'विदेशी मुद्रा बाजार'
विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर में कमजोरी और घरेलू शेयर बाजार में तेजी के बीच बृहस्पतिवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी मुद्रा के विदेशी मुद्रा बाजार क्यों महत्वपूर्ण है? मुकाबले रुपया को मजबूती मिली. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि कच्चे तेल के ऊंचे दाम और विदेशी पूंजी की निकासी की वजह से रूपये की बढ़त सीमित रही.
Dollar vs Rupee Rate Today: अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.60 के स्तर पर लगभग सपाट रुख के साथ खुला और कारोबार के अंत में यह 15 पैसे की तेजी के साथ 82.45 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ.
Dollar vs Rupee Rate Today: विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि विदेशी फंडों की निकासी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर घरेलू बाजार पर देखा जा रहा है.
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.30 के स्तर पर खुला और कारोबार के अंत में यह 10 पैसे की तेजी के साथ 82.28 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान रुपये ने 82.08 के उच्चस्तर और 82.33 के निचले स्तर को छुआ. इससे पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 82.38 प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था.
Dollar vs Rupee Rate Today: विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि घरेलू शेयर बाजार में कमजोरी और विदेशी पूंजी की निकासी से स्थानीय मुद्रा प्रभावित हुई और उसमें बढ़त सीमित रही है.
Dollar vs Rupee Rate: विदेशी मुद्रा डीलरों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी और ताजा विदेशी फंड विदेशी मुद्रा बाजार क्यों महत्वपूर्ण है? प्रवाह ने रुपये की गिरावट को रोक दिया है.
विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि विदेशी बाजार में कमजोर डॉलर और ताजा विदेशी पूंजी प्रवाह ने नुकसान को सीमित कर दिया.
Dollar Vs Rupee : अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 81.18 के भाव पर मजबूती के साथ खुला और थोड़ी ही देर में यह 81.14 के स्तर तक भी पहुंच गया.
कच्चे तेल की कीमतों और डॉलर (Dollar) सूचकांक में मजबूती से अमेरिकी मुद्रा (American ) के मुकाबले रुपया गुरुवार को 55 पैसे गिरकर 82.17 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया.
अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.65 प्रति डॉलर के भाव पर खुला और जल्द ही 81.78 के स्तर पर गिर गया. इस तरह पिछले कारोबारी दिवस की तुलना में रुपये में 38 पैसे की गिरावट दर्ज की गई.
जीडीपी के 26% के बराबर अकेले रिजर्व बैंक के बहीखाते में, 13 साल का सबसे बड़ा उछाल
साल 2019-20 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का बहीखाता बढ़कर 53.34 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया जो देश की कुल जीडीपी का करीब 26 फीसदी था. साल 2018-19 में यह 41.02 लाख करोड़ रुपये था.
aajtak.in
- नई दिल्ली ,
- 25 अगस्त 2020,
- (अपडेटेड 25 अगस्त 2020, 4:07 PM IST)
- रिजर्व बैंक के बहीखाते में 30 फीसदी की बढ़त
- यह पिछले 13 साल की विदेशी मुद्रा बाजार क्यों महत्वपूर्ण है? सबसे बड़ी उछाल है
- 53.34 लाख करोड़ रुपये हुआ RBI का बहीखाता
करीब 13 साल में पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के बहीखाते में 30.02 फीसदी की जबरदस्त बढ़त हुई है. साल 2019-20 में रिजर्व बैंक का बहीखाता बढ़कर 53.34 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया जो देश की कुल जीडीपी का करीब 26 फीसदी था.
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक जुलाई से जून तक का लेखाजोखा पेश करता है और उसके बहीखाते में करेंसी (लायबिलिटी) और विदेशी मुद्रा भंडार (एसेट) दोनों को जोड़ा जाता है. साल 2018-19 में यह 41.02 लाख करोड़ रुपये था.
