ अभियान शुरू करेंगे, जहां आरडब्ल्यूए को ‘मिनी पार्षद’ का दर्जा दिया जाएगा। हम वास्तव एमएसीडी की मूल कहानी में आरडब्ल्यूए को सशक्त बनाने जा रहे हैं। हम उन्हें राजनीतिक और वित्तीय शक्तियां देंगे।
उन्होंने कहा, आरडब्ल्यूए को अपने कार्यालय चलाने के लिए धन दिया जाएगा। आरडब्ल्यूए को अधिकारसंपन्न बनाया जाएगा। इसके पीछे असली उद्देश्य यह है कि दिल्ली के लोग अपने निर्णय खुद लें। मैं सभी आरडब्ल्यूए से आप का समर्थन करने की अपील करता हूं। केजरीवाल ने आगे कहा, हम एक पारदर्शी ढांचा तैयार करेंगे। हम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी भरोसा करेंगे, ताकि विधायक, पार्षद और आरडब्ल्यूए सभी जान सकें कि समस्या कहां है और जवाबदेही क्या है। जनता के कार्यों को तेजी से पूरा किया जाएगा।
दिल्ली नगर निगम में 250 वार्ड हैं और उनके लिए चार दिसंबर को मतदान होने वाले हैं। माना जा रहा है कि इस चुनाव में मुकाबला आप, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच होगा। मतों की गिनती सात दिसंबर को होगी। केजरीवाल ने आप नेताओं के खिलाफ कथित तौर पर भाजपा द्वारा जारी स्टिंग वीडियो को ऐसी ‘भयानक और उबाऊ फिल्म’ बताते हुए उसे खारिज कर दिया जिसे कोई नहीं देखना चाहता। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि जनता परिपक्व है और जो पार्टियां उन्हें मूर्ख समझती हैं, वे खत्म हो चुकी हैं।
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