Mutual Funds में निवेश की कैसे करें प्‍लानिंग (फोटो-Freepik)

टारगेट मैच्योरिटी फंडो की तरफ बढ़ रहा निवेशकों का रुझान, आइए जानतें है क्या है इनकी खासियत

टारगेट मैच्योरिटी फंड की एक निश्चित परिपक्वता तिथि होती है। ये वो तिथि होती है जब स्कीम और उसके पोर्टफोलियो निवेश मैच्योर होते हैं। लेकिन निवेशकों को इनमें जल्द निकासी की भी सुविधा होती है

बॉन्ड से मिलने वाले ब्याज को बॉन्ड यील्ड कहा जाता है।बॉन्ड पर पहले से तय दर पर टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं ब्याज मिलता है। इसमें बदलाव नहीं होता है

पिछले कुछ सालों के दौरान टारगेट मैच्योरिटी फंडों में भारी ग्रोथ देखने को मिली है। सरकार की तरफ से 2019 में भारत बॉन्ड ईटीएफ (Bharat Bond ETF) लॉन्च होने को बाद इनकी लोकप्रियता और बढ़ी है। भारत बॉन्ड ईटीएफ का प्रबंधन Edelweiss Mutual Fund के हाथों में हैं। ये देश का पहला टारगेट मैच्योरिटी फंड था।

ईटीएफ के अलावा इस समय तमाम इंडेक्स ट्रेडेड मैच्योरिटी फंड हैं। टारगेट मैच्योरिटी फंड की एक निश्चित परिपक्वता तिथि होती है। ये वो तिथि होती है जब स्कीम और उसके पोर्टफोलियो निवेश मैच्योर होते हैं। लेकिन निवेशकों को इनमें जल्द निकासी की भी सुविधा होती है क्योंकि ये एक ओपन-एंड फंड होते हैं। हालांकि कि निवेशकों को सलाह होगी कि वे इनमें मैच्योरिटी तक बने रहने को वरीयता दें जिससे कि ज्यादा से ज्यादा संभव रिटर्न प्राप्त हो सके। जैसे-जैसे ब्याज दरें बढ़ती हैं, निवेशक इस तरह के फंडों का इस्तेमाल अपने निवेश को हाई यील्ड पर लॉक-इन करने के लिए कर सकते हैं।

हाल के महीनों में निवेशकों के बीच पैसिवली मैनेज्ड टारगेट मैच्योरिटी फंडों के प्रति ज्यादा रुझान देखने को मिला है। इंडस्ट्री सूत्रों का कहना है कि फ्रैंकलिन टेम्पलटन संकट के बाद एक्टिवली मैनेज्ड फंडों के पोर्टफोलियो की क्रेडिट क्वालिटी को लेकर चिंता बढ़ी है। दूसरी तरफ पैसिवली मैनेज्ड टारगेट मैच्योरिटी फंडों काफी पारदर्शी होते हैं। इस तरह के फंड या तो स्टेट डेवलपमेंट लोन बॉन्डों के इंडेक्स या टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं सरकारी प्रतिभूतियों के बांडों के इंडेक्स या दोनों के मिलेजुले इंडेक्स से जुड़े होते हैं। इसके अलावा मैच्योरिटी पर इन फंडों से मिलने वाले रिटर्न का अंदाजा लगाना भी आसान होता है।

Money Guru: क्या हैं टार्गेट मैच्योरिटी फंड? ऊंची ब्याज दरों में कहां निवेश सही? जानिए एक्सपर्ट्स की राय

ऊंची ब्याज दरों में निवेश करना चाहते हैं, तो जान लीजिए आपके पास क्या विकल्प मौजूद हैं. इसमें टार्गेट मैच्योरिटी फंड की बात करते हैं, जिसमें आप ऊंची ब्याज में पैसों को लॉक इन कर सकते हैं. जहां एक तरफ टार्गेट मैच्योरिटी फंड का निवेश सरकारी सिक्योरिटीज के हाई क्वालिटी पेपर में होता है, वहीं फंड में कम जोखिम में हाई-लिक्विडिटी का भी फायदा मिलता है. Money Guru पर जानिए क्या है टार्गेट मैच्योरिटी फंड के बेनिफिट्स आनंदराठी वेल्थ मैनेजमेंट के CEO, फिरोज अजीज और Edelweiss AMC की MD और CEO, राधिका गुप्ता से.

