“मैं क्रिप्टो के बारे में बहुत सकारात्मक हूं। यह मूल रूप से क्रिप्टोग्राफी पर आधारित है और कुछ वर्षों में इंटरनेट की तरह मुख्यधारा की तकनीक होगी जो (अब) दैनिक जीवन का हिस्सा है।

गौतम अडाणी, अनिल अग्रवाल ने झुनझुनवाला को श्रद्धांजलि दी

भारत के वॉरेन बफे के नाम से पहचाने जाने वाले दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला अब नहीं रहे. रविवार 14 अगस्त को उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन पर बाजार और उद्योग जगत से जूड़े लोगों ने दुख जताया और उनके योगदान को याद निवेशकों और उद्योग जगत का आशावाद किया.

नई दिल्ली: शेयर बाजार के दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला के निधन पर देश के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडाणी और खनन कारोबारी अनिल अग्रवाल ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है. अडाणी ने ट्वीट किया कि भारत के सबसे महान निवेशक के असामयिक निधन से बेहद दुखी हूं. झुनझुनवाला ने अपने शानदार विचारों से एक पूरी पीढ़ी को हमारे इक्विटी बाजारों में विश्वास करने के लिए प्रेरित किया. मैं और देश उन्हें सदैव याद रखेंगे.

देश के मशहूर बैंकर दीपक पारेख ने कहा कि झुनझुनवाला आशावाद के साथ एक प्रसिद्ध हस्ती थे जिन्होंने भारतीय बाजार को गति दी. बैंकर उदय कोटक ने कहा कि राकेश झुनझुनवाला मेरे स्कूल और कॉलेज के साथी थे. उनके पास वित्तीय बाजारों की अनूठी समझ थी. हम आपको हमेशा याद करेंगे!

खनन कारोबारी अनिल अग्रवाल ने ट्वीट के माध्यम से शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मेरा दोस्त और शेयर बाजार का दिग्गज अब नहीं रहा. झुनझुनवाला को हमेशा उस व्यक्ति के रूप में जाना जाएगा जिसने शेयर बाजारों की सार्वजनिक समझ को लोकप्रिय बनाया.

शेयर बाजार के विशेषज्ञों ने दी झुनझुनवाला को श्रद्धांजलि : शेयर बाजार के दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला के निधन पर बाजार विश्लेषकों ने शोक जताते हुए कहा है कि उनका देश की वृद्धि की कहानी पर काफी भरोसा था और उनके भीतर मौजूद ऊर्जा उन्हें खास बनाती थी. जेरोधा के संस्थापक निखिल कामत ने ट्वीट किया कि आप जैसा कोई कभी भी देखने को नहीं मिलेगा.

एक्सिस सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बी गोपकुमार ने कहा कि वह टीवी स्टूडियो में जैसी ऊर्जा लाते थे, उसके लिए उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि भारत की वृद्धि की कहानी में उन्हें पूरा भरोसा था. उन्होंने हमेशा यह साबित किया कि यदि कोई व्यक्ति अच्छी कंपनियों में अपने निवेश को बनाए रखता है, तो उसकी संपत्ति बढ़ना निश्चित है.

एक अन्य विशेषज्ञ संदीप पारेख ने कहा कि झुनझुनवाला ऐसी हस्ती थे जिनके भाषण सुनकर ऐसे लोगों को भी देश की वृद्धि की कहानी में भरोसा हो जाता था, जो ऐसा नहीं मानते थे. एंबिट एसेट मैनेजमेंट के सीईओ सुशांत भंसाली ने कहा कि झुनझुनवाला भारत की कहानी में सबसे अधिक भरोसा करने वाले लोगों में से एक थे.

सरकार के उपायों के बाद कैपिटल गुड्स, केमिकल, इन्फ्रा में निवेश के बेहतर मौके

यूटिलिटी डेस्क. देश की आर्थिक गतिविधियों से सुस्ती को दूर भगाने के लिए सरकार ने पिछले कुछ समय में कई कदम उठाए हैं। हाल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाउसिंग और एक्सपोर्ट सेक्टर के लिए राहत के उपायों की घोषणा की है। रिजर्व बैंक से सरकार को 1.75 लाख करोड़ रुपए की सरप्लस राशि मिली है।

