फीचर आर्टिकल: क्रिप्टोकरेंसी की भारत में स्थिति और निवेशकों का भविष्य
पिछले कुछ समय में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश सबसे हॉट इन्वेस्टमेंट के रूप में उभरा है। खासकर युवा निवेशकों के बीच यह तेजी से लोकप्रिय हुआ है। परंपरागत रूप से सुरक्षित तरीके से पैसा लगाने वाले निवेशक भी इसमें लगातार दिलचस्पी ले रहे हैं।
जहां एक और ब्लॉकचेन की मुख्य भूमिका वाले वेब 3.0 की बात हो रही है, वहीं देश में स्टार्टअप कल्चर भी तेजी से पैर पसार रहा है। ऐसे में दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी वाले देशों में शुमार भारत इस कल्चर को तेजी से अपना रहा है और ब्लॉकचेन आधारित तकनीकों पर बहुत अधिक ध्यान दिया जा रहा है।
क्रिप्टो टैक्स: क्रिप्टो निवेश अब मुख्यधारा में आ चुका है
भारत में क्रिप्टोकरेंसी निवेशक हमेशा से इस बात को लेकर आशंकित रहे हैं कि देश में यह निवेश कानूनी रूप से वैध है या नहीं! इसी धारणा को स्पष्ट करने के लिए पहली बार देश में इस साल के बजट में क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स की बात की गई है।
इस वर्ष के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर अब 30 प्रतिशत कर लगेगा। कराधान उद्देश्य के लिए, क्रिप्टोकरेंसी को अब वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) की परिभाषा में शामिल कर लिया गया है।
इसके अलावा, लेन-देन के विवरण को विनियमित और कैप्चर करने के लिए क्रिप्टो एक्सचेंज या किसी अन्य भुगतानकर्ता द्वारा क्रिप्टोकरंसी के विक्रेता से 1 प्रतिशत टीडीएस की कटौती का भी प्रावधान किया गया है, यदि कुल भुगतान 10,000 रुपए वार्षिक भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य से ऊपर है। यह प्रावधान 1 जुलाई 2022 से लागू किए जा रहे हैं।
इस तरह से कहा जा सकता है कि अब भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश पूरी तरह से कानूनी रूप से वैध हो चुका है। जहां तक अधिक कर की बात है तो यह एक लचीली व्यवस्था है। यह शुरुआती समय है और आने वाले समय में इस पर अधिक विचार किया जाएगा। इसके बाद निवेशकों को हित को देखते हुए इसमें आवश्यक बदलाव किए जा सकते हैं।
भारत बन रहा वेब 3.0 हब
वेब3 या वेब 3.0 एक नई शब्दावली है, जो ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है। इसका अर्थ एक ऐसे इंटरनेट स्पेस से है, जो विकेन्द्रीकृत प्रक्रिया को बढ़ावा देता है। सरल शब्दों में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के पास इंटरनेट चरण के स्वामी होने की शक्ति होती है। इसके अनुसार इंटरनेट की दुनिया में आम इंटरनेट उपयोगकर्ता शेयरधारक होंगे।
वेब 3.0 मूल रूप से यह निर्धारित करता है कि किसी दिए गए इंटरनेट व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र में भाग लेने वाले सभी विभिन्न हितधारक अपने डेटा पर नियंत्रण कैसे बनाए रखते हैं। अच्छी बात यह है कि भारत धीरे-धीरे वेब 3.0 अर्ली एडॉप्टर के रूप में विकसित हो रहा है, जिसमें पूरे देश में कार्यक्रमों की योजना तेजी से बनाई जा रही है।
वेब 3.0 में इकोसिस्टम के लिए क्रिप्टो एसेट की जरूरत होती है और यही वजह है कि वेब 3.0 क्रिप्टो करेंसी के अभाव में सफल नहीं हो सकता। नए इकोसिस्टम में एक्सचेंज के मीडियम के रूप में क्रिप्टोकरेंसी का होना जरूरी है। यही कारण है कि वेब 3.0 का क्रेज क्रिप्टो व्यापार को और आगे ले जाएगा।
भारत में क्रिप्टो निवेश: लगातार विकास के पथ पर अग्रसर