ICICI प्रूडेंशियल MF ने लॉन्च किए दो टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड, 11 अक्टूबर तक निवेश का मौका, चेक डिटेल

ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी SDL दिसंबर 2028 इंडेक्स फंड की मैच्योरिटी डेट 29 दिसंबर, 2028 है जबकि ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी G-Sec दिसंबर 2030 इंडेक्स फंड 31 दिसंबर, 2030 को परिपक्व होगा.

ICICI प्रूडेंशियल MF ने लॉन्च किए दो टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड, 11 अक्टूबर तक निवेश का मौका, चेक डिटेल

ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने दो टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड लॉन्च किए हैं.

ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने दो टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड लॉन्च किए हैं. इसमें ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी SDL दिसंबर 2028 इंडेक्स फंड और ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी G-Sec दिसंबर 2030 इंडेक्स फंड शामिल हैं. ये ओपन-एंडेड पैसिवली मैनेज्ड फंड हैं, जो कि एक स्पेसिफिक डेट पर मैच्योर होंगे. दोनों स्कीम के लिए न्यू फंड ऑफर 4 अक्टूबर, 2022 से 11 अक्टूबर, 2022 तक उपलब्ध होगा. ICICI प्रूडेंशियल AMC के प्रोडक्ट डेवलपमेंट और स्ट्रैटेजी हेड चिंतन हरिया ने कहा, “बढ़ती ब्याज दरों के दौर में, एक स्पेसिफिक मैच्योरिटी बकेट के भीतर निश्चित अवधि में रिटर्न की तलाश करने वाले निवेशक टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड में निवेश कर सकते हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “टारगेट मैच्योरिटी फंड्स की मुख्य खासियत यह है कि यह बड़े पैमाने पर होल्ड-टू-मैच्योरिटी दृष्टिकोण अपनाता है. यह भारत के अलग-अलग राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के स्टेट डेवलपमेंट लोन या सरकारी प्रतिभूतियों के आधार पर बनता है. अगर तीन साल से अधिक समय तक निवेश रखा जाता है, तो निवेशकों को इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है जो हायर टैक्स ब्रैकेट में पोस्ट-टैक्स रिटर्न में काफी वृद्धि करता है.”

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मैच्योरिटी डेट्स

ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी SDL दिसंबर 2028 इंडेक्स फंड की मैच्योरिटी डेट 29 दिसंबर, 2028 है जबकि ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी G-Sec दिसंबर 2030 इंडेक्स फंड 31 दिसंबर, 2030 को परिपक्व होगा. ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी SDL दिसंबर 2028 इंडेक्स फंड के तहत निफ्टी SDL दिसंबर 2028 इंडेक्स में निवेश किया जाएगा. जबकि ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी G-Sec दिसंबर 2030 इंडेक्स फंड के तहत निफ्टी G-Sec दिसंबर 2030 इंडेक्स के घटकों में निवेश किया जाएगा.

क्या आपको करना चाहिए निवेश?

टारगेट मैच्योरिटी फंड (TMF) कम क्रेडिट रिस्क के साथ आते हैं क्योंकि ये स्कीम्स SDL और G-Secs (संबंधित योजनाओं के आधार पर) जैसे सॉवरेन इंस्ट्रूमेंट्स से युक्त इंडेक्स में निवेश करती हैं. यदि आप फिक्स्ड डिपॉजिट या गोल्ड जैसे ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट से बेहतर रिटर्न की तलाश में हैं तो आप TMF में निवेश कर सकते हैं. हालांकि, आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट में गारंटीड रिटर्न मिलता है जबकि म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है.

(डिस्क्लेमर: म्युचुअल फंड बाजार जोखिम के अधीन हैं. कृपया निवेश का निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें.)

