वित्तीय पूर्वानुमान
एक वित्तीय पूर्वानुमान एक कंपनी या परियोजना के लिए भविष्य के वित्तीय परिणामों का एक अनुमान है , जिसे आमतौर पर बजट , पूंजी बजट और / या मूल्यांकन में लागू किया जाता है ; वित्तीय मॉडलिंग #लेखांकन देखें । संदर्भ के आधार पर यह शब्द सूचीबद्ध कंपनी (तिमाही) आय मार्गदर्शन का भी उल्लेख कर सकता है । किसी देश या अर्थव्यवस्था के लिए , आर्थिक पूर्वानुमान देखें ।
आमतौर पर, बाहरी उद्योग डेटा और आर्थिक संकेतकों के अलावा, ऐतिहासिक आंतरिक लेखांकन और बिक्री डेटा का उपयोग करते हुए , एक वित्तीय पूर्वानुमान एक निश्चित समय अवधि में वित्तीय शर्तों में कंपनी के परिणामों की विश्लेषक की मॉडलिंग की भविष्यवाणी होगी। ( मौलिक विश्लेषण के लिए , विश्लेषक अक्सर शेयर बाजार की जानकारी का भी उपयोग करते हैं, जैसे स्टॉक की कीमतों के अपने विश्लेषण को बढ़ाने के लिए स्टॉक की कीमतों के 52-सप्ताह के उच्च स्तर। [1] ) बिजनेस मॉडलिंग के घटकों / चरणों के लिए, वित्तीय पूर्वानुमान वित्तीय पूर्वानुमान सूची देखें " इक्विटी वैल्यूएशन" वित्त की रूपरेखा के तहत # डिस्काउंटेड कैश फ्लो वैल्यूएशन ।
यकीनन, वित्तीय पूर्वानुमान तैयार करने का मुख्य पहलू राजस्व की भविष्यवाणी करना है ; भविष्य की लागत, निश्चित और परिवर्तनशील, साथ ही पूंजी, का अनुमान "सामान्य आकार के विश्लेषण" के माध्यम से बिक्री के एक समारोह के रूप में लगाया जा सकता है - जहां संबंध ऐतिहासिक वित्तीय अनुपात और अन्य लेखांकन संबंधों से प्राप्त होते हैं । उसी समय, परिणामी पंक्ति वस्तुओं को व्यवसाय के संचालन से बात करनी चाहिए: - सामान्य तौर पर, राजस्व में वृद्धि के लिए कार्यशील पूंजी, अचल संपत्तियों और संबद्ध वित्तपोषण में इसी वृद्धि की आवश्यकता होगी; और लंबी अवधि में, लाभप्रदता (और अन्य वित्तीय अनुपात) उद्योग के औसत की ओर होनी चाहिए; डिस्काउंटेड कैश फ्लो का उपयोग करके वैल्यूएशन देखें # अधिक विस्तृत चर्चा और अन्य विचारों के लिए प्रत्येक पूर्वानुमान अवधि के लिए कैश फ्लो निर्धारित करें।
कंपनियों के राजस्व, लाभ और शेयर मूल्य विकास वित्तीय पूर्वानुमान के विश्लेषक पूर्वानुमानों की सटीकता पर एक व्यापक साहित्य है। सामान्य तौर पर, यह साहित्य दर्शाता है कि विश्लेषक साधारण पूर्वानुमान मॉडल की तुलना में बेहतर पूर्वानुमान नहीं देते हैं [2] [3]
- ^ लो, आरकेवाई; टैन, ई। (2016)। "गति प्रभाव में विश्लेषकों के पूर्वानुमान की भूमिका" (पीडीएफ) । वित्तीय विश्लेषण की अंतर्राष्ट्रीय समीक्षा । 48 : 67-84। डोई : 10.1016/जे.आईआरएफए.2016.09.007 ।
- ^ हेन श्रेडर और जान क्लासेन (1984), प्रबंधन और वित्तीय विश्लेषकों द्वारा गोपनीय राजस्व और लाभ पूर्वानुमान: साक्ष्य फॉर्म द नीदरलैंड्स, द अकाउंटिंग रिव्यू, वॉल्यूम। 59, नहीं। १ जनवरी १९८४)
- ^ स्टोट्ज़, एंड्रयू, वित्तीय विश्लेषकों की कमाई का पूर्वानुमान सटीकता का एक अनुभवजन्य अध्ययन (29 मई, 2016)। SSRN पर उपलब्ध: https://ssrn.com/abstract=2943146 या http://dx.doi.org/10.2139/ssrn.2943146
यह वित्त- संबंधी लेख एक आधार है । आप विकिपीडिया का विस्तार करके उसकी मदद कर सकते हैं ।
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वित्तीय योजना बनाम वित्तीय पूर्वानुमान: क्या अंतर है?