इससे पहले कब हुई थी ज्यादा बढ़त
भारत की जीडीपी का आकार करीब 200 लाख करोड़ रुपये का माना जाता है, इसके हिसाब से रिजर्व बैंक का बैलेंस सीट जीडीपी का करीब 26 फीसदी है. इससे पहले की सबसे बड़ी बढ़त साल 2007-08 में हुई थी, जब रिजर्व बैंक का बहीखाता 46 फीसदी बढ़कर 14.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. साल 2011-12 में रिजर्व बैंक के बहीखाते में 22 फीसदी की बढ़त हुई थी.
क्यों है महत्वपूर्ण
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक का बहीखाता भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी मायने रखता है, क्योंकि यह करेंसी जारी करता है, नकदी का प्रबंधन करता है और विदेशी मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव को कम करता है. पिछले कुछ वर्षों से रिजर्व बैंक का बहीखाता हर साल 10 से 12 फीसदी की दर से बढ़ता जा रहा है.
गोल्ड में 53 फीसदी की बढ़त
रिजर्व बैंक के अनुसार, साल 2019-20 में उसके घरेलू और विदेशी निवेश में क्रमश: 18.40 और 27.28 फीसदी की बढ़त हुई. इसी तरह लोन और कर्ज में 245.76 फीसदी तथा गोल्ड में 52.85 फीसदी की बढ़त हुई है. 30 जून तक के आंकड़ों के मुताबिक रिजर्व बैंक के एसेट में 28.75 फीसदी हिस्सा घरेलू एसेट का, जबकि 71.25 फीसदी हिस्सा विदेशी करेंसी और गोल्ड का है.
दुनियाभर के बैंकों का ये है हाल
वैसे दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों का बहीखाता बढ़ रहा है क्योंकि सरकारों की तरफ से नकदी बढ़ाने वाली नीतियां चलाई जा रही हैं. इसी तरह से यूरोपीय केंद्रीय बैंक का बहीखाता तो बढ़कर यूरो क्षेत्र के 50 फीसदी से ज्यादा तक पहुंच गया है. इसी तरह अमेरिका के केंद्रीय विदेशी मुद्रा बाजार क्यों महत्वपूर्ण है? बैंक फेडरल रिजर्व का बहीखाता भी वहां के जीडीपी के 32 फीसदी तक पहुंच गया है.
केंद्रीय बैंकों के बहीखातों में तेज बढ़त साल 2008-09 से शुरू हुई, जब दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं को बचाने के लिए नकदी का प्रवाह शुरू किया. इसके बाद से केंद्रीय बैंकों का बहीखाता कम होने की बजाय बढ़ता ही गया है. कोरोना संकट के बाद तो इसमें और विस्तार ही होने के आसार हैं.
एक डॉलर की कीमत 80 रुपये पर पहुंची, जानें- क्यों कमजोर होता जा रहा है रुपया, अभी और कितनी गिरावट बाकी?
Rupee Vs Dollar: एक डॉलर की कीमत 80 रुपये पर पहुंच गई है. संसद में सवालों के जवाब में केंद्र विदेशी मुद्रा बाजार क्यों महत्वपूर्ण है? सरकार की तरफ से जवाब दिया गया है कि 2014 के बाद से डॉलर के मुकाबले रुपये में अभी तक 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है.
Updated: July 19, 2022 12:44 PM IST
Rupee Vs Dollar: मंगलवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण विनिमय दर के स्तर डॉलर के मुकाबले 80 रुपये के स्तर से नीचे चला गया. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, रुपया घटकर 80.06 प्रति डॉलर पर आ गया.
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रुपया विनिमय दर क्या है?
अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपये की विनिमय दर अनिवार्य रूप से एक अमेरिकी डॉलर को खरीदने के लिए आवश्यक रुपये की संख्या है. यह न केवल अमेरिकी सामान खरीदने के लिए बल्कि अन्य वस्तुओं और सेवाओं (जैसे कच्चा तेल) की पूरी मेजबानी के लिए एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है, जिसके लिए भारतीय नागरिकों और कंपनियों को डॉलर की आवश्यकता होती है.