SBI की ये तीन खास स्कीम भरेंगी निवेशकों की जेब, 3 अक्टूबर तक ही है निवेश का टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं मौका

तीनों स्कीम में से एक 22 सितंबर से लेकर 28 सितंबर तक खुली है. वहीं दो स्कीम 26 सितंबर को खुलेंगी और 28 सितंबर तक इनमें निवेश किया जा सकता है

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एसबीआई ने 2 करोड़ से कम की एफडी दरों को बढ़ा दिया है. 211 दिन से 10 साल की अलग अलग अवधि में दरें 25 से 65 बेस अंक बढ़ी हैं. एक से लेकर 3 साल के लिए दरें बढ़कर 6.75 हो गई है.

देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यानी एसबीआई म्यूचुअल फंड कैटेगरी में अपना दखल तेजी से बढ़ा रहा है. इस हफ्ते दो इक्विटी इंडेक्स फंड की घोषणा के बाद एसबीआई म्युचुअल फंड ने पैसिव सेगमेंट में पैठ बढ़ाते हुए तीन टारगेट मैच्योरिटी फंड यानी टीएमएफ लॉन्च करने का ऐलान किया. ये फंड हैं एसबीआई क्रसिल आईबीएक्स गिल्ट इंडेक्स – जून 2036 फंड, एसबीआई क्रसिल आईबीएक्स गिल्ट इंडेक्स – अप्रैल 2029 फंड और एसबीआई क्रिसिल आईबीएक्स एसडीएल इंडेक्स – सितंबर 2027 फंड. इन स्कीम्स का फंड मैनेजर दिनेश आहूजा को बनाया गया है.

आगे बढ़ने से पहले टारगेट मैच्योरिटी फंड की खासियत जान लेते हैं. टारगेट मैच्योरिटी फंड डेट म्यूचुअल फंड की एक कैटेगरी है, जिसकी एक निश्चित मैच्योरिटी डेट होती है. इसके जरिए अंडरलाइन इंडेक्स में शामिल बॉन्ड्स में निवेश किया जाता है और मैच्योरिटी तक इसे होल्ड करके रखा जाता है, ताकि बाद में इनवेस्टर्स को रकम बांटी जा सके. ये फंड मुख्य रूप से हाई रेटेड इंस्ट्रूमेंट्स जैसे Government Securities, AAA rated securities and PSU Bonds में निवेश करते हैं.

SBI MF के डिप्टी एमडी और चीफ बिजनेस ऑफिसर डीपी सिंह ने कहा कि मौजूदा बढ़ती ब्याज दरों के बीच टीएमएफ निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प हैं. क्योंकि ये फंड निवेशकों को निवेश करने का अवसर दे रहे हैं. इसके अलावा,अगर निवेशक फंड की मैच्योरिटी तक निवेश करता है तो यह interest rates की साइकिल में बदलाव से जुड़े रिस्क के मैनेजमेंट में भी मदद कर सकता है. traditional investment की तुलना में इन फंडों में अधिक तरलता होती है क्योंकि निवेशकों के पास किसी भी समय स्कीम में enter और exit करने की सुविधा होती है. इंडेक्सेशन बेनिफिट के कारण ये फंड टैक्स अच्छा रिटर्न देते हैं. SBI MF ने कहा कि इन स्कीम्स के जरिए मिनिमम 95% और मैक्सिमम 100% का निवेश किया जाएगा.

Mutual Fund में निवेश की प्‍लानिंग? ऐसे उठाएं अधिक ब्‍याज का लाभ, जानें कैसे करें तैयारी

शॉर्ट टर्म इनवेस्टर्स, जिनके पास 6 महीने से लेकर दो साल तक का टाइम है, उन्हें डेट म्यूचुअल फंड्स- लिक्विड, मनी मार्केट और बॉन्ड फंड्स में निवेश करना चाहिए।

Mutual Fund में निवेश की प्‍लानिंग? ऐसे उठाएं अधिक ब्‍याज का लाभ, जानें कैसे करें तैयारी

Mutual Funds में निवेश की कैसे करें प्‍लानिंग (फोटो-Freepik)

म्यूचुअल फंड में अधिक समय के लिए निवेश की सलाह दी जाती है, ताकि आपको एक अच्‍छा फंड मिल सके। अगर आप भी निवेश की प्‍लानिंग कर रहे हैं और म्‍यूच्‍युअल फंड से अच्‍छा पैसा बनाना चाहते हैं तो यह खबर आपकी मदद कर सकती है। आइए विशेषज्ञों से जाने कैसे करें निवेश की प्‍लानिंग और किस तरह आपको अधिक रिटर्न मिल सकता है?