वित्तीय योजनाएं बनाम वित्तीय पूर्वानुमान: एक अवलोकन
एक वित्तीय पूर्वानुमान भविष्य की आय या राजस्व और खर्चों का एक अनुमान या प्रक्षेपण है, जबकि एक वित्तीय योजना भविष्य की आय उत्पन्न करने और भविष्य के खर्चों को कवर करने के लिए आवश्यक कदम देती है। वैकल्पिक रूप से, एक वित्तीय योजना को देखा जा सकता है कि किसी व्यक्ति या कंपनी की आय या राजस्व प्राप्त करने की योजना क्या है।
जबकि दोनों भविष्य की ओर उन्मुख वित्तीय गतिविधि की प्रक्रिया करते हैं, एक वित्तीय योजना एक रोड-मैप का मसौदा तैयार किया जाता है जिसका समय के साथ पालन किया जा सकता है और एक वित्तीय पूर्वानुमान आज की भविष्यवाणी की भविष्य के परिणामों का एक प्रक्षेपण या अनुमान है।
चाबी छीन लेना
- एक वित्तीय योजना वित्त के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण है जो भविष्य में अनुसरण करने के लिए एक रोड-मैप को चिह्नित करता है।
- एक वित्तीय पूर्वानुमान भविष्य के परिणामों का एक अनुमान है, जिसमें अनुमान लगाने के लिए सांख्यिकीय मॉडल सहित कई तरीकों में से एक का उपयोग किया गया है।
- दोनों व्यवसाय और व्यक्ति वित्तीय योजनाओं और वित्तीय पूर्वानुमानों का उपयोग कर सकते हैं।
वित्तीय योजना
एक वित्तीय योजना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे कंपनी आमतौर पर एक कदम-दर-चरण प्रारूप में तोड़ती है, जो एक उचित वित्तीय पूर्वानुमान के आधार पर विकास या लाभ के लिए अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपनी उपलब्ध पूंजी और अन्य परिसंपत्तियों का उपयोग करती है। एक वित्तीय योजना को एक व्यवसाय योजना का पर्याय माना जा सकता है जिसमें यह बताया गया है कि अधिकतम संभव राजस्व उत्पन्न करने के लिए काम करने के लिए संसाधन लगाने के मामले में कंपनी की क्या योजना है।
व्यक्ति वित्तीय योजना का लाभ भी उठा सकते हैं। एक वार्षिक वित्तीय योजना एक प्रकार की गाइडबुक है जो आपको बताती है कि आप अभी आर्थिक रूप से कहां हैं, आपके लक्ष्य आगे क्या देख रहे हैं और किन क्षेत्रों या मुद्दों को संबोधित करने की आवश्यकता है ताकि आप उन लक्ष्यों को पूरा कर सकें। योजना, अपने वित्तीय जीवन के हर पहलू को शामिल किया गया से निवेश करने के लिए करों के लिए अपने दृष्टिकोण को सेवानिवृत्ति । जबकि आपकी योजना को विकसित करने में आपका प्रारंभिक बिंदु आपकी आयु, आय, ऋण और संपत्ति के आधार पर भिन्न हो सकता है , एक वार्षिक वित्तीय योजना के सबसे महत्वपूर्ण घटक समान हैं।
वित्तीय पूर्वानुमान