भारत में क्रिप्टो निवेशक और HODLers उत्साहित हैं और आशावाद से भरे हुए हैं। HODLers शब्द का चलन क्रिप्टो करेंसी को खरीदकर उसे लंबे समय तक होल्ड करने वाले लोगों के लिए किया जाता है। भारत में क्रिप्टो को वैधानिक मान्यता मिलने, वेब 3.0 को जल्दी अपनाने की स्पर्धा और भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य निवेश के लिए आधुनिक विकल्प ने अग्रणी क्रिप्टो एक्सचेंजों रजिस्टर्ड यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ाई है।
कॉइनस्विच कुबेर प्लेटफॉर्म पर 15 मिलियन यानी डेढ़ करोड़ से अधिक यूजर्स हैं और कंपनी अपनी वर्कफोर्स को दिसंबर 2022 तक 1000 तक पहुंचाना चाहती है। कॉइनस्विच भारत का पहला ऐसा क्रिप्टो एक्सचेंज होगा, जो अपनी टीम में वेब 3.0 इंजीनियर्स की भर्ती करेगा। इसके अलावा क्रिप्टो के निवेशक इस वजह से भी बढ़ रहे हैं क्योंकि लोग बड़े पैमाने पर निवेश के दूसरे विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
इसमे शामिल है: एनएफटी, मेटावर्स-संचालित निवेश और डिफाइ-आधारित निवेश।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि भारत में क्रिप्टो में काफी संभावनाएं हैं। निवेशकों की दिलचस्पी के साथ ही वेब 3.0 के विकास की वजह से क्रिप्टो समय की मांग बन चुके हैं। आधुनिक युग में नवीनतम तकनीकों के साथ यदि किसी निवेश को सबसे अधिक पसंद किया जा रहा है तो वह क्रिप्टो निवेश ही है।
Cryptocurrency का भारत में भविष्य क्या?
भारत में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का भविष्य क्या होगा. ये संसद में आने वाले बिल के बाद तय होगा. क्योंकि बहुत जल्द सरकार संसद में क्रिप्टो करेंसी रेगुलेशन बिल पेश करने वाली है. ऐसे में निवेशकों के मन में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लग गया तो उनके पैसे का क्या होगा. तो हम आपको पूरी रिसर्च के बात बताते हैं कि क्रिप्टो करेंसी पर आगे की राह क्या होगी. ऐसे में अगर बैन लग गया तो बैंक और आपके क्रिप्टो एक्सचेंज के बीच लेनदेन बंद हो जाएगा. क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए रुपये को डॉलर या दूसरी करेंसी में कन्वर्ट नहीं कर पाएंगे. साथ ही दूसरी करेंसी में खरीदे गए क्रिप्टो कॉ़इन को बेचकर रुपये में ट्रांजेक्शन नहीं होगा.
भारत में कितना बड़ा है क्रिप्टो मार्केट?
आपको बता दें कि फिलहाल भारत में 10 करोड़ ऐसे निवेशक हैं. जिनका पैसा क्रिप्टोमार्केट में लगा है. दावा है कि करीब 6 लाख करोड़ रुपया इस वक्त भारतीयों का क्रिप्टो मार्केट में लगा है. इसमें औसतन हर निवेशख का 9 हजार रुपये का इनवेस्टमेंट है. क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार की चिंता इसलिए है, क्योंकि 60 फीसदी निवेशक ऐसे हैं, जो छोटे शहरों से आते हैं। इसके अलावा निवेशकों की औसत उम्र 24 साल है. मतलब ज्यादातर युवा इस नए तरह के इनवेस्टमेंट मार्केट से जुड़े हैं.
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल करेंसी में क्या फर्क?
क्रिप्टोकरेंसी आम करेंसी से अलग है. इसे न तो छू सकते हैं, न ही इससे कुछ खरीद सकते हैं, बल्कि इसे सिर्फ ऑनलाइन रख सकते हैं. चिंता की वजह ये है कि इस करेंसी को लेकर कोई रेग्युलेटर नहीं है. दुनिया की किसी सरकार का इस पर कंट्रोल नहीं है. इस वक्त दुनिया में 1,000 से ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी चलन में है और 308 से ज्यादा क्रिप्टो एक्सचेंज हैं. इस मार्केट की शुरुआत 2009 में हुई थी. इस करेंसी की कीमतों में उतार-चढ़ाव काफी ज्यादा होता है. कोरोना काल में तो भारत में क्रिप्टो मार्केट काफी ऊंचाई पर पहुंच चुका है, जबकि डिजिटिल करेंसी केंद्रीय बैंक की देनदारी होती है. इसे केंद्रीय बैंक ही जारी करता है, इसीलिए इसकी कीमतों पर केंद्रीय बैंक का कंट्रोल रहता है.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर कब क्या हुआ?
