दूसरी तरफ एलेम्बिक फार्मा, मेट्रोपोलिस हेल्थ और सनोफी इंडिया के शेयरों में बिकवाली दिखाई दे रही है। ये शेयर अपने 52 हफ्ते की न्यूनतम कीमत पर आ गये हैं, जो इनमें आई मंदी का संकेत दे रहा है। हालांकि बाजार में अभी भी अस्थिरता है, मगर अदानी ट्रांसमिशन, जीई शिपिंग, ग्रिंडवेल एमएसीडी की व्याख्या नॉर्टन, आयशर मोटर्स, बीईएल, कैंपस एक्टिववियर और सोलर इंडस्ट्रीज में निवेश से मुनाफा कमाने का अवसर भी दिख रहा हैI
MCD Full Form Hindi
माइनर सिविल डिवीजन (MCD) संयुक्त राज्य अमेरिका की जनगणना ब्यूरो द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक शब्द है, जो किसी काउंटी, नागरिक या प्रागैतिहासिक जिले जैसे काउंटी के प्राथमिक सरकारी और / या प्रशासनिक प्रभागों को नामित करता है।
Definition | : | McDonald’s |
एमएसीडी ने कई शेयरों में तेजी के संकेत दिए
मोमेंटम इंडिकेटर मूविंग एवरेज कनवर्जेन्स डिवर्जेंस या एमएसीडी को सूचकांक या ट्रेडेड सिक्योरिटीज के कारोबार में बदलाव के संकेत के लिए जाना जाता है। एमएसीडी ने त्रिवेणी इंजीनियरिंग, स्टर्लिंग विल्सन सोलर, कल्याण ज्वैलर्स इंडिया, टीमलीज सर्विस और रेडिको खेतान में तेजी का रुझान दिया है। एमएसीडी की व्याख्या जब एमएसीडी संकेत की रेखा को पार करे तो इसे तेजी का संकेत माना जाता है और यह बताता है कि शेयर की कीमत में बढ़ोत्तरी हो सकती है। इसी तरह यह मंदी का भी संकेत देता है।
इसके विपरीत, एमएसीडी ने सेल, पॉलीकैब, जुबिलेंट फूडवर्क्स, अमारा राजा बैटरीज, फाइन ऑर्गेनिक और ग्लेनमार्क फार्मा के लिए शेयर में मंदी आने का संकेत दिया है, यानी कि अब इन शेयरों में लुढ़काव शुरू हो गया है।
आज अदानी ट्रांसमिशन, बीईएल, जीई शिपिंग, ग्रिंडवेल नॉर्टन, सोलर इंडस्ट्रीज, आयशर मोटर्स और कैंपस एक्टिववियर के शेयरों में अच्छी खरीदारी देखने को मिली। इन शेयरों ने 52 हफ्ते की सबसे ऊँची कीमत का स्तर पार कर लिया है, जो आनेवाली तेजी का संकेत देता है।
कल्याण ज्वेलर्स के स्टोक्स
Kalyan Jewelers and Eichers Motor shares rise: घरेलू शेयर बाजारों में दो दिन से लगातार चल रही गिरावट के बाद मंगलवार को कुछ तेजी देखनी को मिली। इस अस्थिर सत्र में 23 अगस्त को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज सेंसेक्स 257.43 अंक यानी 0.44 प्रतिशत ऊपर जाकर 59,031.30 अंक पर बंद हुआ था। मेटल, बैंकिंग और ऑटो के शेयरों में आई तेजी से बाजार मजबूत रहा। इसके अलावा, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 86.80 अंक बढ़कर 17,577.50 अंक पर बंद हुआ। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की अगली मौद्रिक नीति समीक्षा से ब्याज दर में होनेवाली बढ़ोत्तरी की चिंता से अस्थिरता बढ़ रही है। एशिया के दूसरे बाजारों में भी गिरावट देखी गई।
इस उथल-पुथल और मंदी की स्थिति के बावजूद, अदानी ट्रांसमिशन, जीई शिपिंग, ग्रिंडवेल नॉर्टन, आयशर मोटर्स, बीईएल, कैंपस एक्टिववियर और सोलर इंडस्ट्रीज के शेयरों में अच्छी खरीदारी एमएसीडी की व्याख्या देखने को मिली। इन शेयरों ने अपने 52 हफ्ते की अधिकतम कीमत को पार कर लिया है।
MCD Election Results में बहुमत के बाद आप का आरोप- पार्षद खरीदने में जुट गई भाजपा, पर मेयर हमारा ही होगा
दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल (फोटो- पीटीआई)
Delhi MCD Election Update: दिल्ली नगर निगम के चुनाव के नतीजे बुधवार (7 दिसंबर) को आए। इसमें आप ने एमसीडी की 250 सीटों में 134 सीटों पर कब्जा किया है। वहीं भाजपा ने 104 सीटों पर जीती है। नतीजे आने के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) की प्रवक्ता रीना गुप्ता ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) आप के पार्षदों को खरीदने की कोशिश में लग गई है।