व्यावसायिक सफलता के लिए वित्तीय पूर्वानुमान महत्वपूर्ण है। कार्यशील पूंजी और नकदी प्रवाह को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए, एक कंपनी को इस बात का उचित विचार होना चाहिए कि किसी निश्चित वित्तीय पूर्वानुमान समय अवधि में उसे कितना राजस्व प्राप्त करने की योजना है और उसी अवधि में उसके आवश्यक खर्च क्या होंगे। वित्तीय पूर्वानुमानों की आमतौर पर समीक्षा की जाती है और उन्हें संशोधित किया जाता है क्योंकि संपत्ति और लागत के बारे में नई जानकारी उपलब्ध हो जाती है। नया डेटा किसी व्यक्ति या व्यवसाय को अधिक सटीक वित्तीय अनुमान लगाने में सक्षम बनाता है। यह स्थापित कंपनियों के लिए आसान है जो नए व्यवसायों या कंपनियों के लिए सटीक वित्तीय पूर्वानुमान बनाने के लिए स्थिर राजस्व उत्पन्न करती हैं, जिनका राजस्व महत्वपूर्ण मौसमी या चक्रीय उतार-चढ़ाव के अधीन है।
एक व्यक्ति के लिए, एक वित्तीय पूर्वानुमान समय की अवधि में उसकी आय और खर्च का अनुमान है। उस पूर्वानुमान के आधार पर, व्यक्ति फिर एक वित्तीय योजना का निर्माण कर सकता है, जिसमें अपने व्यक्तिगत वित्त को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त आय प्राप्त करने के लिए बचत, निवेश या योजना शामिल है-साथ ही उन खर्चों की आशंका भी है जो उन्हें समाप्त कर देंगे।
वित्तीय पूर्वानुमान
हममें से जिन लोगों ने इस साल की शुरुआत में वित्तीय बाजार के निचले स्तर को लेकर पूर्वानुमान जाहिर किए थे, शायद उन लोगों को अब अफसोस हो।
पिछले कुछ सप्ताह के दौरान परिसंपत्तियों की कीमतों में आई गिरावट काफी बुरी रही है और फिर चाहे वे भारत, यूरोप या अमेरिका के बाजार हो, सभी नए निचले स्तर से रूबरू हुए हैं।
जनवरी के मध्य और मार्च के दूसरे सप्ताह के दौरान सेंसेक्स में करीब 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। पिछले हफ्ते दो कारोबारी सत्रों के दौरान इक्विटी बाजार में सुधार दर्ज किया गया है। अमेरिकी बैंकों द्वारा मौजूदा तिमाही के दौरान उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन की खबर आने के बाद यह सुधार देखने को मिला।
लेकिन इस सुधार के बावजूद बाजार एक बार फिर मंदड़ियों की गिरफ्त में जाता हुआ दिखाई दे रहा है। बीते दिनों बाजार में मजबूती के रुझानों के बाद कुछ उम्मीद बंधी थी, जो अब धुंधली पड़ रही है।
मेरे पूर्वानुमान क्यों गलत साबित हुए, इस बारे में मेरी दलील क्या है, यह जानना आपके लिए महत्त्वपूर्ण हो सकता है। इनमें से कुछ तो जगजाहिर हैं। व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति ओबामा के प्रवेश को लेकर तैयार की गई उम्मीद और हाईप के कारण दुनिया भर के बाजारों में दिसंबर और जनवरी के दौरान कुछ स्थायित्व देखने को मिला।
मुझे उम्मीद थी कि यह स्थायित्व बना रहेगा क्योंकि नए राष्ट्रपति ने अपने वित्तीय और बैंकिंग 'पैकेजों' की घोषणा की है और इन कानूनों को मंजूरी के लिए अमेरिकी कांग्रेस की ओर बढ़ाया है। लेकिन इतनी कार्रवाई पर्याप्त साबित नहीं हुई है। इसके बजाए कई ऐसी चीजें हुई हैं जिन पर बाजार ने झल्लाहट दिखाई है।
पहली बात यह कि केंद्रीय और पूर्वी यूरोप (जबकि इससे पहले पश्चिमी यूरोप से भारी मांग देखने को मिली थी और यह पश्चिमी वस्तुओं के लिए एक उभरता हुआ बाजार बन गया था।) में हुए नुकसान से वित्तीय पूर्वानुमान यूरोपीय बैंकों और वास्तव में स्वयं मौद्रिक संघों के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया।