किस तरह के फंड में अधिक रिटर्न
कर और निवेश विशेषज्ञों के अनुसार, दरों में बढ़ोतरी का असर इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के रिटर्न पर शॉर्ट टर्म यानी 6 महीने से लेकर दो साल तक हो सकता है। मिंट की एक रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स के हवाले से बताया गया है कि शॉर्ट टर्म इनवेस्टर्स, जिनके पास 6 महीने से लेकर दो साल तक का टाइम है, उन्हें डेट म्यूचुअल फंड्स- लिक्विड, मनी मार्केट और बॉन्ड फंड्स में निवेश करना चाहिए। इस तरह के फंड से उनके मौजूदा वार्षिक औसत रिटर्न से 0.50 से 1 फीसदी अधिक ब्‍याज मिल सकता है।

एक से तीन महीने के लिए इन फंडों में कर सकते हैं निवेश
माईफंडबाजार के सीईओ और संस्थापक विनीत खंडारे ने मिंट से कहा कि प्रत्येक निवेशक पोर्टफोलियो को उन फंडों में निवेश कर सकते हैं, जिनके ब्‍याज दर बढ़ रहे हैं। हालाकि इसमें 2 से कम के लिए निवेशित रहना चाहिए। वहीं अगर एक महीने या उससे कम के निवेश करना चाहते हैं तो अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड ले सकते हैं, जबकि तिमाही महीने के निवेश के लिए मनी मार्केट फंड खरीद सकते हैं।

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लंबे समय तक निवेशित रहने वाले टारगेट फंड का कर सकते हैं चयन
इसके अलावा अगर आप एक साल के लिए निवेश की प्‍लानिंग कर रहे हैं, तो निवेशकों को हाई रिटर्न और बाजार में उसके स्थिति को देखना चाहिए। लंबे समय तक निवेशित रहने वाले निवेशक टर्म निवेश के साथ टारगेट मैच्योरिटी फंड में निवेश कर सकते हैं।

बदल सकते हैं म्‍यूच्‍युल फंड
आरबीआई ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी पर म्यूचुअल फंड निवेश में बदलाव पर, मास्टरट्रस्ट की वरिष्ठ उपाध्यक्ष, पालका अरोड़ा चोपड़ा ने कहा कि बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण ब्याज दरों में वृद्धि के साथ, निवेशकों को अपने मौजूदा डेट फंड पोर्टफोलियो को बदलना होगा। साथ ही नए निवेश की योजना भी बनाई चाहिए। बढ़ती ब्याज दरों से लाभ प्राप्त करने के लिए तरल और मुद्रा बाजार फंड में निवेश करना चाहिए। निवेशक लंबे समय तक डायनेमिक बॉन्ड फंड देख सकते हैं।

शॉर्ट टर्म के लिए किस फंड में अधिक ब्‍याज
शॉर्ट टर्म में डेट फंड से उम्‍मीद जैसे रिटर्न पर ट्रस्ट म्यूचुअल फंड के सीईओ संदीप बागला ने कहा कि दो साल तक की मैच्योरिटी वाला कोई भी डेट म्यूचुअल फंड लिक्विड या ओवरनाइट फंड की तुलना में काफी अधिक ब्याज दे सकता है। लिक्विड फंड में कम अस्थिरता के साथ लगभग 4.75 प्रतिशत से 5 प्रतिशत ब्याज आय की पेशकश करने की संभावना है। एक बैंकिंग और पीएसयू डेट फंड जिसमें 6.80 प्रतिशत से 7 प्रतिशत दो साल के लिए बैलेंस फंड हो सकते हैं। इन फंडों के 3-6 महीनों में काफी अच्छा होने की उम्‍मीद है।

ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के पंकज मथपाल के अनुसार, डेट म्यूचुअल फंड के लिए नीचे दिए गए कुछ फंडों में निवेश कर सकते हैं, जिसमें निवेशकों को वार्षिक रिटर्न से 0.50 प्रतिशत से 1.0 प्रतिशत अधिक ब्‍याज मिल सकता है।

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