गुप्ता ने कहा कि भाजपा कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन हमारे दर पर पार्षद बिकाऊ नहीं हैं का बोर्ड लगा हुआ है और दिल्ली का मेयर आम आदमी पार्टी का ही बनेगा। रीना गुप्ता (Rena Gupta) ने कहा कि भाजपा ने पहले भी दिल्ली में आप के विधायकों को खरीदने के लिए ‘ऑपरेशन लोटस’ चलाया लेकिन सफल नहीं हुई।
Delhi MCD के नतीजे:
दिल्ली की 250 नगर निगम सीटों में भाजपा 104, आप 134, कांग्रेस 9 और अन्य ने 3 सीटों पर कब्जा जमाया है। बता दें कि नतीजों में आप को बहुमत मिलने के बाद आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भाजपा पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा “भाजपा ने इस चुनाव में 400 सांसदों को लगाया, इसके साथ ही इस चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह की फोटो लगाई गई।
उन्होंने कहा कि पूरे चुनाव का प्रभार जेपी नड्डा को सौंपा गया और 17 केंद्रीय मंत्रियों को इस चुनाव में प्रचार के लिए लगाया गया। इसके अलावा 8 राज्यों के मुख्यमंत्री भी मैदान में उतरे लेकिन इसके बाद भी दिल्ली की जनता ने दिल्ली के बेटे अरविंद केजरीवाल को जिताया।”
MCD Election 2022: बीजेपी-आप एक-दूसरे पर उंगली उठाने में मशगूल, कोई नहीं कर रहा राजधानी की समस्याओं की बातें
सैय्यद खुर्रम रज़ा
2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री (अब दिवंगत) शीला दीक्षित ने दिल्ली नगर निगम का तीन हिस्सों में विभाजन किया था, तो उनके दिमाग में दिल्ली के हित भी थे। तब कहा गया था कि दिल्ली आबादी के लिहाज से बढ़ रही है और उस हिसाब से सफाई, देखरेख, ट्रैफिक एमएसीडी की व्याख्या आदि समस्याएं बढ़ रही हैं इसलिए निगम का विभाजन बहुत जरूरी है। आज सबसे बड़ा सवाल यही है कि विभाजन से जन्म लेने वाली समस्याओं के समाधान के लिए निगम को दोबारा एक तो किया गया है लेकिन क्या वाकई यह समस्या का समाधान है या वोट की राजनीति से प्रेरित है। हो सकता है कि शीला दीक्षित ने विभाजन के वक्त अपने राजनीतिक लाभ को दिमाग में रखा होगा लेकिन इसमें शक नहीं कि उन्होंने दिल्ली के लोगों के हितों को नजरंदाज नहीं किया था।
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निगम चुनाव पर पूरे मुल्क की नजर इसलिए भी है कि दिल्ली में होने वाली किसी भी राजनीतिक गतिविधि का असर पूरे देश में देखने को मिलता है। वैसे भी, बीजेपी और आम आदमी पार्टी- दोनों ही 24 घंटे 365 दिन चुनावी राजनीति के मोड में रहती हैं बल्कि इस मामले में दोनों एक-दूसरे से होड़ करती रहती हैं। बीजेपी की जननी जनसंघ ने सबसे पहला चुनाव दिल्ली नगर निगम का ही जीता था और उसके बाद देश की राजनीति में एक नए दल के तौर पर कदम रखा था। वरिष्ठ एमएसीडी की व्याख्या पत्रकार दिलबर गोठी कहते भी हैं कि ’1958 का 80 सदस्यों वाला नगर निगम कभी तीन हिस्सों में बंटा और अब फिर एक हो गया है। सदस्यों की संख्या 272 तक बढ़ते हुए अब घटकर 250 पर आ गई है।’ ऐसे में यह चुनाव दिलचस्प हो गया है।
आम आदमी पार्टी ने साल 2013 में दिल्ली की सत्ता संभाली और तब से दिल्ली की राजनीति में एक बड़ी तब्दीली आई है। वैसे, दिल्ली मुख्य तौर पर दो राजनीतिक दलों- कांग्रेस तथा बीजेपी का गढ़ मन जाता था लेकिन आम आदमी पार्टी अब महत्वपूर्ण तीसरी खिलाड़ी है। उसकी आकांक्षा पूरे देश में अपना दबदबा बनाने की है। पंजाब में भी उसकी सरकार है। दिल्ली में चाहे वह संसद की कोई सीट जीतने में नाकाम रही हो और दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के चुनाव में कोई सीट न जीत पाई हो लेकिन वह एमएसीडी की व्याख्या कम-से-कम निगम पर कब्जा करना चाहती है जबकि बीजेपी निगम से अपनी सत्ता जाने नहीं देना चाहती। दिल्ली की सत्ता में आने के बावजूद आम आदमी पार्टी 2017 में बीजेपी को मात नहीं दे पाई एमएसीडी की व्याख्या थी। बीजेपी निगम पर पिछले 15 वर्ष से काबिज है।