अमेरिकी वित्तीय पैकेज के असर के मुद्दे पर बात की जाए तो ऐसा नहीं लगता है कि कोई भी इस बात से बहुत अधिक सहमत हुआ है कि इसके तहत नुकसान की भरपाई के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए हैं। चाहे धन आवंटन के लिहाज से बात की जाए या फिर क्षेत्रों पर फोकस करने की बात हो, इन पैकेजों को पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है।
इसके विपरीत सरकार ने कुछ एक ऐसे कदम उठाए जिसने बाजार को हतोत्साहित किया। मुझे इनमें से दो का जिक्र करने की इजाजत दीजिए। सरकार द्वारा बैंकों को दिए गए बेलआउट पैकेज के शुरुआती जश्न के बाद अचानक बाजार जागा और उसे इस तथ्य का एहसास हुआ कि सरकारी धन का अर्थ और अधिक नियंत्रण है। इसका अर्थ है कि कार्यपालकों के वेतन से लेकर ऋण तक के फैसलों में राजनीतिक नेताओं का दबदबा बढ़ेगा।
सरकार का वृहद हस्त पाकर एकबारगी तो बाजार को सहजता का एहसास हुआ लेकिन इस बात पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों के सघन राष्ट्रीयकरण की प्रक्रिया के कारण बाजार में एक बार फिर बिक्री का दबाव बढ़ा है।
दूसरी चिंता इस बात से उपजी है कि बेलआउट के लिए धन चाहिए और सरकार बॉन्ड जारी कर यह धन जुटाएगी। इस कारण सरकारी बॉन्ड के प्रतिफल में तेजी देखने को मिली है। सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल बढ़ने के साथ ही कॉर्पोरेट बॉन्ड का प्रतिफल भी तेजी से ऊपर की ओर चढ़ा है।
विडंबना यह है कि यह सब कुछ ऐसे समय में हो रहा है जबकि अर्थव्यवस्था मुद्रा अपस्फीति के दौर में प्रवेश कर रही है और अपस्फीतिकारी पूर्वानुमान बन रहे हैं। मुद्रा अपस्फीति एक ऐसी अवस्था हैं जहां कीमतों में तेजी से गिरावट देखने को मिलती है।
अमेरिका में एएए कॉर्पोरेट बॉन्ड यील्ड का कारोबार 2002 से अब तक के उच्चतम स्तर पर हो रहा है। इससे पहले मेरी दलील थी कि अंतर-बैंक बाजार में इसके संकेत नवंबर के अंत से ही मिलने लगे थे जो निम् दीर्घावधि की उधारी लागत के तौर पर देखने को मिली।
वास्तविक प्रतिफल में अप-टिक के चलते दो बातें देखने को मिलीं। उच्च वास्तविक प्रतिफलों ने कोषों को इक्विटी जैसी अधिक जोखिम वाली परिसंपत्तियों से हटाकर कम जोखिम वाले बॉन्ड की में लगाने के लिए प्रेरित किया, जो अपेक्षाकृत कम जोखिम वाले हैं। अप-टिक प्रतिभूति कारोबार का एक नियम है जिसके जरिए वित्तीय बाजार में सार्ट सेलिंग को नियंत्रत किया जाता है। इस कारण हाउसिंग या गैर-आवासीय परिसंपत्तियों में किसी 'भौतिक' निवेश की वसूली की संभावनाएं भी कम हुई हैं।