साथ ही सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती कर उद्योग जगत को 1.45 लाख करोड़ रु. की राहत दी है। इससे नए निवेश को रफ्तार मिलेगी। कॉरपोरेट टैक्स की कटौती से शेयर बाजारों में मजबूत पॉजिटिव मोमेंटम बना है। भारतीय निवेशक फिलहाल सतर्कता के साथ आशावादी हैं। अर्थव्यवस्था में ग्रोथ के रिवाइवल के लिए एक्शन प्लान तैयार है। इसके तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने पर 2 लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स में निवेश हो सकता है। इनमें रेल-रोड-एयर कनेक्टेड ट्रांसपोर्टेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर, माल ढुलाई के लिए वाटरवेज, सिंचाई के लिए नदियों निवेशकों और उद्योग जगत का आशावाद का जोड़ने, हवाई मार्ग जोड़ने जैसे प्रोजेक्ट शामिल हैं।

इसके अलावा शहरी और ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट और बिजली मुहैया कराने, सस्ते घर बनाने, स्मार्ट सिटीज बनाने, किसानों को सुरक्षा मुहैया कराने, हेल्थकेयर और सामाजिक कल्याण की योजनाओं पर खर्च भी शामिल हैं। आने वाले समय में ये क्षेत्र बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। केमिकल, कैपिटल गुड्स, ऑटो और ऑटो एंसिलरी इंडस्ट्री के अलावा बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज निवेशकों और उद्योग जगत का आशावाद और इंश्योरेंस कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें बड़ा लाभ मिल सकता है। भारतीय केमिकल सेक्टर की ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग में महज 5% की हिस्सेदारी है। लेकिन पिछले दो साल में इस क्षेत्र में भारी निवेश हो रहा है। इससे चीन द्वारा खाली किए गए निवेशकों और उद्योग जगत का आशावाद मौकों को भुनाया जा सकता है। बैंकिंग सेक्टर में विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। एनबीएफसी और माइक्रो-लेंडर्स के उभरने से कर्ज लेने की रफ्तार बढ़ी है। 2017 में कर्ज 3.7 लाख करोड़ रुपए था, जो अब बढ़कर 6.7 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। यह जीडीपी के महज 3.5% के बराबर है।

ऑटो इंडस्ट्री के हालात में अब स्पष्ट सुधार हो रहा है
मजबूत बैलेंस शीट और कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के बाद ऑटो कंपनियां सुस्ती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। वे विस्तार योजनाओं में पूंजी निवेश करेंगी। इनकी आरएंडडी की गतिविधियों में तेजी आएगी। नए एमिशन नॉर्म और जैविक ईंधन के वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने पर जोर ऑटो सेक्टर के लिए ग्रोथ के मुख्य कारक साबित होंगे।

उद्योग जगत के नेता भारत में क्रिप्टो को लेकर उत्साहित हैं, खेल में आगे रहना चाहते हैं

उद्योग जगत के नेता भारत में क्रिप्टो को लेकर उत्साहित हैं, खेल में आगे रहना चाहते हैं

क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध के आसपास FUD भारत क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए अनिश्चित वातावरण बनाया है। अपूरणीय टोकन और ब्लॉकचेन जैसी जगहों पर काम करने वाले पारिस्थितिकी तंत्र के खिलाड़ी भी परेशान हैं। कहने की जरूरत नहीं है, घबराहट की बिक्री के बीच, क्रिप्टो समर्थकों ने निवेशकों से शांत रहने और किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से बचने का आग्रह किया।

अग्रणी ऑनलाइन भुगतान प्लेटफॉर्म के सीईओ विजय शेखर शर्मा Paytm वर्तमान में क्रिप्टो समुदाय के भीतर चलन में है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वर्चुअल रूप से ICC द्वारा आयोजित एक इंटरेक्टिव सेशन में शर्मा पर उनके विचारों पर चर्चा की अनिश्चितता के समुद्र के बीच डिजिटल संपत्ति। उसने कहा,

“मैं क्रिप्टो के बारे में बहुत सकारात्मक हूं। यह मूल रूप से क्रिप्टोग्राफी पर आधारित है और कुछ वर्षों में इंटरनेट की तरह मुख्यधारा की तकनीक होगी जो (अब) दैनिक जीवन का हिस्सा है।

‘सब परेशान हैं’

प्रेस समय में, भले ही इन टोकन के लिए कोई पुष्टि नियामक कदम नहीं हैं, क्रिप्टोक्यूरैंक्स की मांग बड़े पैमाने पर बढ़ गई है। हालांकि इसके भविष्य को लेकर अभी भी तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन, सीईओ कुछ और ही सोचते हैं।

“हर सरकार भ्रमित है। पांच वर्षों में, यह मुख्यधारा की तकनीक होगी।”