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प्रचार कम-से-कम सोशल मीडिया पर तो पूरे शबाब पर है। तरह-तरह के आरोप-प्रत्यारोप और अपने-अपने दावे-वादे वाले वीडियो लगभग हर व्यक्ति के फोन-वाट्सएप पर हैं। चूंकि केन्द्र और निगम में बीजेपी तथा दिल्ली में आम आदमी पार्टी सत्ता में है इसलिए उनके कामकाज के परीक्षण का यह मौका है और इसलिए अपने बचाव में दोनों ही पक्ष एक-दूसरे पर ज्यादा से ज्यादा उंगली उठा रहे हैं। आम आदमी पार्टी इन चुनावों एमएसीडी की व्याख्या में जहां अपने स्कूल और मोहल्ला क्लिनिक के ’बेहतर’ होने को तो शो केस कर ही रही है, वहीं कूड़े के पहाड़ और निगम के कर्मचारियों की तनख्वाहों को मुद्दा बना रही है। दूसरी तरफ, बीजेपी वही पुराने और आजमाए हुए तरीके- मोदी के चेहरे को आगे कर रही है। वह नहीं चाहती कि कूड़े, नगर निगम के स्कूलों, अस्पतालों, गलियों-कूचों के रखरखाव, प्रॉपर्टी टैक्स, पार्क या पार्किंग वगैरह पर ज्यादा बात हो क्योंकि ये उसकी कमजोर नसें हैं। इसीलिए वह आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार को ही मुद्दा बनाने का हरसंभव प्रयास कर रही है। आम आदमी पार्टी के टिकट बेचने की खबर और मंत्री सत्येंद्र जैन की जेल से जारी वीडियो को उसने मुद्दा बनाने का पूरा प्रयास किया है। उधर, कांग्रेस विकास को ही मुख्य मुद्दा बनाने की कोशिश में है। शीला दीक्षित के कामकाज को वोटरों के बीच रखकर वह उन दिनों की यादें उभार रही है जब दिल्ली का वास्तविक विकास हो रहा था। एमएसीडी की व्याख्या वह प्रॉपर्टी टैक्स माफ करने की बात तो कर ही रही है, उसने दिल्ली में बिजली में भ्रष्टाचार से होने वाले नुकसान को मुद्दा बनाया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व बिजली मंत्री अजय माकन का कहना है कि ’केजरीवाल सरकार का बिजली मॉडल बेरोजगारी और भ्रष्टाचार का मॉडल है क्योंकि दिल्ली में बिजली के निजीकरण बिजली की चोरी आई कमी का फायदा लोगों को न मिलकर बिजली की निजी कंपनियों को दिया जा रहा है। साथ में 30 प्रतिशत फर्जी सब्सिडी ग्राहक हैं जिनका पैसे का कोई हिसाब नहीं दिया जा रहा। आखिर, दिल्ली में बिजली की चोरी सबसे कम होने के बावजूद इसके रेट सबसे ज्यादा क्यों हैं? ज्यादा रेट होने की वजह से दिल्ली में मैन्युफैक्चरिंग यूनिटें बंद हुई हैं और इसी कारण दिल्ली में बेरोजगारी जबरदस्त बढ़ी है।’
एमसीडी चुनावः कम मतदान के कारण तलाशने में जुटे राजनीतिक दल और चुनाव आयोग
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के 250 वार्डों के लिए 4 दिसंबर को हुए मतदान के जरिए जनता ने अपना फैसला सुना दिया है। मतदान प्रतिशत सबके लिए चौंकाने वाला रहा क्योंकि इससे पहले वर्ष 2017 में जब एमसीडी चुनाव हुए थे, उस समय से भी तीन फीसदी कम वोट इस बार मतदाताओं ने डाले। मतदान कम होने के कारणों की पड़ताल राज्य निर्वाचन आयोग एमएसीडी की व्याख्या करने में जुट गया है। वहीं भाजपा और आम आदमी पार्टी सहित अन्य राजनीतिक दल भी इसकी समीक्षा कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि परिसीमन की वजह से बूथ बदलने, मतदाता सूचियों में नाम न मिलने और पोलिंग स्टेशन पर कुछ अव्यवस्था की वजह से ज्यादातर वार्डों में परेशानी हुई। मतदाता इस तरह उलझे की कुछ वोट डालने की उम्मीद में इधर-उधर भटके तो अधिकांश बिना वोट डाले ही मतदान केंद्र से वापस लौट गए। चुनाव नतीजे 7 दिसंबर को आएंगे। 250 वार्डों में कुल 50.47 फीसदी मतदान हुआ, जो 2017 के मुकाबले लगभग 3 फीसदी कम है। जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 873