जब रुपये का अवमूल्यन होता है, तो भारत के बाहर से कुछ खरीदना (आयात करना) महंगा हो जाता है. इसी तर्क से, यदि कोई शेष विश्व (विशेषकर अमेरिका) को माल और सेवाओं को बेचने (निर्यात) करने की कोशिश कर रहा है, तो गिरता हुआ रुपया भारत के उत्पादों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाता है, क्योंकि रुपये का अवमूल्य विदेशियों के लिए भारतीय उत्पादों को खरीदना सस्ता बनाता है.
डॉलर के मुकाबले रुपया क्यों कमजोर हो रहा है?
सीधे शब्दों में कहें तो डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है, क्योंकि बाजार में रुपये की तुलना में डॉलर की मांग ज्यादा है. रुपये की तुलना में डॉलर की बढ़ी हुई विदेशी मुद्रा बाजार क्यों महत्वपूर्ण है? मांग, दो कारकों के कारण बढ़ रही है.
पहला यह कि भारतीय जितना निर्यात करते हैं, उससे अधिक वस्तुओं और सेवाओं का आयात करते हैं. इसे ही करेंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) कहा जाता है. जब किसी देश के पास यह होता है, तो इसका तात्पर्य है कि जो आ रहा है उससे अधिक विदेशी मुद्रा (विशेषकर डॉलर) भारत से बाहर निकल रही है.
2022 की शुरुआत के बाद से, जैसा कि यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर कच्चे तेल और अन्य कमोडिटीज की कीमतों में बढ़ोतरी होने लगी है, जिसकी वजह से भारत का सीएडी तेजी से बढ़ा है. इसने रुपये में अवमूल्यन यानी डॉलर के मुकाबले मूल्य कम करने का दबाव डाला है. देश के बाहर से सामान आयात करने के लिए भारतीय ज्यादा डॉलर की मांग कर रहे हैं.
दूसरा, भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश में गिरावट दर्ज की गयी है. ऐतिहासिक रूप से, भारत के साथ-साथ अधिकांश विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में CAD की प्रवृत्ति होती है. लेकिन भारत के मामले में, यह घाटा देश में निवेश करने के लिए जल्दबाजी करने वाले विदेशी निवेशकों द्वारा पूरा नहीं किया गया था; इसे कैपिटल अकाउंट सरप्लस भी कहा जाता है. इस अधिशेष ने अरबों डॉलर लाए और यह सुनिश्चित किया कि रुपये (डॉलर के सापेक्ष) की मांग मजबूत बनी रहे.
लेकिन 2022 की शुरुआत के बाद से, अधिक से अधिक विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि भारत की तुलना में अमेरिका में ब्याज दरें बहुत तेजी से बढ़ रही हैं. अमेरिका में ऐतिहासिक रूप से उच्च मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अमेरिकी केंद्रीय बैंक आक्रामक रूप से ब्याज दरों में वृद्धि कर रहा है. निवेश में इस गिरावट ने भारतीय शेयर बाजारों में निवेश करने के इच्छुक निवेशकों के बीच भारतीय रुपये की मांग में तेजी से कमी की है.
इन दोनों प्रवृत्तियों का परिणाम यह है कि डॉलर के सापेक्ष रुपये की मांग में तेजी से गिरावट दर्ज की गयी है. यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है.
क्या डॉलर के मुकाबले केवल रुपये में ही आई है गिरावट?
यूरो और जापानी येन समेत सभी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर मजबूत हो रहा है. दरअसल, यूरो जैसी कई मुद्राओं के मुकाबले रुपये में तेजी आयी है.
क्या रुपया सुरक्षित क्षेत्र में है?