2018 में भारत में आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा दिया, लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा तो कोर्ट ने बैन हटा दिया, लेकिन क्रिप्टोमार्केट को लेकर चिंता जारी रहीं. 11 नवंबर 2021 को आरबीआई गवर्नर ने क्रिप्टो करेंसी पर गंभीर चिंताएं जाहिर की. इसके बाद 13 नवंबर 2021 को पहली बार पीएम मोदी ने क्रिप्टो मार्केट पर बैठक की. इस बैठक के बाद क्रिप्टो करेंसी पर लगातार सवाल उठने लगे. 15 नवंबर 2021 को संसदीय समिति में क्रिप्टो पर चर्चा की गई और संसदीय समिति में बैन की बजाय रेगुलेट करने पर बातचीत हुई. इसके बाद 18 नवंबर 2021 को सिडनी संवाद में पीएम मोदी ने क्रिप्टो पर एक बार फिर चिंता जाहिर की.
क्रिप्टो पर किस देश का क्या रुख
भारत में क्रिप्टो को लेकर गंभीर चिंताएं हैं, लेकिन अल सल्वाडोर ने बिटकॉइन को लीगर टेंडर घोषित कर दिया, जबकि अमेरिका क्रिप्टोकरेंसी के हिसाब से अपनी नीतियां बना रहा है. दक्षिण कोरिया भी इस करेंसी को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रहा है. हालांकि चीन इस करेंसी का लगातार विरोध कर रहा है.
किन-किन क्रिप्टोकरेंसी के प्राइवेट होने का डर
जानकारों के मुताबिक कुछ प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी ऐसी हैं, जिनकी गतिविधियां संदिग्ध रही है. इसीलिए इन क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने की बात चल रही है. इसमें कुछ नाम इस तरह हैं. Monero(XMR), Dash Coin, Zcash(ZEC), Verge(XVG), Beam, Grin, Horizen(ZEN), Firo(FIRO), Byte Coin(BCN), UCoin और Delta. हालांकि 2019 में सरकार के पेश किए गए विधेयक के नाम में क्रिप्टोकरेंसी को बैन करना का जिक्र था, लेकिन 2021 आते आते विधेयक के नाम में से बैन शब्द हट गया है, जिसके बाद क्रिप्टो करेंसी के निवेशकों को उम्मीद जगी है. अब कुल मिलाकर अब इंतजार संसद में पेश होने वाले मसौदे का है, जिसमें ये तस्वीर साफ हो पाएगी, कि भारत में क्रिप्टो मार्केट चलता रहेगा या फिर निवेशकों की गाड़ी कमाई डूब जाएगी.
Cryptocurrency: क्या होगा भविष्य, क्या सुरक्षित है लोगों का पैसा, जानिए!
Cryptocurrency: क्या होगा भविष्य, क्या सुरक्षित है लोगों का पैसा, जानिए!
aajtak.in
- नई दिल्ली ,
- 02 दिसंबर 2021,
- अपडेटेड 4:38 PM IST
Cryptocurrency के भविष्य पर छाई धुंध जल्द ही छंटने वाली है क्योकि इस बार संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी पर बिल पेश किया जाएगा. भारतीय क्रिप्टो बाज़ार को क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021(Official Digital Currency Bill, 2021) के पेश होने का बेसब्री से इंतज़ार था. इस बिल के पेश होने के साथ ही निर्मला सीथारमन ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान साफ़ किया कि बिल को कैबिनेट से मंजूरी का इंतज़ार है. संसद में क्रिप्टोकरेंसी के बारे में वित्त मंत्री ने क्या कहा, आइये देखते हैं वीडियो.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य क्या है? निर्मला सीतारमण से जान लीजिए
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का क्या भविष्य है, इस पर मंथन का दौर चल रहा है। केंद्रीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक बार फिर क्रिप्टो को लेकर निवेशकों को चेताया है। वहीं, वित्त मंत्री निर्मला.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का क्या भविष्य है, इस पर मंथन का दौर चल रहा है। केंद्रीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक बार फिर क्रिप्टो को लेकर निवेशकों को चेताया है। वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी संसद में इस करेंसी पर बड़ा बयान दिया है।
क्रिप्टोकरेंसी की वैधता पर: चालू बजट सत्र के दौरान संसद में निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार के पास क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन से होने वाले टैक्स लाभ का अधिकार है। उन्होंने भारत में क्रिप्टोकरेंसी की वैधता को भी स्पष्ट करते हुए कहा कि वर्चुअल एसेट्स पर टैक्स लगाने का मतलब यह नहीं है कि सरकार इसे वैध कर रही है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैन करने पर फैसला अभी नहीं हो रहा है। इस पर सुझाव आने के बाद फैसला लिया जाएगा।