परिसंपत्तियों की बिक्री के हालिया अध्याय ने एक बार फिर उस डर (या वित्तीय पूर्वानुमान कुछ-कुछ वैसा ही) को पैदा किया है जिसका जिक्र इर्विन फिशर ने 1920 में किया था। इसे आप तौर पर 'फिशर ट्रैप' के नाम से जाना जाता है। इसके मौजूदा अवतार में, इसने परिसंपत्तियों की कीमतों और ऋण वसूली की दर में गिरावट पर ध्यान केन्द्रित किया है। (यहां याद रखिए कि मौजूदा परिदृश्य में एसेट होल्डिंग बड़ी संख्या में ऋण या लेवरेज के जरिए तैयार हुई है।)
अर्थशास्त्रियों की दलील है कि अगर परिसंपत्तियों की कीमतों में कमी की दर अगर डी-लेवेरेजिंग से कम है तो इससे प्रणाली में परिसंपत्तियों की कीमत और उधारी का स्तर दोनों ही अपने निचले स्तर पर चले जाएंगे। ऐसा होने पर निवेशक बढ़ी हुई दरों पर अपने ऋण को पुनर्गठित करते हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि परिसंपत्तियों की बिक्री का अंतिम दौर स्थिति विस्फोटक बन जाएगी। बात को समेटते हुए कहें तो इक्विटी और अन्य परिसंपत्तियों की कीमतों में एक बार फिर गिरावट का रुख देखने को मिल सकता है। इस संकट से बाहर निकलने का रास्ता क्या है? केंद्रीय बैंक और सरकारें हर संभव कोशिश कर रही हैं लेकिन ये उपाय कारगर साबित नहीं हो पा रहे हैं।
हालांकि उन्हें बॉन्ड प्रतिफल (शुरुआत में 10 वर्षीय बॉन्ड यील्ड के लिए) पर एक सीमा तय करने की घोषणा करने और खुले बाजार के परिचालन में पर्याप्त कदम उठाने की जरूरत है। मात्रात्मक राहत और स्पष्ट प्रतिफल लक्ष्य के समायोजन से बेहतर नतीजे सामने आ सकते हैं।
केंद्रीय बैंक या सरकार के लिए दूसरा एक चरम विकल्प यह है कि वे इक्विटी बाजार या हाउसिंग बाजार में सीधे तौर पर हस्तेक्षप शुरू करें। हाल में ऐसी अफवाह आई थी जापान के नीति निर्माता शेयर बाजार में सीधे तौर पर हस्तक्षेप शुरू करेगा। अगर परिसंपत्ति बाजार में एक बार फिर गिरावट शुरू होती है और अर्थव्यवस्था फिशर ट्रैप की ओर बढ़ती हैं, तो सरकारों के पास सिर्फ यही एक विकल्प रह जाएगा।
धीमी चाल: भारत के आर्थिक विकास को लेकर विश्व बैंक का गंभीर पूर्वानुमान
भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमानों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 की शुरुआत में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7.2 फीसदी और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्वानुमान के अनुसार 8.2 फीसदी के बीच बढ़ने की उम्मीद है। जबकि, प्रमुख रेटिंग एजेंसियों एवं वित्तीय संस्थानों ने भारतीय अर्थव्यवस्था के वृद्धि दर के अपने अनुमानों को इन दोनों आकलनों के बीच में ही रखा है। कोविड की वजह से नीचे की ओर गोता लगाने और पिछले साल वापस 8.7 फीसदी की दर से उछाल के बाद, आर्थिक विकास का साधारण रहना कोई बड़ी बात नहीं है। खासकर, उस स्थिति में जब यूरोप में युद्ध के प्रभावों की तरंगित लहर महसूस होने लगी है और मुद्रास्फीति जनवरी से लगातार ऊपर चढ़ी हुई है। सितंबर की शुरुआत आते - आते, अधिकांश पूर्वानुमानों में भारतीय आर्थिक विकास दर के 6.7 फीसदी से लेकर 7.7 फीसदी के बीच रहने की बात कही जाने लगी थी। भारतीय रिजर्व बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और फिच रेटिंग्स ने अपने अनुमानों को घटाकर सात फीसदी कर दिया है। एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपने पूर्वानुमान को 7.3 फीसदी पर बरकरार रखा है और मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने इसे 7.6 फीसदी पर रखा है। इन दोनों एजेंसियों का मानना है कि उभरती वैश्विक मंदी के बावजूद कोविड के बाद उबरती भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी से नहीं उतरेगी। जबकि सितंबर के अंतिम सप्ताह के हालिया संकेतों के आधार पर विश्व बैंक ने सुझाया है कि हालात इतने सुहाने नहीं हैं। इस वर्ष आठ फीसदी की वृद्धि की अपनी शुरुआती उम्मीद, जिसे जून में घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया गया, को बदलकर विश्व बैंक ने बिगड़ते बाहरी वातावरण का हवाला देते हुए केवल 6.5 फीसदी के विकास दर का एक निराशाजनक अनुमान सामने रखा है।
अप्रैल-जून की तिमाही में 13.5 फीसदी की दर से बढ़ने के बाद, उच्च आवृत्ति वाले आर्थिक संकेतक अगस्त के दौरान एक स्वस्थ वृद्धि की ओर इशारा करते हैं। लेकिन ऐसा जाहिर होता है कि फरवरी 2021 के बाद पहली बार वस्तुओं के निर्यात में कमी आने के वित्तीय पूर्वानुमान साथ सितंबर माह में विकास में थोड़ी गिरावट आई है और घरेलू मांग में कमी का संकेत देते हुए आयात भी तेजी से धीमा हो रहा है। विश्व बैंक का ताजा पूर्वानुमान अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में तुलनात्मक
रूप से मंदी शुरू होने का इशारा देता है। सख्त वैश्विक तरलता, उच्च मुद्रास्फीति (ओपेक की बैठक के बाद तेल की कीमतें फिर से बढ़ रही हैं) और बढ़ती ब्याज दरों से घरेलू मांग में कमी आई है। साथ ही, निर्यात की मांग में और कमी आएगी तथा लगातार बढ़ती अनिश्चितता के इस दौर में निजी निवेशक संभावित रूप से बाहर ही बैठना पसंद करेंगे। विश्व बैंक ने यह माना है कि निजी उपभोग खासतौर पर इस वर्ष और अगले वर्ष भी प्रभावित रहेगा क्योंकि आय एवं रोजगार के मामले में ग्रामीण व कम आय वाले परिवारों पर महामारी के कहर के निशान अभी बरकरार हैं। विश्व बैंक का अनुमान है कि 2020 में कम से कम 56 मिलियन भारतीय गरीबी रेखा से नीचे खिसक गए हैं। सरकार “मजबूत विकास के युग में प्रवेश” का शोर मचा रही है, लेकिन महामारी के दौरान शुरू की गई मुफ्त अनाज योजना को जारी रखने के उसके निर्णय से यह पता चलता है कि अर्थव्यवस्था के सभी अंग अभी तक संकट से उबरने में कामयाब नहीं हुए हैं। सरकार को सावधानी के साथ आशावाद जगाते हुए इसी यथार्थवाद को अपने अन्य नीतिगत विकल्पों में भी प्रतिबिंबित करना चाहिए।
Goldman Sachs 10,000 Women के साथ, वित्तीय योजना के मूल सिद्धांत
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Goldman Sachs 10,000 Women के साथ, वित्तीय योजना के मूल सिद्धांत
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