उन्होंने आशा व्यक्त की कि जल्द ही, (भविष्य में) लोगों को क्रिप्टोकरेंसी के महत्व का एहसास होगा, फिर भी “यह संप्रभु मुद्रा का प्रतिस्थापन नहीं होगा,” शर्मा मत था. बहुत समय पहले की बात नहीं है, कंपनी के सीएफओ मधुर देवड़ा ने भी व्यक्त क्रिप्टोक्यूरेंसी अपनाने के संबंध में एक समान आशावाद।

इसके अलावा, देश के अन्य उत्साही लोग भी क्रिप्टोकरेंसी के महत्व पर प्रकाश डालते हैं। अगर भारत सरकार क्रिप्टो-केंद्रित नियमों में देरी करती रही तो कुछ ने FOMO कथा को भी चित्रित किया। क्रिप्टो एक्सचेंज के संस्थापक और सीईओ आशीष सिंघल कॉइनस्विच कुबेर में राय दी साक्षात्कार,

“हम क्रिप्टो को स्वीकार करने में देर से चलने वाले नहीं हो सकते। हम पहले ही इंटरनेट 1.0 की पहली बस से चूक गए। आज हमारे राजस्व का 70% यूएस-आधारित तकनीकी दिग्गजों के पास जाता है। हम प्रौद्योगिकी के शुद्ध आयातक हैं। हम हर साल इस तकनीक का 10 अरब डॉलर से अधिक का आयात करते हैं और अगले 3-4 वर्षों में इसके 45-30 अरब डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।

सिंघल ने कहा, “क्रिप्टोकरेंसी में शुरुआती भागीदारी भारत को क्रिप्टो निवेशकों और उद्योग जगत का आशावाद और ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी का शुद्ध निर्यातक बनने का मौका दे सकती है।”

यह कहने के बाद भी, नियम अभी भी एक बड़ा प्रश्न चिह्न बने हुए हैं। सबकी निगाहें हैं आगामी बिल संसद के शीतकालीन सत्र में। सरकार का लक्ष्य क्रिप्टोक्यूरेंसी बिल को संसद में पेश करना है 29 नवंबर.

गौतम अडाणी, अनिल अग्रवाल ने झुनझुनवाला को श्रद्धांजलि दी

भारत के वॉरेन बफे के नाम से पहचाने जाने वाले दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला अब नहीं रहे. रविवार 14 अगस्त को उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन पर बाजार और उद्योग जगत से जूड़े लोगों ने दुख जताया और उनके योगदान को याद किया.

नई दिल्ली: शेयर बाजार के दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला के निधन पर देश के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडाणी और खनन कारोबारी अनिल अग्रवाल ने उन्हें श्रद्धांजलि दी निवेशकों और उद्योग जगत का आशावाद है. अडाणी ने ट्वीट किया कि भारत के सबसे महान निवेशक के असामयिक निधन से बेहद दुखी हूं. झुनझुनवाला ने अपने शानदार विचारों से एक पूरी पीढ़ी को हमारे इक्विटी बाजारों में विश्वास करने के लिए प्रेरित किया. मैं और देश उन्हें सदैव याद रखेंगे.

देश के मशहूर बैंकर दीपक पारेख ने कहा कि झुनझुनवाला आशावाद के साथ एक प्रसिद्ध हस्ती थे जिन्होंने भारतीय बाजार को गति दी. बैंकर उदय कोटक ने कहा कि राकेश झुनझुनवाला मेरे स्कूल और कॉलेज के साथी थे. उनके पास वित्तीय बाजारों की अनूठी समझ थी. हम आपको हमेशा याद करेंगे!

खनन कारोबारी अनिल अग्रवाल ने ट्वीट के माध्यम से शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मेरा दोस्त और शेयर बाजार का दिग्गज अब नहीं रहा. झुनझुनवाला को हमेशा उस व्यक्ति के रूप में जाना जाएगा जिसने शेयर बाजारों की सार्वजनिक समझ को लोकप्रिय बनाया.

शेयर बाजार के विशेषज्ञों ने दी झुनझुनवाला को श्रद्धांजलि : शेयर बाजार के दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला के निधन पर बाजार विश्लेषकों ने शोक जताते हुए कहा है कि उनका देश की वृद्धि की कहानी पर काफी भरोसा था और उनके भीतर मौजूद ऊर्जा उन्हें खास बनाती थी. जेरोधा के संस्थापक निखिल कामत ने ट्वीट किया कि आप जैसा कोई कभी भी देखने को नहीं मिलेगा.