रुपये की विनिमय दर को “प्रबंधित” करने में आरबीआई की भूमिका को समझना महत्वपूर्ण है. यदि विनिमय दर पूरी तरह से बाजार द्वारा निर्धारित की जाती है, तो इसमें तेजी से उतार-चढ़ाव होता है – जब रुपया मजबूत होता है और रुपये का अवमूल्यन होता है.
लेकिन आरबीआई रुपये की विनिमय दर में तेज विदेशी मुद्रा बाजार क्यों महत्वपूर्ण है? उतार-चढ़ाव की अनुमति नहीं देता है. यह गिरावट को कम करने या वृद्धि को सीमित करने के लिए हस्तक्षेप करता है. यह बाजार में डॉलर बेचकर गिरावट को रोकने की कोशिश करता है. यह एक ऐसा कदम है जो डॉलर की तुलना में रुपये की मांग के बीच के अंतर को कम करता है. जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आती है. जब आरबीआई रुपये को मजबूत होने से रोकना चाहता है तो वह बाजार से अतिरिक्त डॉलर निकाल लेता है, जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी होती है.
एक डॉलर की कीमत 80 रुपये से ज्यादा होने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या रुपये में और गिरावट आनी बाकी है? जानकारों का मानना है कि 80 रुपये का स्तर एक मनोवैज्ञानिक स्तर था. अब इससे नीचे आने के बाद यह 82 डॉलर तक पहुंच सकता है.
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देश का विदेशी मुद्रा भंडार घटा, जानें अब खजाने में कितना रह गया है?
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 12 अगस्त को खत्म हफ्ते में 2.23 अरब डॉलर घटकर 570.74 अरब डॉलर रह गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने यह जानकारी दी.
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 12 अगस्त को खत्म हफ्ते में 2.23 अरब डॉलर घटकर 570.74 अरब डॉलर रह गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने यह जानकारी दी. इससे पहले पांच अगस्त को खत्म हफ्ते में विदेशी मुद्रा बाजार क्यों महत्वपूर्ण है? विदेशी मुद्रा भंडार 89.7 करोड़ डॉलर घटकर 572.97 अरब डॉलर रहा था. रिजर्व बैंक द्वारा जारी साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, 12 अगस्त को खत्म हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट की मुख्य वजह विदेशी मुद्रा आस्तियों का कम होना है, जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं.
देश का सोने का भंडार बढ़ा
साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन हफ्ते में विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 2.65 अरब डॉलर घटकर 506.99 अरब डॉलर रह गईं हैं. डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि या मूल्य में गिरावट के असर को शामिल किया जाता है. आंकड़ों के मुताबिक, बीते हफ्ते में स्वर्ण भंडार का मूल्य 30.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 40.61 अरब डॉलर हो गया है.
समीक्षाधीन हफ्ते में, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 10.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.13 अरब डॉलर हो गया है. जबकि, आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार 70 लाख डॉलर बढ़कर 4.99 अरब डॉलर से अधिक हो गया है.
क्या कहता है रिजर्व बैंक?
आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है. आरबीआई अधिकारियों के अध्ययन में यह कहा गया है. अध्ययन में 2007 से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मौजूदा समय में उत्पन्न उतार-चढ़ाव को शामिल किया गया है. केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप की एक घोषित नीति है. केंद्रीय बैंक यदि बाजार में अस्थिरता देखता है, तो हस्तक्षेप करता है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने अभी तक रुपये के किसी स्तर को लेकर अपना कोई लक्ष्य नहीं दिया है.
आरबीआई के वित्तीय बाजार संचालन विभाग के सौरभ नाथ, विक्रम राजपूत और गोपालकृष्णन एस के अध्ययन में कहा गया है कि 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भंडार 22 प्रतिशत कम हुआ था. यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद उत्पन्न उतार-चढ़ाव के दौरान इसमें केवल छह प्रतिशत की कमी आई है. अध्ययन में कहा गया है कि इसमें व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह कोई जरूरी नहीं है कि यह केंद्रीय बैंक की सोच से मेल खाए.
विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार आ रही है गिरावट, फिसल कर 600 बिलियन डॉलर के करीब पहुंचा फॉरन रिजर्व
एकबार फिर से विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है. 22 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 3.27 बिलियन डॉलर की गिरावट आई और यह 600 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. पिछले कुछ समय से फॉरन रिजर्व में लगातार गिरावट आ रही है.
देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange reserves) 22 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में 3.271 अरब डॉलर घटकर 600.423 अरब डॉलर रह गया. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार इससे पहले, 15 अप्रैल को समाप्त सप्ताह के दौरान भी इसमें 31.1 करोड़ डॉलर की कमी आई थी और यह घटकर 603.694 अरब डॉलर रह गया था. विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (एफसीए) घटने की वजह से हुई जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. आंकड़ों के अनुसार 22 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में एफसीए 2.835 अरब डॉलर घटकर 533.933 अरब डॉलर रह गया. डॉलर में अभिव्यक्त किए जाने वाले विदेशी मुद्रा अस्तियों में विदेशी मुद्रा संपत्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्रा के घट-बढ़ को भी शामिल किया जाता है.
आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य सप्ताह के दौरान देश का स्वर्ण भंडार (Gold reserves) 3.77 करोड़ डॉलर घटकर 42.768 अरब डॉलर पर पहुंच गया. आरबीआई ने कहा कि इस सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 3.3 करोड़ डॉलर घटकर 18.662 अरब डॉलर रह गया. आंकड़ों के अनुसार, आईएमएफ में रखे गए देश का मुद्रा भंडार 2.6 करोड़ डॉलर घटकर 5.060 अरब डॉलर पर आ गया है.
शुक्रवार को रुपए में आया विदेशी मुद्रा बाजार क्यों महत्वपूर्ण है? 11 पैसे का उछाल
अमेरिकी मुद्रा में आई नरमी के साथ डॉलर के मुकाबले रुपया शुक्रवार को 11 पैसे चढ़कर 76.50 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. विदेशी बाजारों में अमेरिका मुद्रा के मूल्य में गिरावट और विदेशी संस्थागत निवेशकों के पूंजी प्रवाह से रुपए को मजबूती मिली. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 76.62 प्रति डॉलर पर खुला. कारोबार के दौरान रुपया 76.29 के उच्चतम और 76.63 के निचले स्तर तक गया. अंत में यह 11 पैसे मजबूत होकर 76.50 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. गुरुवार को अमेरिका मुद्रा के मुकाबले रुपया 76.61 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था.
डॉलर इंडेक्स में गिरावट का दिखा असर
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार के अनुसार, बेहतर विदेशी निवेश, डॉलर सूचकांक में गिरावट और जोखिम वाली संपत्तियों में सुधार की उम्मीद से रुपए में तेजी आई. उन्होंने कहा, बाजार प्रतिभागियों को कैंपस एक्टिववियर को मिले अधिक अभिदान के बाद एलआईसी के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) से निवेश प्रवाह बढ़ने की उम्मीद है. इस बीच, छह मुद्राओं की तुलना में डॉलर का आकलन करने वाला डॉलर सूचकांक 0.6 फीसदी की गिरावट लेकर 102.98 पर रहा.
विदेशी निवेशकों ने फिर की बिकवाली
इसके अलावा, तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 460.19 अंक की गिरावट के साथ 57,060.87 अंक और एनएसई निफ्टी 142.50 अंक टूटकर 17,102.55 अंक पर विदेशी मुद्रा बाजार क्यों महत्वपूर्ण है? बंद हुआ. वैश्विक मानक ब्रेंट कच्चा तेल वायदा 1.78 फीसदी की तेजी के साथ 109.51 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक ने शुक्रवार को 3648 करोड़ के शेयर बेचे, जबकि डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल निवेशकों ने 3490 करोड़ की खरीदारी की. कुल आधार पर 158 करोड़ की बिकवाली हुई.
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