बजट पर क्या बोलीं: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य बजट में तकनीक को प्राथमिकता दी गई है, इसका एक उदाहरण कृषि में सुधार करने और उसको मॉडर्न बनाने के लिए ड्रोन को भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य लाना है। स्टॉर्टअप को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, हमने देखा कि देश में जिस मजबूती के साथ स्टॉर्टअप आ रहे हैं ऐसा विश्व में कहीं नहीं हुआ।
निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि अगर हमारे पास भारत की आज़ादी के 100 साल पूरे होने पर कोई विजन नहीं होगा तो हमें उसी तरह से भुगतना पड़ेगा जैसे हमें 70 सालों में भुगतना पड़ा जिसमें एक परिवार को बनाने, उसका समर्थन करने और उसको फायदा पहुंचाने के अलावा देश में और कोई विजन नहीं था।
भारत में Cryptocurrency के भविष्य को लेकर कन्फ्यूजन में सरकार, जानें कहां आ रही है दिक्कतें
भारत में क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को लेकर सरकार ये तय नहीं कर पा रही है कि इसे इजाजत देनी चाहिए या नहीं. इसके लिए एक संसदीय समिति का भी गठन किया गया है, जो हर पहलू की पड़ताल करने में जुटी हुई है.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य कैसा होगा, इसे लेकर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी ही होगी. फिलहाल, देश में क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को लेकर किसी भी चिंता का समाधान निकलता नहीं दिखाई दे रहा है. जहां एक तरफ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, क्रिप्टोकरेंसी को भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य लेकर बार-बार चेतावनी दे रहा है तो वहीं दूसरी ओर सरकार इस पर कुछ भी स्पष्ट नहीं कह पा रही है. आलम ये है कि क्रिप्टोकरेंसी पर आने वाला प्रत्येक नया बयान, देश में क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों की समस्याएं सुलझाने के बजाय और उलझा दे रहा है.
बताते चलें कि बीते सोमवार को पूर्व वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा की अध्यक्षता में संसदीय समिति ने देश में क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को लेकर एक्सचेंजों, ब्लॉक चेन, क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल (बीएसीसी), उद्योग निकायों और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की थी. इस बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर बैन तो नहीं लगाया जा सकता है, हालांकि इसे रेगुलेट जरूरत किया जा सकता है. जबकि RBI का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बहुत ही सावधानी से विचार करना चाहिए.
RBI को किस बात की है टेंशन
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले लोगों की सही संख्या नहीं बताई जा रही है. इसमें इन्वेस्ट करने वालों की संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर बताया जा रहा है.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर RBI द्वारा उजागर की जा रही समस्याओं को मानने के लिए निवेशक तैयार नहीं हो रहे हैं.
क्रिप्टोकरेंसी में मोटा मुनाफा कमाने के लालच में देश के निवेशक बड़ा जोखिम उठा रहे हैं.
कहां फंस रही है सरकार
भारत में क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को लेकर सरकार ये तय नहीं कर पा रही है कि इसे इजाजत देनी चाहिए या नहीं. इसके लिए एक संसदीय समिति का भी गठन किया गया है, जो हर पहलू की पड़ताल करने में जुटी हुई है. समिति का कहना है कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से रोक लगाना सही नहीं है लेकिन इसके लिए रेगुलेशन भी बहुत जरूरी है.
मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाना तकरीबन नामुमकिन है. आपको जानकर हैरानी होगी कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले भारतीयों के पास 15 अरब डॉलर से भी ज्यादा की होल्डिंग है. लिहाजा, सरकार इसे लेकर रेगुलेशन तो जरूर लाएगी लेकिन कब लाएगी, इसके बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार देश में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को ई-कॉमर्स फर्म का दर्जा दे सकती है. दरअसल, सरकार भी क्रिप्टोकरेंसी के जरिए अपना खजाना भरना चाहती है. सरकार इस पर 1 फीसदी टीसीएस वसूलने की प्लानिंग में है.
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