एक्सिस सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बी गोपकुमार ने कहा कि वह टीवी स्टूडियो में जैसी ऊर्जा लाते थे, उसके लिए उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि भारत निवेशकों और उद्योग जगत का आशावाद निवेशकों और उद्योग जगत का आशावाद की वृद्धि की कहानी में उन्हें पूरा भरोसा था. उन्होंने हमेशा यह साबित किया कि यदि कोई व्यक्ति अच्छी कंपनियों में अपने निवेश को बनाए रखता है, तो उसकी संपत्ति बढ़ना निश्चित है.

एक अन्य विशेषज्ञ संदीप पारेख ने कहा कि झुनझुनवाला ऐसी हस्ती थे जिनके भाषण सुनकर ऐसे लोगों को भी देश की वृद्धि की कहानी में भरोसा हो जाता था, जो ऐसा नहीं मानते थे. एंबिट एसेट मैनेजमेंट के सीईओ सुशांत भंसाली ने कहा कि झुनझुनवाला भारत की कहानी में सबसे अधिक भरोसा करने वाले लोगों में से एक थे.

मंदी पर लाचार संप्रग सरकार

केंद्र की संप्रग सरकार को आर्थिक सुस्ती से निपटने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा। कोरे वादों और आशावाद के सिवाय उसके पास कोई ठोस उपाय नहीं है। खुद अंधेरे में हाथ-पैर मार रही सरकार आम आदमी और निवेशकों को भरोसा देने में विफल रही है।

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्र की संप्रग सरकार को आर्थिक सुस्ती से निपटने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा। कोरे वादों और आशावाद के सिवाय उसके पास कोई ठोस उपाय नहीं है। खुद अंधेरे में हाथ-पैर मार रही सरकार आम आदमी और निवेशकों को भरोसा देने में विफल रही है।

मंगलवार को वित्ता मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सुधारों की रफ्तार बढ़ाने के लिए संसद को सुचारु रूप से चलाने की पुरजोर पैरवी तो की, लेकिन अर्थव्यवस्था में जान निवेशकों और उद्योग जगत का आशावाद निवेशकों और उद्योग जगत का आशावाद फूंकने के लिए कोई नुस्खा नहीं पेश कर पाए। इस बीच रुपये में ऐतिहासिक गिरावट से सरकार की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र की धीमी रफ्तार के साथ रुपये की गिरती कीमत भी सरकार के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। महंगाई और ऊंची ब्याज दरों के चलते उद्योगों में उत्पादन की रफ्तार थम गई है। निर्यात की हालत बुरी है।

आर्थिक सुधारों का पहिया भी रुका हुआ है। ऐसे में राज्यसभा में विनियोग विधेयक पर जवाब देने के लिए खड़े हुए वित्ता मंत्री से उम्मीद थी कि वो सरकार के भावी उपायों के बारे में बताएंगे।

उन्होंने माना कि अर्थंव्यवस्था मंदी में है, लेकिन भरोसा दिलाया कि उससे पार पाने की क्षमता भी इसमें है। हालांकि वित्ता मंत्री का यह आशावाद मुद्रा बाजार में रुपये के अवमूल्यन को नहीं रोक पाया। डॉलर के मुकाबले रुपया 53.52 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था।

हालांकि बाद में कुछ सुधर कर यह 38 पैसे की गिरावट के साथ 53.24 रुपये पर बंद हुआ। पिछले दो दिनों में डॉलर 1.19 रुपये मजबूत हुआ है। रुपये की कीमत में उतार-चढ़ाव अभी बने रहने की उम्मीद है। सरकार का कहना है कि रिजर्व बैंक के पास विदेशी मुद्रा का भंडार इतना नहीं है निवेशकों और उद्योग जगत का आशावाद कि वह हस्तक्षेप कर रुपये को स्थिर करे।

उधर अर्थव्यवस्था की मौजूदा हालत के मद्देनजर प्रमुख अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी एवं वित्ताीय सलाहकार संस्था फिच ने चालू वित्ता वर्ष के लिए आर्थिक विकास दर के अनुमान को 7.5 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया है। फिच ने इसके लिए घरेलू स्तर पर ब्याज की दर और महंगाई की स्थिति को प्रमुख कारक बताया है। देश के सभी प्रमुख चैंबरों ने सरकार को त्राहिमाम संदेश भेजते हुए कहा है कि अगर हालात से निबटने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो अब नौकरियों में छंटनी का सिलसिला शुरू हो सकता है।

एचडीएफसी बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री अभीक बरुआ के मुताबिक अक्टूबर में त्योहारी सीजन होने के बावजूद उपभोक्ता सामान उद्योग में 0.3 फीसदी की गिरावट से साफ है कि स्थिति कितनी गंभीर है।

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